मानव नेत्र और उसके दृष्टि दोष - Class-10

नेत्र की संरचना मानव नेत्र की कार्यप्रणाली एक अत्याधुनिक ऑटोफोकस कैमरे की तरह होती है । नेत्र लगभग 2.5 cm व्यास का एक गोलाकार अंग है जिसके प्रमुख भाग निम्न चित्र में दिखाए गये हैं ।

नेत्र की संरचना

नेत्र की संरचना

1 . श्वेत पटल ( Sclera ) - नेत्र के चारों ओर एक श्वेत सुरक्षा कवच बना होता है जो अपारदर्शक होता है । इसे श्वेत पटल कहते है ।

2 . कॉर्निया ( Cornea ) - नेत्र के सामने श्वेत पटल के मध्य में थोड़ा उभरा हुआ भाग पारदर्शी होता है । प्रकाश की किरणें इसी भाग से अपवर्तित होकर नेत्र में प्रवेश करती हैं ।

3 . परितारिका ( Iris ) - यह कॉर्निया के पीछे एक अपारदर्शी मांसपेशिय रेशों की संरचना है जिसके बीच में छिद्र होता है । इसका रंग अधिकांशतः काला होता है ।

4 . पुतली ( Pupil ) - परितारिका के बीच वाले छिद्र को पुतली कहते है । परितारिका की मांसपेशियों के संकोचन व विस्तारण से आवश्यकतानुसार पुतली का आकार कम या ज्यादा होता रहता है । तीव्र प्रकाश में इसका आकार छोटा हो जाता है एवं कम प्रकाश में इसका आकार बढ़ जाता है । यही कारण है कि जब हम तीव्र प्रकाश से मन्द प्रकाश में जाते हैं तो कुछ समय तक नेत्र ठीक से देख नहीं पाते हैं । थोड़ी देर में पतली का आकार बढ़ जाता है एवं हमें दिखाई देने लगता है

5 . नेत्र लेंस ( Eye Lens ) - परितारिका के पीछे एक लचीले पारदर्शक पदार्थ का लेंस होता है जो माँसपेशियों की सहायता से अपने स्थान पर रहता है । कॉर्निया से अपवर्तित किरणों को रेटिना पर फोकसित करने के लिये माँसपेशियों के दबाव से इस लेंस की वक्रता त्रिज्या में थोड़ा परिवर्तन होता है । इससे बनने वाला प्रतिबिम्ब छोटा , उलटा व वास्तविक होता है

6 . जलीय द्रव ( Aqueous humour ) - नेत्र लेंस व कॉर्निया के बीच एक पारदर्शक पतला द्रव भरा रहता है जिसे जलीय द्रव कहते हैं । यह इस भाग में उचित दबाव बनाए रखता है ताकि आँख लगभग गोल बनी रहे । साथ ही यह कॉर्निया व अन्य भागों को पोषण भी देता रहता है ।

7 . रक्त पटल ( Choroid ) - नेत्र के श्वेत पटल के नीचे एक झिल्ली नुमा संरचना होती है जो रेटिना को ऑक्सीजन एवं पोषण प्रदान करती है । साथ ही आंख में आने वाले प्रकाश का अवशोषण करके भीतरी दीवारों से प्रकाश के परावर्तन को अवरूद्ध करती है ।

8 . दृष्टिपटल ( Retina ) - रक्त पटल के नीचे एक पारदर्शक झिल्ली होती हैं जिसे दृष्टिपटल कहते हैं । वस्तु से आने वाली प्रकाश किरणें कॉर्निया एवं नेत्र लेंस से अपवर्तित होकर रेटिना पर फोकसित होती हैं । रेटिना में अनेक प्रकाश सुग्राही कोशिकाएं - होती है जो प्रकाश मिलते ही सक्रिय हो जाती हैं एवं विद्युत सिग्नल उत्पन्न करती हैं । रेटिना से उत्पन्न प्रतिबिम्ब के विद्युत सिग्नल प्रकाश नाड़ी द्वारा मस्तिष्क को प्रेषित होते हैं । मस्तिष्क इस उल्टे प्रतिबिम्ब का उचित संयोजन करके उसे हमें सीधा दिखाता हैं ।

9 . काचाभ द्रव ( Vitreous humour ) - नेत्र लेंस व रेटिना के बीच एक पारदर्शक द्रव भरा होता है जिसे काचाभ द्रव कहते है ।

निकट बिन्दु -वस्तु की नेत्र से वह न्यूनतम दूरी जहां से वस्तु को स्पष्ट देख सकते हैं नेत्र का निकट बिन्दु कहलाता है । सामान्य व्यक्ति के लिए यह दूरी 25 cm होती है ।

दूर बिन्दु -नेत्र से वह अधिकतम दूरी , जहाँ तक वस्तु को स्पष्ट देखा जा सकता है , नेत्र का दूर बिन्दु कहलाता है । सामान्य नेत्रों की यह दूरी अनन्त होती है ।

दृष्टि - परास -निकट बिन्दु से दूर बिन्दु के बीच की दूरी दृष्टि - परास कहलाती है ।

दृष्टि दोष एवं उनका निराकरण

निकट दृष्टि दोष ( Myopia Or Short Sightedness )

निकट दृष्टि दोष में व्यक्ति को निकट की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं किन्तु दूर की वस्तुएँ धुंधली दिखाई देने लगती हैं । इस दृष्टि दोष का मुख्य कारण नेत्र लेंस की वक्रता का बढ़ जाना हैं । इस दोष से पीड़ित व्यक्ति के नेत्र में दूर रखी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना से पहले ही बन जाता है । जबकि कुछ दूरी पर रखी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनता हैं । एक प्रकार से उस व्यक्ति का दूर बिन्दु अनन्त पर न होकर पास आ जाता हैं ।

निकट दृष्टि दोष
निकट दृष्टि दोष युक्त नेत्र का दूर बिन्दु
निकट दृष्टि दोष का निवारण

इस दोष के निवारण के लिये उचित क्षमता का अवतल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है । अवतल लेंस अनन्त पर स्थित वस्तु से आने वाली समान्तर किरणों को इतना अपसारित करता है ताकि वे किरणें उस बिन्दु से आती हुई प्रतीत हो जो दोष युक्त नेत्रों के स्पष्ट देखने का दूर बिन्दु है । वर्तमान में लेजर तकनीक का उपयोग करके भी इस दोष का निवारण किया जाता है ।

दीर्घ / दूर दृष्टि दोष ( Hypermetropia Or Long Sightedness )

दीर्घ दृष्टि दोष में व्यक्ति को दूर की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परन्तु पास की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं । इस दोष में व्यक्ति को सामान्य निकट बिन्दु ( 25 cm ) से वस्तुएँ धुंधली दिखती हैं , लेकिन जैसे - जैसे वस्तु को 25 cm से दूर ले जाते हैं वस्तु स्पष्ट होती जाती हैं । एक प्रकार से दीर्घ दृष्टि दोष में व्यक्ति का निकट बिन्दु दूर हो जाता है ।

दीर्घ दृष्टि दोष
दीर्घ दृष्टि दोष युक्त नेत्र का निकट बिन्दु
दीर्घ दृष्टि दोष का निवारण

दीर्घ दृष्टि दोष के निवारण के लिये उचित क्षमता का उत्तल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है । यह लेंस पास की वस्तु का आभासी प्रतिबिम्ब उतना दूर बनता है जितना की दृष्टि दोष युक्त नेत्र का निकट बिन्दु है । इससे पुनः नेत्र को निकट की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देने लगती है ।

जरा दूरदर्शिता ( Presbyopia

आयु बढ़ने के साथ नेत्र लेंस एवं मांसपेशियों का लचीलापन कम होने से नेत्र की संमजन क्षमता कम हो जाती है । इस कारण उन्हें दीर्घ दृष्टि दोष हो जाता है एवं वे पास की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाते हैं । कई बार उम्र के साथ व्यक्तियों को दूर की वस्तुएं भी धुंधली दिखाई देने लगती है । इस तरह के दोषों में व्यक्ति को दूर व पास दोनों ही वस्तुओं को स्पष्ट देखने में दिक्कत आने लगती है । इनका निवारण करने के लिये द्वि - फोकसी ( Bifocal ) लेंस प्रयुक्त किये जाते है । इन लेंसों का ऊपरी भाग अवतल एवं नीचे का भाग उत्तल होता है ।

दृष्टि वैषम्य दोष ( Astigmatism )

दृष्टि - वैषम्य दोष या अबिन्दुकता दोष कॉर्निया की गोलाई में अनियमितता के कारण होता है । इसमें व्यक्ति को समान दूरी पर रखी उर्ध्वाधर व क्षैतिज रेखाएं एक साथ स्पष्ट दिखाई नहीं देती है । बेलनाकार लेंस का उपयोग करके इस दोष का निवारण किया जाता है ।

मोतियाबिन्द ( Cataract )

व्यक्ति की आयु बढ़ने के साथ नेत्र लेंस की पारदर्शिता खत्म होने लगती है एवं उसका लचीलापन कम होने लगता है । इस कारण यह प्रकाश का परावर्तन करने लगता है एवं वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है । इस दोष को मोतियाबिन्द कहते हैं

इस दोष को दूर करने के लिए नेत्र लेंस को हटाना पड़ता है । पूर्व में शल्य चिकित्सा द्वारा मोतियाबिन्द को निकाल दिया जाता था । नेत्र लेंस को निकाल देने से व्यक्ति को मोटा व गहरे रंग का चश्मा लगाना पड़ता था । आधुनिक विधि में मोतियाबिन्द युक्त नेत्र लेंस को हटाकर एक कृत्रिम लेंस लगा दिया जाता है जिसे इन्ट्रा आक्युलर लेंस ( Intraocular lens ) कहते है ।

Download PDF

Download & Share PDF With Friends

Download PDF
Free
Knowledge Hub

Your Knowledge Booster..!

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post