बहुलक
बहुलक वे बड़े जटिल अणु होते हैं जो कुछ छोटी इकाईयों जिन्हें एकलक कहते हैं , की पुनरावृत्ति से बनते है ।
एकलक बहुलकों के निर्माण की इकाई होते हैं ।
बहुलक अपनी उत्पत्ति के आधार पर प्राकृतिक एवं संश्लेषित हो सकते हैं , उदाहरण के लिये सेल्यूलोस एक प्राकृतिक बहुलक है और पॉलीथीन मानव निर्मित अथवा संश्लेषित बहुलक है ।
विशेष एकलकों से बहुलक निर्माण की प्रक्रिया को बहुलकीकरण कहते हैं ।
महत्वपूर्ण बहुलक
पॉलीथीन : पॉलीथीन का एकलक एथिलीन है और इसका उपयोग सामान पैक करने की पन्नी , कैरी बैग और बोतल के रूप में होता है ।
पॉलीप्रोपीन : इसका एकलक प्रोपीलीन है और इसका उपयोग बोतलों के उत्पादन व बक्सों में होता है ।
नायलॉन : नायलॉन रेशे और रस्सियों के निर्माण में उपयोग होता है ।
पॉलीविनाइल क्लोराइड ( पीवीसी ) : पॉलीविनाइल क्लोराइड का एकलक विनायल क्लोराइड है और इसका उपयोग पाइप और इंसुलेटर बनाने में होता है ।
टेफ्लॉन : टेफ्लॉन का एकलक टेट्राफ्लूरोएथिलीन है । इसका उपयोग रसोई के नॉनस्टिक बर्तन बनाने में होता है ।
बैकलाइट : इसका एकलक फिनॉल फॉर्मिलडिहाइड है और यह वैद्युत इंसुलेटर बनाने में उपयोग होता है ।
प्राकृतिक रबड़ : इसका एकलक आइसोप्रोपीन है ।
लेक्सन : इसका उपयोग गोली से सुरक्षित सीसे के निर्माण में होता है ।
मैलामाइन : इसका उपयोग क्रॉकरी बनाने में उपयोग होता है ।
विभिन्न प्रकार की दवाईयाँ
दर्दनाशक दवाई ( एनालजेसिक्स ) : दर्दनाशक दवाईयों को एनालजेसिक्स कहते हैं जैसे एसप्रिन , पैरासिटामॉल और मॉर्फीन आदि । एसप्रिन बनाने में एसिटिल सैलिसाइलिक अम्ल का प्रयोग होता है ।
मलेरिया रोधी दवाई : इनका उपयोग मलेरिया के उपचार में होता है ।
सल्फाड्रग : एण्टीबायोटिक के विकल्प के रूप में इस्तेमाल हो सकती हैं । सल्फाएनिलएमाइड , सल्फाएडिएजाइन , सल्फागुनामिडाइन आदि ।
एण्टॉक्साइड : वे पदार्थ जो स्कॉच में अम्ल की आधिक्य मात्रा को हटाकर pH को उचित स्तर तक बढ़ा देते हैं । इसका कारण जठर रस मैग्नीशियम हाइड्रेट में HCL की अधिकता है ।
एप्सम लवण : आंत को खाली करने के लिये जलयुक्त मैग्नीशियम सल्फेट का प्रयोग होता है ।
क्लोरोफार्म : एक सुगंधित , रंगहीन द्रव है और निश्चेतक के रूप में उपयोग होता है ।
सैक्रीन : इसका सेवन मधुमेह के रोगी चीनी के स्थान पर करते हैं ।
डीडीटी : इसे कीटनाशक के रूप में प्रयोग किया जाता है ।
साबुन
साबुन वसीय अम्लों की लम्बी श्रृंखला के सोडियम अथवा पोटेशियम लवण होते हैं जो जल के साथ मिलकर सफाई करते हैं ।
ये त्वचा व कपड़ों से मिट्टी तेल आदि के सफाई के लिये उपयोग होता है । प्राय : साबन को जानवरों के वसा या तेल की क्षारीय धातुओं जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड या पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिक्रिया करके बनाया जाता है । इस अभिक्रिया को साबुनीकरण अभिक्रिया भी कहते हैं ।
साबुनीकरण अभिक्रिया में ग्लिसरॉल उप - उत्पाद बनता है । और इसका उपयोग कॉसमेटिक्स , पेंट्स और दूसरे विस्फोटक बनाने में होता है ।
साबुन की सफाई क्रिया का कारण मिसेल निर्माण और पायसन निर्माण है ।
अपमार्जक ( डिटरजेंट )
अपमार्जक साबुन के जैसे गुणों वाले होते हैं लेकिन ये कठोर जल में अधिक प्रभावी होते हैं ।
अपमार्जक सामान्यत: कार्बोक्सलिक अम्लों की लम्बी श्रृंखला के अमोनियम और सल्फोनेट लवण होते हैं ।
इन यौगिकों के आवेशित किनारे जल में कैल्शियम और मैग्नीशियम आयन के साथ अविलेय अवक्षेप नहीं बनाते