उपनिषदों में कौन - कौन से विषयों का वर्णन किया गया है ?
➥ उपनिषदों में ब्रह्म , आत्मा , मोक्ष , सृष्टि , जन्म - मरण आदि विषयों का वर्णन किया गया ।
ह्वेनसांग के यात्रा - वर्णन का ऐतिहासिक दृष्टि से महत्व बताए ।
➥ ह्वेनसांग के यात्रा - वर्णन से हर्षकालीन राजनीतिक , सामाजिक , धार्मिक और आर्थिक अवस्थाओं के बारे में जानकारी मिलती है ।
प्राचीन भारत के सम्बन्ध में ऐतिहासिक जानकारी देने वाले चार यूनानी लेखकों के नाम लिखिए ।
➥ मेगस्थनीज , डीमेकस , स्ट्रेबो , प्लिनी , एरियन , पेट्रोक्लीज आदि । ।
‘ उपनिषद् ’ शब्द का अर्थ बताइए ।
➥ ‘ उपनिषद् ’ शब्द से आशय अध्यात्म विद्या अथवा ब्रह्म विद्या से है । उपनिषद गुरु से पाया हुआ रहस्य है ।
उपनिषद् कितने हैं ? चार के नाम बताइए ।
➥ उपनिषदों की संख्या लगभग 200 है । ईशावास्य , केन , कंठ , मुण्डक आदि प्रमुख उपनिषद् हैं ।
प्रमुख उपनिषदों के नाम बताइए ।
➥ प्रमुख उपनिषद हैं - ईशावास्य , केन , कंठ , मुण्डक , माण्डुक्य , ऐतरेय , तैत्तिरीय , श्वेताश्वर छान्दोग्य , वृहदारण्यक एवं कौषितकी ।
स्रोत ।
➥ स्रोत से अभिप्राय उन साधनों से हैं जो प्राचीन इतिहास को जानने में सहायता देते हैं । स्रोतों का अध्ययन करके ही हम प्रामाणिक इतिहास की सामग्री को जुटा पाते हैं ।
स्रोत इतिहास लिखने में कैसे सहायक होते हैं ? कतिपय उदाहरण दीजिए ।
➥ स्रोतों की सहायता से ही प्राचीन इतिहास लिखा जा सकता है क्योंकि इन स्रोतों से प्राचीन इतिहास की अनेक विस्मृत घटनाओं की जानकारी प्राप्त होती है । जैसे अशोक के अभिलेखों से उसके ‘धम्म’ की जानकारी प्राप्त होती है ।
हिस्टोरिका ।
➥‘ हिस्टोरिका ’ नामक पुस्तक यूनानी लेखक हेरोडोटस ने पाँचवीं सदी ई.पू. में लिखी थी । इस पुस्तक से पश्चिमोत्तर भारत की राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति की जानकारी मिलती है ।
तारानाथ ।
➥ तिब्बती इतिहासकार लामा तारानाथ के वर्णन से शुंग राजवंश पर महत्त्वपूर्ण जानकारी एवं विवरण प्राप्त होता है । तारानाथ ने ‘ कंग्यूर ’ और ' तंग्यूर ' नामक दो ग्रन्थों की रचना की । ।
अभिलेखों के किन्हीं चार वर्ग ( प्रकार ) का नामोल्लेख कीजिए ।
➥ अभिलेखों के चार वर्ग हैं - गुहा - लेख , शिला - लेख , स्तम्भ - लेख , तथा ताम्रपत्र लेख |
प्राचीन काल में भारत आने वाले चीनी यात्रियों के नाम लिखिए ।
➥ प्राचीन काल में भारत आने वाले चीनी यात्रियों में फाह्यान , ह्वेनसांग व इत्सिंग का नाम प्रमुख हैं ।
ह्वेनसांग ’ ।
➥ ‘ हेनसांग ’ एक चीनी यात्री एवं लेखक था जो हर्षवर्धन के समय में भारत आया । उसने भारत के सुदूर दक्षिण के भाग को छोड़कर शेष प्रत्येक भाग का विवरण अपने ग्रन्थ ‘ सी - यू - की ' में दिया है । वह लगभग 15 वर्ष तक भारत में रहा ।
उपनिषदों का ऐतिहासिक महत्व बताइए ।
➥ उपनिषदों से हमें आर्यों के सामाजिक , धार्मिक , आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन के बारे में जानकारी मिलती है ।
पुराण कितने हैं ? इनमें से किन्हीं चार के नाम लिखिए ।
➥ पुराणों की संख्या 18 है । चार प्रमुख पुराणों के नाम हैं — ( 1 ) बिष्णु पुराण ( 2 ) नारद पुराण ( 3 ) भागवत पुराण ( 4 ) वराह पुराण ।
संहिता किसे कहते हैं ? उनके नाम लिखिए ।
➥ संहिता वेदों को कहते हैं । उनके नाम हैं ऋग्वेद , सामवेद , यजुर्वेद एवं अथर्ववेद ।
आहत सिक्के या आहत मुद्राएँ ।
➥ भारत के प्राचीनतम सिक्के आहत या पंचमार्क सिक्के कहलाते हैं । ये अधिकांशतः चाँदी के टुकड़े हैं जिन पर विविध आकृतियाँ उत्कीर्ण हैं ।
प्रमुख संस्कृत बौद्ध ग्रंथों के नाम लिखिए ।
➥ महावस्तु , ललित विस्तार , दिव्यावदान , आर्यमंजुश्रीमूलकल्प , बुद्धचरित , सौदरानन्द
न्यूमिसमेटिक्स व एपिग्राफी क्या हैं ?
➥ न्यूमिसमेटिक्स को मुद्राशास्त्र कहा जाता है । एपिग्राफी को पुरालेख कहा जाता है | न्यूमिसमेटिक्स व एपिग्राफी से प्राचीन इतिहास जानने में मदद मिलती है ।
‘ पृथ्वीराज रासो ’ के बारे में आप क्या जानते हैं ?
➥ चन्दबरदाई द्वारा रचित यह ग्रन्थ दिल्ली तथा अजमेर के राजा पृथ्वीराज शासनकाल की घटनाओं का उल्लेख करता है ।
बिजौलिया शिलालेख का क्या महत्त्व है ?
➥ बिजौलिया शिलालेख ( 1170 ई ) से सांभर और अजमेर के चौहान वंश के शासकों की उपलब्धियों के बारे में जानकारी मिलती है ।
त्रिपिटक क्या हैं ? उनके नाम लिखिए ।
➥ बौद्धों के धार्मिक सिद्धान्त मुख्यतः त्रिपिटक ग्रन्थों में संग्रहित हैं । ये तीन हैं —विनयपिटक सुत्तपिटकअभिधम्मपिटक ।
‘ त्रिपिटक ’ के नाम व उनके विषय के बारे में बताइए ।
➥ ( 1 ) विनयपिटक में बौद्ध भिक्षु - भिक्षुणियों के संघ तथा उनके दैनिक जीवन सम्बन्धी आचार - विचार ( 2 ) सुत्तपिटक में बौद्ध धर्म के उपदेश , सिद्धान्त आदि का विवेचन( 3 ) अभिधम्मपिटक में बौद्ध धर्म के सिद्धान्तों और दर्शन की उच्च स्तर पर विवेचना की गई है ।
मिलिन्दपन्हो के बारे में आप क्या जानते हैं ?
➥ बौद्ध साहित्य एवं दर्शन के इतिहास को जानने के लिए मिलिन्दपन्हो एक अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ हैं । इसकी रचना नागसेन ने की । ।
वेद क्या है ? वेदों के प्रकार बताते हुए उनके नाम लिखिए ।
➥ वेद आर्यों के वैदिक साहित्य के आदिग्रन्थ हैं । इन्हें ‘ श्रुति ’ भी कहा जाता है । वेदों के चार प्रकार हैं — ( 1 ) ऋग्वेद( 2 ) सामवेद( 3 ) यजुर्वेद( 4 ) अथर्ववेद ।
ब्राह्मण धर्म के प्रमुख ग्रन्थों के नाम लिखिए ।
➥ वेद , ब्राह्मण , आख्यक , उपनिषद , वेदांग , सूत्रग्रन्थ , स्मृतियाँ , महाकाव्य और पुराण ब्राह्मण धर्म के प्रमुख ग्रन्थ हैं ।
वेदांग कितने हैं ? उनके नाम लिखिए ।
➥ वेद के अध्ययन के लिए वेदांग अर्थात् वेदों के अंग का ज्ञान आवश्यक है । वेदांग छ : हैं ( 1 ) शिक्षा( 2 ) कल्प( 3 ) व्याकरण( 4 ) निरुक्त( 5 ) छन्द( 6 ) ज्योतिष
किस प्राचीन भारतीय ग्रन्थ को ‘शतसहस्त्री संहिता ’ कहा जाता है ?
➥ महाभारत को ‘ शतसहस्त्री संहिता ’ कहा जाता है । ।
जातक ग्रन्थों के ऐतिहासिक महत्त्व की व्याख्या कीजिए ।
➥ जातक ग्रन्थों में महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्म की कहानियाँ दी गई हैं । इनसे बौद्धकालीन भारत की सामाजिक , धार्मिक , आर्थिक और राजनीतिक दशा की जानकारी मिलती है ।
अर्थशास्त्र का ऐतिहासिक दृष्टि से महत्व बताइए ।
➥ ' अर्थशास्त्र ' के रचयिता कौटिल्य अथवा चाणक्य थे । इस ग्रन्थ में मौर्यकालीन शासन - व्यवस्था , सामाजिक अवस्था , आर्थिक अवस्था एवं धार्मिक अवस्था के बारे में जानकारी मिलती है ।
मेगस्थनीज कौन था ?
➥ मेगस्थनीज यूनानी शासक सेल्यूकस के राजदूत के रूप में चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था । उसने ' इण्डिका ' नामक पुस्तक लिखी । इससे चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन प्रबन्ध के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होती है ।
' इण्डिका ' किसने लिखी ?
➥ ' इण्डिका ' नामक पुस्तक की रचना मेगस्थनीज ने की थी । यह पुस्तक मौर्यकालीन इतिहास जानने का प्रमुख स्रोत है ।
राजतरंगिणी के रचयिता कौन थे ? इसकी क्या महत्ता है ?
➥ कल्हण , राजतरंगिणी के रचयिता थे । बारहवीं शताब्दी में रचित इस ग्रन्थ से काश्मीर के इतिहास के विषय में पर्याप्त जानकारी प्राप्त होती है , साथ ही अन्य स्थानों के इतिहास पर भी प्रकाश पड़ता है ।
अलबरूनी ।
➥ अलबरुनी एक मुस्लिम यात्री था जिसने 1030 ई . में ‘ तहकीक - ए - हिन्द ’ नामक पुस्तक लिखी । इस पुस्तक में उसने हिन्दुओं के धार्मिक विश्वास और रीति - रिवाजों का विस्तार से वर्णन किया है ।
' गाथासप्तशती ' ।
➥ गाथासप्तशती नामक ग्रन्थ की रचना सातवाहन राजा हाल ने की थी ।
पूर्व पाषाणकाल के प्रारम्भिक हथियार किस प्रकार के थे ?
➥ पूर्व - पाषाणकाल के प्रारम्भिक हथियार पाषाणनिर्मित थे । ये औजार भद्दे और भौंडे थे ।
मध्य पाषाणकाल के औजार किस आकार के थे ? इन्हें किस नाम से जाना जाता है ?
➥ मध्य पाषाणकाल के औजार बहुत छोटे आकार के थे जो प्रायः 1/2 " से 3/4 " तक के होते थे । अत्यधिक छोटे होने के कारण ये औजार ‘ लघु पाषाण उपकरण या माइक्रोलिथ ’ के नाम से जाने जाते हैं ।
मध्य पाषाणकाल के किन्हीं चार औजारों के नाम एवं इनका प्रयोजन लिखिए ।
➥ ( 1 ) स्केपर - इसका प्रयोग खाल को खुरचने के लिए किया जाता था । ( 2 ) डिस्क - ये मार करने के काम में आते थे । ( 3 ) ब्लेड - इनसे तीरों की पैनी नोंक बनाई जाती थी ।( 4 ) लूनेट - ये काटने के काम आते थे ।
लघु पाषाण उपकरण ( माइक्रोलिथ ) ( Microlith ) ।
➥ ये औजार बहुत छोटे आकार के हैं । अत्यधिक छोटे होने के कारण ये उपकरण ‘ माइक्रोलिथ ' के नाम से जाने जाते हैं । माइक्रोलिथ उपकरणों में ब्लेड प्वाइन्ट स्क्रेपर , इन्येवर , ट्रायंगल , क्रेसेण्ट , ट्रेपेज आदि आते हैं ।
शैलाश्रय ( Rock Shelter ) ।
➥ वर्षा और वायु के सामूहिक प्रभाव से पर्वतमालाएँ अनेक स्थलों से कट जाती हैं और उनके बीच कन्दराएँ बन जाती हैं । प्राचीन मनुष्यों ने नैसर्गिक रूप से बनी इन्हीं कन्दराओं को अपना आवास बनाया , जिन्हें शैलाश्रय कहते हैं । इन्हीं शैलाश्रय की दीवारों पर की गई चित्रकारी को शैल चित्र ( Rock Art ) कहते हैं ।
भीमबेटका के बारे में आप क्या जानते हैं ?
➥ विन्ध्यांचल की पहाड़ियों में भीमबेटका में कन्दरा - चित्रकला का सबसे बड़ा भण्डार मिला है । यहां की लगभग 500 गुफाओं में तत्कालीन युग के लोगों द्वारा अंकित किए गए हजारों चित्र प्राप्त हुए है । उसमें मानव जीवन के प्राय : सभी पक्षों को चित्रित किया गया है ।
नवपाषाणकालीन औजारों की विशेषताएँ बताइए ।
➥ नवपाषाणकालीन औजार गहरे हरे रंग के ट्रेप के हैं । ये औजार चिकने और चमकदार थे । इन औजारों एवं हथियारों पर या तो सम्पूर्ण भाग पर पालिश है या कम से कम ऊपर या नीचे के सिरों पर पालिश है ।
नवपाषाणकालीन संस्कृति के प्रमुख केन्द्रों के नाम बताइए ।
➥ उत्तरप्रदेश की टोंस नदी , बेलारी ,ब्रह्मगिरी , बुर्जहोम , गुफकराल , असम , छोटा नागपुर , बिहार , इलाहाबाद , मिर्जापुर ।
बोस्रोफेदन ।
➥ सिन्धु सभ्यता की लिपि पहली पंक्ति में दाहिनी ओर से बांयी ओर लिखी जाती थी । तथा दूसरी पंक्ति बांयी ओर से लिखी जाती थी । इस प्रकार की लिखावट को बोस्रोफेदन कहा जाता है ।
भारत में स्थित सिन्धु सभ्यता के चार प्रमुख केन्द्र बताइए ।
➥ ( 1 ) कालीबंगा ( 2 ) लोथल ( 3 ) राखीगढी ( 4 ) बणावली ।
सिन्धु सभ्यता के किन्हीं चार स्थानों के नाम बताइए जहाँ से अग्नि वेदिकाएँ प्राप्त हुई ।
➥ कालीबंगा लोथल , बणावली , राखीगढ़ी आदि की खुदाई से अनेक अग्नि वेदिकाएँ प्राप्त हुई हैं ।
सिन्धु सभ्यता के किस स्थल से जुते हुए खेत के साक्ष्य पाए गए थे ? यह कहाँ स्थित है |
➥ कालीबंगा से जुते हुए खेत के साक्ष्य पाए जाते हैं । यह राजस्थान राज्य के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है ।
हड़प्पा सभ्यता के उस स्थल का नाम बताए जहाँ से स्टेडियम के अवशेष प्राप्त हुए हैं ।
➥ धोलावीरा ।
राजस्थान में उत्खनित दो सैन्धव पुरास्थलों के नाम लिखिए ।
➥ ( 1 ) कालीबंगा ( 2 ) बालाथल ।
हड़प्पा संस्कृति के काल में दो प्रमुख व्यापारिक केन्द्रों के नाम लिखिए ।
➥ ( 1 ) चन्हूदड़ो ( 2 ) लोथल ।
धौलावीरा पुरास्थल किस सभ्यता से सम्बन्धित है और यह कहाँ स्थित है ?
➥ धौलावीरा पुरास्थल सिन्धु घाटी सभ्यता से सम्बन्धित है और यह स्थल भारत के गुजरात राज्य के कच्छ जिले के मचाऊ तालुका में स्थित है ।
सिन्धु घाटी सभ्यता से प्राप्त प्रसिद्ध नर्तकी की प्रतिमा किस स्थान से मिली तथा वह किस धातु से बनी हुई है ?
➥ नर्तकी की प्रतिमा मोहनजोदड़ो से मिली तथा वह काँसे की बनी हुई है ।
हड़प्पा संस्कृति के पतन के कारणों का वर्णन कीजिए ।
➥ ( 1 ) प्राकृतिक तत्वों की प्रतिकूलता के कारण । ( 2 ) भूकम्प अथवा किन्हीं अन्य भूतात्विक परिवर्तनों के कारण । ( 3 ) नदियों के प्रवाह मार्ग में परिवर्तन के कारण ।( 4 ) बाहरी तत्त्वों के आक्रमण के कारण ।
गुजरात के किन्हीं चार सैन्धव स्थलों के नाम लिखिए ।
➥ रंगपुर , लोथल , सुरकोतदा , तथा रोजदि । ।
लोथल ।
➥ गुजरात राज्य में स्थित लोथल सिन्धु सभ्यता का महत्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र था । यहाँ व्यावसायिक गोदी के भग्नावशेष मिले हैं ।
पशुपति की मुहर पर अंकित पशुओं के नाम लिखिए ।
➥ पशुपति की मुहर पर हाथी , व्याघ्र भैंसा , गैंडा एवं हिरण पशु अंकित हैं ।
हड़प्पा में खुदाई का कार्य किसके नेतृत्व में और कब किया गया ?
➥ हडप्पा में खुदाई का कार्य 1920 ई . में श्री दयाराम साहनी तथा माधोस्वरूप वत्स के नेतृत्व में किया गया ।
सिन्धु सभ्यता को ‘ हड़प्पा संस्कृति ’ के नाम से क्यों पुकारा जाता है ?
➥ सिन्धु सभ्यता को ‘ हड़प्पा संस्कृति ’ के नाम से भी पुकारा जाता है क्योंकि हड़प्पा नगर और उसके आस - पास का क्षेत्र इस सभ्यता का केन्द्र स्थान रहा था ।
मोहनजोदड़ो में खुदाई का कार्य किसके नेतृत्व में किया गया और कब किया गया ?
➥ 1922 ई . में राखलदास बनर्जी के नेतृत्व में मोहनजोदड़ो में खुदाई कार्य किया गया । यहाँ सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए । यह पुरास्थल सिन्ध के लरकाना जिले में स्थित है ।
सिन्धु - निवासी किन वृक्षों एवं पशुओं की उपासना करते थे ?
➥ सिन्धु - निवासी पीपल , तुलसी , नीम , खजूर , बबूल आदि वृक्षों तथा बैल , भैंस , भैंसा , बाघ हाथी , नाग आदि पशुओं की उपासना करते थे ।
सिन्धु प्रदेश में किनकी कृषि की जाती थी ?
➥ सिन्धु प्रदेश में गेहूँ , जौ , चावल , कपास , मटर , तिल आदि की कृषि की जाती थी ।
सिन्धु - निवासियों के मनोरंजन के प्रमुख साधन कौन - कौन से थे ?
➥ शिकार करना , शतरंज खेलना , संगीत - नृत्य में भाग लेना , पक्षियों को लड़ाना आदि सिन्धु निवासियों के मनोरंजन के प्रमुख साधन थे ।
सिन्धु सभ्यता का कौन - कौन सी समकालीन सभ्यताओं से सम्बन्ध था ?
➥ सिन्धु सभ्यता का मेसोपोटामिया , एलाम , क्रीट , मिस्र आदि से व्यापारिक एवं सांस्कृतिक सम्बन्ध था ।
सिन्धु निवासियों के व्यापारिक सम्बन्ध किन देशों या राष्ट्रों के साथ थे ?
➥ सिन्धु निवासियों के सुमेरिया , ईरान , अफगानिस्तान , मिस्र आदि से व्यापारिक सम्बन्ध थे |
हड़प्पा सभ्यता की चार प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।
➥ ( 1 ) इसके निवासियों का आर्थिक जीवन समद्ध था । ( 2 ) उनको लिपि का ज्ञान था । ( 3 ) यह नगरीय प्रधान सभ्यता थी ।( 4 ) पाषाण तथा कांसे के उपकरणों का प्रयोग ।
सिन्धु निवासियों के प्रमुख देवता कौन से थे ?
➥ सिन्धु निवासी शिव , मातृदेवी , लिंग - योनि पशुओं वृक्षों आदि की पूजा करते थे ।
सिन्धु - सभ्यता की लिपि किस प्रकार लिखी जाती थी ?
➥ सिन्धु सभ्यता की लिपि पहली पंक्ति में दाहिनी ओर से बांयी ओर लिखी जाती थीं तथा दूसरी पंक्ति बांयी ओर से लिखी जाती थी ।
सिन्धु - सभ्यता और वैदिक सभ्यता में कोई दो अन्तर बताइए ।
➥ ( i ) सिन्धु सभ्यता नगरीय एवं व्यापार प्रधान थी जबकि वैदिक सभ्यता ग्रामीण थी ।( ii ) सिन्धु निवासी लोहे से अपरिचित थे , जबकि आर्य लोहे से परिचित थे ।
सिन्धु घाटी की सभ्यता का विस्तार क्षेत्र बताइए ।
➥ सिन्धु - घाटी की सभ्यता का विस्तार अफगानिस्तान , बलूचिस्तान , सिन्ध , पंजाब , हरियाणा , राजस्थान , गुजरात एवं उत्तरी भारत में गंगा घाटी तक व्याप्त था । मोहनजोदड़ो और हड़प्पा इस सभ्यता के दो प्रमुख केन्द्र थे ।
सिन्धु सभ्यता को ‘ सिन्धु घाटी की सभ्यता ’ के नाम से क्यों जाना जाता है ?
➥ क्योंकि इस सभ्यता के अधिकांश भग्नावशेष सिन्धु नदी और उसकी सहायक नदियों की घाटियों में प्राप्त हुए हैं ।
‘ त्रयी ' |
➥ त्रयी से तात्पर्य तीन वेदों — ऋग्वेद , यजुर्वेद तथा सामवेद से है ।
पणि ।
➥ ऋग्वैदिककाल में व्यापार पर एकाधिकार ‘ पणि ’ वर्ग के लोगों के हाथों में था । विद्वानों के अनुसार ‘ पणि ’ सम्भवतः अनार्यों में से थे जो कि कृपणता के लिए प्रसिद्ध थे ।
‘ सप्त सैन्धव ’ प्रदेश की सात नदियों के नाम लिखिए ।
➥ ‘ सप्त सैन्धव ’ प्रदेश की सात नदियों के नाम हैं – सिन्धु , वितस्ता ( झेलम ) , असिक्नी ( चिनाब ) , परुष्णी ( रानी ) , विपासा ( व्यास ) , शतुद्रि ( सतलज ) और सरस्वती ।
वैदिक देवताओं की अवधारणा ।
➥ आर्यों ने देवी - देवताओं की परिकल्पना मानव रूप में ही की उनके देवता अमर थे तथा ऋत ( नैतिक व्यवस्था ) के पोषक थे ।
‘ अध्वर्यु ’ व ‘ उद्गाता ’ कौन थे ?
➥ ‘ अध्वर्यु ’ व ‘ उद्गाता ’' उत्तरवैदिक काल में यज्ञों को सम्पन्न करने वाले पुरोहितों के चार वर्गों में शामिल वर्ग थे । ये यज्ञों का अनुष्ठान कराने वाले पुरोहित थे ।
ऋग्वेदिक व उत्तरवैदिक काल में दो अन्तर बताए ।
➥ ( 1 ) ऋग्वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति बहुत अच्छी थी , परन्तु उत्तरवैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति में गिरावट आ गई थी । ( 2 ) ऋग्वैदिक काल में इन्द्र , अग्नि , वरुण जबकि उत्तरवैदिक काल में शिव , विष्णु और प्रजापति की पूजा की जाती थी ।
उन वैदिक देवताओं के नाम लिखिए जिनका उल्लेख 1400 ई . पू . के आसपास के बागजकोई अभिलेख में हुआ है ।
➥ 1400 ई पू . के आसपास के बोगजकोई अभिलेख में निम्न वैदिक देवताओं के नामों का उल्लेख है — वरुण , मित्र , इन्द्र और नासव्य ।
पृर्व वैदिकधर्म की प्रमुख विशेषताएँ बताइए ।
➥ पूर्व वैदिक आर्य प्राकृतिक शक्तियों के उपासक थे । वे एकेश्वरवाद और परम तत्व में विश्वास करते थे । वरुण , अग्नि , सुर्य , विष्णु इंद्र आदि उनके प्रमुख देवता थे ।
पुरुषाथों पर बीस शब्द लिखिए ।
➥ प्राचीन हिन्दू शास्त्रकारों ने मनुष्य तथा समाज की उन्नति के लिए चार पुरुषार्थों का विधान प्रस्तुत किया । पुरुषार्थ चार हैं — धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष । ।
‘ ऋत ’ शब्द से आप क्या समझते हैं ?
➥ वैदिककालीन आर्य ऋत को विश्वव्यापी नियम ( नैतिक व्यवस्था ) मानते थे जिसके अनुसार आचरण करना प्रत्येक आर्य का परम कर्तव्य था । आर्यों के देवता भी ऋत ( नैतिक व्यवस्था ) के पोषक थे ।
उन चार प्रकार की रचनाओं अथवा ग्रन्थों का नामोल्लेख कीजिए जो वैदिक साहित्य के अन्तर्गत समाहित होते हैं ।
➥ ( 1 ) ऋग्वेद ( 2 ) सामवेद ( 3 ) यजुर्वेद ( 4 ) अथर्ववेद । ।
ऋग्वेद के बारे में आप क्या समझते हैं ?
➥ ऋग्वेद आर्यों का प्राचीनतम ग्रन्थ हैं । इसमें 1028 सूक्त हैं और यह 10 मण्डलों में विभाजित है । ऋग्वेद से हमें प्रारम्भिक आर्यों की सामाजिक , धार्मिक , आर्थिक एवं राजनीतिक दशाओं के बारे में जानकारी मिलती है ।
जन से क्या आशय था एवं इसका प्रमुख अधिकारी क्या कहलाता था ? ऋग्वैदिक कालीन प्रमुख जनों के नाम लिखिए ।
➥ कई विशों ( ग्रामों के समूह ) को मिलाकर जो इकाई बनती थी , उसे जन कहा जाता था । जन का प्रमुख अधिकारी ' राजा ' अथवा ' गोप ' कहलाता था । ऋग्वैदिक कालीन प्रमुख जन भारत , अनुस , मत्स्य , द्रुहू यदु पुरु और तुर्वस थे ।
पुरन्दर ।
➥ ऋग्वेद में इन्द्र को नगरों का नाश करने के लिए ' पुरन्दर ' कहा गया है ।
उन दो लोकप्रिय संस्थाओं के नाम लिखिए जो वैदिक राज्य व्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखती थीं ।
➥ ( 1 ) सभा ( 2 ) समिति । ।
सभा एवं समिति में क्या अन्तर था ?
➥ वैदिक काल में सभा एक ग्राम संस्था थी जो स्थानीय शासन का संचालन करती थी । जबकि समिति एक केन्द्रीय राजनीतिक संस्था थी जिसमें राजनीतिक और सामाजिक कार्य किए जाते थे । सभा समिति की अपेक्षा छोटी थी ।
दाशराज़ की लड़ाई कहाँ तथा किनके मध्य लड़ी गई थी ?
➥ दाशराज्ञ की लड़ाई दस जनों के राजाओं के संघ एवं भरत जन के राजा सदास के बीच । परुष्णी ( रावी ) नदी के तट पर लड़ी गई थी ।
दश राजाओं के युद्ध का प्रमुख कारण क्या माना जाता था ?
➥ भरतवंश के राजा सुदास ने विश्वामित्र को अपने पुरोहित के पद से हटाकर वशिष्ठ को पुरोहित बना दिया था । दश राजाओं के युद्ध का प्रमुख कारण यही माना जाता था ।
ऋग्वैदिक - काल की चार प्रमुख विदुषी स्त्रियों के नाम लिखिए ।
➥ ( 1 ) घोषा ( 2 ) अपाला ( 3 ) विश्ववारा ( 4 ) लोपामुद्रा । ।
ऋग्वेद में किस नदी को ‘ नदीतमे ’ , ‘ अम्बितमे’ और ‘ देवीतमे ’ कहा गया है ?
➥ ऋग्वेद में सरस्वती नदी को ‘ नदीतमे ’ ,‘ अम्बितमे’ तथा ‘ देवीतमे ’ कहा गया है ।
संस्कार से क्या आशय है ?
➥ संस्कार वे सामाजिक और धार्मिक क्रियाविधियाँ होती थीं जिनसे मनुष्य के शारीरिक , बौद्धिक , मानसिक , चारित्रिक विकास का मार्ग प्रशस्त होता था ।
उत्तर - वैदिककालीन प्रमुख देवताओं के नाम लिखिए ।
➥ उत्तर - वैदिक काल में प्रजापति , विष्णु , शिव आर्यों के प्रमुख देवता थे ।
उत्तर - वैदिक कालीन आश्रम व्यवस्था का विवेचन कीजिए ।
➥ उत्तर - वैदिक कालीन आश्रम व्यवस्था में मनुष्य का जीवन - काल चार आश्रमों में विभाजित था ब्रह्मचर्याश्रम , गृहस्थाश्रम , वानप्रस्थ आश्रम , तथा संन्यास आश्रम । ।
उत्तर - वैदिक काल में समाज किन चार वर्षों में बंटा हुआ था ?
➥ ( 1 ) ब्राह्मण ( 2 ) क्षत्रिय ( 3 ) वैश्य ( 4 ) शूद्र ।
उत्तर - वैदिक कालीन प्रमुख जनपदों के नाम लिखिए ।
➥ उत्तर - वैदिक कालीन प्रमुख जनपद - कुरु , पांचाल , विदेह , गान्धार , केकय , भद्र , काशी , अवन्ति , अश्मक , राष्ट्र , मूलक , कौशल इत्यादि थे ।
रत्निन कौन थे ?
➥ वैदिक काल में राजा के महत्त्वपूर्ण पदाधिकारिय को ‘ रत्निन ' कहा जाता था ।
उत्तर - वैदिक काल में पंच महायज्ञ कौन - कौन से थे ? अथवा पाँच महायज्ञों के नाम लिखिए ।
➥ ( 1 ) ब्रह्म यज्ञ ( 2 ) देव यज्ञ ( 3 ) पितृ यज्ञ ( 4 ) अतिथि यज्ञ ( 5 ) भूत यज्ञ ।
उत्तर - वैदिक काल में किन तीन ऋणों की कामना की गई थी ?
➥ ( 1 ) पितृ ऋण ( 2 ) देव ऋण ( 3 ) ऋषि ऋण । ।
लौह युग का प्रारम्भ कब से माना जाता है ?
➥ 1100 ई . पूर्व में जब लोहे को निकाला गया , पिघलाया गया और उसकी वस्तुएँ बनाई गई तब लौह युग प्रारम्भ हुआ ।
भारत में लोहा कौनसी संस्कृति से सम्बद्ध रहा ?
➥ भारत में लोहा पेन्टेन्ड ग्रे बेअर संस्कृति , काला और लाल पात्र संस्कृति , मेगेलिथ संस्कृति से सम्बद्ध रहा है ।
भारत में लौहयुगीन संस्कृति के अवशेष कहाँ से प्राप्त हुए हैं ?
➥ अहिच्छत्र , अन्तरजीखेडा , आलमगीरपुर , मथुरा , रोपड़ , श्रावस्ती , काम्पिल्य आदि स्थानों की खुदाई से लौहयुगीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं ।
तत्कालीन लौह - युगीन संस्कृति के लोग जिस विशिष्ट बर्तन का प्रयोग करते थे , उसे क्या कहते हैं ?
➥ चित्रित धूसर भाण्ड ।
महाभिनिष्क्रमण ।
➥ महात्मा बुद्ध द्वारा ज्ञान की खोज हेतु राजमहल , अपनी पत्नी , पुत्र आदि को छोड़कर निकल पड़ने की घटना ‘ महाभिनिष्क्रमण ’ के नाम से जानी जाती है ।
हीनयान और महायान ।
➥ चतुर्थ बौद्ध संगीति के बाद बौद्ध धर्म दो भागों में विभक्त हो गया । हीनयान इस धर्म का प्रारम्भिक स्वरूप था जबकि नवीन सम्प्रदाय अर्थात् महायान समय और परिस्थिति के अनुसार बदला हुआ स्वरूप था । महायान का प्रचार भारत के बाहर चीन , जापान , बर्मा आदि में हुआ ।
हीनयान व महायान में दो मूलभूत अन्तर ।
➥ ( 1 ) हीनयान मतावलम्बी केवल अपने मोक्ष की कामना करते हैं , जबकि महायान सभी के मोक्ष के बाद अपने मोक्ष की कामना करते हैं ।
( 2 ) हीनयान मतावलम्बी केवल बुद्ध के धार्मिक सिद्धान्तों में विश्वास करते हैं , जबकि महायान मतावलम्बी बुद्ध और बोधिसत्वों के धार्मिक सिद्धान्तों में विश्वास करते हैं ।
अनेकान्तवाद ।
➥ जैनियों का अनेकान्तवाद वह सिद्धान्त है जो विश्व की समस्त वस्तुओं में दो प्रकार के विरोधी तत्वों को स्वीकार करता है , जैसे आकाश नित्य भी है और अनित्य भी । इस सिद्धान्त के अनुसार किसी भी मत को पूर्ण मिथ्या नहीं कहा जा सकता है ।
बौद्ध धर्म में ‘ धर्म चक्र प्रवर्तन ’ ।
➥ ज्ञान प्राप्ति के पश्चात महात्मा बुद्ध ने अपने पाँच साथियों को सर्वप्रथम उपदेश देकर अपना अनुयायी बना लिया । यह घटना ‘ धर्म चक्र प्रवर्तन ’ के नाम से जानी जाती है ।
सोलह महाजनपदों के नाम लिखिए ।
➥ सोलह महाजनपद - अंग , मगध , काशी , कोसल , वञ्जि , मल्ल , चेदि , वत्स , कुरु , पांचाल , मत्स्य , सूरसेन , अश्यक , अवन्ति , गान्धार , कम्बोज ।
किन्हीं चार महाजनपदों के नाम उनकी राजधानियों सहित लिखिए ।
➥ ( 1 ) अवन्ति – महिष्मती
( 2 ) कोसल - श्रावस्ती
( 3 ) मगध - राजगृह
( 4 ) वत्स - कौशाम्बी ।
बौद्ध धर्म की चार संगीतियाँ क्रमश : किन स्थानों पर हुई ?
➥ ( 1 ) प्रथम राजगृह ( 2 ) द्वितीय वैशाली ( 3 ) तृतीय पाटलिपुत्र तथा ( 4 ) चौथी कुण्डलवन ( काश्मीर ) में हुई थी ।
तक्षशिला विश्वविद्यालय के विषय में संक्षेप में लिखिए ।
➥ तक्षशिला विश्वविद्यालय ज्ञान और विद्या का एक प्रसिद्ध केन्द्र था । यहाँ ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य सभी समान रूप से शिक्षा ग्रहण करते थे । यहाँ वेद , व्याकरण , दर्शन , आयुर्वेद तथा 18 शिल्पों की शिक्षा दी जाती थीं ।
महात्मा बुद्ध की प्रमुख शिक्षाओं का उल्लेख कीजिए ।
➥ ( 1 ) चार आर्य सत्य ( 2 ) अष्टांगिक मार्ग ( 3 ) मध्यमा प्रतिपदा ( 4 ) दस शील ( 5 ) कर्मवाद ( 6 ) पुनर्जन्मवाद ( 7 ) कार्य - कारण सम्बन्ध ( 8 ) निर्वाण ( 9 ) आत्मावलम्बन ( 9 ) प्रतीत्यसमुत्पाद ( 10 ) क्षणिकवाद ।
उन चार स्थानों के नाम बताइए जो भगवान बुद्ध की विशिष्ट घटनाओं से सम्बन्धित थे ।
➥ ( 1 ) लुम्बिनी ( 2 ) बोधगया ( 3 ) ऋषिपत्तन ( 4 ) कुशीनारा ( कुशीनगर ) ।
संवर व निर्जरा ।
➥ जैन धर्म के अनुसार नए कर्मों के आगमन की प्रक्रिया ( राग - द्वेष ) को रोकना ही संवर है । जबकि पूर्व संचित कर्मों के विनाश की प्रक्रिया को निर्जरा कहते हैं ।
जैन धर्म में निर्जरा क्या है ?
➥ जैन धर्म में पूर्व संचित कर्मों के विनाश की प्रक्रिया को निर्जरा कहते हैं ।
जैन धर्म में संवर का क्या अर्थ है ?
➥ जैन धर्म में संवर का अर्थ है — राग - द्वेष पर रोक लगाना । कर्मों के आगमन की प्रक्रिया को रोकना ही संवर है ।
जैन धर्म की मुख्य शिक्षाएँ क्या है ?
➥ ( 1 ) त्रिरत्न ( सम्यक् दर्शन , सम्यक् ज्ञान , सम्यक् चरित्र )
( 2 ) पाँच अणुव्रत या महाव्रत ( अहिंसा , सत्य , अस्तेय , अपिरग्रह , ब्रह्मचर्य )
( 3 ) सात शील वृत
( 4 ) अनेकान्तवाद अथवा स्यादवाद
( 5 ) तपस्या और उपवास ।
अंग महाजनपद की राजधानी कहाँ पर थी ?
➥ अंग महाजनपद की राजधानी चम्पा थी जो चम्पा और गंगा के संगम पर बसी हुई थी ।
परिसा से क्या आशय था ?
➥ परिसा गणराज्य की मुख्य संस्था होती थी । यह वर्तमान लोकसभा के सदृश थी ।
कहाँ एवं किस शासक के समय में द्वितीय बौद्ध संगीति हुई थी ?
➥ वैशाली में कालाशोक के समय में द्वितीय बौद्ध संगीति हुई थी ।
बौद्ध समितियाँ किस उद्देश्य से बुलाई जाती थीं ?
➥ महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं को संग्रहित करने , बौद्ध संघ की व्यवस्था करने तथा बौद्धों के पारस्परिक मतभेदों को दूर करने के उद्देश्य से बौद्ध समितियाँ बुलाई जाती थीं ।
बौद्ध धर्म के त्रिरत्न बताइए । अशोक के किस अभिलेख में इनका उल्लेख हुआ है ?
➥ बौद्ध धर्म के त्रिरत्न हैं — ( 1 ) बुद्ध ( 2 ) धर्म ( 3 ) संघ । बौद्ध धर्म के त्रिरत्नों का उल्लेख अशोक के भाब्रू अभिलेख में हुआ है ।
अष्टांगिक मार्ग क्या है ?
➥ दुःख का निवारण करने के लिए महात्मा बुद्ध ने आठ उपाय बताए हैं जिन्हें अष्टांगिक | मार्ग के नाम से पुकारा जाता है । अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण करते हुए निर्वाण प्राप्त किया जा सकता है ।
अष्टांग मार्ग के नाम बताए ।
➥ अष्टांग मार्ग के आठ अंग ( 1 ) सम्यक् दृष्टि ( 2 ) सम्यक् संकल्प ( 3 ) सम्यक् वाणी ( 4 ) सम्यक् कर्मान्त ( 5 ) सम्यक् आजीव ( 6 ) सम्यक् प्रयत्न ,( 7 ) सन्यक् स्मृति ( 8 ) सम्यक् समाधि हैं ।
महात्मा बुद्ध के समसामयिक मगध के दो शासकों के नाम बताइए ।
➥ ( 1 ) बिम्बिसार ( 2 ) अजातशत्रु । ।
प्राचीन भारत में गणराज्यों के पतन के लिए उत्तरदायी दो कारण लिखिए ।
➥ ( 1 ) गणराज्यों में आपसी एकता का अभाव था । उनमें आपसी ईष्र्या - द्वेष रहता था । ( 2 ) गुटबन्दी के कारण विभिन्न दलों के नेता गणराज्यों के हितों की उपेक्षा करते थे और अपने व्यक्तिगत हितों की पूर्ति में लगे रहते थे ।
छठी शताब्दी ई . पूर्व में वत्सा की राजधानी क्या थी ?
➥ छठी शताब्दी ई . पूर्व में वत्स की राजधानी कौशाम्बी थी ।
कौन से बौद्ध ग्रन्थ में सोलह महाजनपदों की सूची मिलती है ?
➥ अंगुत्तर निकाय नामक बौद्ध ग्रन्थ में । ।
राजस्थान में कौनसा महाजनपद स्थित था ? इसकी राजधानी कौनसी थी ?
➥ राजस्थान में मत्स्य महाजनपद स्थित था । इसकी राजधानी विराटनगर थी ।
बुद्धकालीन प्रमुख राजतंत्र ।
➥ अंग , मगध , काशी , कोसल , वत्स , मत्स्य , शूरसेन अवन्ति , गान्धार , चेदि , अश्मक में राजतन्त्रात्मक शासन था । वज्जि और मल्ल महाजनपदों में शुरू से ही गणतन्त्रात्मक शासन रहा था ।
छठी शताब्दी ई . पूर्व में गणराज्यों के नाम लिखिए ।
➥ छठी शताब्दी ई . पूर्व में भारत में वज्जि , कुरु , पांचाल , कम्बोज , मल्ल और शाक्यों के प्रसिद्ध गणराज्य थे ।
' जिन ' ।
➥ जैन शब्द संस्कृत के ' जिन ' शब्द से बना है , जिसका अर्थ है – विजेता , अर्थात् जितेन्द्रिय जो सांसारिक विषयों व इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर ले ।
बसदिस ।
➥ आठवीं शताब्दी में कर्नाटक में जैन धर्म का प्रसार हुआ । तब बहुत से जैन मन्दिर एवं स्थानक बने । इन जैन मन्दिरों एवं जैन स्थानकों को बसदिस के नाम से जाना जाता है । इनमें कर्नाटक का श्रवणबेलगोला प्रख्यात जैन बसदिस है । ।
जैन धर्म के प्रथम और 23वें तीर्थकर कौन थे ?
➥ जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव और 23वें तीर्थकर पार्श्वनाथ थे ।
महावीर स्वामी को केवल्य ज्ञान कहाँ प्राप्त हुआ ?
➥ जम्मिय ग्राम के निकट ऋजुपालिका नदी के तट पर केवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ ।
केवल्य ज्ञान प्राप्त करने के बाद महावीर स्वामी क्या कहलाये ?
➥ केवल्य ज्ञान प्राप्ति के बाद महावीर स्वामी ' जिन ' , ' महावीर ' और ' निग्रंथ ' कहलाये ।
जैन धर्म के अनुसार महाव्रत कितने हैं ? नाम लिखिए । अथवा ‘ पंच महाव्रतों ’ के नाम लिखिए ।
➥ जैन धर्म के अनुसार महाव्रत पाँच हैं । ये हैं ( 1 ) अहिंसा , ( 2 ) सत्य , ( 3 ) अस्तेय , ( 4 ) अपरिग्रह , और ( 5 ) ब्रह्मचर्य । ।
जैन धर्म के व्यापक न होने के कोई दो कारण बताइए ।
➥ ( 1 ) जैन धर्म के नियमों का कठोर होना । ( 2 ) राजकीय संरक्षण का अभाव । ।
भारतीय संस्कृति को जैन धर्म की कोई दो देनों के नाम लिखिए ।
➥ ( 1 ) जैन धर्म के अहिंसा के सिद्धान्त ने वैदिक धर्म को प्रभावित किया है ।( 2 ) जैन धर्म ने भारतीय कला के विकास में भी योगदान दिया है ।
सम्यक् ज्ञान से क्या आशय है ?
➥ जैन - धर्म के अनुसार बिना सम्यक ज्ञान के मुक्ति प्राप्त नहीं होती । यह ज्ञान तीर्थंकरों के उपदेशों से प्राप्त होता है जिन्होंने कर्म बंधनों से मुक्ति पा ली है ।
बौद्ध धर्म के प्रतीत्यसमुत्पाद से क्या आशय है ?
➥ प्रतीत्य समुत्पाद का अर्थ है किसी कारण से कोई बात उत्पन्न होती है । इसे कार्य - कारण नियम भी कहते हैं ।
जैन धर्म और बौद्ध धर्म में दो समानताएँ कौन - कौन सी हैं ?
➥ ( 1 ) दोनों धर्म अनीश्वरवादी हैं । ( 2 ) दोनों का कर्मवाद और पुनर्जन्म के सिद्धान्त में विश्वास ।
ऐतिहासिक सूचनाएँ देने वाले किन्हीं चार पुराने जैन ग्रन्थों के नाम बताइए ।
➥ ( 1 ) परिशिष्टपर्वन् ( 2 ) भद्रबहुचरित ( 3 ) वसुदेव हिण्डी ( 4 ) पुण्याश्रव कथाकोश ।
चार आर्य सत्यों के नाम लिखिए ।
➥ ( 1 ) दु : ख ( 2 ) दु : ख - समुदाय ( 3 ) दुःख - निरोध तथा ( 4 ) दुःख निरोध का मार्ग ।
चार आर्य सत्य समझाइए ।
➥ ( 1 ) दुःख – संसार के चारों ओर दुःख ही दुःख है ।( 2 ) दुःख समुदाय - बुद्ध के अनुसार दुःख का कारण वासनाएँ तथा तृष्णाएँ हैं । ( 3 ) दुःख निरोध - तृष्णाओं और वासनाओं पर विजय प्राप्त करने से दुःखों से छुटकारा मिल सकता है । ( 4 ) दुःख निरोध मार्ग दुखों का निरोध अष्टांगिक मार्ग से हो सकता है ।
जैन धर्म के दो रत्नों ‘ सम्यक् दर्शन ’ एवं ‘ सम्यक् ज्ञान ’ में भेद बताइए ।
➥ जैन धर्म में ‘ सम्यक् दर्शन ’ का अर्थ है – यथार्थ ज्ञान के प्रति सच्ची श्रद्धा रखना । जबकि सत्य और असत्य का भेद समझ लेना अर्थात् जीव और अजीव के वास्तविक स्वरूप का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना ' सम्यक ज्ञान ' कहलाता है ।
तीर्थंकर परम्परा क्या है ?
➥ जैन धर्म के संस्थापक तथा ज्ञान - प्राप्त महात्माओं को ‘ तीर्थकर ’ कहा गया है । जैन साहित्य के अनुसार जैन धर्म के 24 तीर्थंकर हुए हैं । तीर्थंकर उसे कहते हैं जो स्वयं ज्ञान पा लेने के बाद दूसरों को शिक्षा देता है । ।
बिम्बिसार की प्रमुख विजयों के नाम लिखिए ।
➥ बिम्बिसार ने अंग प्रदेश पर आक्रमण किया और उसे जीतकर मगध साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया ।
बिम्बिसार के कौन - कौन से देशों के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध थे ?
➥ बिम्बिसार के वत्स , भट्ट , गान्धार , कम्बोज , अवन्ति आदि से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध थे ।
हर्यकवंश के तीन प्रमुख सम्राटों या राजाओं के नाम लिखिए ।
➥ बिम्बिसार अजातशत्रु और उदायिन हर्यकवंश के प्रमुख सम्राट थे ।
मगध साम्राज्य के उत्कर्ष में हर्यक राजवंश का योगदान बताए ।
➥ मगध साम्राज्य पर हर्यक वंश की स्थापना बिम्बिसार ने की थी । इसके बाद अजातशत्रु तथा उसके पुत्र उदायिन ने शासन किया । इन्होंने मगध का बहुत अधिक विस्तार किया । इनके शासनकाल में मगध साम्राज्य की शक्ति अपने चरम उत्कर्ष पर थी ।
नन्दवंश के पतन के लिए उत्तरदायी दो कारण लिखिए ।
➥ ( 1 ) घननन्द के दुर्व्यवहार से चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य नाराज थे । ( 2 ) नन्दवंश के राजा शूद्र थे ब्राह्मण और क्षत्रिय उनसे घृणा करते थे ।
प्रथम बौद्ध संगीति किसके शासनकाल में और कहाँ पर हुई थी ? इसका उल्लेखनीय परिणाम क्या रहा ? अथवा राजगृह ।
➥ प्रथम बौद्ध संगीति अजातशत्रु के शासनकाल में राजगृह में हुई थी । इस संगीति में महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं को विनयपिटक एवं सुत्तपिटक में संकलित किया गया । इस नगर का उल्लेख महाजनपदकालीन बौद्ध ग्रन्थों में मिलता है ।
कालाशोक कौन था ?
➥ कालाशोक शिशुनाग का पुत्र था ।
नन्द वंश में कितने राजा हुए और इस वंश का अन्तिम राजा कौन था ?
➥ नन्द वंश में 9 राजा हुए और इस वंश का अन्तिम राजा घननन्द था ।
अजातशत्रु के दो युद्धों के नाम लिखिए ।
➥ अजातशत्रु बिम्बिसार का पुत्र था । वह लगभग 492 ई . पू . में मगध की गद्दी पर बैठा । अजातशत्रु ने अपने शासन - काल में कौशल , वज्जि संघ और अवन्ति से युद्ध किए ।
नन्द वंश का संस्थापक कौन था ?
➥ नन्द वंश का संस्थापक महापद्मनन्द था ।
उदायिन के शासन काल की प्रमुख घटना का उल्लेख कीजिए ।
➥ उदायिन ने गंगा व सोन नदियों के संगम पर नई राजधानी पाटलिपुत्र की स्थापना की ।
अशोक ने बौद्ध धर्म कब अपनाया ?
➥ अशोक ने बौद्ध धर्म कलिंग युद्ध के बाद अपनाया ।
अशोक के किस शिलालेख में कलिंग युद्ध का उल्लेख है ?
➥ अशोक के तेरहवें शिलालेख में कलिंग युद्ध का उल्लेख है ।
राजस्थान में अशोक का अभिलेख कहाँ है ?
➥ राजस्थान में अशोक का अभिलेख बैराठ ( विराटनगर ) से प्राप्त हुआ है ।
प्रतिवेदक का क्या कार्य था ?
➥ प्रतिवेदक का प्रमुख कार्य सम्राट अशोक को जनता के कार्यों एवं शिकायतों की सूचना देना था ।
‘ कथावत्थु ’ के विषय में आप क्या जानते हैं ?
➥ तृतीय बौद्ध संगीति के अध्यक्ष मोग्गलीपुत्र तिस्स द्वारा संग्रहीत ग्रन्थ ‘ कथावत्थु ’ को बौद्ध धर्म के प्रामाणिक सिद्धान्तों के ग्रन्थ के रूप में स्वीकृत किया जाता है ।
मौर्यकालीन न्यायालयों के प्रकार ।
➥ मौर्यकाल में न्यायालय दो प्रकार के थे( i ) धर्मस्थीय या दीवानी - ये नागरिकों के आपसी अभियोगों की सुनवाई करके निर्णय देते थे । ( ii ) कण्टकशोधन या फौजदारी - इनमें फौजदारी अभियोगों की सुनवाई की जाती थी ।
उन चार स्थानों के नाम बताइए जहाँ अशोक के स्तम्भ लेख प्राप्त हुए हैं ।
➥ ( 1 ) टोपरा - दिल्ली ( 2 ) कोशाम्बी - इलाहाबाद , ( 3 ) रामपुरवा - चम्पारन ( 4 ) लौरिया नन्दगढ़ । ।
अशोक के नाम अशोक के किन अभिलेखों में प्राप्त होते हैं ? चार के नाम बताइए ।
➥ अशोक का नाम मास्की , नित्तूर गुर्जरा व उदगोलम के शिलालेखों में मिलता है ।
ब्राह्मी लिपि एवं खरोष्ठी लिपि में अन्तर बताए । अशोक के कौनसे दो अभिलेख खरोष्ठी भाषा में हैं ?
➥ ब्राह्मी लिपि बायीं ओर से दाहिनी ओर की तथा खरोष्ठी लिपि दाहिनी ओर से बायीं ओर को लिखी जाती है । अशोक के केवल मानसेहरा तथा शहबाजगढ़ी के अभिलेखों की लिपि खरोष्ठी हैं ।
सुदर्शन झील के बारे में आप क्या जानते हैं ?
➥ सुदर्शन झील का निर्माण चन्द्रगुप्त मौर्य के सौराष्ट्र प्रान्त के प्रान्तपति पुष्यगुप्त ने सिंचाई की सुविधा के लिए करवाया था । अशोक के राज्यपाल तुषाफ ने इस पर बाँध बनवाया था । सुदर्शन झील रुद्रदामन के समय में टूट गई थी , अतः रुद्रदामन ने इस पर एक नवीन बांध बनवाया ।
प्राचीन भारत के किन्हीं चार प्रान्तीय शासकों के नाम लिखिए जो सुदर्शन डील से सम्बन्धित रहे हैं ।
➥ ( 1 ) पुष्यगुप्त — यह चन्द्रगुप्त मौर्य के काल में गवर्नर था । ( 2 ) तुषास्फ — यह अशोक के समय गवर्नर था । ( 3 ) सुविशाख , ( 4 ) पर्णदत् । ।
प्राचीन भारत के किन्हीं तीन शासकों के नाम बताइए जो सुदर्शन झील से सम्बन्धित रहे है |
➥ ( 1 ) चन्द्रगुप्त मौर्य ( 2 ) रुद्रदामन ( 3 ) स्कन्दगुप्त ।
निम्न पदों का आशय स्पष्ट कीजिए
➥ ( i ) समाहर्ता - राजस्व विभाग का मुख्य अधिकारी । ( ii ) सनिधाता - राजकीय कोषाधिकरण का मुख्य अधिकारी । ।
अशोक का धम्म क्या था ?
➥ अशोक का धम्म आचारों की वह संहिता थी जो उसने अपनी प्रजा के नैतिक उत्थान के लिए प्रस्तुत की । उसके धम्म का अर्थ था — पापहीनता , बहुकल्याण , दया , दान , सत्यता , शुद्धि । ।
मौर्य शासन को भारतीय इतिहास में क्या महत्त्व है ?
➥ मौर्य प्रशासन ने लोक कल्याणकारी राज्य का आदर्श प्रस्तुत किया । मौर्य ने पहली बार केन्द्रीभूत शासन व्यवस्था की स्थापना की । डेढ़ सौ वर्षों के मौर्य - शासन में सभ्यता और संस्कृति की खूब वृद्धि हुई ।
आप अन्तिम मौर्य शासक के बारे में क्या जानते हैं ?
➥ मौर्य वंश का अन्तिम राजा बृहद्रथ मौर्य था । हर्षचरित के अनुसार इस राजा को उसके ही सेनापति पुष्यमित्र ने मार डाला । 184 ई . पू . में मौर्य वंश का अंत हो गया ।
चन्द्रगुप्त मौर्य की दो विजयों के नाम लिखिए ।
➥ ( 1 ) पश्चिमी भारत पर विजय ( 2 ) दक्षिणी भारत पर विजय । ।
चन्द्रगप्त मौर्य के शासन प्रबन्ध के विषय में जानकारी देने वाले दो स्रोतों का उल्लेख कीजिए ।
➥ चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन - प्रबन्ध के सम्बन्ध में मैगस्थनीज की पुस्तक ‘ इण्डिका ’ और कौटिल्य के ग्रन्थ ‘ अर्थशास्त्र ’ से जानकारी प्राप्त होती है ।
किससे प्रमाणित होता है कि मौर्यों ने जल संसाधन विकास पर पर्याप्त ध्यान दिया था ?
➥ मेगस्थनीज की पुस्तक ‘ इण्डिका ’ से मौर्यों द्वारा जल संसाधन विकास प्रमाणित होता है ।
, ‘ मन्त्रिण ’ से क्या आशय है ?
➥ राज्य के दैनिक कार्यों के लिए चन्द्रगुप्त मौर्य ने कुछ मन्त्री नियुक्त किये थे , उन्हें ‘ मन्त्रिण कहा जाता था ।
चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य विस्तार लिखिए ।
➥ चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य हिन्दूकुश पर्वत से लेकर बंगाल तक और हिमालय से लेकर दक्षिण में मैसूर तक फैला हुआ था ।
‘ कौटिल्य ’ ।
➥ कौटिल्य को चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है । कौटिल्य मौर्य साम्राज्य की आधारशिला रखने वाले चन्द्रगुप्त मौर्य का प्रधानमन्त्री था । उसने सुप्रसिद्ध ग्रन्थ ‘ अर्थशास्त्र ’ की रचना की ।
बिन्दुसार की मृत्यु के बाद सिंहासन के लिए किन - किनमें संघर्ष हुआ ? इस संघर्ष में किसने विजय प्राप्त की ?
➥ बिन्दुसार की मृत्यु के बाद सिंहासन के लिए अशोक और उसके भाइयों में संघर्ष हुआ । जिसमें अशोक का बड़ा भाई सुसीम तथा अन्य भाई मारे गये और इस संघर्ष में अशोक विजयी हुआ ।
चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना की संख्या कितनी थी ?
➥ चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना की संख्या 6 लाख 90 हजार थी , जिसमें 6 लाख पैदल , 30 हजार घुड़सवार , 24 हजार रथी एवं 36 हजार गजारोही थे ।
अशोक की कोई दो प्रमुख विजय बताइए ।
➥ ( 1 ) राजतरंगिणी के अनुसार अशोक ने काश्मीर पर विजय प्राप्त की थी । ( 2 ) अशोक के 13वें अभिलेख के अनुसार उसने कलिंग पर विजय प्राप्त की थी ।
हाथीगुम्फा अभिलेख ।
➥ इस अभिलेख से कलिंग नरेश खारवेल के जीवन और उसकी उपलब्धियों की जानकारी प्राप्त होती है ।
कलिंग - युद्ध के कोई दो प्रभावों का उल्लेख कीजिए ।
➥ ( 1 ) कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने युद्ध की नीति को सदैव के लिए त्याग दिया ।( 2 ) अशोक ने बौद्ध धर्म को ग्रहण कर लिया ।
तीसरी बौद्ध संगीति ।
➥ 251 ई . पू . में तीसरी बौद्ध संगीति पाटलिपुत्र में आचार्य मोगलीपुत्र तिस्स के नेतृत्व में अशोक के शासनकाल में हुई थी । इस सभा में त्रिपिटक का संकलन किया गया ।
धम्म महामात्र की नियुक्ति किसने व क्यों की ?
➥ धम्म महामात्र की नियुक्ति अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार करने तथा धर्मानुसार आचरण करने वाले लोगों के सुख एवं हितों का ध्यान रखने के लिए की । ।
अशोक द्वारा बौद्ध धर्म के प्रचार - प्रसार के लिए कौन - से दो कार्य किये गये ?
➥ ( 1 ) धर्म महामात्रों की नियुक्ति की । ( 2 ) बुद्ध के जीवन से सम्बन्धित पवित्र स्थानों लुम्बिनी , कपिलवस्तु , गया , सारनाथ , श्रावस्ती कुशी नगर की यात्राएँ की ।
अशोक द्वारा कितने स्तूप बनवाये गये ?
➥ अशोक ने 84 हजार स्तूपों का निर्माण करवाया ।
सांची स्तूप ।
➥ सांची स्तूप विदिशा के समीप बौद्ध धर्म का केन्द्र बिन्दु था । यह स्तूप ईटों तथा पत्थरों से निर्मित है जो अर्द्ध गोलाकार है । यह स्तूप सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था ।
मौर्य स्थापत्यकला के दो उदाहरणों का उल्लेख कीजिए ।
➥ ( 1 ) सारनाथ का स्तम्भ ( 2 ) सांची का स्तूप ।
अशोक के उस अभिलेख का नाम बताइए जिसमें बुद्ध के जन्म की घटना का उल्लेख हुआ है ?
➥ रुम्मिनदेई स्तम्भ लेख में बुद्ध के लुम्बनी में जन्म की घटना का उल्लेख हुआ है । ।
मौर्यकाल में प्रचलित आठ प्रकार के विवाहों के नाम लिखिए ।
➥ ( 1 ) ब्रह्म विवाह ( 2 ) देव ( 3 ) आर्ष ( 4 ) प्रजापत्य ( 5 ) असुर ( 6 ) गन्धर्व ( 7 ) राक्षस और ( 8 ) पैशाच विवाह ।
अशोक के अभिलेखों में उल्लिखित किन्हीं दो विदेशी शासकों के नाम बताइए ।
➥ ( 1 ) अन्तियोक ( 2 ) तुरमाय ।
सम्राट अशोक के अभिलेखों में किस भाषा और लिपि का प्रयोग हुआ है ?
➥ सम्राट अशोक के अभिलेखों में पालि एवं प्राकृत भाषा तथा ब्राह्मी एवं खरोष्ठी लिपि का प्रयोग हुआ है ।
‘ भाबू ’ अभिलेख के बारे में लिखिए ।
➥ यह शिलालेख बैराठ में था । इस शिलालेख में सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म तथा संघ के प्रति अपनी भक्ति प्रकट की है । इस शिलालेख से अशोक के बौद्ध धर्मावलम्बी होने का स्पष्ट प्रमाण मिलता है । ।
राजा मीनेण्डर ।
➥ राजा मीनेण्डर एक प्रसिद्ध इण्डो - यूनानी शासक था । वह बौद्ध धर्म का अनुयायी था । राजा मीनेण्डर इण्डो - युनानी शासकों में सर्वशक्तिमान राजा था ।
इण्डो - ग्रीक शासकों में सर्वशक्तिमान राजा कौन - सा था ?
➥ मिनाण्डर इण्डो - ग्रीक शासकों में सर्वशक्तिमान राजा था ।
मिनाण्डर की प्रमुख भारतीय विजयों का उल्लेख कीजिए ।
➥ मिनाण्डर का राज्य अफगानिस्तान के कुछ भाग , उत्तरी - पश्चिमी सीमा प्रान्त , पंजाब , सिन्ध , राजपूताना और काठियावाड़ तक फैला हुआ था । ।
कौनसे ग्रन्थ से ज्ञात होता है कि मिनाण्डर बौद्ध धर्मावलम्बी था ?
➥ मिलिन्दपन्हों
पुष्यमित्र शुंग की दो उपलब्धियों ( विजयों ) का उल्लेख कीजिए ।
➥ ( 1 ) विदर्भ की विजय तथा ( 2 ) यवनों पर विजय । ।
पुष्यमित्र शंग के शासनकाल में यवनों के आक्रमण के बारे में किन तीन साक्ष्यों से जानकारी मिलती है ?
➥ पतंजलि के महाभाष्य से , गार्गी संहिता से , तथा कालिदास कृत मालविकाग्निमित्र से यवनों के आक्रमण के बारे में जानकारी मिलती है ।
पुष्यमित्र शंग की राजधानी कौनसी थी ?
➥पुष्यमित्र शुंग की राजधानी पाटलिपुत्र थी । वह शृंगवश का संस्थापक था ।
शुंग वंश के अन्तिम राजा देवभूति की हत्या करके किसने कण्व वंश की स्थापना की ?
➥ देवभूति की हत्या करके वसुदेव ने कण्व वंश की स्थापना की ।
उज्जयिनी के शक क्षत्रपों में सबसे प्रसिद्ध शासक कौन था ?
➥ उज्जयिनी के शक क्षत्रपों में सबसे प्रसिद्ध शासक रुद्रदामन था ।
कुषाण लोग कौन थे ?
➥ कुषाण लोग चीन में रहने वाली यहूची जाति की शाखा के थे ।
कुषाण वंश का सबसे प्रसिद्ध और महान सम्राट कौन था ?
➥ कनिष्क कुषाण वंश का सबसे प्रसिद्ध और महान् सम्राट था ।
कनिष्क ने चीन के कौन से प्रदेश अपने साम्राज्य में सम्मिलित किये थे ?
➥ कनिष्क ने यारकन्द , काशगर और खोतान के चीनी प्रदेश अपने साम्राज्य में सम्मिलित किये थे ।
कनिष्क की चार उपलब्धियों या विजयों का उल्लेख कीजिए ।
➥ ( 1 ) पार्थियनों पर विजय ( 2 ) चीन पर विजय ( 3 ) काश्मीर पर विजय ( 4 ) साकेत और पाटलिपुत्र पर विजय । ।
कनिष्क और बौद्ध धर्म ।
➥ कनिष्क ने चौथी बौद्ध संगीति श्रीनगर के कुण्डलवन में बुलवायी । बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु उसने अपने प्रचारक चीन , तिब्बत , जापान आदि उत्तरी एशिया के देशों में भेजे । कनिष्क महायान सम्प्रदाय का अनुयायी था ।
कनिष्क द्वारा स्थापित दो नगरों के नाम बताइए ।
➥ कनिष्क ने कश्मीर में कनिष्कपुर तथा तक्षशिला में सिरसुख नामक नगर बसाए । ।
‘ चतुर्थ बौद्ध संगीति ’ ।
➥ कनिष्क ने कश्मीर ( कुण्डलवन ) में बौद्ध धर्म की चतुर्थ संगीति बुलाई थी जिसमें वसुमित्र अध्यक्ष तथा अश्वघोष उपाध्यक्ष थे ।
चतुर्थ बौद्ध संगीति के दो परिणाम लिखिए ।
➥ परिणाम – ( i ) त्रिपिटक ग्रन्थों पर एक प्रामाणिक भाष्य की रचना की गई ।( ii ) बौद्ध धर्म दो शाखाओं – हीनयान तथा महायान में स्पष्ट रूप से बँट गया । महायान को राजधर्म घोषित किया गया । |
नागार्जुन रचित ग्रन्थों के नाम लिखिए ।
➥ नागार्जुन ने ' मध्यमकारिका ' तथा ' सुहल्लेखा ' नामक ग्रन्थ लिखे ।
अश्वघोष की प्रमुख रचनाओं के नाम लिखिए ।
➥ अश्वघोष कुषाण - काल का सबसे अधिक प्रसिद्ध विद्वान एवं साहित्यकार था । उसने ‘ बुद्धचरित ’ सौन्दरानन्द ‘ सारिपुत्र प्रकरण ’ नामक ग्रन्थों की रचना की । |
चरक कौन था ? उसने कौन से ग्रन्थ की रचना की थी ?
➥ चरक कनिष्क का राजवैद्य था । उसने ‘ चरक संहिता ’ नामक ग्रन्थ की रचना की थी ।
गांधार कला क्या है ?
➥ गांधार कला का विकास ईसा की प्रथम द्वितीय शताब्दी में गान्धार तथा उसके । निकटवर्ती प्रदेश में हुआ था । महायान सम्प्रदाय के विकास के साथ ही बुद्ध की अधिकांश मूर्तियाँ गान्धार प्रदेश में बनी इसीलिए उस प्रदेश की कला को गान्धार शैली का नाम दिया था । इस कला शैली के विषय तो भारतीय थे परन्तु सजावट आदि यूनानी पद्धति की थी ।
गान्धार कला की कोई दो प्रमुख विशेषताएँ बताए ।
➥ मानव शरीर की सुन्दर रचना , मांसपेशियों की सूक्ष्मता , पारदर्शक वस्त्र तथा सुन्दर नक्काशी इस शैली की प्रमुख विशेषताएँ हैं ।
मथुरा कला ।
➥ यह बुद्ध मूर्ति निर्माण की भारतीय मूर्तिशैली है । इस शैली की मूर्तियाँ मथुरा कौशाम्बी तथा सारनाथ में प्रचुर मात्रा में मिली हैं । ये मूर्तियाँ मुख्यत : खड़ी हुई तथा बैठी हैं । सारनाथ में बोधिसत्व की मूर्ति तथा कौशाम्बी में बुद्ध की खड़ी मूर्ति इनमें प्रमुख हैं ।
मथुरा शैली की प्रमुख विशेषताएँ बताइए ।
➥ ( 1 ) इस शैली में बनी हुई मूर्तियाँ लाल पत्थर की हैं । ( 2 ) इन मूर्तियों में दाहिने कन्धे पर वस्त्र नहीं रहता । दाहिना हाथ अधिकतर अभय मुद्रा में पाया जाता है ।
प्राचीन भारत के दो प्रख्यात कला केन्द्रों के नाम बताए ।
➥ गान्धार एवं मथुरा में बुद्ध व बोधिसत्वों की अनेक सुन्दर मूर्तियों का निर्माण किया गया ।
दीदारगंज पटना से प्राप्त यक्षिणी ।
➥ दीदारगंज पटना से प्राप्त यक्षिणी की मूर्ति मौर्यकालीन मूर्तिकला का श्रेष्ठ नमूना है । यह मूर्ति भूरे बलुए पत्थर से निर्मित है ।
कुषाण प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का विवेचन कीजिए ।
➥ कुषाणों का शासन क्षत्रप प्रणाली पर आधारित था । प्रान्तों में शासन के संचालन के लिए क्षत्रप तथा महाक्षत्रप नियुक्त किए जाते थे । कुषाणों का साम्राज्य अनेक प्रान्तों में विभक्त था ।
क्षत्रप प्रणाली ।
➥ यूनानियों एवं शकों की भाँति कनिष्क का शासन क्षत्रप प्रणाली पर आधारित था । प्रान्तों में शासन के संचालन के लिए क्षत्रप तथा महाक्षत्रप नियुक्त किए जाते थे ।
शक सम्वत् कब शुरू हुआ था ? अथवा 78 ई . का क्या महत्त्व है ?
➥ शक सम्वत् 78 ई . में शुरू हुआ था । शक सम्वत् की शुरुआत के कारण 78 ई . का महत्त्व है ।
कौनसा विदेशी शासक सुदर्शन झील से सम्बद्ध रहा है ?
➥ रुद्रदामन सुदर्शन झील से सम्बद्ध रहा है ।
150 ई . का जूनागढ़ शिलालेख किसने अंकित करवाया ?
➥ जूनागढ़ शिलालेख की तिथि 72 शक् सम्वत अर्थात् 150 ई . है जिसका सम्बन्ध महाक्षत्रप रुद्रटामन प्रथम से है ।
रुद्रदामन प्रथम कौन था ?
➥ रुद्रदामन प्रथम जयदामन का पुत्र था । क्ह उज्जैन के सभी क्षेत्रों में सबसे अधिक प्रसिद्ध था । जूनागढ़ शिलालेख से उसकी जानकारी मिलती है ।
गौतमीपुत्र शातकर्णी की विजयों का पता किस अभिलेख से चलता है ? उसका साम्राज्य कहाँ तक विस्तृत था ?
➥ नासिक अभिलेख के अनुसार गौतमीपत्र शातकाणी के राज्य में गुजरात , सौराष्ट्र मालवा , बरार , कोंकण पैठन गोदावरी का तटीय प्रदेश आदि सम्मिलित थे ।
गौतमीपुत्र शातकर्णी ।
➥ गौतमीपुत्र शातकण सातवाहन वंश का सबसे प्रतापी और यशस्वी शासक था । उसका शासनकाल 106 ई . से 130 ई . तक रहा । नासिक लेख से उसकी विजय की जानकारी प्राप्त होती है ।
नासिक गुहालेख में वर्णित गौतमीपुत्र शातकर्णी द्वारा विजित राज्यों की सूची बनाइए ।
➥ ऋषिक ( गोदावरी का तटवर्ती प्रांत ) मुलक ( पैठन का निकटवती ) , सौराष्ट्र कुकुर ( उत्तर काठियावाड़ ) , अपरांत ( बम्बई प्रांत का उत्तरी - पश्चिमी भाग ) , अनूप ( नीमाड़ जिला ) , विदर्भ आकर ( पूर्वी मालवा ) , अवन्ति ( पश्चिमी मालवा ) ।
गौतमीपुत्र शातकणों द्वारा पराजित किन्हीं चार राजनीतिक शक्तियों के नाम लिखिए ।
➥ शक , यवन , पल्लव तथा क्षत्रिय ।
उन स्थानों के नाम बताइए जहाँ बुद्ध की मूर्तियाँ सर्वप्रथम बनाई गई ।
➥ बुद्ध की मूर्तियाँ सर्वप्रथम पुष्करावती , तक्षशिला , पुरुषपुर और आसपास के प्रदेशों में बनाई गई ।
संगम से आप क्या समझते हैं ?
➥ संगम का अर्थ है – सभा , संघ , अकादमी । संगम तमिल कवियों , विद्वानों , आचार्यों एवं बुद्धिजीवियों की एक परिषद् थी । इसका गठन पाण्ड्य शासकों के संरक्षण में किया गया । |
संगम साहित्य क्या है ?
➥ दक्षिण भारत के प्राचीन राजवंशों चेर , चोल और पाण्ड्य तथा तत्कालीन सामाजिक - आर्थिक जीवन की जानकारी प्रदान करने वाला प्राचीन तमिल साहित्य संगम साहित्य कहलाता है ।
प्रथम संगम की कोई चार प्रमुख रचनाओं के नाम लिखिए ।
➥ प्रथम संगम की प्रमुख रचनाओं में अक्कतियम , परिपदल , मुनरे , मुटुकुरुकी आदि प्रमुख हैं ।
संगमकालीन समाज किन वर्गों में विभाजित था ?
➥ संगमकालीन तमिल समाज पाँच वर्गों में विभक्त था- ( 1 ) ब्राह्मण ( 2 ) आरासर ( राजपरिवार से सम्बन्धित लोग ) ( 3 ) वनीगर ( व्यापारी वर्ग ) ( 4 ) वल्लाल ( अभिजात्य वर्ग के भू - स्वामी ) ( 5 ) वेल्लार ( भूमिहीन तथा निम्न श्रेणी के किसान - मजदूर ) ।
संगम काल के लोग किन देवी - देवताओं की पूजा करते थे ?
➥ - संगम काल के लोग शिव , बलराम , कृष्ण , मुरुगन आदि की पूजा करते थे । ‘ मुरुगन ’ उनका प्रमुख देवता था ।
संगम काल के प्रमुख बन्दरगाहों के नाम बताइए ।
➥ नीश , तोण्डी , मुशिरी , कोरकर , नेलिसिण्डा , कुहूर आदि प्रमुख बन्दरगाह थे ।
अरिकामेड़ के बारे में आप क्या जानते हैं ?
➥ संगमकाल में अरिकामेडु ( पाण्डिचेरी ) एक प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्र था । यहाँ वस्तुओं को इकट्ठा कर भारत के विभिन्न भागों में भेजा जाता था ।
तमिल संगम ।
➥ तमिल भाषा का प्राचीनतम साहित्य संगम साहित्य के नाम से जानी आता है । इसका अर्थ है ‘ संघ ’ या ‘ परिषद ’ । तमिल साहित्य में तीन संगमों का उल्लेख है ।
तमिल भाषा के दो महत्वपूर्ण ग्रन्थों के नाम लिखिए ।
➥ ( 1 ) तिरुकुरल नामक ग्रन्थ की रचना कवि तिरुवलुवर ने की थी । ( 2 ) शिलाप्यादिकर्म नामक ग्रन्थ की रचना कवि ईलांगू ने की थी ।
गुप्त इतिहास जानने के दो स्रोतों के नाम बताइए ।
➥ ( 1 ) विशाखदत्तकृत ' देवीचन्द्रगुप्तम् ' तथा ' मुद्राराक्षस ' नामक नाटक । ( 2 ) प्रयाग प्रशस्ति । ।
गुप्तकालीन चार अभिलेखों के नाम बताइए ।
➥ ( 1 ) प्रयाग स्तम्भलेख ( 2 ) जूनागढ़ अभिलेख ( 3 ) भीतरी स्तम्भ लेख ( 4 ) महरौली लौह स्तम्भ लेख । |
गुप्तकालीन चार प्रकार की मुद्राओं के नाम लिखए ।
➥ गुप्तकालीन चार प्रकार की मुद्राएँ थी — ( i ) धनुर्धारी मुद्राएँ ( ii ) अश्वाराही मुद्रा ( iii ) कृपाणधारी मुद्राएँ ( iv ) मयूर शैली की मुद्राएँ । ।
राजा - रानी प्रकार के सिक्के ।
➥ राजा - रानी प्रकार के सिक्के चन्द्रगुप्त प्रथम के शासनकाल में प्रचलित थे ।
अष्टाध्यायी ।
➥ अष्टाध्यायी का लेखक पाणिनी था । व्याकरण के इस महान ग्रन्थ की रचना छठ शताब्दी ई . पू . में हुई थी ।
निम्न पुस्तकों के लेखकों के नाम बताइए
➥ ( i ) अष्टाध्यायी — पाणिनी ( ii ) राजतरंगिणी - कल्हण ( ii ) पंचतंत्र - विष्णु शर्मा ( iv ) कामसूत्र - वात्स्यायन ( v ) देवीचन्द्रगुप्तम् - विशाखदत्त ।
गुप्तकालीन दो प्रमुख साहित्यकारों के नाम बताइए ।
➥ ( 1 ) कालिदास ( 2 ) विशाखदत्त ।
गुप्त वंश का प्रथम शासक कौन था ?
➥ गुप्त वंश का प्रथम शासक श्रीगुप्त था । उसने 275 ई . से 300 ई . तक शासन किया एवं महाराज की उपाधि धारण की । ।
‘ मेहरौली का लौह स्तम्भ ’।
➥ दिल्ली में कुतुबमीनार के समीप मेहरौली में एक लौह स्तम्भ पर एक लेख उत्कीर्ण मिला है जिससे चन्द्रगुप्त द्वितीय की शकों पर विजय एवं अन्य विजयों की जानकारी होती हैं ।
मेहरौली के लौह स्तम्भ में उल्लिखित चन्द्र की किन्हीं दो विजयों को लिखिए ।
➥ ( 1 ) शकों पर विजय ( 2 ) बंग के विरोधी राजाओं के संघ पर विजय । ।
चन्द्र कौन था ?
➥ महरौली अभिलेख में उल्लिखित चन्द्र का आशय अधिकांश इतिहासकारों ने चन्द्रगुप्त द्वितीय से लगाया है ।
‘ रेशम मार्ग ’ क्या हैं ?
➥ मध्य एशिया के वे मार्ग जिनसे चीन का रेशम सिन्धु के डेल्टा पर स्थित बर्बरिकम के बन्दरगाह पर पहुँचता था , रेशम मार्ग कहलाते थे ।
अनुलोम और प्रतिलोम विवाह को स्पष्ट कीजिए ।
➥ जब कोई उच्च जाति का पुरुष अपने से निम्न जाति की स्त्री से विवाह करता था , उसे अनुलोम विवाह कहते थे तथा जब कोई निम्न जाति का पुरुष अपने से उच्च जाति की स्त्री से विवाह करता था , उसे प्रतिलोम विवाह कहते थे ।
विशाखदत्त द्वारा रचित दो ग्रन्थों / नाटकों के नाम लिखए ।
➥ ( 1 ) मुद्राराक्षस ( 2 ) देवीचन्द्रगुप्तम् ।
गुप्तकाल में साहित्य की प्रगति का वर्णन कीजिए ।
➥ गुप्तकाल में अनेक महाकाव्य , खण्डकाव्य , नाटक , कथा साहित्य , व्याकरण एवं कोष , धार्मिक एवं दार्शनिक कृतियाँ रची गईं । कुमारसंभवम् , मेघदूत , अभिज्ञान शाकुन्तलम् , मुद्राराक्षस , पंचतंत्र , किरातार्जुनीयम् , न्याय भाष्य आदि इस काल की प्रमुख रचनाएँ हैं ।
गुप्तकालीन कला की तीन मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए ।
➥ ( 1 ) मन्दिरों , गुफाओं , स्तूपों एवं मठों आदि का निर्माण हुआ । ( 2 ) अधिकतर मूर्तियां हिन्दू देवी - देवताओं से सम्बन्धित हैं ।( 3 ) चित्रकला एवं संगीतकला का भी अत्यधिक विकास हुआ ।
गुप्त साम्राज्य के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए ।
➥ अयोग्य उत्तराधिकारी , निरंकुश राजतंत्र , राजवंशीय कलह यशोधर्मन का विद्रोह , बाह्य आक्रमण तथा निरन्तर युद्धों के कारण गुप्त साम्राज्य का पतन हुआ ।
गुप्त सम्वत् का प्रवर्तन कब तथा किसके द्वारा किया गया ?
➥ गुप्त सम्वत् का प्रवर्तन 320 ई . में चन्द्रगुप्त प्रथम द्वारा किया गया ।
निम्नांकित रचनाओं के लेखक बताइए -
➥ ( i ) मुद्राराक्षस – विशाखदत्त ( ii ) मृच्छकटिकम् - शूद्रक ।
‘ प्रयाग प्रशस्ति ’ क्या है ?
➥ ‘ प्रयाग प्रशस्ति ’ , जिसे इलाहाबाद लेख भी कहते हैं , की रचना समुद्रगुप्त के दरबारी कवि हरिषेण ने समुद्रगुप्त के लिए की थी । ‘ प्रयाग प्रशस्ति ’ से समुद्रगुप्त के जीवन एवं व्यक्तित्व , उसकी विजयों और उपलब्धियों के बारे में जानकारी मिलती हैं ।
गुप्त वंश का प्रथम स्वतंत्र शासक कौन था ?
➥ गुप्त वंश का प्रथम स्वतंत्र शासक चन्द्रगुप्त प्रथम था ।
जिन सीमान्त राज्यों ने समुद्रगुप्त की अधीनता स्वीकार कर ली वे कौन - कौन थे ?
➥ समतट , दवाक , कामरूप , नेपाल और कर्तपुर आदि सीमान्त राज्यों ने समुद्रगुप्त की अधीनता स्वीकार कर ली थी ।
समुद्रगुप्त का इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए ।
➥ ( i ) हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति जिसे इलाहाबाद लेख भी कहते हैं , तथा ( ii ) एरन अभिलेख ।
चन्द्रगुप्त द्वितीय की विभिन्न उपाधियों का उल्लेख कीजिए ।
➥ चन्द्रगुप्त द्वितीय ने देवश्री विक्रम , विक्रमादित्य , नरेन्द्र चन्द्र और विक्रमांक आदि उपाधियाँ धारण की ।
भारतीय इतिहास के किस महत्वपूर्ण शासक को ‘ शकारि ’ कहा गया है और क्यों ?
➥ चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य को शकों पर विजय प्राप्त करने के फलस्वरूप तत्कालीन जनता ने उसको ‘ शकारि ’ नाम से विभूषित किया था ।
किस स्तम्भ लेख से समुद्रगुप्त के बारे में जानकारी प्राप्त होती है ? इसे किस विद्वान ने उत्कीर्ण कराया था ?
➥ इलाहाबाद स्तम्भ लेख । इसे प्रयाग प्रशस्ति भी कहा जाता है । इस पर उत्कीर्ण 33 पंक्तियों की प्रशस्ति की रचना हरिषेण ने की थी , जिसे गुप्त साम्राज्य में ‘ सन्धि विग्रहिक ’ का पद प्राप्त था ।
समुद्रगुप्त द्वारा प्रचलित मुद्राएँ बताइए ( कोई चार प्रकार ) ।
➥ ( 1 ) वीणावादन प्रकार ( 2 ) अश्वमेध प्रकार ( 3 ) परशु प्रकार ( 4 ) धनुर्धारी प्रकार ।
समुद्रगुप्त को भारतीय नेपोलियन क्यों कहा गया है ?
➥ डी.ए.बी. स्मिथ ने समुद्रगुप्त को ‘ भारत का नेपोलियन ’ कहा है क्योंकि उसने अपने शौर्य और पराक्रम से सम्पूर्ण भारत में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की । समुद्रगुप्त नेपोलियन के समान ही महान सेनानायक , योद्धा तथा प्रशासक था ।
. स्कन्दगुप्त द्वारा हूणों पर विजय की जानकारी किन अभिलेखों से मिलती है ?
➥ ( 1 ) भीतरी अभिलेख से ( 2 ) जूनागढ़ अभिलेख से ।
दशावतार का मन्दिर किस काल का है ? यह कहाँ स्थित है ?
➥ दशावतार का मन्दिर गुप्तकाल का हैं । यह उत्तरप्रदेश के देवगढ़ नामक स्थान पर स्थित है । गुप्तकाल के मन्दिरों में यह सबसे अधिक कलापूर्ण , सुन्दर और प्रसिद्ध है । ।
चन्द्रगुप्त द्वितीय की विजयों की जानकारी किस स्रोत से होती है ?
➥ चन्द्रगुप्त द्वितीय की विजयों की जानकारी महरौली लौह स्तम्भ लेख से होती है ।
फाह्यान कौन था ? वह भारत कब और क्यों आया था ?
➥ फाह्यान एक चीनी यात्री था । वह चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में बौद्ध स्थानों का भ्रमण करने एवं बौद्ध ग्रन्थों का अध्ययन करने के लिए भारत आया था ।
समुद्रगुप्त की दक्षिणी राज्यों के प्रति नीति का नाम लिखिए ।
➥ ‘ धर्मविजय ’ या ‘ ग्रहणमोक्षानुग्रह ’ की नीति ।
महाकाव्य ।
➥ महाकाव्य विशाल काव्य ग्रन्थ को कहते हैं । महाकाव्य में न्यूनतम सात या आठ सर्ग ( अध्याय ) होते हैं । भारतीय आय के दो विशाल महाकाव्य ' रामायण ' और ' महाभारत ' है ।
कालिदास द्वारा रचित काव्य व नाटक ग्रन्थों के नाम लिखिए ।
➥ कालिदास द्वारा रचित काव्यग्रंथ ‘रघुवंश’ , ‘कुमारसम्भव’ , ‘ऋतुसंहार’ तथा ‘मेघदूत’ । कालिदास द्वारा रचित नाटक ग्रन्थ - ‘मालविकाग्निमित्रम्’ , ‘विक्रमोर्वशीयम्’ तथा ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ ।
कालिदास का परिचय देते हुए उसके दो महाकाव्यों के नाम लिखिए ।
➥ कालिदास गुप्तकाल में संस्कृत का महान कवि तथा नाटककार था । ‘रघुवंश’ और ‘कुमारसंभव’ कालिदास के दो प्रमुख महाकाव्य हैं ।
गुप्तकाल में प्रान्त तथा प्रान्तपति को क्या कहते थे ?
➥ गुप्तकाल में प्रान्त को भुक्ति तथा प्रान्तपति को गोप या उपरिक कहते थे ।
गुप्तकालीन प्रसिद्ध ज्योतिषियों के नाम लिखिए ।
➥ गुप्तकालीन प्रसिद्ध ज्योतिषी आर्यभट्ट , वराहमिहिर तथा ब्रह्मगुप्त आदि थे ।
विज्ञान के क्षेत्र में आर्यभट्ट का क्या योगदान है ?
➥ आर्यभट्ट गुप्तकाल के महान् खगोलशास्त्री थे । उनकी रचना का नाम ‘ आर्यभट्टीय ’ था । आर्यभट्ट प्रथम व्यक्ति थे , जिन्होंने बताया कि पृथ्वी गोल है तथा अपनी धुरी पर घूर्णन करती है । आर्यभट्ट ने सम्पूर्ण विश्व को दशमलव पद्धति से अवगत कराया था ।
गुप्तकालीन रसायन शास्त्र तथा धातु शास्त्र की उन्नति का श्रेष्ठ उदाहरण बताइए ।
➥ महरौली का लौहस्तम्भ गुप्तकालीन रसायन शास्त्र तथा धातु शास्त्र की उन्नति का श्रेष्ठ उदाहरण है ।
गुप्तकालीन चित्रकला के श्रेष्ठ नमूने कहाँ मिलते हैं ?
➥ गुप्तकालीन चित्रकला के श्रेष्ठ नमूने अजन्ता की गुफाओं तथा बाघ की गुफाओं में मिलते हैं ।
‘ अजन्ता ’।
➥ अजन्ता की गुफाओं के भित्ति चित्रों को देखकर गुप्तकालीन चित्रकला के स्वरूप का दर्शन किया जा सकता है । अजन्ता की गुफाओं की संख्या 19 है । इन गुफाओं में बने भित्ति चित्र ई . पू . की पहली - दूसरी सदी से लेकर सातवीं सदी तक के माने जाते हैं ।
अजन्ता की चित्रकला का मुख्य विषय क्या था ?
➥ अजन्ता की चित्रकला के मुख्य विषय प्राकृतिक सौंदर्य , बुद्ध और बोधिसत्व के चित्र , तथा जातक ग्रन्थों के वर्णनात्मक दृश्य थे ।
उस गुप्त शासक का नाम बताइए जिसने शकों को पराजित किया ।
➥ चन्द्रगुप्त द्वितीय ने शकों को पराजित किया था ।
गुप्तकालीन कृषि के बारे में जानकारी देने वाली चार रचनाओं के नाम लिखिए ।
➥ स्मृतियों , बृहत्संहिता , अमरकोश , तथा कालिदास की रचना ।
गुप्तकालीन चार फसलों व चार करों के नाम लिखिए ।
➥ फसलें - गेहूँ , जौ , चावल , तथा ज्वार । कर - भूमिकर , उपरिकर , धान्य , तथा हिरण्यकर ।
धान्य और हिरण्य कर कौनसे कर थे ?
➥ अनाज के रूप में राजा को दिया जाने वाला कर ‘ धान्य ’ कर तथा नकद दिया जाने वाला कर ‘ हिरण्य ’ कर कहलाता था ।
‘अग्रहार ’ ।
➥ गुप्तकाल में एवं दक्षिण भारत में ब्राह्मणों व आचार्यों को दान में प्रदत्त भूमि या गाँव को ‘अग्रहार ’ कहते थे ।
विष्टि ।
➥ गुप्तकाल में वणिकोंएवं शिल्पियों पर ‘ विष्टि ’ एक प्रकार का राज कर था जो इन्हें बेगार के रूप में चुकाना पड़ता था ।
नायनार और आलवर / अलवार ।
➥ नायनार और आलवर सन्तों ने भक्ति आन्दोलन में प्रमुख योगदान दिया । नायनार सन्तों ने शिव भक्ति का तथा आलवर सन्तों ने विष्णु भक्ति का प्रचार किया ।
प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय के कोई दो शिक्षकों के नाम लिखिए ।
➥ ( 1 ) शीलभद्र , और ( 2 ) धर्मकीर्तिन । ।
पल्लव वास्तुकला की किसी भी शैली की दो विशेषताएँ बताए ।
➥ पल्लव वास्तुकला की एक शैली राजसिंह शैली है । जिसकी विशेषताएँ हैं - ( 1 ) मन्दिरों में शुण्डाकार मीनार और एक चपटी छत वाला मण्डप है । ( 2 ) इनके चारों ओर रथों से मिलते - जुलते कमरों की पंक्तियाँ बनाई गई हैं ।
‘ ऐलिफेन्टा की त्रिमूर्ति ’ का वर्णन कीजिए ।
➥ ऐलिफेन्टा के मुख्य मन्दिर में शिव की त्रिशिरा मूर्ति है । मूर्ति के पास 16 फुट ऊंची अर्द्ध - नारीश्वर की मूर्ति है । इसके दायीं ओर कमलस्थ ब्रह्मा तथा बायीं ओर विष्णु है ।
किस पल्लव राजा ने वातापीकोण्डा ( वातापी का विजेता ) उपाधि धारण की और किस उपलक्ष्य में ?
➥ नरसिंह वर्मन प्रथम ने वातापीकोण्डा उपाधि धारण की । यह उपाधि उसने चालुक्यों की राजधानी वातापी पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में धारण की ।
‘ महाबलीपुरम ’ ।
➥ तमिलनाडु के महाबलीपुरम में समुद्र तट पर निर्मित शोर - मन्दिर पल्लव स्थापत्यकला एवं शिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है ।
दक्षिण भारत में सात रथ मन्दिर कहाँ स्थापित किये गये हैं ?
➥ मामल्लपुरम ( महाबलीपुरम ) में सात रथ मन्दिर स्थापित किये गये हैं ।
चोलों के शासनकाल में गाँवों का प्रबन्ध कौन करते थे ?
➥ चोलों के शासनकाल में गाँवों का प्रबन्ध ग्रामसभाएँ करती थीं ।
चोल ग्राम सभा के बारे में लिखिए ।
➥ चोलों के शासनकाल में ग्रामसभा गाँव का प्रबन्ध करती थी । उसके प्रमुख कार्य सड़कों , तालाबों , नहरों , स्कूलों आदि का निर्माण करवाना तथा भूमि कर एकत्रित करना था ।
चोलों के स्थानीय शासन के बारे में बताइए ।
➥ चोलों का सम्पूर्ण साम्राज्य प्रशासनिक सुविधा के लिए प्रान्तों में विभक्त था जिन्हें ‘ मण्डलम ’ कहा जाता था । प्रान्तों को बड़े प्रदेशों में ( अर्थात् संभाग की तरह ) विभक्त किया गया था जिन्हें ‘ बलनाडु ’ कहा जाता था । बलनाडु को जिले के समान छोटे भागों में बाँटा गया था जिन्हें ' नाडू ' कहा जाता था । जिले गाँवों में विभक्त थे जिन्हें कोट्टन ' कहा जाता था । प्रशासन हेतु जन - सहयोग प्राप्त किया जाता था ।
चोल स्थानीय स्व - शासन की दो विशेषताएँ बताए ।
➥ ( 1 ) गाँवों का प्रबन्ध ग्राम सभाएं करती थी ग्राम सभाएँ अपने सभी आन्तरिक कार्यो में पूर्ण स्वतंत्र थी । ( 2 ) गाँवों में दो प्रकार की संस्थाएँ थीं — ( i ) उर तथा ( ii ) सभा । उर जनसाधारण की सभा थी तथा सभा ब्राह्मण वर्ग की सभा थी । ये संस्थाएँ शासन चलाने के लिए अनेक समितियों में विभक्त थी ।
तमिल भाषा के किन्हीं चार महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों के नाम लिखिए ।
➥ ( 1 ) कम्बन कवि द्वारा - रामायणम् ( 2 ) जयगोंदार कवि द्वारा - कलिगत्तुपरणि( 3 ) तोलामोक्ति कवि द्वारा - शूलमणि( 4 ) पुगलेन्दि कवि द्वारा ' नलवेरावा ' । ।
‘ जीवन चिन्तामणि ’ , ' रामायणम् ' की रचना किसने की थी ?
➥ ‘ जीवन चिन्तामणि ' की तिरुत्कदेवर ने और ' रामायणम् ' की रचना कम्बन ने की थी ।
चालुक्य काल के मन्दिरों का उल्लेख कीजिए । अथवा चालुक्यों के समय के पट्टडकल के दो प्रसिद्ध मन्दिरों के नाम लिखिए ।
➥ पट्टडकल मन्दिरों में ' पापनाथ का मन्दिर ' और ' विरुपाक्ष का मन्दिर उल्लेखनीय है ।
एहोल को मन्दिरों का नगर क्यों कहते हैं ?
➥ एहोल में लगभग 70 मन्दिर मिले हैं । इसीलिए इसे ' मन्दिरों का नगर ' कहा जाता है । यहाँ चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय का 634 ई . का अभिलेख मिला है । यह स्थान दक्षिणी भारत में बीजापुर में बादामी के निकट स्थित है ।
चोल राजाओं में कौन सर्वाधिक महान् था ?
➥ राजेन्द्र प्रथम चोल राजाओं में सर्वाधिक महान था ।
किस चोल शासक ने गंगैकोण्ड की उपाधि धारण की और क्यों ?
➥ राजेन्द्र प्रथम ने ‘ गगैकोण्ड ’ की उपाधि गंगा प्रदेश की विजय की खुशी में धारण की ।
उस नरेश का नाम बताइए जिसने ' कांचिनकोंड ' की उपाधि धारण की थी ।
➥ विक्रमादित्य द्वितीय ने कांचिनकोंड की उपाधि धारण की थी ।
पुलकेशियन द्वितीय कौन से वंश का शासक था ?
➥ पुलकेशियन द्वितीय चालुक्य वंश का शासक था ।
तंजौर को अपनी राजधानी किस चोल शासक ने बनाया ?
➥ विजयालय ने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया ।
कौन - से पल्लव नरेश ने ' मतविलास प्रहसन ' की रचना की थी ?
➥ महेन्द्र वर्मन ने ‘ मतविलाल प्रहसन ' की रचना की थी ।
चालुक्यों के काल में कला के तीन प्रमुख केन्द्रों का उल्लेख कीजिए ।
➥ ( 1 ) एहोल , ( 2 ) वातापी , और ( 3 ) पट्टड़कल ।
गोपुरम् शब्द से आप क्या समझते हैं ?
➥ द्रविड़ शैली के मन्दिरों के मुख्य द्वार को गोपुरम् कहते हैं । ।
सप्त पेगोडा से आप क्या समझते हैं ? किन्हीं दो के नाम लिखिए ।
➥ पल्लव - नरेशों ने विशाल चट्टानों को तराशकर रथ - मन्दिर बनवाये , जो ‘ सप्त पेगोडा ’ के नाम से प्रसिद्ध हैं । दो सप्त पेगोडा हैं — ( i ) द्रोपदी रथ , तथा ( ii ) अर्जुन रथ । ।
किस शासक के समय तंजौर के प्रसिद्ध बृहदेश्वर मन्दिर का निर्माण हुआ ?
➥ तंजौर के प्रसिद्ध बृहदेश्वर मन्दिर का निर्माण चोल - नरेश राजराज प्रथम के समय हुआ ।
निम्न मन्दिर कहाँ स्थित हैं -
➥ ( 1 ) लाडखान मन्दिर - ऐहोल में ( ii ) विरूपाक्ष मन्दिर – पट्टडकल में ।
किस चोल शासक ने अन्ततः श्रीलंका को पराजित किया ? उस समय श्रीलंका का शासक कौन था ?
➥ चोल शासक राजेन्द्र प्रथम ने श्रीलंका को पराजित किया । उस समय श्रीलंका का शासक महेन्द्र पंचम था ।
' नन्दी मण्डप ' ।
➥ चोलकालीन मंदिरों के अन्तर्गत तंजौर के वृहदेश्वर मंदिर के परकोटे से घिरे विशाल घेरे में विमान , अर्द्धमण्डप , महामण्डप तथा उसके सामने बड़ा नन्दीमण्डप है । नन्दीमण्डप में एक ही पत्थर से बना दक्षिण भारत का सबसे बड़ा नन्दी ( साण्ड ) है ।
नटराज ।
➥ चोलों के शासनकाल में पत्थर और धातु की बहुसंख्यक मूर्तियों का निर्माण किया गया । इस काल में बनी ' नटराज ' के रूप में कांसे की मूर्ति अद्भुत कल्पना , कला और आध्यात्मिक भावना का सुन्दर समन्वय प्रदर्शित करती हैं ।
चोल शासकों द्वारा निर्मित मन्दिरों के नाम लिखिए ।
➥ चोल शासकों द्वारा निर्मित मन्दिरों में तंजौर का बृहदीश्वर मन्दिर , गंगैकोंड - चोलपुर का मन्दिर , कोरिंगनाथ का मन्दिर , एरातेश्वर का मन्दिर उल्लेखनीय हैं ।
उन दो स्थानों के नाम बताइए जहाँ पल्लव राजाओं द्वारा विशाल मन्दिर का निर्माण कराया गया ।
➥ ( 1 ) कांची , ( 2 ) महाबलिपुरम् । ।
बादामी ( वातापी ) के चालुक्यों के दो मुख्य अभिलेखिक साक्ष्य बताइए ।
➥ ( 1 ) ऐहोल अभिलेख ( 2 ) महाकूट अभिलेख ।
किन्हीं तीन मण्डपों एवं तीन रथों के नाम बताइए ।
➥ मण्डप – महर्षि मण्डप , वाराह मण्डप , पंच - पाण्डव मण्डप । रथ - द्रोपदी रथ , धर्मराज रथ , अर्जुन रथ । ।
चार चोल शासकों के नाम लिखिए ।
➥ ( i ) राजराज प्रथम ( ii ) राजेन्द्र प्रथम ( iii ) आदित्य प्रथम ( iv ) परान्तक द्वितीय ।
जिरुवाक्य केल्वी ।
➥ चोल प्रशासन के अन्तर्गत केन्द्रीय शासन में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति राजा था । सार्वजनिक प्रशासन में राजा की भूमिका ' मौखिक आदेशों ' ( जिरुवाक्य केल्वी ) के रूप में थी ।
किस चालवय राजा ने हर्षवर्धन को परास्त किया था ? किस अभिलेख में हर्षवर्धन की पराजय का उल्लेख है ?
➥ चालुक्य राजा पुलकेशिन द्वितीय ने हर्षवर्धन को परास्त किया था । ऐहोल अभिलेख में हर्षवर्धन की पराजय का उल्लेख किया गया है ।
उन ऐतिहासिक साक्ष्यों का उल्लेख कीजिए जो पुलकेशिन द्वितीय की हर्ष पर विजय सिद्ध करते हैं ।
➥ ( 1 ) ऐहोल अभिलेख ( 2 ) चीनी यात्री ह्वेनसांग का यात्रा वृतान्त । ।
. हर्षवर्धन की विजय की जानकारी देने वाले स्रोतों का उल्लेख कीजिए ।
➥ ( 1 ) बाणभट्ट कृत ' हर्षचरित ' ( 2 ) ह्वेनसांग को यात्रा वृत्तान्त ‘ सी . यू . की ’ ।
हर्षवर्धन ने कौनसी उपाधियाँ धारण की ?
➥ परम भट्टारक , महाराजाधिराज , परमेश्वर , एकाधिराज आदि उपाधियाँ धारण की । ।
हर्ष के शासनकाल में राज्य की आय के प्रमुख साधनों का उन्लेख कीजिए ।
➥ हर्ष के शासनकाल में उदंग ( भूमिकर ) , उपरिक कर धान्य ( अनाज पर कर ) हिरण्य ( खनिज पदार्थों पर कर ) , न्यायालय शुल्क और अर्थदण्ड आय के प्रमुख स्रोत थे ।
हर्ष ने कन्नौज सम्मेलन का आयोजन क्यों किया ? इसकी अध्यक्षता किसने की थी ?
➥ हर्ष ने महायान सम्प्रदाय के सिद्धान्तों का प्रचार करने के लिए कन्नौज में सम्मेलन का आयोजन किया । इस सम्मेलन की अध्यक्षता ह्वेनसांग ने की थी । ।
हर्ष के दरबार के प्रसिद्ध विद्वानों के नाम लिखिए ।
➥ बाणभट्ट , मयूर , मतंग दिवाकर , जयसेन और हरिदत्त प्रसिद्ध विद्वान थे ।
' भुक्ति ' ।
➥ हर्ष का साम्राज्य शासन सुविधा के लिए इकाइयों में बँटा हुआ था । समस्त साम्राज्य की भूमि को राज्य , राष्ट्र , देश अथवा मण्डल कहते थे । देश अथवा मण्डल कई प्रान्तों में विभाजित था जिनको ' भुक्ति ' अथवा प्रदेश कहते थे । जैसे श्रावस्ती , कौशाम्बी , अहिच्छत्र आदि ।
' जयस्कन्धावार ' से आप क्या समझते हैं ?
➥ जयस्कन्धावार हर्षकालीन समय में राजा द्वारा आयोजित जन - अदालतों के लिए बनाए गए अस्थायी आवास थे ।
हर्षवर्धन की दो उपलब्धियों का वर्णन कीजिए ।
➥ ( 1 ) पंचभारत की विजय - ह्वेनसांग के विवरण से ज्ञात होता है कि हर्ष ने पंचभारत पर विजय प्राप्त की । पंचभारत के पांच राज्य – पंजाब , कन्नौज , बंगाल , बिहार व उडीसा थे । ( 2 ) सिन्ध विजय - बाण के हर्षचरित से पता चलता है कि हर्ष ने सिन्धुराज को युद्ध क्षेत्र में पराजित कर सिन्ध विजय प्राप्त की ।
प्रयाग महामोक्ष परिषद् ।
➥ हर्षवर्धन प्रति पाँचवें वर्ष प्रयाग में एक दान - वितरण सभा महामोक्ष परिषद का आयोजन करता था । दान वितरण हेतु अस्थायी घास - फूस के झोपड़ों में दान हेतु वस्तुएँ हीरे मणियां , चाँदी आदि संग्रहीत होते थे | यह दान - वितरण दो माह से अधिक समय तक चलता था । हर्ष की दानशीलता एवं विशाल हृदयता अनुकरणीय है ।
बाण के हर्षचरित के बारे में आप क्या जानते हैं ?
➥ बाण द्वारा रचित ‘ हर्षचरित ’ एक ऐतिहासिक ग्रन्थ है । इसमें आठ अध्याय हैं । इसके प्रारम्भ के तीन अध्यायों में बाणभट्ट की आत्मकथा तथा शेष पाँच अध्यायों में हर्ष और हर्ष के पूर्ववर्ती राजाओं के बारे में विवरण या जानकारी है ।
ह्वेनसांग की भारत यात्रा का वृत्तान्त किस पुस्तक में लिखा गया है ?
➥ ह्वेनसांग की भारत यात्रा का वृत्तान्त सीयूकी नामक पुस्तक में लिखा गया है ।
पंच भारत का विजेता कौन था ? इस विजय का उल्लेख किसने किया है ?
➥ पंच भारत का विजेता हर्षवर्धन था । इस विजय का उल्लेख ह्वेनसांग ने किया है ।
नालन्दा किस कारण प्रसिद्ध था ?
➥ हर्षवर्धन के काल में नालन्दा विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का केन्द्र होने के कारण प्रसिद्ध था । यहाँ विदेशों से भी पढ़ने के लिए छात्र आते थे । इस विश्वविद्यालय में लगभग 10 हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे ।
नालन्दा पुस्तकालय के बारे में बताए ।
➥ नालन्दा विश्वविद्यालय में एक विशाल पुस्तकालय था जिसे ' धर्मज्ञ ' के नाम से पुकारा जाता था । इसमें तीन भवन थे — ( 1 ) रत्न सागर , ( 2 ) रत्नोदधि , ( 3 ) रत्नरंजक ।
ऐहोल प्रशस्ति किस कवि ने किस शासक के लिए लिखी ?
➥ ऐहोल प्रशस्ति कवि रत्रिकीर्ति ने पुलकेशिन द्वितीय के लिए लिखी ।
हर्षवर्धन द्वारा विरचित तीन ग्रन्थों / नाटकों के नाम लिखिए ।
➥ हर्ष ने नागानन्द ' , ' प्रियदर्शिका ' तथा ' रत्नावली ' नामक ग्रन्थों की रचना की ।
त्रिराज्य संघर्ष में सम्मिलित समकालीन शक्तियों के नाम बताइए । अन्त में उनमें से किसको विजय मिली ?
➥ त्रिराज्य संघर्ष में सम्मिलित समकालीन शक्तियाँ — गुर्जर - प्रतिहार , राष्ट्रकूट एवं पाल थीं । अन्त में गुर्जर प्रतिहारों को विजय मिली । ।
त्रिकोणात्मक संघर्ष में भाग लेने वाले राज्य कौन - से थे ।
➥ त्रिकोणात्मक संघर्ष में भाग लेने वाले राज्य कन्नौज , मगध तथा मालवा थे ।
त्रिपक्षीय संघर्ष या त्रिकोणात्मक युद्ध का मुख्य कारण क्या था ?
➥ गुर्जर - प्रतिहार , पाल तथा राष्ट्रकूट तीनों ही कन्नौज प्रदेश पर अपना अधिकार करना चाहते थे । अत : इन तीनों वंशों के बीच संघर्ष लगभग 200 वर्षों तक चलता रहा ।
त्रिकोणात्मक युद्ध के समय कन्नौज के दो राजाओं के नाम लिखिए ।
➥ ( 1 ) चक्रायुध ( 2 ) इन्द्रायुध ।
गुर्जर - प्रतिहार सम्राट मिहिरभोज के साम्राज्य को रेखांकित कीजिए ।
➥ मिहिरभोज का साम्राज्य उत्तर में हिमालय से लेकर पूर्व में पाल साम्राज्य की सीमा तक तथा दक्षिण - पूर्व में कौशाम्बी तथा दक्षिण में बुन्देलखण्ड से लेकर पश्चिम में राजपूताने के अधिकांश भाग पर फैला हुआ था ।
राजपूतों की उत्पत्ति सम्बन्धी मतों का उल्लेख कीजिए ।
➥ 1 ) विदेशियों की सन्तान( 2 ) क्षत्रियों से उत्पत्ति का सिद्धान्त ( 3 ) ब्राह्मणों से उत्पत्ति का सिद्धान्त( 4 ) अग्निकुण्ड से उत्पत्ति का सिद्धान्त( 5 ) सूर्य व चन्द्रवंशी सिद्धान्त( 6 ) मिली - जुली जाति सेउत्पत्ति । ।
राजपूतों की भारतीय उत्पत्ति के सिद्धान्त के पक्ष में दो तर्क दीजिए ।
➥ ( 1 ) राजपूतों का शारीरिक आकार विदेशियों की अपेक्षा भारतीय आय से अधिक मिलता - जुलता है ।( 2 ) राजपूत प्राचीन क्षत्रियों की भाँति अश्व और अस्त्र - शस्त्रों की पूजा करते थे । ।
राजपूत भारतीय आर्यों की सन्तान है । यह किन विद्वानों का मत है ?
➥ सी . वी . वैद्य , गौरीशंकर ओझा , डी . सी . गांगुली , बी . एन . पुरी आदि विद्वान् राजपूतों को भारतीय आर्यों की सन्तान मानते हैं ।
कर्नल टॉड ने राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में किस मत को प्रस्तुत किया था ?
➥ कर्नल टॉड , डॉ . वी . ए . स्मिथ , क्रुक , भण्डारकर आदि विद्वानों ने राजपूतों की विदेशियों से उत्पत्ति के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है ।
राजपूत समाज की सामान्य विशेषताएँ बताइए ।
➥ ( 1 ) वर्ण व्यवस्था का प्रचलन ( 2 ) संयुक्त परिवार प्रथा( 3 ) स्त्रियों की दशा में गिरावट ( 4 ) सती प्रथा एवं जौहर प्रथा का प्रचलन ( 5 ) दास प्रथा( 6 ) कन्या वध ( 7 ) डाकन प्रथा( 8 ) बाल विवाह , बहु विवाह का प्रचलन ।
बेसर शैली कैसे विकसित हुई ?
➥ नागर शैली और द्रविड़ शैलियों के सम्मिश्रण से बेसर शैली विकसित हुई ।
द्रविड़ शैली के मन्दिरों का उल्लेख कीजिए ।
➥ द्रविड़ शैली के मन्दिरों में महाबलिपुरम् तथा काँची के मन्दिर , एलोरा का कैलाश मन्दिर , तंजौर का राज - राजेश्वर मन्दिर आदि उल्लेखनीय हैं ।
द्रविड़ शैली के मन्दिरों की चार विशेषताएँ बताइए ।
➥ ( 1 ) द्राविड़ शैली के मन्दिरों में वर्गाकार गर्भगृह होता है । ( 2 ) गर्भगृहों के ऊपर पिरामिडनुमा शिखर होता है । ( 3 ) मन्दिरों में सजावटपूर्ण खम्भे मिलते हैं ।( 4 ) मुख्य मन्दिर के आगे एक ऊँचा द्वार बना मिलता है जिसे ‘ गोपुरम् ' कहते हैं ।
देलवाड़ा के दो प्रसिद्ध जैन मन्दिरों के नाम बताइए ।
➥ ( 1 ) लूनवसाही का मन्दिर या नेमिनाथ का मन्दिर , ( 2 ) विमलशाह का मन्दिर या । आदिनाथ का मन्दिर ।
नागर शैली का वर्णन कीजिए ।
➥ यह उत्तर भारत की शैली है जिसका विस्तार हिमालय से लेकर विन्ध्य पर्वत तक है । उड़ीसा के भुवनेश्वर , कोणार्क व पुरी के मन्दिर , मध्यप्रदेश के खजुराहो के मन्दिर , माउण्ट आबू के देलवाड़ा के जैन मन्दिर नागर शैली के उत्कृष्ट नमूने हैं ।
हिन्दू मन्दिर स्थापत्य की दो शैलियाँ बताइए । अथवा भारतीय मन्दिर निर्माण की प्रमुख शैलियाँ - कोई तीन ।
➥ हिन्दू मन्दिर स्थापत्य अथवा मन्दिर निर्माण की प्रमुख शैलियाँ हैं — ( 1 ) नागर शैली ( 2 ) द्राविड़ शैली तथा ( 3 ) बेसर शैली ।
Also Read - खेल - कूद से सम्बंधित सामान्य ज्ञान