मानव के प्रमुख सामन्य रोग - Important & Common Human Diseases
मानव में कई प्रकार की बिमारियाँ पायी जाती हैं । इनमें से अधिकांश रोग रोगजनक जीवों जैसे विषाणु , जीवाणु , कवक , प्रोटोजोआ , हेल्मिन्थ एवं आर्थोपोड द्वारा उत्पन्न होती हैं ।
मानव में कुछ रोग आनुवंशिक एवं हॉर्मोनों की गड़बड़ी के द्वारा उत्पन्न होते हैं ।
कई रोग असंक्रामक प्रकार के होते हैं ।
रोगजनकों एवं मानव अंगों के मध्य होने वाली आपसी क्रिया को संक्रमण कहते हैं ।
रेबीज विषाणु द्वारा उत्पन्न रोग को हाइड्रोफोबिया कहते हैं । यह पागल कुत्तों के काटने से उत्पन्न होता है ।
गलसुआ , चेचक , जुकाम , फ्लू एवं पीत ज्वर भी विषाणु जनित रोग अमीबी पेचिश एण्टअमीबा हिस्टोलाइटिका द्वारा होता है ।
प्रवाहिका , ट्रिपेनोसोमिएसिस , लीशमैनिएसिस एवं ट्राइकोमोनिएसिस कशाभिय प्रोटोजोआ द्वारा उत्पन्न होते हैं ।
मलेरिया प्लैज्मोडियम द्वारा होता है एवं मादा ऐनोफेलीज के काटने से फैलता है ।
हेल्मिन्थीज परजीवियों द्वारा भी कई रोग मनुष्यों में होते हैं उनमें प्रमुख है - टीनिऐसिस सिस्टिसर्कोसिस , शिस्टोसोमिएसिस , ऐस्केरिएसिस . एन्काइलो स्टेमिएसिस , गिनी - चर्म रोग आदि प्रमुख हैं ।
असंक्रामक रोग भी मनुष्य में कई प्रकार के पाये जाते हैं जिनमें कैन्सर अत्यन्त घातक होता है । इसका इलाज अभी तक नहीं खोजा गया है ।
हृदशूल , हृदपेशी रोधगलन , अतिरक्तदाब , श्वास दमा , वात स्फीति , मोतियाबिन्द दूरदर्शिता , निकटदर्शिता , सबलवाम , भेंगापन आदि असंक्रमण रोग भी मनुष्यों में पाये जाते हैं ।
डिपथेरिया रोग मनुष्य में कोरीनेबैक्टेरिया डिफ्थेरियाई द्वारा होता है ।
टिटनेस रोग एक आत्मघाती रोग है एवं क्लोस्ट्रोडियम टिटेनी द्वारा होता है । बच्चों में - रोग से बचने के लिये टिटनेस रोग के प्रतिरोधी टीके लगवा लेना चाहिये ।
गोनेरिया ( सुजाक ) एक जननांग सम्बन्धी रोग हैं जो जीवाणु नीस्सेरिया गोनेरियाई से उत्पन्न होता है ।
मेनिंजाईटिस रोग का सम्बन्ध तंत्रिका तंत्र के अंगों से होता है ।
न्यूमोनिया , संग्रहणी क्षय रोग जीवाणु जनित रोग हैं ।
कुष्ठ रोग न तो पूर्व जन्म के दुष्कर्मों का फल है एवं न ही आनुवंशिक हैं |
एड्स विषाणु जनित रोग है एवं एच . आई . वी . द्वारा होता है । यह अधिकतर असुरक्षित यौन सम्पर्क से होता है ।
पोलियो सबसे छोटे विषाणु द्वारा होता है एवं यह रोग बच्चों में पाया जाता है ।
कुष्ठ रोग माइक्रो बैक्टीरियम लेपरी जीवाणु द्वारा फैलता है ।
कुष्ठ रोग तीन प्रकार के होते है -
( i ) ट्यूबर कुलोइड
( ii ) लैप्रोमेटस
( iii ) बोर्डर लाइन
तपेदिक रोग या क्षयरोग माइक्रो बैक्टीरिम ट्यूबरक्यूलोसिस जीवाणु द्वारा फैलता है ।
तपेदिक रोग के लक्षण - खाँसी , बुखार , वजन घटना , थकान आदि से रोगी हड्डियों का ढ़ाचा बन जाता है आँखे अन्दर धंस जाती है ।
तपेदिक रोग के बचाव के लिय BCG टीका ( Vaccine ) लगाना चाहिये ।
डिफ्थीरिया रोग कोरी बैक्टेरियम डिफ्थैरीयाई जीवाणु द्वारा फैलता है ।
ड्रोपलेट पद्धति - इस पद्धति में रोग ग्रसित व्यक्ति के छीकने एवं खांसने से जो द्रव की बूंदे आती है ये अन्य व्यक्ति द्वारा अतः ग्रहण करने पर रोगाणु उसके शरीर में प्रवेश कर जाते है ।
डिफ्बैरिया रोग के लिये DPT टीका ( Vaccine ) लगाना चाहिये ।
टिटेनस या धनुस्तम्भ रोग क्लोस्ट्रिाडियम टिटेनी जीवाणु द्वारा फैलता है ।
Lock Jaw Disease - टिटेनस रोग , रोगी के घाव तथा त्वचा के कटे - फटे स्थान से रोगाण शरीर में प्रवेश करने को Lock Jaw Disease कहते है ।
टिटेनस रोग से बचाने के लिये - बच्चो में टिटेनस रोग के प्रतिरोधी टीके लगवाना चाहिये । टिटेनस टॉक्साइड का उपयोग करना चाहिए । टिटेनस एन्टी टॉक्सीन का प्रयोग करना चाहिए ।
न्यूमोनिया रोग डिप्लोकोकस न्यूमोनियाई जीवाण द्वारा फैलता है ।
न्यूमोनिया रोग के लक्षण - व्यक्ति अधिक ठंडा एवं तेज बुखार आता है । रोगी को छाती में दर्द होता है ।
प्रवाहिका या अतिसार रोग शाइजेला नामक जीवाणु द्वारा फैलता है । उत्तर - यह रोग जीवाणु द्वारा फैलता है ।
प्रवाहिका रोग के लक्षण - शरीर से अधिक मात्रा में जल शरीर से बाहर त्यागे जाने से शरीर में निर्जली कारण होता है ।
मस्तिष्कावरणशोध रोग निस्सेरियां मेनिजाइटीडीस नामक जीवाणु से फैलता है ।
सुजाक रोग नीस्सेरिया गोनेरियाई जीवाणु द्वारा फैलता है ।
दुर्व्यसन - यह एक मानसिक अवस्था है जो व्यसनी बनाने वाली औषधियों . एल्कोहॉल व तम्बाकू के कारण होती हैं ।
माइकोबैक्टीरियम लेप्री से कुष्ठ रोग या कौढ़ रोग रोग होता है ।
BCG का पूरा नाम - बेसिलस कॉलमेटी ग्युरिन ( Bascillus Calmette Guerin )
रक्त सम्पर्क से होने वाले जीवाणु जनक रोग का टिटनेस ( Tetanus ) है ।
DPT Vaccine को ट्रिपल टीका कहते हैं ।
DPT टीका डिफ्थेरिया , काली खांसी तथा टिटनेस से सुरक्षा प्रदान करता है ।
धनुस्तम्भ ( Tetanus ) से बचाव के लिए टिटनेस टॉक्साइड ( Tetanus toxoid ) टीके का उपयोग किया जाता है ।
ड्रोपलेट्स ( Droplets ) के द्वारा फैलने वाले जीवाणु जनक रोग - डिफ्थेरिया , काली खांसी , TB
सुजाक ( Gonorrhea ) एक यौन रोग ( SD ) है जिसके रोगाणु का नाम नीस्सेरिया गोनेरियाई है ।
हैजा विब्रियो कोलेरी ( Vibrio cholerae ) के संक्रमण से होता है ।
हैजा रोग के लक्षण - उल्टी होना , मांड के समान दस्त लगना , निर्जलीकरण ।
हैजा के सामान्य उपचार में नमक व चीनी का घोल देते है ।
मोतीझरा रोग सालमोनेला टाइफी जीवाणु द्वारा होता है ।
मोतीझरा रोग के लक्षण - रोगी को 103 - 105° सैल्सियस बुखार व शरीर पर फुन्सियों के समान छोटे - छोटे दाने निकल आते है ।
TAB टीका मोतीझरा ( Typhoid ) से सुरक्षा देता है ।
कूकर खांसी रोग बोरडीटोला परटुसिस नामक जीवाणु द्वारा फैलता है ।
HIV का पूरा नाम ह्यूमन इम्यूनोडेफीशियेन्सी वायरस है ।
एड्स / HIV की जागरुकता के लिये 1988 से प्रतिबर्ष 1 दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है ।
पोलियो को खत्म करने के लिये 1952 में अमेरिका के जोनास सॉक ने टीके का आविष्कार किया जो बच्चो को लगाया जाता है एवं एल्बर्ट ने इस रोग के लिये मुख में पिलाने वाली दवा का आविष्कार किया ।
रेबीज पागल कुत्तो , बिल्लियों भेड़ियों , लोमड़ी एवं बन्दरों की लार में रेबीज विषाणु के द्वारा फैलता है ।
हाइड्रोफोबिया - रेबीज विषाणु द्वारा उत्पन्न रोग को हाइड्रोफोबिया कहते है जिसका अर्थ जल से भय ।
रेबीज रोग के उपचार के लिये रोगी को 14 इन्जेक्शन उदर में प्रतिदिन लगवाने होते है ।
TB रोग के उन्मूलन के लिए ' DOTS ' प्रोग्राम है ।
DOTS का पूरा रूप - Directly Observe Treatment Short Course .
AIDS का पूरा नाम Acquired Immuno Deficiency Syndrome .
HIV एक रीट्रो वायरस है जिसमें RNA के दो अणु पाये जाते हैं ।
एच.आई.वी. की सतह चारों ओर से फॉस्फोलिपिड की दो परतों ( Bilaver ) से निर्मित होती है । इसमें ग्लाइकोप्रोटीन्स , जी पी - 120 एवं जी पी - 41 प्रोटीन मिलते हैं ।
HIV 1 - लिम्फोसाइट ( रक्त में ) कोशिकाओं को संक्रामित करती है ।
सुरक्षित यौन सम्बन्ध तथा सुरक्षित रक्त के आदान - प्रदान को अपना कर AIDS रोग से बचा जा सकता है ।
HIV में RNA के साथ रिवर्स ट्रान्सक्रिप्टेज एन्जाइम लगा रहता है ।
रेबीज टीके संक्रामण से 0 - 3 - 7 - 21 - 28 वें दिन लगाये जाते हैं ।
WHO ने 27 मार्च , 2014 भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया ।
' OPV ' का पूरा रूप - Oral Polio Vaccine .
निन्द्रालु रोग का वाहक सैट - सी मक्खी है ।
मादा एनोफेलीज के द्वारा मलेरिया रोग फैलता है ।
मलेरिया की सबसे पुरानी ज्ञात औषधि का नाम क्विनिन ( Quinine ) है व इसका स्रोत सिन्कोना वृक्ष की छाल है ।
प्लाज्मोडियम का लैंगिक चक्र मादा ऐनाफेलीज के आमाशय में पूर्ण होता है ।
प्लेज्मोडियम फैल्सिपेरम प्रजाति से घातक मलेरिया रोग होता है ।
मलेरिया की संक्रामण अवस्था स्पोरोजाइट है ।
मलेरिया लक्षण हीमोजाइन कण ( Haemozoin ) के कारण आते हैं ।
काला आजार बुखार के रोगाणु लीशमैनिया डोनोवनी है तथा इसके वाहक का नाम सैण्ड मक्खी ( Sand fly ) है ।
एन्टेरोबियस वर्मिकुलेरिस ( Enterobius Vermicularis ) कृमि को पिन या सीट कृमि कहते हैं ।
मलेरिया की सबसे नयी औषधि का नाम आर्टिमिसिनिन ( Artimisinin ) है जिसकी खोज के लिए 2015 में Youyoutu को नोबेल पुरस्कार दिया गया ।
विषाणु जनक रोगों के नाम - पीलिया , AIDS , इन्फ्लुएंजा
HBV एक DNA वायरस है । यह हीपेटाइटिस B ( यकृतशोथ B ) उत्पन्न करता है ।
पीलिया रोग में यकृत प्रभावित होता है ।
कनफैड ( Mumps ) में पेरोटिड लार ग्रन्थियों में में संक्रमण होता है ।
WHO का पूरा रूप - World Health organization
डॉ . ब्लुमबर्ग को हिपेटाइटिस - B वायरस की खोज के लिए 1977 का नोबेल पुरस्कार मिला था ।
हिपेटाइटिस - B वायरस का संक्रमण रक्त सम्पर्क के द्वारा होता है ।
AIDS निदान के परीक्षणों के नाम -
( i ) ELISA test
( ii ) Western Blot test
गिनी - वर्म या नारू रोग ड्रेकनकुलस द्वारा उत्पन्न होता है ।
काली खांसी ( Whooping cough ) रोग के कारक का नाम बोरडीटेला परटुसिस है ।
आजकल भारत में रेबीज के इलाज के लिए मेरिएक्स ह्यूमन डिपलोइड कोशिका टीके ( ये तीन टीके इन्जेक्शन के रूप में हाथ पर लगाये जाते हैं । ) लगाये जाते हैं ।
यकृत शोथ ' ए ' व यकृतशोथ ' बी ' के कारक का नाम क्रमश : Heptatitis - A virus ( HAV ) तथा Hepatitis - B Virus ( HBV ) है
अमीबी पेचिश ( Amoebiasis ) रोग के कारक का नाम एण्टअमीबा हिस्टोलाइटिका है ।
मलेरिया रोग कारक की प्रजातियों के नाम - प्लाज्मोडियम वाइवेक्स , प्लाज्मोडियम फेल्सीपेरम , प्लाज्मोडियम मलेरियाई , प्लाज्मोडियम ओवेल ।
योनीशोथ रोग कारक का नाम ट्राइकोमोनास वैजाइनेलिस है ।
फीताकृमि द्वारा उत्पन्न रोग का नाम टीनिऐसिस है ।
असंक्रामक रोगों के उदाहरण - कैंसर , दमा , एलर्जी , अतिरक्तदाब , वातस्फीति , मोतियाबिन्द , भैंगापन , ग्लूकोमा आदि ।