ध्वनि ( Sound ) :ध्वनि एक स्थान से दूसरे स्थान तक तरंगों के रूप में गमन करती है । ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य यान्त्रिक तरंगें होती हैं ।
❍ ध्वनि शब्द का प्रयोग केवल उन्हीं तरंगों के लिए किया जाता है , जिनकी अनुभूति हमें अपने कानों द्वारा होती है ।
ध्वनि तरंगों के आवृत्ति परिसर ( Frequency Range of Sound Waves )
श्रव्य तरंगें ( Audible Waves ) : 20 हर्ट्ज से 20000 हर्ट्ज के बीच की आवृत्ति वाली तरंगों को श्रव्य तरंगें कहते हैं । इन तरंगों को हमारे कान सुन सकते हैं ।
अपश्रव्य तरंगें ( Infrasonic Waves ) : 20 हर्ट्ज से नीचे की आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों को अपश्रव्य तरंगें कहते हैं । इसे सुन नहीं सकते ।
पराश्रव्य तरंगें ( Ultrasonic Waves ) : 20000 हर्ट्ज से ऊपर की तरंगों को पराश्रव्य तरंगें कहा जाता है , मनुष्य के कान इन्हें सुन नहीं सकते हैं , लेकिन बिल्ली कुत्ता , मच्छर इन तरंगों को सुन सकते हैं । चमगादड़ इन तरंगों को उत्पन्न भी कर सकता है । गाल्टन की सीटी द्वारा तथा दाब विद्युत प्रभाव की विधि द्वारा पराश्रव्य तरंगों को उत्पन्न किया जा सकता है ।
सोनार ( SONAR ) यह एक ऐसी विधि है , जिसके द्वारा समुद्र में डूबी हुई वस्तुओं का पता लगाया जाता है । इसके लिए पराश्रव्य तरंगों का प्रयोग किया जाता है ।
पराश्रव्य तरंगों के उपयोग
❍ संकेत भेजने में
❍ समुद्र की गहराई का पता लगाने में
❍ कीमती कपड़ों , वायुयान तथा घड़ियों के पुों को साफ करने में
❍ कल - कारखानों की चिमनियों से कालिख हटाने में
❍ दूध के अन्दर के हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने में
❍ गठिया रोग के उपचार एवं मस्तिष्क के ट्यूमर का पता लगाने में ।
ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्य ( Wavelength of Sound Wave )
तरंगदैर्ध्य , तरंग द्वारा तय की गई न्यूनतम दूरी होती है , जिसमें ध्वनि तरंग की पुनरावृत्ति होती है ।
तरंगदैर्ध्य को ग्रीक अक्षर - λ ( लैम्डा ) से प्रदर्शित करते हैं तथा इसका SI मात्रक मीटर होता है ।
ध्वनि तरंग की आवृत्ति ( Frequency of Sound Wave )
कम्पन्न करने वाले किसी कण द्वारा 1 सेकण्ड में किए गए कम्पनों की संख्या को उस कण की आवृत्ति ( n या f ) कहते हैं । इसे ग्रीक शब्द ν न्यू ( nu ) से भी प्रदर्शित करते हैं ।
इसका SI मात्रक हर्ट्ज होता है । जिसका नाम हैनरिच रूडोल्फ हर्ट्ज के नाम पर रखा गया । इन्होंने प्रकाश विद्युत प्रभाव ( Photoelectric effect ) की खोज की थी । अत :
1 हर्ट्ज = 1 कम्पन्न प्रति सेकण्ड
ध्वनि तरंग का आवर्तकाल ( Time Period of Sound Wave )
कम्पन्न करने वाले किसी कण द्वारा 1 कम्पन्न पूरा करने में लिए गए समय को उस तरंग का आवर्तकाल ( T ) कहते हैं । इसका SI मात्रक सेकण्ड होता है
एक तरंग का आवर्तकाल , आवृत्ति का व्युत्क्रम होता है ।
ध्वनि की चाल ( Speed of Sound )
ध्वनि द्वारा एक सेकण्ड में तय दूरी ध्वनि की चाल कहलाती है , 0°C पर शुष्क हवा में ध्वनि की चाल 330 मी./से. होती है । ताप बढ़ने पर ध्वनि की चाल बढ़ती है । दाब परिवर्तन का ध्वनि की चाल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है । हवा की आर्द्रता बढ़ने पर ध्वनि की चाल बढ़ जाती है ।
ध्वनि की चाल सबसे अधिक ठोस में , उसके बाद द्रव में तथा उसके बाद गैस में होती है ।
ध्वनि की चाल माध्यम की प्रकृति तथा घनत्व पर निर्भर करता है । विभिन्न माध्यमों में ध्वनि की चाल भिन्न - भिन्न होती है ।
जब ध्वनि एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो उसकी चाल एवं तरंगदैर्ध्य बदल जाती है , किन्तु उसकी आवृत्ति नहीं बदलती ।
ध्वनि की चाल पर दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है , किन्तु ताप का प्रभाव पड़ता है । माध्यम का ताप बढ़ाने पर ध्वनि की चाल बढ़ जाती है । वायु में प्रति 1°c ताप बढ़ाने पर ध्वनि की चाल 0.61 मीटर प्रति सेकेण्ड बढ़ जाती है ।
नमीयुक्त वायु का घनत्व , शुष्क वायु के घनत्व से कम होता है , अत : शुष्क वायु की अपेक्षा नमी - युक्त वायु में ध्वनि की चाल अधिक होती है ।
ध्वनि का तारत्व आवृत्ति पर निर्भर करता है ।
किसी माध्यम में पिण्ड की चाल तथा ध्वनि की चाल का अनुपात मैक संख्या कहलाता है । यदि मैक संख्या 1 से अधिक है , तो पिण्ड की चाल पराध्वनिक और 5 से अधिक है , तो ध्वनि की चाल अति पराध्वनिक कहलाती है ।
ध्वनि की चाल ( ν ) = आवृत्ति ( f ) × तरंगदैर्ध्य
विभिन्न माध्यमों में ध्वनि की चाल
माध्यम | ध्वनि की चाल ( मीटर/से. - 0°C पर ) |
---|---|
वायु | 332 |
कार्बन डाई - ऑक्साइड | 260 |
भाप ( 100°C पर ) | 405 |
हाइड्रोजन | 1269 |
अल्कोहल | 1213 |
जल | 1483 |
समुद्री जल | 1533 |
पारा | 1450 |
लोहा | 5130 |
कांच | 5640 |
एल्युमीनियम | 6420 |
प्रमुख स्रोतों में ध्वनि तीव्रता
स्रोत | तीव्रता ( dB ) में |
---|---|
साधारण बातचीत | 30 - 40 |
जोर से बातचीत | 50 - 60 |
ट्रक , ट्रैक्टर | 90 - 100 |
आरकेस्ट्रा | 100 |
मोटरसाइकिल | 110 |
विद्युत मोटर | 110 |
साइरन | 110 - 120 |
जेट विमान | 140 - 150 |
मशीनगन | 170 |
मिसाइल | 180 |
प्रतिध्वनि ( Echo )
प्रतिध्वनि सुनने के लिये स्रोत तथा परावर्तन सतह के बीच - न्यूनतम 17 मी. दूरी होनी चाहिए । कान पर ध्वनि का प्रभाव 1/10 सेकण्ड तक रहता है । ध्वनि के अपवर्तन के कारण ध्वनि दिन की अपेक्षा रात में अधिक दूरी तक सुनाई पडती है । चन्द्रमा पर वायुमण्डल की अनुपस्थिति के कारण ही प्रतिध्वनि नहीं सुनाई पड़ती है ।