सोडियम क्लोराइड ( NaCl )
इसे साधारण नमक कहते है । यह प्रबल अम्ल व प्रबल क्षार का लवण होता तथा इसकी pH 7 होती है । pH 7 होने के कारण उदासीन प्रकृति का होता है ।
बनाने की विधि
सोडियम क्लोराइड व्यापारिक तौर पर समुद्र के जल या खारे पानी को सुखा कर बनाया जाता है । इस प्रकार बना हुआ नमक कई अशुद्धियों यथा मैग्नीशियम क्लोराइड ( MgCl2 ) , कैल्शियम क्लोराइड ( CaCl2 ) से युक्त होता है । इसे शुद्ध रूप में प्राप्त करने के लिए NaCl के संतृप्त विलयन से भरी बड़ी - बड़ी टंकियों में हाइड्रोजन क्लोराइड गैस ( HCl ) प्रवाहित की जाती है । इस प्रकार यहाँ शुद्ध नमक ( NaCl ) अवक्षेपित हो जाता है । शुद्ध अवक्षेपित NaCl को एकत्रित कर लिया जाता है ।
गुण
❍ यह श्वेत ठोस पदार्थ है ।
❍ इसका गलनांक उच्च 1081 K होता है ।
❍ जल में अत्यधिक विलेय है ।
❍ जलीय विलयन में आयनित हो जाता है ।
उपयोग
❍ इसका उपयोग साधारण नमक के रूप में भोजन में किया जाता है ।
❍ खाद्य परिरक्षण में प्रयोग करते है ।
❍ हिमीकरण मिश्रण बनाया जाता है ।
❍ NaOH , Na2CO3 , NaHCO3 , विरंजक चूर्ण आदि बनाने में कच्चे पदार्थ के रूप में काम में लिया जाता है ।
सोडियम हाइड्रॉक्साइड ( NaOH )
इसे कॉस्टिक सोड़ा भी कहते है ।
बनाने की विधि
औद्योगिक स्तर पर सोडियम हाइड्रॉक्साइड का उत्पादन सोडियम क्लोराइड के विद्युत अपघटन द्वारा किया जाता है । इसमें एनोड पर क्लोरीन गैस तथा कैथोड पर हाइड्रोजन गैस बनती है । कैथोड पर ही विलयन के रूप में सोडियम हाइड्रॉक्साइड प्राप्त होता है ।
गुण
❍ यह श्वेत चिकना ठोस पदार्थ है ।
❍ इसका गलनांक 591 K है ।
❍ जल में शीघ्र विलेय हो जाता है ।
❍ यह प्रबल क्षार है । अपने जलीय विलयन में आयनित रूप में ( Na+(aq) OH-(aq) ) रहता है । अतः एक प्रबल विद्युत अपघट्य भी है ।
❍ इसके क्रिस्टल प्रस्वेद्य होते है ।
उपयोग
❍ साबुन , कागज , सिल्क उद्योग तथा अन्य रसायनों के निर्माण में इसका उपयोग किया जाता है ।
❍ बॉक्साइड के धातुकर्म में उपयोग होता है ।
❍ पेट्रोलियम के शोधन में उपयोग किया जाता है ।
❍ वसा व तेलों के निर्माण में काम में लिया जाता है ।
❍ प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में उपयोग होता है ।
विरंजक चूर्ण ( Bleeching Powder ) ( CaOCl2 )
इसका रासायनिक नाम कैल्शियमऑक्सी क्लोराइड है ।
बनाने की विधि
शुष्क बुझे हुए चूने पर क्लोरीन की क्रिया से विरंजक चूर्ण बनता है ।
गुण
❍ यह पीला तीक्ष्ण गंध वाला ठोस पदार्थ है ।
❍ ठंडे जल में विलेय है ।
❍ वायु में खुला रखने पर क्लोरीन गैस देता है ।
❍ यह तनु अम्लों से क्रिया करके क्लोरीन गैस देता है ।
❍ विरंजक चूर्ण से मुक्त क्लोरीन गैस जल से संयोग कर नवजात परमाण्विक ऑक्सीजन [ O ] निकालती है । यही ऑक्सीजन विरंजन क्रिया करती है और ऑक्सीकारक की तरह व्यवहार करती है ।
रंगीन पदार्थ + [ O ] ⟶ रंगहीन पदार्थ
उपयोग
❍ वस्त्र उद्योग में विरंजक के रूप में
❍ कागज उद्योग में विरंजक के रूप में
❍ पेयजल को शुद्ध करने में
❍ रोगाणुनाशक एवं ऑक्सीकारक के रूप में
❍ प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में प्रयोग किया जाता है ।
बेकिंग सोडा ( NaHCO3 )
बेकिंग सोडा को खाने का सोड़ा भी कहते है । इसका रासायनिक नाम सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट है । इसे खाद्द पदार्थों में मिलाकर गर्म करने ( बेक करने ) पर कार्बनडाइ ऑक्साइड गैस बुलबुलों के रूप में बाहर निकल जाती है । इस प्रकार केक जैसे खाद्य पदार्थ फूलकर हल्के हो जाते है और उनमें छिद्र पड़ जाते है |
बनाने की विधि
NaCl की NH3 तथा CO2 गैस से क्रिया द्वारा NaHCO3 का निर्माण किया जाता है ।
सोडियम कार्बोनेट के जलीय विलयन में कार्बन डाईऑक्साइड गैस प्रवाहित करने से भी NaHCO3 का निर्माण होता है ।
गुण
❍ श्वेत क्रिस्टलीय ठोस है ।
❍ जल में अल्प विलेय है ।
❍ जल में इसका विलयन क्षारीय होता है ।
❍ इसे गर्म करने पर कार्बनडाईऑक्साइड गैस निकलती है ।
उपयोग
❍ खाद्य पदार्थों में बेकिंग पाउडर के रूप में
❍ सोडा वाटर तथा सोडा युक्त शीतल पेय बनाने में
❍ पेट की अम्लता को दूर करने में एन्टाएसिङ (Antaacid ) के रूप में ।
❍ मंद प्रतिरोधी ( Mild Antiseptic ) के रूप में
❍ अग्निशामक यंत्रों में
❍ प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में प्रयोग किया जाता है
धावन सोड़ा ( Na2CO3⋅10H2O )
इसे कपड़े धोने का सोडा भी कहते है । इसका रासायनिक नाम सोडियम कार्बोनेट है । इसमें एक सोडियम कार्बोनेट अणु के साथ 10 अणु क्रिस्टलन जल होता है ।
बनाने की विधि
सोडियम कार्बोनेट का निर्माण साल्वे विधि से किया जाता है , जिसमें सोडियम क्लोराइड प्रयुक्त किया जाता है । बेकिंग सोडा को गर्म करने पर भी सोडियम कार्बोनेट प्राप्त होता है । इसे पुनः क्रिस्टलीकरण करने पर कपड़े धोने का सोडा प्राप्त होता है ।
गुण
❍ यह सफेद क्रिस्टलीय ठोस है ।
❍ जल में विलेय है ।
❍ इसका जलीय विलयन क्षारीय होता है ।
❍ यह गर्म करने पर क्रिस्टलन जल त्याग कर सोडा एश ( soda ash ) बनाता है ।
उपयोग
❍ धुलाई व सफाई में
❍ कास्टिक सोडा , बेकिंग पाउडर , काँच , साबुन बोरेक्स के निर्माण में
❍ अपमार्जक के रूप में
❍ कागज , पेन्ट तथा वस्त्र उद्योग में
❍ प्रयोगशाला अभिकर्मक के रूप में ।
प्लास्टर ऑफ पेरिस (CaSO4⋅ 1⁄2H2O )
इसका रासायनिक नाम कैल्शियम सल्फेट का अर्द्धहाइड्रेट ( हेमी हाइडेट ) है । फ्रांस की राजधानी पेरिस में जिप्सम को गर्म करके सबसे पहले इसे बनाया गया था अतः इसका नाम प्लास्टर ऑफ पेरिस रखा गया । इसे पी . ओ . पी . ( P.O.P. ) भी कहते है ।
बनाने की विधि
जिप्सम ( CaSO4⋅2H2O ) को 393K ताप पर गर्म करने पर प्लास्टर ऑफ पेरिस प्राप्त होता है ।
P.O.P. को और अधिक गर्म करने पर सम्पूर्ण क्रिस्टलन जल बाहर निकल जाता है और मृत तापित प्लास्टर ( Dead Burnt Plaster ) [CaSO4⋅1⁄2H2O] प्राप्त होता है ।
गुण
❍ श्वेत , ठोस चिकना पदार्थ है ।
❍ इसमें जल मिलाने पर 15 से 20 मिनट में जमकर ठोस और कठोर हो जाता है ।
उपयोग
❍ इसका महत्वपूर्ण उपयोग टूटी हुई हड्डियों को जोडने के लिए प्लास्टर चढाने में
❍ भवन निर्माण में
❍ दंत चिकित्सा में
❍ मूर्तियाँ आदि सजावटी सामानों को बनाने में
❍ अग्निसह पदार्थ के रूप में किया जाता है ।