लोकसभा की रचना या संगठन

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लोकसभा संसद का प्रथम या निम्न सदन है । इसे लोकप्रिय सदन भी कहते हैं , क्योंकि इसके सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं ।

1 .लोकसभा की सदस्य संख्या

मूल संविधान में लोकसभा की सदस्य संख्या 500 निश्चित की गयी थी , लेकिन समय - समय पर इसमें वृद्धि की गयी । अब गोआ , दमन और दीव पुनर्गठन अधिनियम , 1987 द्वारा निश्चित किया गया है कि लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 552 हो सकती है । इनमें से अधिकतम 530 सदस्य राज्यों के निर्वाचन क्षेत्रों से व अधिकतम 20 सदस्य संघीय क्षेत्रों से निर्वाचित किये जा सकेंगे एवं राष्ट्रपति आंग्ल - भारतीय वर्ग के 2 सदस्यों का मनोनयन कर सकेंगे ।

2 .लोकसभा का निर्वाचन

लोकसभा के सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से और वयस्क मताधिकार के आधार पर होता है । भारत में अब 18 वर्ष की आयु प्राप्त व्यक्ति को वयस्क माना गया है । लोकसभा के सभी निर्वाचन क्षेत्र एकल - सदस्यीय रखे गये हैं ।

3 .लोकसभा सदस्यों के लिए योग्यताएँ

  • ( i ) वह व्यक्ति भारत का नागरिक हो ।
  • ( ii ) उसकी आयु 25 वर्ष या इससे अधिक हो ।
  • ( iii ) भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अन्तर्गत वह कोई लाभ का पद धारण न किये हुये हो ।
  • ( iv ) वह किसी न्यायालय द्वारा पागल न ठहराया गया हो तथा दिवालिया न हो ।

4 .लोकसभा का कार्यकाल

लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है । प्रधानमंत्री के परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति के द्वारा लोकसभा को समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है , ऐसा अब तक 9 बार किया गया है ।

5 .लोकसभा अधिवेशन

लोकसभा और राज्यसभा के अधिवेशन राष्ट्रपति के द्वारा ही बुलाये और स्थगित किये जाते है और इस संबंध में नियम केवल यह है कि लोकसभा की दो बैठकों में 6 माह से अधिक का अन्तर नहीं होना चाहिए ।

6 . लोकसभा के पदाधिकारी

अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष

संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार लोकसभा स्वयं ही अपने सदस्यों में से एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का निर्वाचन करेगी । अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष को उनके पद से हटाया भी जा सकता है यदि लोकसभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से इस आशय का प्रस्ताव पारित हो जाये , परन्तु इस प्रकार का कोई प्रस्ताव लोकसभा में तभी पेश हो सकेगा जबकि इस प्रकार के प्रस्ताव को पेश करने के लिए कम से कम 14 दिन की पूर्व सूचना दी गयी हो । संविधान के अनुसार अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को संसद द्वारा निर्धारित वेतन तथा भत्ते प्राप्त होंगे ।

अध्यक्ष के कार्य और शक्तियाँ

भारतीय लोकसभा के अध्यक्ष को लगभग वे ही अधिकार प्राप्त हैं जो ब्रिटिश लोकसदन ( House of Commons ) के अध्यक्ष को हैं ।
  • 1 . अध्यक्ष के द्वारा लोकसभा की सभी बैठकों की अध्यक्षता की जाती है और अध्यक्ष होने के नाते उसके द्वारा सदन में शान्ति – व्यवस्था और अनुशासन बनाये रखने का कार्य किया जाता है |
  • 2 . लोकसभा का समस्त कार्यक्रम और कार्यवाही अध्यक्ष के द्वारा ही निश्चित की जाती है । वह सदन के नेता के परामर्श से विभिन्न विषयों के सम्बन्ध में वाद - विवाद का समय निश्चित करता है ।
  • 3 . वह सदन की कुछ समितियों का पदेन सभापति होता है । प्रवर समितियों ( Select Committees ) के सभापतियों को वही नियुक्त करता है और इन समितियों के द्वारा उसके निर्देशन में ही कार्य किया जाता है ।
  • 4 . अध्यक्ष ही यह निर्णय करता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है अथवा नहीं ।
  • 5 . संसद और राष्ट्रपति के बीच सारा पत्र - व्यवहार उसके ही द्वारा होता है ।

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