महत्तम समापवर्तक - ‘ महत्तम समापवर्तक ’ वह अधिकता संख्या है , जो दी गई संख्याओं को पूर्णतया विभाजित करती है । जैसे - संख्याएँ 10 , 20 , 30 का महत्तम समापवर्तक 10 है ।
समापवर्तक ( Common Factor ) - ऐसी संख्या जो दो या दो से अधिक संख्याओं में से प्रत्येक को पूरी - पूरी विभाजित करें , जैसे - 10 , 20 , 30 का समापवर्तक 2 , 5 , 10 है ।
लघुत्तम समापवर्त्य - दो या दो से अधिक संख्याओं का ‘ लघुत्तम समापवर्त्य ’ वह छोटी - से - छोटी संख्या है , जो उन दी गई संख्या में से प्रत्येक से पूर्णतया विभाजित हो जाती है । जैसे - 3 , 5 , 6 का लघुतम समापवर्त्य 30 है , क्योंकि 30 को ये तीनों संख्याएँ क्रमशः विभाजित कर सकती हैं ।
समापवर्त्य ( Common Multiple ) - एक संख्या जो दो या दो से अधिक संख्याओं में । से प्रत्येक से पूरी - पूरी विभाजित होती हो , तो वह संख्या उन संख्याओं की समापवर्त्य कहलाती है , जैसे - 3 , 5 , 6 का समापवर्त्य 30 , 60 , 90 आदि हैं ।
अपवर्तक एवं अपवर्त्य ( Factor and Multiple ) - यदि एक संख्या m दूसरी संख्या n को पूरी - पूरी काटती है , तो m को n का अपवर्तक ( Factor ) तथा n को m का अपवर्त्य ( Multiple ) कहते हैं ।
महत्तम समापवर्तक ज्ञात करने की विधियाँ
1 . गुणनखण्ड विधि - इस विधि में दी गई सभी संख्याओं के रूढ़ गुणनखण्ड करते हैं । तथा जो संख्याएँ सभी में सर्वनिष्ठ हों उनका गुणा करते हैं ।
जैसे - 28 , 42 और 98 का म.स. -
28 | = | 2 | × | 2 | × | 7 |
42 | = | 2 | × | 3 | × | 7 |
98 | = | 2 | × | 7 | × | 7 |
28 , 42 और 98 का म स. = 2 × 7 = 14
2 . भाग विधि - इस विधि में दी गई संख्याओं में से सबसे छोटी संख्या से उससे बड़ी संख्या में भाग देते हैं , तत्पश्चात् बचे शेष से भाजक में भाग दिया जाता है और यह क्रिया तब तक करते हैं , जब तक शून्य शेष बचे , तब अन्तिम भाजक ही दी हुई संख्याओं का म.स. होगा यदि संख्या तीन हैं , तो प्राप्त म.स. तथा तीसरी संख्या के साथ यही क्रिया करते हैं । आगे इसी तरह करते जाते हैं |
जैसे - 36 , 54 , 81 का म.स. -
सर्वप्रथम 36 तथा 54 का म.स. इस विधि से निकालते हैं ।
36 | ) | 54 | ( | 1 | ||
36 | ||||||
18 | ) | 36 | ( | 2 | ||
36 | ||||||
× | ||||||
अतः 36 तथा 54 का म.स. = 18
अब , 18 तथा 81 का म.स. निकालते हैं ।
18 | ) | 81 | ( | 4 | ||
72 | ||||||
9 | ) | 18 | ( | 2 | ||
18 | ||||||
× | ||||||
अतः 36 , 54 तथा 81 का म.स. 9 है ।
लघुत्तम समापवर्त्य ज्ञात करने की विधियाँ
1 . गुणनखण्ड विधि - दी हुई संख्याओं के अभाज्य गुणनखण्ड ज्ञात कर लेते हैं तथा गुणनखण्डों को घात से प्रदर्शित करते हैं , तत्पश्चात् अधिकतम घात वाली संख्याओं का गुणा करते हैं |
जैसे - 16 , 24 , 40 , 42 का ल.स. -
16 = 2 × 2 × 2 × 2 = 24
24 = 3 × 2 × 2 × 2 = 3 × 23
40 = 5 × 2 × 2 × 2 = 5 × 23
42 = 7 × 3 × 2 = 7 × 3 × 2
ल.स. = 24 × 3 × 5 × 7 = 16 × 105 = 1680
2 . भाग विधि - इस विधि को निम्न उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है ।
उदाहरणार्थ - 36 , 48 और 80 का ल . स . -
2 | 36 , | 48 , | 80 |
2 | 18 , | 24 , | 40 |
2 | 9 , | 12 , | 20 |
2 | 9 , | 6 , | 10 |
3 | 9 , | 3 , | 5 |
3 | 3 , | 1 , | 5 |
5 | 1 , | 1 , | 5 |
1 , | 1 , | 1 |
अतः 36 , 48 और 80 का ल . स . = 2 × 2 × 2 × 2 × 3 × 3 × 5 = 720
इसमें संख्याओं को उभयनिष्ठ अभाज्य भाजकों द्वारा विभाजित किया जा सकता है तथा इस क्रिया की पुनरावृत्ति तब तक करते हैं जब तक शेषफल एक प्राप्त हो । इन अभाज्य भाजकों का गुणनफल ही अभीष्ट ल.स. होगा ।
दशमलव संख्याओं का ल . स . तथा म . स . निकालना
जैसे - 7 , 10.5 एवं 1.4 का म . स . -
भिन्नों का म.स.प. एवं ल.स.प.
महत्त्वपूर्ण सूत्र
यदि किन्हीं संख्याओं में कोई उभयनिष्ठ गुणनखण्ड न हो , तो उनका म.स. 1 तथा ल.स. उनका गुणनफल होता है ।
पहली संख्या × दूसरी संख्या = ल.स. × म.स.
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