आधुनिक भारत के इतिहास का काल 1757 से लेकर 1947 ई . तक का माना गया है ।
मुगल सम्राट औरंगजेब की 1707 ई . में मृत्यु होने के बाद ही मुगल साम्राज्य का पतन शुरू हो गया ।
औरंगजेब ने अपने साम्राज्य को 20 प्रांतों में बाँटा हुआ था ।
मुगल सामंत चार गुटों में विभक्त थे - 1. तूरानी 2. ईरानी 3. अफगानी 4.हिन्दुस्तानी ।
महारानी एलिजावेथ ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी को 15 वर्षों के लिए व्यापार करने का अधिकार पत्र दिया ।
अंग्रेजों का पहला जहाजी बेड़ा 1608 ई . में भारत में प्रविष्ट हुआ ।
सर टामस रो 1615 से 1618 ई . तक जहाँगीर के दरबार में राजदूत रहा ।
ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना के समय उसका मूल उद्देश्य व्यापार करना था।
कर्नाटक का प्रथम युद्ध 1744 ई . में हुआ जिसमें फ्रांसीसी पराजित कर्नाटक का द्वितीय युद्ध 1748 ई . में हुआ ।
यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध 1756 ई . में शुरू हुआ ।
प्लासी के युद्ध ने अंग्रेजों को भारत में एकछत्र राज्य करने का अवसर प्रदान किया ।
काली कोठरी की घटना में 146 व्यक्तियों को बन्द किया गया ।
इतिहासकार ताराचंद ने बक्सर के युद्ध के बारे में अपना मत व्यक्त करते हुए कहा है कि प्लासी के युद्ध ने सत्ता का हस्तान्तरण कर दिया ।
द्वैध शासन प्रणाली का जन्मदाता लॉर्ड क्लाइव था ।
1721 ई . में बुडीकोटा के एक साधारण परिवार में हैदरअली का जन्म हुआ ।
द्वितीय आंग्ल - मैसूर युद्ध जो कि अंग्रेज तथा हैदरअली के मध्य हुआ वह 1780 ई . में शुरू हुआ ।
पुरंदर की संधि मराठा मण्डल तथा कर्नल अप्टन के मध्य हुई ।
ब्रिटिश पार्लियामेंट ने 1773 ई . में रेगुलेटिंग एक्ट पास किया ।
मुगल साम्राज्य में सम्राट् सेना का मुख्य सेनापति होता था ।
मुगल साम्राज्य के प्रांतों को सूवा कहा जाता था ।
सामंती व्यवस्था के कारण ही मुगल साम्राज्य का पतन शुरू हुआ ।
लॉर्ड मेयर की अध्यक्षता में ईस्ट इण्डिया कम्पनी बनाने की अनुमति 1599 ई . में मिली ।
सर टामस रो जहाँगीर के दरबार में राजदूत नियुक्त हुआ जिसका परिणाम यह हुआ कि अंग्रेजों ने आगरा , अहमदाबाद , सूरत तथा भड़ौच में अपनी कम्पनियाँ स्थापित कर ली ।
दक्षिणी - पूर्वी समुद्र तट पर 1611 ई . में मछलीपट्टनम ( मसूलीपट्टनम् ) पर अंग्रेजों ने अधिकार कर लिया ।
फ्रांस की सरकार ने डूप्ले की क्रियान्वित एवं गतिविधियों से अप्रसन्न होकर उसे 1754 ई . में भारत से वापस बुला लिया ।
डूप्ले के बाद भारत में अपनी व्यवस्था सुदृढ़ करने के उद्देश्य से फ्रांस सरकार ने काउंट लैली को 1757 ई . में भेजा ।
लैली भी अपने उद्देश्यों में असफल रहा . फलतः फ्रांसीसी सरकार ने उसे भी वापस बुला लिया और 1763 ई . में उसे मृत्युदण्ड दे दिया ।
फ्रांसीसियों के बजाय अंग्रेजों की नीतियाँ उदारवादी थी , जिनके कारण वे अपने पैर भारत में आसानी से जमा सके।
बंगाल में अंग्रेजी सत्ता की स्थापना प्लासी तथा बक्सर युद्ध का परिणाम थी ।
प्रसिद्ध इतिहासकार नवीनचंद सेन के मतानुसार , “ प्लासी के युद्ध के बाद भारत में अनंत अंधकार वाली रात्रि शुरू हो गई ”।
अंग्रेज अधिकारी एलिस ने 25 जून , 1763 ई . को पटना पर अपना अधिकार जमा लिया ।
अंग्रेजों के साथ हुए युद्ध में मीरकासिम परास्त हुआ था ।
पराजय से दुखी होकर वह युद्ध क्षेत्र से भाग गया और 1777 ई . में दिल्ली के पास उसकी मृत्यु हो गई ।
लॉर्ड क्लाइव की द्वैध नीति के कारण विदेश व्यापार नीति और विदेशी व्यापार प्रवन्ध कम्पनी के हाथ में था और लगान वसूली के लिए भारतीय अधिकारी नियुक्त किए गए ।
अंग्रेज साम - दाम - दण्ड - भेद की नीति अपनाकर 1857 ई . तक पूर्ण रूप से भारत के क्षेत्रों पर छा गए ।
मैसूर युद्ध का एक प्रमुख कारण हैदरअली तथा फ्रांसीसियों की मित्रता भी था।
अंग्रेजों ने हैदरअली के शत्रु मुहम्मदअली , जोकि आर्काट का नवाव था , उसको शरण दे रखी थी , जिसके कारण हैदर अंग्रेजों के खिलाफ रहता था ।
भारत की तात्कालिक राजनीति पर चतुर्थ आंग्ल - मैसूर युद्ध का व्यापक असर पड़ा , जिसका परिणाम यह हुआ कि अंग्रेजों के दो प्रमुख शत्रु हैदर तथा टीपू की शक्ति नष्ट प्रायः हो गई ।
मराठों तथा अंग्रेजों के मध्य 1779 ई . में एक संधि हुई जिसे बड़गाँव की संधि कहा जाता है ।
17 मई , 1782 ई . की संधि ( मराठा - अंग्रेज ) सालबाई के नाम से जानी जाती है ।
अंग्रेजी कर्मचारियों की लूट - खसोट की प्रवृत्ति पर तथा उनकी मनमानी पर रोक लगाने के उद्देश्य से रेग्यूलेटिंग एक्ट की रचना की गई।
रेग्यूलेटिंग एक्ट 1773 से 1784 ई . तक प्रभावित रहा ।
1500 ई . में पड्रो अलबरे क्रेबल 13 जहाजों के बेड़े के साथ भारत में व्यापार करने एवं पूर्वी सागर पर आधिपत्य स्थापत्य करने के उद्देश्य से भारत आया था . उसने कोचीन में एक व्यापारिक कोठी की स्थापना की थी।
डी नोवा नामक पुर्तगाली ने कालीकट में अरव जहाजों की लूटमार कर अरब सागर पर अपना नियन्त्रण स्थापित कर लिया था ।
1505 ई . में डी . अल्मेडा प्रथम पुर्तगाली वायसराय एवं सन् 1509 ई . में अलफासों डि अलबुकर्क दूसरा पुर्तगाली वायसराय भारत में व्यापारिक उद्देश्य से आये थे ।
“ मैं आप लोगों को विश्वास दिलाता हूँ कि इन लोगों से अच्छा व्यवहार तभी किया जा सकता है , जब एक हाथ में तलवार तथा एक में कलम हो ” , यह कथन सर टामस रो का था ।
मसूलीपट्टम ( मसूलीपट्टनम् ) में 1611 ई . में अंग्रेजी कप्तान हिपन ने एक व्यापारिक कोठी की स्थापना की थी ।
फोर्ड सेण्ट जॉर्ज एक व्यापारिक किलावन्द कोठी थी , जिसे 1639 ई . में फ्रांसिस डे नामक अंग्रेज ने स्थापित किया था ।
भारत में पहली फ्रैंच बस्ती की स्थापना सूरत में हुई थी ।