सजीवों को वृद्धि एवं जीवन चक्र पूरा करने के लिए जिन पदार्थों को बाहर से ग्रहण करने की आवश्यकता होती है उन पदार्थों को सजीवों का पोषण कहते हैं ।
खनिज लवण अवशोषण - खनिज लवणों का मृदा से आयनों के रूप में मूल के विभज्योतक क्षेत्र तथा दीर्धीकरण क्षेत्र से अवशोषित होने की प्रक्रिया को खनिज लवण अवशोषण कहते हैं ।
खनिज पोषकों की आवश्कताओं के अध्ययन की तीन विधियाँ हैं -
1 . पादप भस्म विश्लेषण
2 . बालू संवर्धन
3 . जल संवर्धन
पौधों में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों की मात्रा का अनुपात पादप भस्म विश्लेषण विधि द्वारा किया जाता है ।
पौधों को तरल पोषक विलयन में उगाने की प्रणाली को हाइड्रोपॉनिक्स या द्रव संवर्धन ( Liquid cultrue ) कहते हैं ।
पौधों में कुल 17 अनिवार्य तत्वों का पता लगाया जा चुका है । निकल ( Ni ) 17वाँ अनिवार्य तत्व है । इससे पूर्व अनिवार्य तत्वों की संख्या 16 थी ।
मृदा से अवशोषित खनिज तत्व पादप कोशिकाओं के कोशिका रस में हाइड्रोजन आयन्स की सान्द्रता को प्रभावित कर pH मान को नियन्त्रित करते हैं ।
पादपों के अनिवार्य पोषक तत्वों ( 17 ) को दो समूहों में विभेदित किया जा सकता है -
1 . वृहत् पोषक तत्व
2 . सूक्ष्म पोषक तत्व
अनिवार्य पोषक तत्वों में तीन पोषक तत्वों - C , H एवं O को अखनिज पोषक तत्व कहते हैं ।
प्रायः मृदा में नाइट्रोजन ( N ) , फॉस्फोरस ( P ) , पौटेशियम ( K ) की कमी रहती है । अतः इन तत्वों को क्रान्तिक तत्व कहते हैं ।
किसान इन तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए भूमि में रासायनिक खाद के रूप में अमोनियम सल्फेट , अमोनियम नाइट्रेट व सुपर फास्फेट आदि का प्रयोग करते हैं ।
डाल्टन तथा उसके सहयोगियों ने 1988 में निकल ( Ni ) को अनिवार्य तत्वों की श्रेणी में सम्मिलित किया था ।
प्रकाश संश्लेषण में जल के प्रकाशीय अपघटन के लिए Mn2+ तथा Cl- आयन्स आवश्यक होते हैं ।
पर्ण हरित के नष्ट होने को हरिमाहीनता कहते हैं ।
खनिज तत्वों के अवशोषण की क्रिया को सक्रिय तथा निष्क्रिय अवशोषण सिद्धान्त के आधार पर समझाया गया है । निष्क्रिय अवशोषण में ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है जबकि सक्रिय अवशोषण में ऊर्जा की आवश्यकता होती है ।
मृदा में ताम्बे ( Cu ) की कमी के कारण नींबू ( सिट्रस ) में शीर्षारंभी रोग होता है ।
पोषण - जीव जिन पदार्थों को अपनी वृद्धि व जीव चक्र पूरा करने के लिए बाहर से ग्रहण करते हैं , उन पदार्थों को जीव का पोषण कहते हैं ।
पादपों की खनिजों पर निर्भरता का सबसे पहले प्रमाण डी सॉसर ( De Saussure , 1804 ) ने दिया ।
बालू संवर्ध प्रयोग में रेत ( बालू ) को काम में लेने के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से धोकर निर्जर्मित किया जाता है ।
अपूर्ण पौधे - जिन पादपों को एक या एक से अधिक खनिज तत्वों की न्यूनता में उगाया जाता है , उन्हें अपूर्ण पौधे कहा जाता है ।
वर्मीकुलोपोनिक्स ( Vermiculoponics ) - जब पादपों को वर्मीकुलाइट का उपयोग कर कृत्रिम पोषक विलयन की सहायता से उगाया जाता है तो इस क्रिया को वर्मीकुलोपोनिक्स कहते हैं ।
वर्मीकुलाइट - ये हल्के भार वाले रासायनिक रूप से अक्रिय , बन्ध्य , अधिक जल अवशोषण क्षमता वाले तथा ऊष्मारोधी खनिज पदार्थ होते हैं , जिन्हें वर्मीकुलोपोनिक्स विधि में प्रयुक्त किया जाता है ।
जल संवर्धन ( Hydroponics ) - पादपों को पोषक विलयन के घोल में उगाने की तकनीक को जल संवर्धन कहते हैं ।
अब तक खोजे गए लगभग 105 तत्वों में से लगभग 60 तत्वों की पादपों में उपस्थिति पायी गई है ।
वृहत्त तत्त्वों की संख्या 9 तथा सूक्ष्म तत्त्वों की संख्या 8 हैं ।
अनिवार्य पोषक तत्त्व 17 होते हैं , इनमें तीन पोषक तत्त्व , C ( कार्बन ) H ( हाइड्रोजन ) व O ( ऑक्सीजन ) अखनिज पोषक तत्त्व हैं ।
पादपों में नाइट्रोजन ( N ) तत्त्व की सर्वाधिक मात्रा में आवश्यकता होती है ।
NAD का पूरा नाम - निकोटिनेमाइड एडेनिन डाइन्यूक्लियोटाइड ( Nicotinamide Adenine Dinucleotide )।
क्रान्तिक तत्त्व ऐसे खनिज तत्त्व हैं जिनकी उपयोगिता पौधों के लिए अधिक होती है तथा सामानयतः मृदा में नाइट्रोजन , फास्फोरस व पोटाशियम ( N , P , K ) की कमी रहती है ।
जई में ग्रेस्पिक व मटर में मार्श स्पोट रोग मैंगनीज की कमी से उत्पन्न होते हैं ।
फूलगोभी में ' व्हिपटेल ' रोग का कारण मोलिब्ड्रेनम ( Mo ) तत्त्व की कमी है ।
डाल्टन ( 1988 ) ने निकैल को 17वें अनिवार्य पोषक तत्त्वों में सम्मिलित किया ।
वान डेन हानर्ट ( Van Den Honest ) ने खनिज तत्त्वों के सक्रिय अवशोषण की वाहक संकल्पना प्रस्तावित की थी ।
अनिवार्य पोषक तत्त्वों ( 17 ) में से तीन ( C , H , व O ) तत्त्वों को अखनिज व शेष 14 पोषक तत्त्वों ( N , P . K , S , Mg , Ca , Fe , B , Mn , Cu , Zn , Mo , CI और Ni ) को खनिज पोषक तत्त्व माना गया है ।
पादप नाइट्रोजन का अवशोषण नाइट्रेट ( NO3- ) एवं नाइट्राइट ( NO2- ) अपवाद स्वरूप अमोनिया ( NH4+ ) के रूप में करते हैं ।
प्राथमिक वृहत मात्रिक तत्वों के नाम - N , P एवं K
Fe मृदा से फैरिक ( Fe3 + ) आयन के रूप में तथा Cl मृदा से क्लोराइड आयन ( Cl- ) के रूप में अवशोषित होते हैं ।
पादप वृद्धि हार्मोन आक्सिन ( IAA ) के संश्लेषण में जिंक ( Zn ) तत्त्व की अति महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है ।