न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार किसी वस्तु के रेखीय संवेग में परिवर्तन की दर वस्तु पर आरोपित बाह्य बल के समानुपाती होती है । वस्तु के रेखीय संवेग में यह परिवर्तन कार्यरत बल के कारण कार्यरत बल की दिशा में होता है ।
अर्थात
→ | → | ||||
F | = | m | a | . . . . . . (1) |
अर्थात् किसी वस्तु पर लगाया गया नेट बल उस वस्तु के द्रव्यमान और वस्तु के त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है । बल लगाने पर वस्तु में उत्पन्न त्वरण , बल की दिशा में उत्पन्न होता है । वस्तुत : न्यूटन का प्रथम नियम बल की परिभाषा देता है , जबकि न्यूटन का द्वितीय नियम बल का परिमाण निर्धारित करता है । समीकरण ( 1 ) से स्पष्ट है कि एकांक द्रव्यमान वाली वस्तु में एकांक त्वरण उत्पन्न करने वाले बल का परिमाण इकाई बल के तुल्य होता है ।
समीकरण ( 1 ) से यदि
→ | तो | → | |||
F | = | 0 | a | = 0 |
यह गति का प्रथम नियम है । अतः प्रत्यक्ष रूप से द्वितीय नियम प्रथम नियम के अनुरूप है ।
न्यूटन बल की परिभाषा – यदि कोई बल , 1 किग्रा . की वस्तु में 1 मी . / से .2 का त्वरण उत्पन्न कर दे तब वह बल 1 न्यूटन बल के बराबर होता है ।
1 न्यूटन = ( 1 किग्रा . ) × ( 1 मी . / से .2)
या
1N = 1Kg m/s2
बल की विमा [ MLT-2 ]
अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति में मात्रक न्यूटन के अलावा बल के अन्य मात्रक डाइन ( dyne , CGS मात्रक पद्धति में ) और पाउण्डल FPS मात्रक पद्धति में ) होते हैं , पर इनका उपयोग अब नहीं करना चाहिए ।
भार ( Weight ) - किसी वस्तु का भार उस वस्तु पर लग रहे गुरुत्वाकर्षण बल के बराबर होता है । यदि वस्तु का द्रव्यमान m तथा गुरुत्व जनित त्वरण g है , तब वस्तु का भार
W = mg
होता है ।
भार का मात्रक न्यूटन तथा विमा [ MLT-2 ] है ।
कई बार सुविधा की दृष्टि से भार को किग्रा.भार में व्यक्त किया जाता है । 1 किग्रा.भार , एक किलोग्राम द्रव्यमान के भार के बराबर होता है , अर्थात्
1 किग्रा.भार = 1 किग्रा . × g ( मी./से.2)
या
1 किग्रा.भार = g न्यूटन = 9 . 8 न्यूटन
न्यूटन की गति के द्वितीय नियम के उदाहरण
( i ) क्रिकेट का कोई खिलाड़ी जब तीव्र गति से आती हुई गेंद को पकड़ता है तब वह अपने हाथ पीछे की ओर खींचता है । इसका कारण यह है कि प्रारम्भ में गेंद गतिशील है तथा खिलाड़ी हाथों से गेंद को रोकने के लिए मंदक बल लगाता है । अब यदि खिलाड़ी गेंद को अचानक पकड़ ले तब गेंद का मंदन बहुत अधिक होने से गेंद को रोकने के लिए बहुत अधिक बल लगाना पड़ेगा , जिससे खिलाड़ी की हथेली में चोट लग सकती है । जब खिलाड़ी अपने हाथ को पीछे की ओर ले जाकर गेंद को धीरे से पकड़े तब मंदन कम होगा अतः खिलाड़ी को गेंद पकड़ने में कम बल लाना पड़े और खिलाड़ी की हथेली में चोट लगने की सम्भावना नहीं रहेगी ।
( ii ) जब कोई व्यक्ति किसी ऊंचाई से कठोर फर्श पर कूदता है तब व्यक्ति का वेग तुरन्त ही शून्य हो जाता है और व्यक्ति पर फर्श द्वारा आरोपित बल अत्यधिक होता है जिसके कारण व्यक्ति को चोट लग सकती है । इसके विपरीत यदि व्यक्ति समान ऊँचाई से रेत में कूदता है । तब उसके पैर रेत में धंसने से उसके वेग में परिवर्तन धीरे - धीरे होता है । जिससे फर्श द्वारा आरोपित बल कम होने से व्यक्ति को चोट नहीं लगती हैं ।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
( 1 ) गति के द्वितीय नियम में F → = 0 से यह उपलक्षित होता है कि a → = 0 प्रत्यक्ष रूप से द्वितीय नियम प्रथम नियम के अनुरूप है ।
( 2 ) गति का द्वितीय नियम एक सदिश नियम है । यह वास्तव में , तीन समीकरणों के तुल्य है । सदिशों के प्रत्येक घटक के लिए समीकरण
इसका अर्थ यह हुआ कि कोई बल पिण्ड के वेग के समान्तर नहीं हैं , वरन उससे कोई कोण बनाता है तब वह केवल बल की दिशा में वेग के घटक को परिवर्तित करता है । बल के अभिलम्ब वेग का घटक अपरिवर्तित रहता है ।
उदाहरण के लिए , उर्ध्वाधर गुरुत्वाकर्षण बल के अधीन किसी प्रक्षेप्य की गति में वेग का क्षैतिज घटक अपरिवर्तित रहता है ।
( 3 ) न्यूटन का द्वितीय नियम नेट बाह्य बल व वस्तु के त्वरण में सम्बन्ध दर्शाता है ।
( 4 ) समान समय के लिए लगाया गया समान बल विभिन्न पिण्डों में समान संवेग परिवर्तन करता है ।
( 5 ) हल्का पिण्ड भारी पिण्ड की तुलना में अधिक चाल ग्रहण कर लेता है क्योंकि दोनों पिण्डों में समान संवेग परिवर्तन होता है । अतः m1v1 = m2v2
m1 < m2
तब
v1 > v2
( 6 ) समान बल लगाने पर हल्की वस्तु का त्वरण अधिक भारी वस्तु अर्थात् अधिक जड़त्व वाली वस्तु का त्वरण कम होता है ।
F1 = F2
m1a1 = m2a2
यदि m1 < m2 तो a1 > a2
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