पेंचमापी ( स्क्रूगेज ) पेंच के सिद्धांत पर कार्य करता है तथा यह 0.001 सेमी तक की लघु दूरियों का यथार्थ मापन करता है ।
उपकरण का वर्णन
पेंचमापी ( स्क्रूगेज ) |
पेंचमापी का नामांकित आरेख चित्र प्रदर्शित है । इसमें U के आकार का एक धातु का फ्रेम F होता है । F के एक सिरे पर सपाट पृष्ठ वाला धातु का एक छोटा टुकडा A लगा रहता है ; इसे इसका बटन ( Stud ) कहते हैं । फ्रेम के दूसरे सिरे पर अन्दर से चूड़ी कटा एक बेलनाकार नट लगा रहता है । इस नट में पेंच लगा रहता है । यह बेलनाकार नट फ्रेम F के सिरे से कुछ सेन्टीमीटर तक विस्तारित रहता है तथा मिलीमीटर अथवा अर्द्ध मिलीमीटर में अशांकित रहता है ; इसे मुख्य स्केल कहते हैं । इस पर नट के अक्ष के अनुदिश एक आधार रेखा ( Baseline ) होती है जो निर्देश रेखा ( Reference Line ) कहलाती है । पेंच S के दाहिने सिरे पर एक बेलनाकार टोपी ( Cap ) लगी रहती है . इसे थिम्बिल ( Thimble ) कहते हैं । बेलनाकार टोपी को घुमाकर पेंच को नट के भीतर चलाया जा सकता है । थिम्बिल को 100 बराबर - बराबर भागों में बाँटा जाता है इसे वृत्तीय स्केल कहते है । थिम्बिल के दाहिने सिरे पर एक रैचिट ( Retchet ) R सम्बद्ध रहता है । रैचिट पेंच पर अनावश्यक कसने से रोकता है ।
पेंचमापी ( स्क्रगेज )वह वस्तु जिसकी मोटाई नापनी है , रैचिट की सहायता से A व B के बीच कस दी जाती है , जब वस्तु A व B के बीच ठीक कस जाती है , तो रैचिट R पेंच को बिना चलाए स्वतंत्रता पूर्वक घूमता है ।
पेंच ( स्क्रू ) का सिद्धांत
इस सिद्धांत के अनुसार , पेंच पर समान अन्तराल में चूड़ियाँ बनी होती हैं फलतः पेंच को एक पूरा चक्र वर्तुल घुमाने पर इसका शीर्ष आगे या पीछे नियत रेखीय दूरी तय करता है । पेंच के सिद्धांत पर कार्य करने वाले उपकरण हैं —
पेंच की पिच ( Pitch ) या चूड़ी अन्तराल
पेंच की किन्हीं भी दो क्रमागत चूडियों के मध्य रेखीय दूरी का अन्तराल पेंच की पिच या चूड़ी अन्तराल कहलाता है । पेंच को एक पूरा चक्र वर्तुल घुमाने पर इसके शीर्ष द्वारा तय की गई रेखीय दूरी मापकर पेंच की पिच ( चूडी अन्तराल ) को मापा जा सकता है । पेंच का चूड़ी अन्तराल सामान्यतः lman या 0.5 mm होता है |पेंचमापी का चूड़ी अन्तराल ज्ञात करने के लिए वृत्ताकार पैमाने को 5 या 10 पूरे चक्कर एक दिशा में घुमाकर पेंच द्वारा ( या वृत्ताकार पैमाने द्वारा ) तय की गई रेखीय दूरी माप ली जाती है तथा इस दूरी में दिए गए चक्रों की संख्या का भाग देते हैं अर्थात् -
पेंचमापी वा अल्पतमांक
पेंचमापी द्वारा मापी जा सकने वाली न्यूनतम संभव दूरी पेंचमापी का अल्पतमांक कहलाता है । पेंचमापी का वृत्तीय पैमाना पेंच की पिच ( चूड़ी अन्तराल ) को विभक्त करता है अतः
प्रधान पैमाने का पाठ्यक
स्क्रूगेज में प्रधान पैमाने का जो चिन्ह वृत्ताकार पैमाने के किनारे के निकटतम होता है , प्रधान पैमाने का पाठ्यांक होता है ।
वृत्ताकार पैमाने का पाठ्यांक
स्क्रूगेज में वृत्ताकार पैमाने का जो विभाग प्रधान पैमाने की क्षैतिज रेखा से संपातित होता है । इन भागों की संख्या को अल्पतमांक से गुणा करने पर वृत्ताकार पैमाने का पाठ्यांक प्राप्त होता है ।
शून्यांक त्रुटि
उपकरण के सपाट सिरे A तथा B को पूर्णतः सटाकर रखने पर यदि वृत्ताकार पैमाने का शून्य , निर्देश रेखा के सम्पाती होता है तो उपकरण शून्यांक त्रुटि रहित होता है ( चित्र a ) । परंतु यदि वृत्ताकार पैमाने का शून्य निर्देश रेखा के संपाती नहीं है तो उपकरण में शून्यांक त्रुटि होती है ।शून्यांक त्रुटि दो प्रकार की होती है -
( A ) धनात्मक शून्यांक त्रुटि - जब A व B को सटाकर रखने पर वृत्ताकार पैमाने का शून्य , निर्देश रेखा के नीचे है तो वह धनात्मक शून्यांक त्रुटि कहलाती है । ( चित्र b )
( B ) ऋणात्मक शुन्यांक त्रुटि – जब A व B को सटाकर रखने पर तृतीय पैमाने का शून्य निर्देश रेखा के ऊपर है तो यह ऋणात्मक शून्यांक त्रुटि कहलाती है । ( चित्र c )
(a) शून्यांक त्रुटि रहित |
(b) धनात्मक शून्यांक त्रुटि |
(c) ऋणात्मक शून्यांक त्रुटि |
शून्यांक त्रुटि का मान - शून्यांक त्रुटि का मान ज्ञात करने के लिए , देखते हैं कि वृत्ताकार पैमाने का शून्य निर्देश रेखा से कितने भाग ऊपर या नीचे है तथा भागों की इस संख्या को अल्पतमांक से गुणा करते हैं ।
शून्यांक त्रुटि का निराकरण – प्राप्त कुल पाठ्यांक में से शून्यांक त्रुटि को चिन्ह सहित घटाकर संशोधित पाठ्यांक ज्ञात करते हैं अर्थात्
संशोधित पाठ्यांक = कुल पाठ्यांक - ( ± शून्यांक त्रुटि )
पिच्छट त्रुटि ( Back Less Error ) - कभी - कभी उपकरण को अधिक प्रयोग में लाने पर पेंच ढीला हो जाता है । फलस्वरूप पेंच को जब एक दिशा में घुमाते - घुमाते अचानक दूसरी दिशा में घुमा दिया जाता है तो वृत्ताकार पैमाना तो वर्तुल गति कर लेता है परंतु पेंच का शीर्ष रेखीय गति नहीं कर पाता इससे पाठ्यांक त्रुटि पूर्ण हो जाता है । इस प्रकार उत्पन्न त्रुटि पिच्छट त्रुटि कहलाती है । पिच्छट त्रुटि उत्पन्न न हो , इसके लिए पेंच को एक ही दिशा में घुमाना चाहिए ।
प्र . 1 . स्क्रूगेज को यह नाम क्यों दिया जाता है ?
उत्तर - यह पेंच ( स्क्रू ) के सिद्धान्त पर कार्य करता है तथा तार का व्यास मापने में प्रयुक्त होता है ।
प्र . 2 . चूड़ी अन्तराल किसे कहते है ?
उत्तर - दो चूड़ियों के मध्य की दूरी अथवा पेंच को एक पूरा चक्कर लगाने में उसके द्वारा तय की गयी रेखीय दूरी पेंच का चूड़ी अन्तराल कहलाती हैं ।
प्र . 3 . स्क्रूगेज की अल्पतमांक का क्या तात्पर्य है ।
उत्तर - वह न्यूनतम लम्बाई या दूरी जो यर्थाथता से स्क्रूगेज द्वारा नापी जा सकें , स्क्रूगेज की अल्पतमांक कहलाती ।
प्र . 4 . स्क्रूगेज किस सिद्धान्त पर कार्य करता है ?
उत्तर – स्क्रूगेज पेंच के सिद्धान्त पर कार्य करता हैं ।
प्र . 5 . पेंच का क्या सिद्धान्त है ?
उत्तर – किसी पेंच को घूर्णन कराने पर पेंच द्वारा तय की गयी रेखीय दूरी , पेंच के घूर्णन कोण के अनुक्रमानुपाती होती है । यही पेंच का सिद्धान्त है ।
प्र . 6 . स्क्रूगेज में शून्यांक त्रुटि क्या होती है ?
उत्तर - स्क्रूगेज के पेंच के सिरे तथा स्क्रूगेज के बटन के सटे होने की स्थिति में वृत्ताकार पैमाने का शून्यांक मुख्य पैमाने के अंशाकन रेखा के शून्यांक से भी सम्पाती नहीं हो तो यह त्रुटि शून्यांक त्रुटि कहलाती है ।
प्र . 7 . पिच्छ्ट त्रुटि किसे कहते है ?
उत्तर - पेंच को बार - बार आगे पीछे बार - बार घुमाने पर मापन में त्रुटि आ जाती है । यही पिच्छट त्रुटि कहलाती है |
प्र . 8 . पिच्छ्ट त्रुटि को दूर किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर - स्क्रूगेज के पेंच को केवल एक दिशा में घुमाने से पेंच की पिच्छ्ट त्रुटि कम हो जाती है ।
9 . क्या स्क्रूगेज द्वारा कागज की मोटाई ज्ञात कर सकते हैं । हाँ तो क्यों ?
उत्तर - हाँ , क्योंकि कागज की गोलाई गेज के अल्पतमांक से अधिक होती है ।
प्र . 10 . गेज में रैचिट का क्या कार्य होता है ?
उत्तर – रैचिट तार अथवा पिण्ड पर लगे अनावश्यक दाब को रोकता है ।
प्र . 11 . माइक्रोमीटर क्या होता है ?
उत्तर - माइक्रोमीटर वह उपकरण होता है जिसका अल्पतमांक 10-6 मी . की कोटि का होता है ।
प्र . 12 . स्क्रूगेज एक ' माइक्रोमीटर स्क्रू ' है इस कथन से क्या तात्पर्य हैं ?
उत्तर - स्क्रूगेज का अल्पतमांक ( 0.001 सेमी. = 10×10-6 मी. अर्थात 10 माइक्रोमीटर कोटि का होता है अतः यह माइक्रोमीटर स्क्रू कहलाता है ।
प्र . 13 . स्क्रूगेज से न्यूनतम कितनी दूरी माप सकते हैं ?
उत्तर - अल्पतमांक के बराबर ।
प्र . 14 . पेंच को एक ही दिशा में क्यों घुमाना चाहिए ?
उत्तर - पिच्छट त्रुटि कम करने के लिए ।
प्र . 15 . बैकलेस त्रुटि ( पिच्छट त्रुटि ) क्या होती है ?
उत्तर - पेंचमापी को अचानक घुमाने की दिशा को उलट दें , तो वृत्तीय पैमाने पर उसका पाठ्यांक कम हो जाता है यह बैकलेस त्रुटि ( पिच्छट त्रुटि ) कहलाती है ।
प्र . 16 . माइक्रोमीटर का क्या उपयोग है ?
उत्तर - इसके द्वारा प्रकाश की तंरगदैर्ध्य व अति सूक्ष्म दूरियों का मापन करते है ।
प्र . 17 . शून्यांक त्रुटि किस कारण उत्पन्न होती है ?
उत्तर - यह उपकरण के निर्माण एवं अधिक प्रयोग में लेने पर चूड़ियों के इतिग्रस्त होने के कारण उत्पन्न होती है ।
प्र . 18 . पेंचमापी का पेंच किस पदार्थ का बनाया जाता है ?
उत्तर — यह गनमेटल का बनाया जाता है ताकि लम्बे उपयोग के बाद भी चूड़ियाँ क्षतिग्रस्त न हो ।
प्र . 19 . शून्यांक त्रुटि कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर - यह दो प्रकार की होती है । ( i ) धनात्मक शून्यांक त्रुटि ( ii ) ऋणात्मक शून्यांक त्रुटि
प्र . 20 . पाठयांक लेते समय आँख को मुख्य पैमाने के ठीक सामने क्यों रखना चाहिए ?
उत्तर - लम्बन ( Parallax ) द्वारा उत्पन्न त्रुटि न हो ।
प्र . 21 . क्या स्क्रूगेज द्वारा वाल की मोटाई ज्ञात कर सकते है ?
उत्तर - नहीं , क्योंकि बाल की मोटाई स्क्रगेज के अल्पतमांक से कम होती हैं ।