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- प्रौढ़ावस्था
- युवावस्था
- किशोरावस्था
- शैशवावस्था
संवेगात्मक विकास में किस अवस्था में सबसे कम परिवर्तन होता है ?
- वह अत्यधिक संवेदनशील है
- वह संवेदनात्मक रूप से सन्तुलित है
- उसे सख्त अनुशासन पसन्द है
- उसे अपने विषय का गहन ज्ञान है
मानसिक रूप से स्वस्थ अध्यापक की विशेषता क्या है ?
- किशोरावस्था
- बाल्यावस्था
- युवावस्था
- शैशवावस्था
संवेगात्मक विकास में किस अवस्था में तीव्र परिवर्तन होता है ?
- व्यक्तिगत सामाजिक
- अर्जित प्रेरणाएँ
- दैहिक आवश्यकताएँ
- सामान्य सामाजिक
मैसलो के अनुसार , निम्नलिखित प्रेरणाओं में सबसे अधिक शक्तिशाली प्रेरणाएँ कौन - सी है ?
- स्किनर
- पियाजे
- कैनन
- लेजारस
यह सिद्धान्त कि “ संवेग तथा उससे जुड़ी हुई स्वतः चालित स्नायुमण्डल की साहानुभूतिक क्रिया प्राणी को आपातकालिताओं के लिए तैयार करती है ” किसके नाम के साथ जुड़ा हुआ है ?
- छात्र को रोज पीटेंगे जब तक कि वह कक्षा में अनुशासनहीनता करना नहीं छोड़ता है
- उसके वंशानुक्रम तथा वातावरण का पता लगाकर उसका सही दिशा में मार्गदर्शन करेंगे
- उसको इलाज के लिए किसी अच्छे मनाचिकित्सक के पास लेकर जाएँगे
- स्कूल से उसका नाम काटने के लिए प्रधानाचार्य से कहेंगे
आपकी कक्षा का एक छात्र , कक्षा में रोज अनुशासनहीनता करता है । आप इस समस्या के समाधान हेतु निम्न में से क्या उपाय अपनाएँगे ?
- वंशानुक्रम एवं वातावरण से
- वातावरण से
- जलवायु से
- वंशानुक्रम से
“ हम शिक्षा के द्वारा बालक का कुछ विकास कर सकते हैं , बहुत अधिक नहीं । ” थॉम्पसन का यह कथन सम्बन्धित है
- अनुशासन
- पाठ्यक्रमेत्तर
- पाठ्यक्रम
- ये सभी
स्कूल के वातावरण में निम्नलिखित में से किसका पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है ?
- हरलॉक
- जेम्स ड्रेवर
- मुनरो
- इनमें से कोई नहीं
निम्न में किसके अनुसार , “ विकास परिवर्तन श्रृंखला की वह अवस्था है जिसमें बच्चा भ्रूणाव्यस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक गुजरता है , विकास कहलाता है । ”
- मैण्डल का सिद्धान्त
- विभिन्नता का सिद्धान्त
- समानता का सिद्धान्त
- ये सभी
निम्न में से वंशानुक्रम का सिद्धान्त
- 2 से 8
- 4 से 10
- 5 से 10
- 6 से 12
अधिकांश विद्वानों के अनुसार बाल्यावस्था की अवधि है
- विभिन्न बालकों में विभिन्न प्रकार के निर्धारक कार्य करते हैं
- बालक की आनुवंशिक संरचना द्वारा
- बालक की आनुवंशिक तथा वातावरण दोनों की जटिल संरचना के द्वारा
- बालक सम्बन्धी वातावरणीय दबावों द्वारा जिन पर शिक्षक का कोई नियन्त्रण नहीं होता है
बाल विकास का निर्धारण किया जाता है ।
- दूषित वातावरण
- टूटा परिवार
- दूषित वंशानुक्रम
- ये सभी
आज बालापराध की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं , जिनके कारणवश शिक्षण प्रणाली में जटिलताएँ आ रही हैं । आपके अनुसार इसको प्रमुख कारण क्या है ?
- भिन्नता का सिद्धान्त
- सतत् विकास का सिद्धान्त
- विकास की दिशा का सिद्धान्त
- अवनीति का सिद्धान्त
निम्न में से बाल विकास का एक सिद्धान्त नहीं है
- बालकों के उचित पालन - पोषण के लिए
- बालकों के व्यवहार को नियन्त्रित करने के लिए
- अच्छे नागरिकों के निर्माण के लिए
- बालकों के सर्वांगीण विकास के लिए
बाल विकास के सिद्धान्तों का महत्त्व
- वैयक्तिक अन्तर के सिद्धान्त
- निरन्तरता के सिद्धान्त से
- निरन्तरता का सिद्धान्त
- परस्पर सम्बन्ध का सिद्धान्त
“ विकास कभी न रुकने वाली एक प्रक्रिया है । ” तथ्य सम्बन्धित है
- बाल्यावस्था
- शैशवावस्था
- प्रौढ़ावस्था
- किशोरावस्था
कोई बच्चा किस अवस्था में पर्यावरण से प्रभावित होने लगता है ।
- उसके जिज्ञासु स्वभाव को प्रोत्साहित करेंगे और उसकी ऊर्जा को सही दिशा में संचारित करेंगे
- इरफान को खिलौनों से कभी भी नहीं खेलने देंगे
- उसे समझाएँगे कि खिलौने को तोड़ना नहीं चाहिये
- उस पर हमेशा नजर रखेंगे
इरफान खिलौनों को तोड़ता है और उसके पुर्जों को देखने के लिए अलग - अलग कर देता है । आप क्या करेंगे ?
- बाल्यावस्था
- किशोरावस्था
- प्रौढ़ावस्था
- पूर्व बाल्यावस्था
‘ मैं कौन हूँ ’ , ‘ क्या हूँ ’ , ‘ मैं भी कुछ हूँ , ’ आदि ऐसी प्रबल भावनाएँ , विकास की किस अवस्था की ओर इंगित होती हैं ?
- बालक का विकास होना
- बालक का सर्वंगीण विकास
- बालक का बौद्धिक व मानसिक विकास
- बालक की लम्बाई , मोटाई तथा चौड़ाई में विकास
बाल विकास का क्या अर्थ है ?
- शैशवावस्था को
- उत्तर बाल्यावस्था में
- पूर्व बाल्यावस्था में
- ये सभी
‘ खिलौनों की आयु ’ कहा जाता
- 1 से 3 वर्ष
- 1 से 4 वर्ष
- 1 से 5 वर्ष
- 1 से 6 वर्ष
रॉस के अनुसार शैशवावस्था मानी जाती है
- वैलेण्टाइन
- वाटसन
- गुड एण्ड एफ
- स्ट्रैग
निम्न में से किसने शैशवावस्था को ‘ सीखने का आदर्श काल ’ माना है ?
- बालक अपने पर नियन्त्रण नहीं रख पाता है ।
- बालक वीर पूजा करता है
- इसमें शारीरिक परिवर्तन होते हैं
- बालक भावप्रधान होता है ।
किशोरावस्था को जीवन का सबसे कठिन काल कहा जाता है क्योंकि
- बालक की अभिवृत्तियों का लाभ उठा सकते हैं
- समुचित निर्देशन के लिए व्यावहारिक उपाय बता सकता है ।
- व्यक्तिगत कठिनाइयों का निवारण हो सकता है ।
- बालकों के व्यक्तित्व का विकास होगा
बाल मनोविज्ञान की व्यावहारिक उपादेयता है
- द्रव्यमान और संख्या
- द्रव्यमान , संख्या और क्षेत्र
- संख्या
- द्रव्यमान
. उत्तर बाल्यावस्था में बालक भौतिक वस्तुओं के किस आवश्यक तत्व में परिवर्तन समझने लगते हैं ।
- अभिप्रेरणा एवं अनुभव के फलस्वरूप होने वाले परिवर्तनों की उत्तरोत्तरश्रृंखला
- परिवर्तनों की उत्तरोत्तरश्रृंखला
- अभिप्रेरणा के फलस्वरूप होने वाले परिवर्तनों की उत्तरोत्तरशृंखला
- परिपक्वता एवं अनुभव के फलस्वरूप होने वाले परिवर्तनों कीशृंखला
विकास का अर्थ है
- पूर्व बाल्यावस्था
- किशोशवस्था
- प्रौढ़ावस्था
- बाल्यावस्था
निम्नलिखित में से किस अवस्था में बच्चे अपने समवयस्क समूह के सक्रिय सदस्य हो जाते हैं ?
- अपने हमउम्र बालकों के साथ रहना सीखना
- वैयक्तिक आत्मनिर्भरता प्राप्त करना
- सामान्य खेलों के लिए आवश्यक शारीरिक कुशलताएँ सीखना
- पुरुषोचित या स्त्रियोचित सामाजिक भूमिकाओं को प्राप्त करना
निम्न में से कौन - सा विकासात्मक कार्य उत्तर बाल्यावस्था के लिए उपयुक्त नहीं ?
- विकास की प्रत्येक अवस्था में अपने खतरे हैं
- विकास उकसाने / बढ़ावा देने से नहीं होता है ।
- विकास सांस्कृतिक परिवर्तनों से प्रभावित होता है ।
- विकास की प्रत्येक अवस्था की अपनी विशेषताएँ होती हैं
विकास के सन्दर्भ में निम्न में से कौन - सा कथन सत्य नहीं है ?
- औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था में ।
- पूर्व - संक्रियात्मक अवस्था में
- ठोस संक्रियात्मक अवस्था में
- इन्द्रिय गामक अवस्था
“ बालक जीव व अजीव में भेद करना सीख जाता है ” पियाजे के अनुसार
- बेईमानी
- सहयोग
- धोखा
- झूठ
अच्छे चरित्र में होती है
- 10 भागों में
- 6 भागों में
- 2 भागों में
- 4 भागों में
रॉस ने मानव विकास को बांटा है
- इन्ड्रोसीन गलैण्ड्स
- स्नायुमण्डल
- मांसपेशियाँ
- उपरोक्त सभी ।
शारीरिक विकास का क्षेत्र है
- नैतिकता का होना ।
- शारीरिक विकास में तीव्रता
- मानसिक विकास में तीव्रता
- दूसरों पर निर्भरता
शैशवावस्था की विशेषता नहीं है
- जिज्ञासा
- सामूहिकता
- रचनात्मकता
- काम
बाल्यावस्था में कौन - सी मूल प्रवृत्ति सबसे अधिक क्रियाशील रहती है ?
- 6 से 9 वर्ष
- 7 से 10 वर्ष
- 8 से 11 वर्ष
- 9 से 12 वर्ष
परिपक्व बाल्यावस्था किसे कहते हैं ?
- 9 से 12
- 4 से 6
- 8 से 10
- 6 से 8
बालकों में समस्या समाधान योग्यता किस काल में विकसित होती है ?
- शुक्राणु
- पित्रैक
- डिम्बाणु
- गुणसूत्र
वंशानुक्रम के मूल वाहक क्या होते हैं ?
- मानसिक
- सामाजिक
- शारीरिक
- संवेगात्मक
शिक्षा की दृष्टि से मानव विकास का कौन - सा पक्ष सबसे अधिक महत्व का है ?
- संवेग सम्बंधी
- यौन सम्बंधी
- समायोजन सम्बंधी
- व्यवसाय सम्बंधी
किशोरावस्था की सबसे नाजुक व संवेदनशील समस्या क्या होती है ?
- व्यावसायिक
- शौक्षिक
- व्यक्तिगत
- ये सभी ।
किशोरावस्था में निर्देशन की आवश्यकता किस क्षेत्र में होती है ?
- 12-14
- 13-15
- 16-18
- 14-16
किशोरों की रुचि में स्थायित्व किस काल में आता है ?
- संवेगात्मक ।
- मानसिक
- सामाजिक
- शारीरिक
शिक्षा की दृष्टि से मानव विकास का निम्न पक्ष सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है
- 3 से 6 वर्ष
- 1 से 3 वर्ष
- 2 से 5 वर्ष
- जन्म से 3 वर्ष
शैशवावस्था में संचयीकाल किसे कहते हैं ?
- 13 से 17 वर्ष
- 4 से 7 वर्ष
- 10 से 13 वर्ष
- 1 से 4 वर्ष
रूढ़िगत नैतिकता स्तर है
- रूढ़िगत नैतिकता स्तर
- उत्तर रूढ़िगत नैतिकता स्तर
- पूर्व - रूढ़िगत नैतिकता स्तर
- सर्वोच्च नैतिकता स्तर
लारेंस कोहलबर्ग के सिद्धान्त में बताये तीन स्तरों में से एक नहीं है
- संज्ञानात्मक विकास अन्तर्वैयक्तिक सामाजिक परिस्थिति में सम्पन्न होती है
- संज्ञानात्मक विकास हेतु सामाजिक कारक व भाषा आवश्यक है
- सामाजिक - सांस्कृतिक विकास भी कहते हैं
- उपरोक्त सभी ।
वाइगोटस्की के सिद्धान्त के अनुसार
- क्रमबद्ध चिन्तन
- विभेद व वर्गीकरण करना
- देखकर मूर्तरूप में चिन्तन करना ।
- ठोस वस्तुओं के आधार पर मानसिक क्रियाएँ
मूर्त - संक्रियात्मक अवस्था में बालक नहीं करता
- समस्या समाधान योग्य हो जाता है
- चिन्तन क्रमबद्ध होता है
- प्रभावशाली चिन्तन करने लगता है
- उपरोक्त सभी ।
अमूर्त - संक्रियात्मक अवस्था में बालक
- इन्द्रियजनित गामक अवस्था
- अमूर्त - संक्रियात्मक अवस्था
- पूर्व - संक्रियात्मक अवस्था
- मूर्त - संक्रियात्मक अवस्था
पियाजे के अनुसार बालक इस अवस्था में सजीव व निर्जीव में भेद करने लगता है , यह अवस्था है
- 4 भागों में
- 3 भागों में
- 6 भागों में
- 2 भागों में
पियाजे ने संज्ञानात्मक विकास को बांटा है
- इन दोनों की अन्तःक्रिया का
- परिपक्वता का
- अनुभवों का
- इनमें से कोई नहीं ।
पियाजे के अनुसार बालक में चिन्तन करने की शक्ति परिणाम होती है
- अधिगम सिद्धान्त
- संज्ञानात्मक विकास का सिद्धान्त
- नैतिक विकास का सिद्धान्त
- इनमें से कोई नहीं ।
कोलबर्ग ने प्रतिपादित किया है
- वंशानुक्रम व पर्यावरण
- वंशानुक्रम
- पर्यावरण
- इनमें से कोई नहीं ।
मानव विकास के प्रभावित करने वाले मुख्य कारक हैं
- मानव धर्म का महत्व
- संस्कृति व सभ्यता का संरक्षण
- समायोजन का अभाव
- उपरोक्त सभी ।
किशोरावस्था की चारित्रिक विशेषताएँ हैं
- संवेगों का खुलकर प्रदर्शन
- संवेगों का तीव्र होना
- संवेगों का अस्पष्ट होना ।
- संवेगों का परिपक्व होना
किशोरावस्था में सांवेगिक विकास की विशेषता नहीं है ।
- नागरिक गुणों का विकास ।
- संवेदना व प्रत्यक्षीकरण
- संप्रत्यय निर्माण
- स्मरणशक्ति
मानसिक विकास के पहलू नहीं है
- 8 वर्ष की आयु से
- 11 वर्ष की आयु से
- 16 वर्ष की आयु से ।
- 12 वर्ष की आयु से
किशोरावस्था का आरम्भ होता है
- आदर्श शिक्षण
- नैतिक शिक्षण
- सदाचार का शिक्षण
- उपरोक्त सभी ।
किशोरों के समुचित विकास के लिए आवश्यक है
- 18 से 30 वर्ष ।
- 6 से 12 वर्ष
- 1 से 6 वर्ष
- 12 से 18 वर्ष
बालक द्वारा प्रदर्शित संवेग अत्यधिक अनियन्त्रित , अधिक तीव्र व अयुक्तिसंगत है , यह बालक सम्बन्धित है
- भय
- प्रेम
- क्रोध
- उपरोक्त सभी ।
निम्न में से कौन - सा संवेग बालक में जन्मजात होता है ?
- हेविंगहर्ट ने ।
- फ्रायड ने
- चार्ल्स डार्विन ने
- डाल्टन ने
विकासात्मक कार्य का प्रत्यय दिया है
- टोली आयु ( gang age )
- बक्की अवस्था ( Chater age )
- जीवन का अनोखा काल
- उपरोक्त सभी ।
बाल्यावस्था को इनमें से किस नाम से नहीं जाना जाता
- 2 से 7 वर्ष
- 12 से 18 वर्ष
- 7 से 12 वर्ष
- जन्म से 2 वर्ष
मूर्त संक्रिया की अवस्था , पियाजे ने मानी है
- स्किनर
- फ्रैंक
- हरलॉक
- फ्रायड
“ अभिवृद्धि से तात्पर्य कोशिकाओं से होने वाली वृद्धि से है ” यह कथन है
- औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था ।
- संवेदी पेशीय अवस्था
- मूर्त संक्रियात्मक अवस्था
- पूर्व संक्रियात्मक अवस्था
“ बालक निर्जीव को सजीव समझने लगता है ” पियाजे के अनुसार यह दोष किस अवस्था का है ?
- शारीरिक विभिन्नता
- शैक्षिक विभिन्नता
- आचरण की विभिन्नता
- सम्पन्नता की विभिन्नता ।
बालकों में वंशानुक्रम के कारण पाया जाता है
- बालक का स्वास्थ्य अच्छा हो
- वातावरण जिसमें रहता स्वस्थ होना चाहिए ।
- वंशानुक्रम स्वस्थ्य हो
- माता - पिता शिक्षित हो
रुचियों , मूल प्रवृत्तियों एवं स्वाभाविक आवेगों का स्वस्थ विकास हो सकता है , यदि
- पित्रैक
- भ्रूण
- गुण
- निषेचन
वंश - परम्परा के मुख्य वाहक होते हैं
- वे क्षमतायें जो बालक अपने पूर्वजों से प्राप्त करता
- शक्तियाँ , दोष व गुण जो गर्भाधान के समय जीवकोष को मिलते हैं
- इसमें शारीरिक व मानसिक शक्तियां आती हैं
- उपरोक्त सभी ।
वंशानुक्रम से अभिप्राय है
- जीवन वंशानुक्रम व वातावरण का योग
- वंशानुक्रम महत्त्वपूर्ण है , वातावरण नहीं
- समस्त दोषों का कारण वातावरण है ।
- वंशानुक्रम व वातावरण एक - दूसरे के विरोधी हैं
वंशानुक्रम व वातावरण का सम्बंध है
- लिबिडो
- नारसिज्म
- आडिपस कॉम्पलेक्स
- इरोज
‘ पितृ विरोधी ग्रन्थि ’ को जाना जाता है
- माता से प्रेम करता है , पिता से घृणा
- माता - पिता , दोनों से प्रेम करता है
- माता - पिता , दोनों से घृणा करता है
- पिता से प्रेम करता है , माता से घृणा
पितृ विरोधी ग्रन्थि में बालक
- फ्रायड ने ।
- स्किनर ने
- गैस्टालर ने
- युग ने
शैशवावस्था में यौन इच्छाओं का अध्ययन करते हुए पितृ विरोधी व मातृ विरोधी ग्रन्थि के रहस्य का उदघाटन किया है
- कभी नहीं ।
- किशोरावस्था में
- शैशवावस्था में
- बाल्यावस्था में
पितृ विरोधी व मातृ विरोधी ग्रन्थियाँ विकसित होती हैं
- 10 वर्ष तक
- 60 वर्ष तक
- 18 वर्ष तक
- 40 वर्ष तक
मानव की अभिवृद्धि एक निश्चित आयु तक होती है । यह मानी जाती है
- जन्म से ही ।
- किशोरावस्था में
- बाल्यावस्था में
- शैशवावस्था में
बुद्धि का अधिकतम विकास हुआ माना जाता है
- त्वरित विकास का सिद्धान्त
- क्रमशः विकास का सिद्धान्त
- उपरोक्त दोनों
- इनमें से कोई नहीं ।
किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त हैं
- काम - शक्ति की परिपक्वता
- जीवन - दर्शन का निर्माण
- स्वतंत्रता व विद्रोह की भावना
- उपरोक्त सभी ।
किशोरावस्था की मुख्य विशेषता है
- मूल्यों , आदर्शों व संवेगों में संघर्ष के कारण
- शारीरिक विकास में तीव्रता के कारण
- उपरोक्त सभी ।
- आवेगों व संवेगों में परिवर्तन के कारण
किशोरावस्था कठिन काल कहा जाता है क्योंकि
- गर्भावस्था
- शैशवावस्था
- बाल्यावस्था
- किशोरावस्था ।
स्टेनले हॉल ने इस अवस्था को बड़े संघर्ष , तनाव व तूफान की अवस्था कहा है
- स्टेनले हॉल
- किंग
- एना फ्रायड
- हालिंग वर्थ
किशोरावस्था पर सबसे अधिक कार्य करने वाले मनोवैज्ञानिक हैं
- किशोरावस्था ।
- शैशवावस्था
- बाल्यावस्था
- प्रौढ़ावस्था
इस अवस्था को समूह अवस्था ( gangage ) या चुस्ती की अवस्था भी कहते हैं
- निरुद्देश्य भ्रमण की प्रवृत्ति
- रचनात्मक कार्यों में आनंद लेना
- जिज्ञासा की प्रबलता
- उपरोक्त सभी ।
बाल्यावस्था में पायी जाने वाली प्रवृत्तियाँ हैं
- क्रो एण्ड क्रो ने
- एना फ्रायड ने
- रॉस ने
- कॉल व ब्रूस ने
बाल्यावस्था को ‘ मिथ्या परिपक्वता ’ काल कहा है
- जिज्ञासा काल ।
- अनोखा काल
- समस्यात्मक काल
- मिथ्या परिपक्वता काल
कॉल व ब्रूस ने बाल्यावस्था को माना है
- आध्यात्मिक विकास होना ।
- व्यक्तित्व का विकास होना
- मानव शरीर का आकार , भार व कार्य - शक्तियों में वृद्धि ।
- मानव का ज्ञान बढ़ना ।
मानव अभिवृद्धि से तात्पर्य है -
- आत्म - प्रदर्शन के अवसर दें
- चित्रों व कहानियों द्वारा शिक्षा
- विभिन्न अंगों की शिक्षा
- उपरोक्त सभी ।
शैशवावस्था में शिशु को निम्न प्रकार शिक्षा दी जानी चाहिए
- बाल्यावस्था
- शैशवावस्था
- किशोरावस्था
- इनमें से कोई नहीं ।
इस अवस्था के प्रथम 6 वर्षों में बालक बाद के 12 वर्षों से अधिक सीख लेता है
- भय
- क्रोध
- उत्तेजना ।
- प्रेम
शिशु में जन्म के समय पाया जाने वाला संवेग है
- हरलॉक ने ।
- वैलेन्टाइन ने ।
- फ्रैंक ने ।
- फ्रायड ने ।
शैशवावस्था को ‘ सीखने का आदर्श काल ’ कहा है
- प्राथमिक प्रेरक
- जन्मजात प्रेरक
- अर्जित प्रेरक
- उपरोक्त में से कोई नहीं
निम्नलिखित में से प्रेरकों का प्रकार कौन सा नहीं है ?
- आदत
- रुचि
- सामूहिकता की भावना
- भूख
निम्नलिखित में से अर्जित प्रेरक नहीं है
- जन्मजात प्रेरक
- प्राथमिक प्रेरक
- उपरोक्त दोनों
- अर्जित प्रेरक
भूख , प्यास तथा निद्रा किस प्रकार के प्रेरक है ?
- अमेरिका के
- जर्मनी के
- ब्रिटेन के
- रूस के
वर्दाइमन , कोलर तथा कोफ्फा किस देश के मनोवैज्ञानिक थे ?
- दूसरों पर निर्भरता
- शारीरिक विकास में तीव्रता
- अनुकरण द्वारा सीखने की प्रवृत्ति
- उपरोक्त सभी ।
शैशवावस्था की मुख्य विशेषताएँ हैं
- मूल संवेगात्मक क्रिया
- पूर्व अनुभवों की पुनरावृति
- संवेदनात्मक क्रिया
- उपरोक्त सभी
निम्नलिखित में से आदत होती है
- प्राकृतिक प्रेरक
- अर्जित प्रेरक
- इच्छित प्रेरक
- उपरोक्त सभी प्रकार का
निम्नलिखित में से काम किस प्रकार का प्रेरक है ?
- थर्स्टन ने
- बी . एफ . स्किनर न
- हेगर्टी ने
- सिगमंड फ्रायड ने
काम प्रवृति पर सबसे अधिक बल किस मनोवैज्ञानिक ने दिया ?
- बागले का
- कोफ्फा का
- कोहलर का
- थोर्नडाइक का
निम्नलिखित में से कौनसे मनोवैज्ञानिक का मनोविज्ञान या “ बंध मनोविज्ञान ” या “ संयोजनवाद ” कहलाता है ?
- थोर्नडाइक
- कोहलर
- कोफ्फा
- बागले
वह प्रथम अमेरिकी मनोवैज्ञानिक जिसने पशुओं पर सर्वप्रथम प्रयोग किये ?
- थोर्नडाईक
- कोफ्फा
- स्पीयरमैन
- कोहलर
निम्नलिखित में से द्वितात्विक सिद्धांत के प्रवर्तक कौन है ?
- कोहलर
- स्पीयरमैन
- थोर्नडाइक
- कोफ्फा
निम्नलिखित में से समतात्विक सिद्धांत के प्रवर्तक कौन है ?
- समान
- एक ही प्रकार की
- असमान
- उपरोक्त में से कोई नहीं
विभिन्न व्यक्तियों में अभिक्षमताएँ होती हैं
- गिल्फोर्ड ने
- पील ने
- मार्गन ने
- कालविन ने
1952 में किस शिक्षा शास्त्री ने अपने शोध द्वारा यह कहा कि शैशवावस्था से बाल्यावस्था एवं बाल्यावस्था से किशोरावस्था तक सिखने की गति तेज हो जाती है ?
- सामाजिक
- मोनसिक
- शारीरिक
- उपरोक्त सभी
बालकों में खेलों से विकसित होने वाली शक्तियां हैं
- शैशवावस्था
- किशोरावस्था
- बाल्यावस्था
- भ्रूणावस्था
यह अवस्था ‘ मानव जीवन की नींव ’ कही जाती है
- ईगो
- इड
- सुपर ईगो
- उपरोक्त सभी
निम्नलिखित में से सिग्मंड फ्रायड की अवधारणा है
- वाटसन
- जिन प्याजे व ब्रूनर
- कोहलर व कोफ्फा
- उपरोक्त में से कोई नहीं
निम्नलिखित में से “ संज्ञानवादी पद्धति ” के जनक है
- अमेरिका के
- जापान के
- इटली के
- इंग्लैंड के
स्किनर किस देश के वैज्ञानिक थे ?
- “ किसी व्यक्ति के जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक के अधिगम अनुभवों का वर्णन तथा धारणा ही मनोविज्ञान है । ”
- “ मनोविज्ञान आचरण तथा व्यवहार का यथार्थ विज्ञान है । ”
- “ मुझे बच्चा दो और बताओ कि उसे क्या बनाऊं इंजीनियर , डॉक्टर या अन्य । ”
- “ मनोविज्ञान शिक्षा का आधारभूत विज्ञान है । ”
मनोविज्ञान के सम्बन्ध में क्रो एंड क्रो की परिभाषा है
- स्किनर का
- ब्राउन का
- किल्फोर्ड का
- क्रो एंड क्रो का
“ बालक के विकास का अध्ययन हमें यह जानने योग्य बनाता है कि क्या पढ़ायें और कैसे पढ़ायें । ” यह कथन किस मनोवैज्ञानिक का है ?
- बालक की विकास अवस्थाओं का अध्ययन
- अधिगम क्रियाओं का अध्ययन
- बालक के वंशानुक्रम एवं वातावरण का अध्ययन
- उपरोक्त सभी
निम्नलिखित में से शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन क्षेत्र है
- कुर्ट लेविन
- सिगमंड फ्रायड
- वर्दाईमर
- मेक्डूगल
निम्नलिखित में से मनोविश्लेषणात्मक सम्प्रदाय के प्रतिपादक है ?
- पूर्व प्राथमिक कक्षा को
- प्ले स्कूल को
- घर को
- उक्त सभी को
भाषा शिक्षण की प्रथम कक्षा किसे माना जाता है ?
- जन्म से 2 वर्ष
- 2 से 7 वर्ष
- 11 से 15 वर्ष
- 7 से 11 वर्ष
पियाजे के अनुसार मूर्त संक्रियाओं का स्टार किस अवधि में घटित होता है ?
- वाटसन
- फ्रीमैन
- न्यूमैन
- होलजिंगर
व्यवहारवादी ने कहा है , “ मुझे नवजात शिशु दे दो उसे डॉक्टर , वकील , चोर या जो चाहूँ बना सकता हूँ । ”
- क्रो एण्ड क्रो ने
- वाटसन ने
- एलिसावेथ ने
- एना फ्रायड ने
बीसवीं शताब्दी को ‘ बालक की शताब्दी ’ किसने कहा है ?
- पश्चात् पारम्परिक अवस्था
- पूर्व पारम्परिक अवस्था
- पारम्परिक अवस्था
- उपरोक्त में से कोई नहीं
कोल्बर्ग के अनुसार किस अवस्था में नैतिकता बाह्य कारकों द्वारा निर्धारित होती है ?
- केवल गर्भावस्था की विशेषताओं का अध्ययन
- केवल बाल्यावस्था की विशेषताओं का अध्ययन
- गर्भावस्था से किशोरावस्था की विशेषताओं का अध्ययन
- केवल शैशवास्था की विशेषताओं का अध्ययन
बाल मनोविज्ञान का क्षेत्र है
- वैयक्तिकता का सिद्धांत
- समन्वय का सिद्धांत
- निरंतरता का सिद्धांत
- वर्गीकरण का सिद्धांत
निम्नलिखित में से कौन - सा वृद्धि और विकास के सिद्धांतों से संबंधित नही है ?
- नैतिकता पर
- वास्तविकता पर
- ध्यान
- मूल प्रवृत्ति पर
शिशु का अधिकांश व्यवहार आधारित होता है
- बालकों के मानसिक विकास पर
- घूर्णन पर
- निकट विकास क्षेत्र पर
- वृद्धि अवस्था पर
वाइगोटस्की का सिद्धांत आधारित है
- एक
- दो
- तीन
- चार
कोलबर्ग ने अपने नैतिक विकास को कितने स्तरों में बाँटा है ?
- इन्द्रियजनित गामक अवस्था
- पूर्व संक्रियात्मक अध्ययन
- मूर्त संक्रियात्मक अवस्था
- ये सभी
पियाजे के अनुसार मानसिक विकास की अवस्था है
- सात्मीकरण
- निर्माण
- खोज
- व्यवस्थापन
पियाजे ने किसी बच्चे के विचारों में नये विचारों के समावेश हो जाने को क्या कहा है ?
- रॉबर्ट
- वाइगोटस्की
- जीन पियाजे
- स्किनर
बच्चों के विकास से संबंधित ‘ निर्माण एवं खोज ’ का सिद्धांत निम्न में से किसने दिया था ?
- मूर्त संक्रियात्मक अवस्था
- अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था
- पूर्व संक्रियात्मक अवस्था
- इन्द्रियजनित गामक अवथा
पियाजे के अनुसार कोई बच्चा किस अवस्था में अपने परिवेश की वस्तुओं को पहचानने एवं उनमें विभेद करने लगता है ?
- विकास
- परिपक्वता
- बुद्धि विकास
- वृद्धि
. जन्म से मृत्यु तक चलने वाली प्रक्रिया है
- फ्रॉयड
- लॉरेन्स कोहबर्ग
- जीन पियाजे
- सीयर्स
निम्न में से किसने ‘ नैतिक विकास की छः अवस्था ’ के सिद्धांत का प्रतिपादन किया ?
- किशोरावस्था
- बाल्यावस्था
- पूर्व बाल्यावस्था
- इनमें से कोई नहीं
बच्चों में ‘ आधारहीन आत्म चेतनावस्था ’ का संबंध उसके विकास की किस अवस्था से संबंधित है ?
- 2
- 1
- 3
- 4
ब्रूनर के संज्ञानात्मक सिद्धांत के अनुसार बालक अनुभूतियों को कितने तरीकों से बताता है ?
- पूर्व संक्रियात्मक अवस्था ( 02-07 ) वर्ष
- औपचारिक - संक्रियात्मक अवस्था ( 11 वर्ष एवं ऊपर )
- संवेदी - प्रेरक अवस्था ( जन्म -02 वर्ष )
- मूर्त संक्रियात्मक अवस्था ( 07-11 ) वर्ष
पियाजे के अनुसार , निम्नलिखित में से कौन - सी अवस्था है जिसमें बच्चा अमूर्त संकल्पनाओं के विषय में तार्किक चिंतन करना आरंभ करता है ?
- मूर्त सक्रियात्मक अवस्था
- पूर्व - संक्रियात्मक अवस्था
- संवेदी प्रेरक अवस्था
- उपरोक्त में से कोई नहीं
ब्रूनर द्वारा प्रतिपादित संज्ञानात्मक विकास में प्रतीकात्मक ढंग से चिंतन करने की अवस्था को जीन पियाजे की किस अवस्था के अनुरूप माना जा सकता है ?
- 5 वर्ष से कम
- 13 वर्ष से ऊपर
- 6 से 10 वर्ष
- 10 से 13 वर्ष
कोह्रबर्ग के अपने नैतिक विकास सिद्धांत के तीसरे स्तर में किस आयु वर्ग के बच्चों को रखा है ?
- लैविन ने
- पियाजे ने
- बण्डूरा ने
- स्किनर ने
संज्ञानात्मक मानचित्र का प्रत्यय दिया
- शारीरिक कौशल का विकास
- व्यक्तिगत विकास
- बच्चे का विकास
- अभियोग्यता का विकास
संज्ञानात्मक विकास का अर्थ है
- बच्चों के क्रोध की भावना जाग्रत करने में
- बच्चों का मूल्यांकन करने में
- बच्चों में भय की दशा उपस्थित करने में
- बच्चों के पूर्व ज्ञान की जाँच करने में
संज्ञान में अनुप्रयोग का महत्त्व है
- I एवं III
- I एवं II
- I , II एवं III
- ये सभी
संज्ञान के अंतर्गत निम्नलिखित में से कौन - सा अवयव सम्मिलित है ? I. भाषा II. चिंतन III. स्मरण शक्ति IV . तर्क
- विकास दिशा का सिद्धान्त
- विकास क्रम का सिद्धान्त
- निरंतर विकास का सिद्धान्त
- समान प्रतिमान का सिद्धान्त ।
“ प्रत्येक जाति चाहे वह पशु जाति हो या मानव जाति , अपनी जाति के अनुरूप विकास के प्रतिमान का अनुसरण करेगा । ” यह कथन किस सिद्धान्त की ओर संकेत करता है ?
- संवेगों को दबाना
- संवेगात्मक दमन को सहन करने की योग्यता को बढ़ाना
- बहुत अधिक अवसादग्रस्त महसूस करना
- संवेगात्मक दमन से बाहर निकालना
‘ संवेगात्मक विरेचन ’ का अर्थ है
- सफलता की भावना
- रुचि की भावना
- प्रेरणा की भावना
- ये सभी
संवेग किसी बालक में पैदा कर सकता है
- बालकों को असभ्य बनाना
- बालकों में अध्ययन के प्रति रुचि पैदा करना
- बालकों में समाज के अनुकूल व्यवहार करने की क्षमता पैदा करना
- बालकों को शिष्ट बनाना
संवेगों का शिक्षा में उपयोग के सन्दर्भ में निम्नलिखित में कौन - सा महत्त्वपूर्ण नहीं है ?
- क्रोध
- भय
- करुणा
- पलायन
निम्न में से क्या संवेग नहीं है ?
- बालक की शैक्षिक योग्यता का विकास करने में
- रुचि की भावना पैदा करने में
- सफलता की भवना पैदा करने में
- उपरोक्त सभी में
बालक के विकास में संवेगों का महत्व है
- भय से उसमें नकारात्मक भाव बनते हैं
- भय से अपमान व्याप्त होती है
- भयग्रस्त बच्चा अपने अन्तर्निहित भावों को व्यक्त नहीं कर पाता जिसके परिणामस्वरूप कुण्ठाग्रस्त हो जाता है
- भय से बच्चे में अन्तर्मुखी व्यक्तित्व का विकास होता है
बच्चे में भय का संवेग कौन - से विकार पैदा कर देता है जिससे उसकी सीखने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है ?
- विश्लेषण
- समस्या
- अनुप्रयोग
- ज्ञान
संवेग का एक प्रमुख तत्व नहीं है
- उद्दीपकों की प्रतिक्रिया
- उसकी मुख मुद्रा
- अन्तर्निरीक्षण
- इनमें से कोई नहीं
किसी बालक के संवेगात्मक अनुभवों के विश्लेषण हेतु उपयुक्त तरीका है
- जीन पियाजे का
- कोहलर का
- वॉटसन का
- स्किनर का
“ किसी बालक में सबसे पहले भय तथा प्रेम के संवेग विकसित होते हैं । ” निम्न में से यह कथन किसका है ?
- बीस
- दस
- चौदह
- ग्यारह
बालकों में कितने प्रकार के संवेग पाए जाते हैं ?
- शैशवावस्था , बाल्यावस्था , किशोरावस्था
- बाल्यावस्था , किशोरावस्था , वयस्कावस्था
- सिर्फ किशोरावस्था
- इनमें से कोई नहीं ।
शिक्षा की दृष्टि से मानव विकास की कौन - सी अवस्थाएँ महत्त्वपूर्ण हैं
- अरस्तू
- पेस्टालॉजी
- रूसो
- प्लेटो
“ शिक्षा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का स्वाभाविक समरस व प्रगतिशील विकास है ” यह कथन है