बिहार की अर्थव्यवस्था ( Economy of Bihar )
सकल राज्य घरेलू उत्पाद ( जीएसडीपी ) पर नई श्रृंखला के आँकड़ों के अनुसार 2018-19 में स्थिर मूल्य पर बिहार की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 10.53 प्रतिशत और वर्तमान मूल्य पर 15.01 प्रतिशत थी , जो देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर से अधिक थी ।
सकल राज्यगत मूल्य वर्धन ( जीएसवीए ) में प्राथमिक , द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों का हिस्सा क्रमशः 21.3 प्रतिशत , 19.7 प्रतिशत और 59.0 प्रतिशत था . द्वितीयक क्षेत्र के अन्दर निर्माण और विनिर्माण सकल राज्यगत मूल्यवर्धन में मुख्य योगदाता है जिनका 2018-19 में क्रमश : 9.5 प्रतिशत और 8.2 प्रतिशत हिस्सा था ।
पेट्रोल की खपत के आधार पर पटना , मुजफ्फरपुर और गोपालगंज बिहार राज्य में अपेक्षाकृत समृद्ध जिले हैं । वहीं प्रतिव्यक्ति लघु बचत के आधार पर तीन सबसे समृद्ध जिले पटना , सारण और बक्सर हैं ।
राजकीय वित्तव्यवस्था ( State Finance )
वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 2.68 प्रतिशत , राजस्व अधिशेष सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 1.34 प्रतिशत और राज्य सरकार के लोक ऋण सम्बन्धी देनदारी राज्य सकल घरेलू उत्पाद के 32.34 प्रतिशत के बराबर थी ।
15 वें वित्त आयोग के वर्ष 2020-21 के रिपोर्ट के अनुसार , कुल वितरणीय संसाधन कोष में बिहार का हिस्सा वर्तमान 9.67 प्रतिशत से बढ़कर 10.06 प्रतिशत हो गया है ।
बिहार सरकार ने राजकोषीय प्रबन्धन की प्रभाविता में सुधार के लिए 1 अप्रैल , 2019 से व्यापक वित्त प्रबन्धन प्रणाली ( सीएफएमएस ) की शुरूआत की , जिससे राज्य में सभी वित्तीय गतिविधियाँ ऑनलाइन और कागज रहित हो गईं ।
वर्ष 2018-19 में बिहार में कुल राजस्व प्राप्ति ₹ 1,31,793 करोड़ और पूँजी गत प्राप्ति ₹ 20,494 करोड़ थी । वहीं राजस्व व्यय ₹ 1,24,897 करोड़ और कुल व्यय ₹ 1,54,655 करोड़ था । वर्ष 2018-19 में राजस्व प्राप्ति गत वर्ष 12.2 प्रतिशत बढ़ी , जबकि राजस्व व्यय 21.7 प्रतिशत बढ़ा .
कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र ( Agriculture and Allied Sectors )
राज्य के सकल राज्यगत मूल्यवर्धन में कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्रों का हिस्सा 2017-18 में 21 प्रतिशत था , जबकि फसल क्षेत्रक का हिस्सा 12.1 प्रतिशत था ।
वर्ष 2017-18 में बिहार में सकल शस्य ( फसलों के अन्तर्गत ) क्षेत्र 75.25 लाख हेक्टेयर था और फसल सघनता 144 प्रतिशत थी ।
वर्ष 2018-19 में अनाजों का उत्पादन 158.58 लाख टन हो गया । अनाजों में चावल और गेहूँ का कुल सकल शस्य क्षेत्र में 70 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सा था ।
भारत सरकार ने 2 जनवरी , 2020 को मक्का और गेहूँ के उत्पादन और उत्पादकता के लिए राज्य को कृषि कर्मण पुरस्कार प्रदान किया है।
वर्ष 2018-19 में बिहार के कृषि क्षेत्र के सकल राज्यगत मूल्यवर्धन में पशुधन और जलकृषि क्षेत्र का लगभग 7.1 प्रतिशत हिस्सा था ।
राज्य सरकार ड्रिप इरीगेशन पर 90 प्रतिशत और स्प्रिंकलर इरीगेशन पर 75 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है .
उद्यमिता क्षेत्र ( Enterprises Sector )
बिहार में द्वितीयक क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर और सकल राज्य घरेलू उत्पाद के बीच अपेक्षाकृत साधारण सम्बन्ध है । हालांकि हाल के वर्षों में राज्य ने द्वितीयक क्षेत्र में खास कर विद्युत , गैस , जलापूर्ति , एवं आटा उपयोगिता सेवाओं के मामले में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है ।
पिछले 10 वर्षों में बिहार में कृषि आधारित कारखानों की वृद्धि दर 16.4 प्रतिशत थी , जबकि सम्पूर्ण भारत के स्तर पर मात्र 3.3 प्रतिशत थी ।
बिहार में अनियमित गैर - कृषि उद्यमों का प्रदर्शन खास तौर पर प्रभावी रहा है . स्वश्रम उद्यमों का प्रति श्रमिक सकल मूल्यवर्धन ₹ 71 हजार था , जो सम्पूर्ण भारत के औसत ( ₹ 46 हजार ) से लगभग 54 प्रतिशत अधिक है
बिहार में अभी छह जिलों में 11 चीनी मिलें संचालित हैं , जिनमें 84.02 लाख क्विटल चीनी का उत्पादन हुआ ।
वर्ष 2017-18 और 2018-19 में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में ₹ 742.54 करोड़ का निवेश किया गया है , जो ‘ उच्च प्राथमिकता क्षेत्र ’ के तहत् वर्गीकृत सभी उद्योगों में सर्वाधिक है ।
वर्ष 2018-19 में पर्यटन विभाग ने ₹ 45.67 करोड़ व्यय की अनेक परियोजनाओं की शुरूआत की है ।
श्रम , नियोजन एवं प्रवास ( Labour , Employment and Migration )
ग्रामीण बिहार में पुरुषों के लिए श्रमिक सहभागिता दर 64.0 प्रतिशत थी , जो सम्पूर्ण भारत के औसत से लगभग 8 प्रतिशत कम थी ।
ग्रामीण बिहार में महिलाओं के लिए श्रमिक सहभागिता दर अत्यन्त कम मात्र 3.9 प्रतिशत थी .
वर्ष 2017-18 में बिहार में 55.9 प्रतिशत पुरुष स्वनियोजित थे ,
बिहार में अनियमित श्रमिक का हिस्सा 32.1 प्रतिशत था , जो सम्पूर्ण भारत के स्तर ( 24.3 प्रतिशत ) से काफी अधिक है
बिहार में कामकाजी पुरुषों को रोजगार उपलब्ध कराने वाले प्रमुख उद्योग थे कृषि , वानिकी एवं मत्स्य पालक ( 44.6 प्रतिशत ) , निर्माण ( 17.1 प्रतिशत ) , थोक एवं खुदरा व्यापार , वाहनों की मरम्मत ( 12.3 प्रतिशत ) तथा विनिर्माण ( 9.3 प्रतिशत ) .
महिला श्रमिकों के लिए रोजगार देने वाले मुख्य उद्योग कृषि , वानिकी , मत्स्यपालन ( 53.6 प्रतिशत ) और शिक्षा ( 25.7 प्रतिशत ) थे वर्ष 2011 में बिहार में 75 प्रतिशत प्रवासन विवाह के कारण हुआ , जबकि सम्पूर्ण भारत में इसका आँकड़ा 46 प्रतिशत है ।
कुल प्रवासन में से 2.9 प्रतिशत ही काम / रोजगार और व्यवसाय के कारण हुआ . काम , रोजगार और व्यवसाय के लिए प्रवास करने वाले कुल लोगों में 76 प्रतिशत पुरुष थे ।
अधिसंरचना ( Infrastructure )
वर्ष 2011-12 से 2018-19 के बीच परिवहन क्षेत्र की वृद्धि दर 11.0 प्रतिशत थी . वर्ष 2011-12 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद में परिवहन क्षेत्र का योगदान ₹ 11,236 करोड़ था , जो 2018-19 में ₹ 24,692 करोड़ हो गया ।
2018 में बिहार ( 9.3 ) प्रति लाख आबादी पर सड़क दुर्घटनाओं की संख्या देश के सभी प्रमुख राज्यों के बीच सबसे कम थी ।
वर्ष 2008 से 2017 के बीच अतिरिक्त सड़क निर्माण ( 1,30,799 किमी ) के लिहाज से बिहार का देश में छठा स्थान था ।
राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण सड़कों पर निवेश 2012-13 के ₹ 1874 करोड़ से बढ़कर 2019-20 में ₹ 10,476 करोड़ पहुँच गया ।
पक्की सड़कों का हिस्सा 2019 में बढ़कर 75 प्रतिशत हो गया तथा पक्की ग्रामीण सड़कों की लम्बाई 92,204 किमी हो गई ।
प्रति लाख आबादी पर उपलब्ध रेलमार्ग के मामले में 2017 में देश के प्रमुख राज्यों के बीच बिहार का तीसरा स्थान है ।
बिहार में वायु परिवहन के क्षेत्र में 35.6 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि हुई है , क्योंकि 2018-19 में राज्य सकल घरेलू उत्पाद वायु परिवहन का हिस्सा ₹ 252 करोड़ हो गया . 2018-19 में 40.61 लाख यात्रियों ने वायुयात्रा की ।
अभी बिहार में ग्रामीण दूरभाष घनत्व के लिहाज से 46 कनेक्शन प्रति 100 व्यक्ति है , वहीं राज्य में शहरी दूरभाष घनत्व 149 कनेक्शन प्रति 100 व्यक्ति है ।
मार्च 2018 तक बिहार में कुल 9048 डाकघर मौजूद थे , जिनमें से 8625 ( 94.9 प्रतिशत ) ग्रामीण क्षेत्रों में और 459 ( 5.1 % ) शहरी क्षेत्रों में मौजूद थे ।
बिहार में डाकघर बैंक के 272 लाख खाताधारी हैं , जिनका पूरा देश में 7.3 प्रतिशत हिस्सा है ।
ऊर्जा क्षेत्र ( Energy Sector )
राज्य में बिजली की अनुमानित चरम माँग 2018-19 में 5300 मेगावाट हो गई है । वहीं माँग की चरम पूर्ति में 185 प्रतिशत की वृद्धि हुई है , जो 2018-19 में 5139 मेगावाट हो गई , वहीं वर्ष 2018-19 में राज्य में सर्वोच्च कमी ( Peak Deficit ) लगभग 3 प्रतिशत रह गई है ।
बिजली की औसत उपलब्धता ग्रामीण क्षेत्रों में 6-8 घण्टे से बढ़कर 20-22 घण्टे और शहरी क्षेत्रों में 10-12 घण्टे से बढ़कर 22-24 घण्टे हो गई । इसके चलते राज्य में बिजली की प्रति व्यक्ति खपत 2018-19 में 311 किलोवाट - आवर हो गई है ।
राज्य में बिजली की स्थापित उपलब्ध क्षमता 2019 में 4767 मेगावाट हो गई है ।
मार्च 2019 तक राज्य में कुल 4767 मेगावाट विद्युत उत्पादन की क्षमता थी । इसमें से 82 प्रतिशत कोयला आधारित ताप विद्युत से , 11 प्रतिशत जल विद्युत से और शेष 7 प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों से उपलब्ध थी ।
स्वामित्व के हिसाब से देखें तो सर्वाधिक 86 प्रतिशत हिस्सा केन्द्रीय क्षेत्र का , 13 प्रतिशत निजी क्षेत्र / स्वतन्त्र विद्युत् उत्पादकों का और 1 प्रतिशत राजकीय क्षेत्र का था .
ग्रामीण विकास ( Rural Develop ment )
हाल के वर्षों में जीविका ( JEEVIKA ) को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर विशिष्ट पहचान हासिल हुई है । इसके अन्तर्गत लगभग 8488964 स्वयं सहायता समूह स्थापित किए गए हैं जो 55628 ग्राम संगठनों तथा 925 क्लस्टर परिसंघों का हिस्सा है । इस परियोजनान्तर्गत वर्ष 2018-19 तक ₹ 8169 करोड़ की बैंक साख मुहैया कराई गई
राज्य सरकार ने अगस्त 2018 से ‘ सतत जीविकोपार्जन योजना ’ नामक एक नई योजना शुरू की है । इस योजना का मकसद अप्रैल 2016 में शराबबन्दी लागू होने के पहले देशी शराब और ताडी के उत्पादन और बिक्री के काम में पारम्परिक रूप से लगे परिवारों सहित अति गरीब परिवारों को आमदनी वाली टिकाऊ परिसम्पत्तियाँ उपलब्ध कराना है
2018-19 में 155 लाख जॉब कार्ड जारी किए गए .
रोजगार पाने वाले परिवारों की संख्या भी लगभग 32 प्रतिशत बढ़कर 2017-18 के 32 लाख से 2018-19 में 29 लाख हो गई ।
2018-19 में सृजित रोजगारों के दिन 1234 लाख व्यक्ति दिवस हो गए हैं ।
2018-19 में जन वितरण प्रणाली के तहत् गेहूँ का आवंटन 5220.2 हजार टन हो गया है ।
वर्ष 2018-19 में पंचायती राज संस्थाओं का कुल व्यय लगभग ₹ 780 करोड़ था ।
नगर विकास ( Urban Development )
बिहार के जिलों में शहरीकरण की दर में काफी विषमता है । जहाँ पटना जिला में शहरीकरण की दर 43.1 प्रतिशत है , वहीं बांका में यह मात्र 3.5 प्रतिशत है
शहरी केन्द्रों में राज्य सरकार ने ‘ हर घर नल का जल ’ और घर तक पक्की गलियाँ जैसी विभिन्न योजनाओं की शुरूआत की है
2017-18 में नगर विकास एवं आवास पर राज्य सरकार का बजट आवंटन ₹ 3151 करोड़ था .
₹ 13,336 करोड़ व्यय वाली ' पटना मेट्रो रेल परियोजना ' को केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल द्वारा स्वीकृति प्रदान कर दी गई है । इसके तहत 31-39 किमी लम्बाई वाले दोनों कॉरिडोर के लिए राज्य सरकार द्वारा पटना मेट्रो रेल निगम लिमिटेड का गठन किया गया है
बैंकिंग एवं सहवर्ती क्षेत्र ( Banking and Allied Sectors )
वर्ष 2019 में व्यावसायिक बैंकों की शाखाओं में बिहार का 4.9 प्रतिशत हिस्सा रहा है और इस लिहाज से यह देश में 10 वें स्थान पर है ।
देश के कुल आबादी में बिहार के हिस्से ( 8.6 प्रतिशत ) के साथ इसकी तुलना करने पर दिखता है कि बिहार की बैंक शाखाएँ राष्ट्रीय औसत से अधिक आबादी को सेवा दे रही हैं ।
राज्य में 2018-19 में खुली 221 नई शाखाओं में से 42 प्रतिशत अर्ध - शहरी क्षेत्रों में खुली और 30 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में
वर्ष 2018-19 में बिहार में अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों का ऋण - जमा अनुपात 2017-18 के 32.0 प्रतिशत से बढ़कर 34.0 प्रतिशत हो गया है यह आन्ध्र प्रदेश के 121.8 प्रतिशत महाराष्ट्र के 106.5 प्रतिशत और तमिलनाडु के 109.7 प्रतिशत ऋण जमा अनुपात से बहुत कम है । प्रमुख राज्यों में से झारखण्ड और हिमाचल प्रदेश का ऋण - जमा अनुपात ही बिहार से कम है . अखिल भारतीय स्तर पर ऋण जमा अनुपात 2018-19 में 78.2 प्रतिशत है
राज्य में वार्षिक ऋण योजना के तहत् समग्र उपलब्धि 2018-19 में 84.3 प्रतिशत थी ।
वर्ष 2018-19 में विभिन्न वित्तीय संस्थाओं द्वारा कुल 2.19 लाख किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए थे । इनमें से सर्वाधिक 1.55 लाख कार्ड व्याव सायिक बैंकों द्वारा और उसके बाद 62.3 हजार कार्ड क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा जारी किए गए थे , जबकि केन्द्रीय सहकारी बैंकों द्वारा 2.0 हजार कार्ड जारी किए गए थे ।
मार्च 2019 तक बिहार में सभी बैंकों की अनिष्पादित परिसम्पत्तियाँ 10.9 प्रतिशत थीं ।
मार्च 2019 तक अनिष्पादित परि सम्पत्तियों का सर्वाधिक 19.1 प्रतिशत स्तर कृषि क्षेत्र में था ।
बिहार में प्रधानमन्त्री मुद्रा योजना के तहत् 2018-19 में ₹ 7458.00 करोड़ के ऋण स्वीकृत किए गए थे ।
दिए गए ऋणों में सर्वाधिक 47 प्रतिशत हिस्सा किशोर , 30 प्रतिशत हिस्सा शिशु और 23 प्रतिशत हिस्सा तरुण ऋणों का था ।
मानव विकास ( Human Development )
बिहार में 2011-12 से 2018-19 के बीच प्रति व्यक्ति विकास व्यय में 14.2 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है , जबकि राष्ट्रीय औसत 13.3 प्रतिशत ही रही है ।
राज्य में शिक्षा पर व्यय 13.8 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा है , और यह भी सम्पूर्ण भारत के औसत 12.8 प्रतिशत से अधिक है ।
स्वास्थ्य पर व्यय में भी 20.8 प्रतिशत की वार्षिक दर से वृद्धि हुई और यह भी सम्पूर्ण भारत के औसत से अधिक थी ।
बिहार में 2013-17 में जन्मकालीन जीवन सम्भाव्यता पुरुषों के लिए 69.2 और महिलाओं के लिए 68.6 वर्ष रही है ।
वर्ष 2014-15 और 2018-19 के बीच संस्थागत प्रसवों की संख्या 14.94 लाख से 7.2 प्रतिशत बढ़कर 16.02 लाख हो गई है ।
मिशन इन्द्र धनुष के तहत् बिहार के लिए प्रतिरक्षण का आच्छादन 41 प्रतिशत अंक बढ़ा ।
सैम्पुल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के मई 2020 के बुलेटिन के अनुसार वर्ष 2018 में बिहार में जन्म दर 26.2 , मृत्यु दर 5.8 , जनसंख्या की नैसर्गिक वृद्धि दर 20.3 है ।
बिहार में 2018 में शिशु मृत्यु दर 32 प्रति एक हजार जीवित जन्म थी ग्रामीण क्षेत्रों में 32 तथा शहरी क्षेत्रों में 30 प्रति एक हजार जीवित जन्म थी ।
बिहार में 2016-18 के दौरान मातृत्व मृत्यु अनुपात 149 प्रति एक लाख जीवित जन्म था जो अखिल भारतीय औसत ( 113 ) से अधिक था ।
राज्य के साक्षरता दर में 14.8 प्रतिशत अंकों का सुधार हुआ , जो 2001 के 47.0 प्रतिशत से सुधरकर 2011 में 61.8 प्रतिशत हो गई ।
अभी राज्य में 879 महाविद्यालय और 33 विश्वविद्यालय काम कर रहे हैं जिनमें से 28 पारम्परिक विश्व विद्यालय , 4 प्राइवेट विश्वविद्यालय और एक मुक्त विश्वविद्यालय है ।
राज्य में 15 शोध संस्थान भी मौजूद हैं ।
राज्य में 34 अभियन्त्रण महाविद्यालय और 54 पॉलिटेक्निक संस्थान भी हैं ।
बाल विकास ( Child Development )
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 39 प्रतिशत आबादी 0 से 18 वर्ष उम्र वाले लोगों की है , जबकि बिहार में उनका 48 प्रतिशत हिस्सा है ।
देश के बच्चों की कुल आबादी का 11 प्रतिशत हिस्सा विहार में रहता है ।
राज्य में कुल 4.98 करोड़ बच्चे हैं जिसमें से 47.4 प्रतिशत ( 2.36 करोड़ ) हिस्सा लड़कियों का है और 52.6 प्रतिशत ( 2.62 करोड़ ) लड़कों का है ।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में बाल लिंग अनुपात का स्तर सम्पूर्ण भारत की अपेक्षा ऊँचा है । बाल लिंग अनुपात 0-6 वर्ष उन समूह के बच्चों में 935 लड़कियाँ प्रति 1000 लड़के , 0-14 वर्ष उम्र समूह के बच्चों में 923 लड़कियाँ प्रति 1000 लड़के और 0-18 वर्ष उम्र समूह के बच्चों में 897 लड़कियाँ प्रति 1000 लड़के थे ।
बिहार में बाल - बजट की शुरूआत 2013-14 में हुई , जिसमें बाल कल्याण से सम्बन्धित सभी योजनाओं के विवरण प्रस्तुत किए जाते हैं ।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में साक्षरता दर 6.18 प्रतिशत थी । बिहार में महिला साक्षरता दर अभी भी महज 51.5 प्रतिशत है , जो पुरुष साक्षरता दर ( 71.2 प्रतिशत ) से काफी पीछे है ।
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन ( Environment and Climate Change )
वर्ष 2018-19 में बिहार में औसत 780 मिमी वार्षिक वर्षापात दर्ज हुआ । किशनगंज में सर्वाधिक 1522 मिमी वार्षित वर्षापात हुआ और सबसे कम 403 मिमी जहानाबाद जिले में देखा गया ।
बिहार में भूजल के दोहन की वार्षिक मात्रा लगभग 29 अरब घन मीटर अनुमानित है ।
बिहार में जमीन के अन्दर से पानी निकालने की दर 45.8 प्रतिशत है . जो सम्पूर्ण भारत के 63.3 प्रतिशत से कम है ।
बिहार में कुल 285 नमभूमियाँ हैं , जिनका कुल क्षेत्रफल 3992 हेक्टेयर है ।
2019 में कुल वनाच्छादन और वृक्षाच्छादन मिलाकर 9309 वर्ग किमी है , जो राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 9.9 प्रतिशत है ।
‘ जल - जीवन हरियाली योजना ’ राज्य सरकार की प्रमुख योजना है , जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के क्षरण को रोकना है ।