pH स्केल : उपयोग तथा विभिन्न पदार्थों के pH मान

pH Scale

अम्ल एवं क्षार की सामर्थ्य को मापने के लिए pH स्केल का उपयोग करते है ।

यह स्केल किसी भी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता को मापता है ।

यहाँ p एक जर्मन शब्द पुसांस ( Potenz ) अर्थात् शक्ति का सूचक है तथा H हाइड्रोजन आयनों का ।

सन् 1909 में सोरेनसन नामक वैज्ञानिक ने pH स्केल बनाई तथा हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता के घातांक को pH कहा गया । अर्थात् “ हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता का ऋणात्मक लागेरिथम ( लघुगणक ) pH कहलाता है ।”

pH = - log10[ H+ ]

चूंकि विलयन में मुक्त H+ आयन नहीं होते हैं , ये जलयोजित होकर [ H3O+ ] हाइड्रोनियम आयन बनाते है । अतः pH का मान निम्न भी होता है ।

pH = - log10[ H3O+ ]

[ H+ ] आयनों की सान्द्रता जितनी अधिक होगी pH का मान उतना कम होगा । उदासीन विलयन के pH का मान 7 होता है । | उदासीन जल के लिए [ H+ ] तथा [ OH- ] आयनों की सान्द्रता 1×10 - 7 मोल / लिटर होती हैं । अतः इसकी pH होगी -

pH = - log [ 1×10-7 ]
pH = 7 log10
pH = 7

pH 7 से कम - विलयन अम्लीय
pH 7 - विलयन उदासीन
pH 7 से अधिक 14 तक - विलयन क्षारीय होता है ।

विभिन्न पदार्थों के pH मान

जल का pH मान = 7

दूध का pH मान = 6.4

सिरके का pH = 3

मानव रक्त का pH मान = 7.4

नीबू के रस का pH मान = 2.4

NaCl का pH मान = 7

शराब का pH मान = 2.8

मानव मूत्र का pH मान = 4.8 - 8.4

समुद्री जल का pH मान = 8.5

आँसू का pH मान = 7.4

मानव लार का pH मान = 6.5 - 7.5

दैनिक जीवन में pH का महत्व

1 . उदर में अम्लता

इस की शिकायत होने पर उदर में जलन व दर्द का अनुभव होता है । इस समय हमारे उदर में जठर रस जिसमें कि हाइड्रोक्लोरिक अम्ल ( HCl ) होता है , अधिक मात्रा में बनता है , जिससे उदर में जलन और दर्द होता है । इससे राहत पाने के लिए antacid अर्थात् दुर्बल क्षारकों जैसे [ ( Mg (OH)2 ) ] मिल्क ऑफ मैग्नीशिया का प्रयोग किया जाता है । यह उदर में अम्ल की अधिक मात्रा को उदासीन कर देता है ।

2 . दंत क्षय

मुख की pH साधारणतयाः 6 . 5 के करीब होती है । खाना खाने के पश्चात् मुख में उपस्थित बैक्टीरिया दाँतों में लगे अवशिष्ट भोजन से क्रिया करके अम्ल उत्पन्न करते है , जो कि मुख की pH कम कर देते है । pH का मान 5 . 5 से कम होने पर दाँतों के इनैमल का क्षय होने लग जाता है । अत : भोजन के बाद दंतमंजन या क्षारीय विलयन से मुख की सफाई अवश्य करनी चाहिए ताकि दंतक्षय पर नियंत्रण पाया जा सके ।

3 . कीटो का डंक

मधुमक्खी , चींटी या मकोड़े जैसे किसी भी कीट का डंक हो , ये डंक में अम्ल स्त्रावित करते है , जो हमारी त्वचा के सम्पर्क में आता है । इस अम्ल के कारण ही त्वचा पर जलन व दर्द होता है । यदि उसी समय क्षारकीय लवणों जैसे ( NaHCO3) सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट का प्रयोग उस स्थान पर किया जाए तो अम्ल का प्रभाव उदासीन हो जाएगा ।

4 . अम्ल वर्षा

वर्षा जल शुद्ध माना जाता है परन्तु प्रदूषकों के कारण आजकल इसकी pH कम होने लगी है । इस प्रकार की वर्षा को अम्लीय वर्षा कहते है । यह वर्षाजल नदी से लेकर खेतों की मिट्टी तक को प्रभावित करता है । इस प्रकार इससे फसल , जीव से लेकर पूरा पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित होता है । प्रदूषकों पर नियंत्रण रखकर अम्लीय वर्षा को नियंत्रित किया जा सकता है ।

5 . मृदा की pH

मृदा की pH का मान ज्ञात करके मिट्टी में बोयी जाने वाली फसलों का चयन किया जा सकता है तथा उपयुक्त उर्वरक का प्रयोग निर्धारित किया जाता है । जिससे अच्छी फसल की प्राप्ति होती है ।

Download PDF

Download & Share PDF With Friends

Download PDF
Free
Knowledge Hub

Your Knowledge Booster..!

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post