भारतीय राष्ट्रीय क्षितिज पर महात्मा गांधी का आगमन वीसवीं सदी के दूसरे दशक के अन्त में हुआ
वे 1841 ई . में वकालत पास करके इंग्लैण्ड से भारत लौटे और अभिभाषक के रूप में स्थापित होने की कोशिश की
उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में ही ' नेटाल भारतीय कांग्रेस की स्थापना की
उनके द्वारा चलाए गए अफ्रीका संघर्ष के दूसरे चरण की शुरूआत 1906 ई . से हुई .
मूल गांधीवादी प्रणाली की शुरूआत 1906 ई . से हुई
गांधीजी के द्वारा 1916 ई . में अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की गई .
अहमदाबाद के मिल मजदूरों ने 1918 ई . में गांधीजी के नेतृत्व में हड़ताल की .
अहमदाबाद के मिल मजदूरों की हड़ताल के तहत गांधीजी ने प्रथम बार भूख हड़ताल का सहारा लिया .
अंग्रेज सरकार ने 21 मार्च , 1919 ई . को रॉलेट एक्ट पास किया , जिसे भारतीय इतिहास में काले कानून की संज्ञा से परिभाषित किया गया .
काले कानून के विरोध में मदनमोहन मालवीय , मजरूल हक और जिन्ना ने व्यवस्थापिका से इस्तीफा दे दिया .
जनरल डायर 11 अप्रैल , 1919 ई . को अमृतसर पहुँचा और वहाँ फौजी शासन की शुरूआत की .
पुलिस ज्यादती और निर्वासन के विरोध में 13 अप्रैल की संध्या को अमृतसर के जलियांवाले बाग में एक आम सभा का आयोजन किया गया , जिसमें करीब 20 हजार लोगों ने भाग लिया .
जलियांवाले बाग हत्याकांड में करीब एक हजार लोग मारे गए तथा अनेकों घायल हो गए .
खिलाफत आंदोलन का एकमात्र उद्देश्य खलीफा की सर्वोच्चता और उसकी शक्ति को स्थापित करना था .
गांधीजी ने 1 अगस्त , 1920 ई.से असहयोग आंदोलन करने का निर्णय लिया .
असहयोग आंदोलन की शुरुआत में गांधीजी ने अंग्रेजी सरकार के विरोधस्वरूप अपनी सरकारी उपाधि ‘ कैसर ए - हिंद ’ को वापस कर दिया .
1921 ई . में युवराज प्रिंस ऑफ वेल्स का बम्बई आगमन हुआ
5 फरवरी , 1922 ई . को गोरखपुर में चौरा - चौरी घटना हुई .
कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू ने भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की मांग रखी .
7 अगस्त , 1942 ई . को बम्बई में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ , जिसमें अगस्त प्रस्ताव पेश किया गया .
1853 ई . में श्रमिक वर्ग की स्थापना की गई .
1942 ई.से लेकर 1945 ई . तक का काल भारतीय राजनीति के लिए निष्क्रिय काल माना जाता है .
सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी , 1897 ई . में उड़ीसा के कटक में हुआ .
गांधीजी अफ्रीका में 22 वर्ष तक प्रयास करने के बाद 46 वर्ष की उम्र में भारत लौटे .
गांधीजी के दक्षिणी अफ्रीका के संघर्ष की कहानी का प्रथम दौर 1894 से 1906 ई . तक चला .
गांधीजी ने ‘ इंडियन ओपीनियन ’ नामक अखबार का प्रकाशन शुरू किया .
दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी ने फार्म और फिनिक्स सेटमेंट की स्थापना करके कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को अहिंसक सत्याग्रह का प्रशिक्षण दिया .
रॉलेक्ट एक्ट के विरोध में भारतीय नेताओं ने एक नारा दिया- “ कोई वकील नहीं , कोई दलील नहीं , कोई अपील नहीं ” .
जनरल डायर के आदेश के कारण जलियाँवाला वाग हत्याकांड हुआ . इसके एवज में उसके इस कार्य के इनाम स्वरूप जनरल डायर को सरकार की ओर से 20,000 की थैली भेंट की गई थी
प्रथम विश्व युद्ध में विजयी होने के बाद ब्रिटेन का ऑटोमन साम्राज्य और तुर्की के खलीफा के प्रति रुख बदल गया .
1919 ई . में दिल्ली में हुए खिलाफत आंदोलन के गांधीजी अध्यक्ष चुने गए .
गांधीजी के द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन के दो पक्ष थे -1 . रचनात्मक तथा 2. विध्वंसात्मक .
31 दिसम्बर , 1929 ई . की मध्य रात्रि को रावी नदी पर तिरंगा फहराया गया .
12 मार्च , 1930 ई . को अपने 79 समर्थकों को साथ लेकर गांधीजी ने दांडी के लिए प्रस्थान किया .
5 अप्रैल , 1929 ई . को दांडी पहुँचकर गांधीजी ने समुद्र के पानी से नमक बनाया .
7 अगस्त , 1942 ई . में बम्बई में कांग्रेस के अधिवेशन में यह घोषणा की गई- “ भारतीय कौम चुपचाप देखती नहीं रह सकती , जब उसकी तकदीर का फैसला होने जा रहा है . अंग्रेज चाहे तो हिंदुस्तान छोड़कर जा सकते हैं , लेकिन हिंदुस्तानी इसे नहीं छोड़ सकते , क्योंकि यह उनका घर है ” .
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जयप्रकाश नारायण ने ‘ आजाद दस्ता ’ की स्थापना की .
“भारत छोड़ो ” के जवाब में मुस्लिम लीग ने नारा दिया “ बांटो और भागो ”
मई , 1934 ई . में पटना में जयप्रकाश नारायण ने अखिल भारतीय समाजवादी सम्मेलन की स्थापना की , भारतीय क्रांतिकारी एम . एन . राय ने 17 अक्टूबर , 1920 ई . में ताशकंद में हिंदुस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की गई .
सुभाष चन्द्र बोस के विचार नेहरू तथा गांधी से नहीं मिलते थे . अतः उन्होंने ‘ इंडिपेंडेंट लीग ’ की स्थापना की .
इसके साथ ही सुभाष ने कांग्रेस के अन्दर ही ‘ फारवर्ड ब्लाक ’ का भी गठन किया .
1941 ई . में नजरबंद रहते हुए भी वे काबुल , मास्को के रास्ते बर्लिन पहुँचे .
जापान में रासबिहारी बोस द्वारा स्थापित भारतीय स्वतंत्रता लीग के अध्यक्ष बने और भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन किया .
उन्होंने सिंगापुर में 1943 ई . में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार बनाई .
18 अगस्त , 1945 ई . में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई .
जीवन घटनाक्रम
2 अक्टूबर , 1869 | काठियावाड़ ( पोरबन्दर ) के वैश्य परिवार में करमचन्द गांधी उर्फ काबा गांधी की चौथी पत्नी पुतलीबाई से मोहनदास करमचन्द गांधी का जन्म . |
1876 | माता - पिता के साथ राजकोट गए . वारह वर्ष की उम्र तक प्राथमिक स्कूल में शिक्षा प्राप्त की . एक व्यवसायी गोकुलदास माकनजी की पुत्री कस्तूरबा के साथ सगाई हुई . |
1881 | राजकोट में उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश . |
1883 | कस्तूरबा से विवाह . |
1884-85 | मांसाहार का प्रारम्भ किया , लेकिन माता - पिता से विश्वासघात न करने के कारण एक वर्ष बाद परित्याग कर दिया . 63 वर्ष की उम्र में पिता का देहान्त . |
1887 | मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की.भावनगर ( काठियावाड़ ) के एक महाविद्यालय में प्रवेश लिया . प्रथम सत्र की समाप्ति होने पर पढ़ाई छोड़ दी . |
4 सितम्बर , 1888 | समुद्र के रास्ते से इंग्लैण्ड के लिए रवाना हुए . |
28 अक्टूबर , 1888 | लन्दन पहुंचे . नृत्य और संगीत की शिक्षा लेना प्रारम्भ किया . शाकाहार भोजन पर रहे . |
1889 | पहली बार गीता का अध्ययन किया.मितव्ययी जीवनचर्या का प्रारम्भ किया . |
1890 | शाकाहारी क्लब चलाया . |
जून 1890 | लन्दन की मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की . |
सितम्बर 1890 | शाकाहारी सभा में शामिल हुए . |
10 जून , 1891 | बैरिस्टर हुए |
12 जून , 1891 | समुद्री मार्ग से भारत के लिए रवाना हुए . |
जुलाई 1891 | बम्बई पहुँचे . |
नवम्बर 1891 | बम्बई उच्च न्यायालय में प्रवेश के लिए आवेदन किया . |
1892 | राजकोट और बम्बई में वकालत के लिए संघर्ष किया .राजकोट में विधिक ड्राफ्ट्स मेन बन गए . |
अप्रैल 1893 | कानूनी काम से एक मुसलमान फर्म द्वारा नियुक्त किए जाने पर दक्षिण अफ्रीका के लिए प्रस्थान किया . |
मई - जून 1893 | रंगभेद के कई अनुभव हुए . जातीय पूर्वाग्रहों के लिए संघर्ष करने का निश्चय किया . |
22 अगस्त , 1894 | नेटाल भारतीय कांग्रेस की स्थापना की . |
1 सितम्बर , 1894 | नेटाल के सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट के रूप में नाम रजिस्टर कराया . वहाँ पर नाम रजिस्टर कराने वाले पहले भारतीय वने . वाइबिल एवं कुरान का अध्ययन किया . लियो टॉल्सटाय की पुस्तक ' किंगडम ऑफ गॉड इज विदिन यू ' का अध्ययन किया . |
1895 | दक्षिणी अफ्रीकी भारतीयों की समस्याओं के प्रति अधिक प्रतिबद्ध हुए . द इण्डियन फ्रैंचाइजा एन अपील टु एवरी ब्रिटन इन साउथ अफ्रीका जारी की . |
जुलाई 1896 | भारत वापस आए तथा दक्षिणी अफ्रीकी भारतीयों की ओर से आन्दोलन प्रारम्भ किया |
14 अगस्त , 1896 | राजकोट में ‘ द ग्रीन पैम्पलेट ’ प्रकाशित किया . दक्षिण अफ्रीका के भारतीयों की शिकायत के सम्बन्ध में भारतीयों को जानकारी देने के उद्देश्य से पूना , कलकत्ता , मद्रास एवं मुम्बई का दौरा किया . |
30 नवम्बर , 1896 | पत्नी और बच्चों के साथ समुद्र के रास्ते से दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना हुए . |
13 जनवरी , 1897 | डरवन उतरने पर , दक्षिण अफ्रीका में अनुवन्धित भारतीय मजदूरों की हालत पर भारत में उनके द्वारा दिए गए भाषणों की रिपोर्ट से उत्तेजित होकर भीड़ द्वारा उनका घेराव किया गया . |
20 जनवरी , 1897 | आक्रमणकारियों पर मुकदमा चलाने से इन्कार किया . |
6 अप्रैल , 1897 | इरवन में घटी घटनाओं एवं उसको पृष्ठ भूमि के सम्बन्ध में औपनिवेशिक राज्यमंत्री चैम्बर लेन को लम्बा अभ्यावेदन प्रस्तुत किया . |
1898-99 | लोकेशनों और भारतीयों के व्यापार सम्बन्धी अधिकारों पर प्रतिवन्धों के विरुद्ध भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस औपनिवेशिक तथा साम्राज्यिक प्राधिकारियों के सामने अभ्यावेदन प्रस्तुत किया . |
1899 | वोअर युद्ध में भारतीय एम्बुलैन्स कोर की स्थापना की . युद्ध पदक से सम्मानित . |
1900 | दक्षिण अफ्रीका के भारतीयों की समस्या पर दादाभाई नौरोजी के संकल्प के प्रारूप को कांग्रेस अधिवेशन में भेजा . |
18 अक्टूबर , 1901 | समुद्री मार्ग से भारत के लिए रवाना . |
27 अक्टूबर , 1901 | कांग्रेस के समक्ष दक्षिण अफ्रीका के बारे में संकल्प प्रस्तुत किया . |
28 जनवरी , 1902 | रंगून गए . |
1 फरवरी , 1902 | गोखले के साथ कलकत्ता में एक माह रहे . राजकोट वापिस आकर वकालत करने लगे . |
जुलाई , 1902 | राजकोट से बम्बई आकर वकालत प्रारम्भ की . |
नवम्बर , 1902 | ट्रांसवाल में एशिया - विरोधी कानून के विरुद्ध भारतीयों के मामले का नेतृत्व करने के लिए दक्षिण अफ्रीका आमंत्रित . |
दिसम्बर , 1902 | डरवन पहुंचे . चैम्बर लेन से मिलने के लिए एक प्रतिनिधिमण्डल का नेतृत्व किया . |
1903 | ट्रांसवाल के सुप्रीम कोर्ट में अटार्नी के रूप में नाम रजिस्टर कराया . ट्रांसवाल ब्रिटिश इण्डियन एसोसिएशन की स्थापना की . |
जून , 1903 | ‘ इण्डियन ओपिनियन ’ का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ . |
1904 | जॉन रस्किन की पुस्तक ‘ अन टू द लास्ट ’ का अध्ययन किया . इरवन ( नेटाल ) के पास फिनीक्स आश्रम की स्थापना की . जोहान्सबर्ग में प्लेग फैलने पर अस्पताल की व्यवस्था की . गुजराती में आहार विज्ञान पर क्रमबद्ध लेख लिखे , कुछ समय बाद इनका अंग्रेजी में अनुवाद किया जो ' गाइड टू हैल्थ ' शीर्षक से प्रकाशित हुई . |
1905 | बंगाल विभाजन का विरोध किया . विलापती वस्तुओं के बहिष्कार का समर्थन किया . ब्रिटिश उच्च आयुक्त लॉर्ड मेलबोर्न को ट्रान्सवाल के भारतीयों की समस्याओं से अवगत कराने के लिए प्रतिनिधिमण्डल का नेतृत्व किया . |
12 मई , 1906 | भारत के लिए होमरूल का समर्थन किया . |
जून - जुलाई , 1906 | जुलू विद्रोह में भारतीय स्ट्रेचर - वाहक कोर की स्थापना की . जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन करने की शपथ ली . |
11 सितम्बर , 1906 | जोहान्सबर्ग में भारतीयों की विशाल सभा को सम्बोधित किया जिसमें ताजा जारी किए गए ट्रांसवाल एशियाई कानून संशोधन अध्यादेश के विरुद्ध निष्किय प्रतिरोध करने की शपथ ली गई . |
जनवरी - फरवरी , 1907 | नैतिक धर्म पर गुजराती में आठ लेख लिखे , जो इण्डियन ओपिनियन में साप्ताहिक तथा एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुए . |
मार्च , 1907 | ट्रांसवाल की पार्लियामेन्ट में एशियाई पंजीकरण अधिनियम पास हुआ . भारतीयों ने विरोध प्रकट करने के लिए सभाएं आयोजित की . |
अप्रैल , 1907 | प्रिटोरिया में स्मट्स से मिले और उन्हें जनसभाओं में पास किए गए संकल्पों से अवगत कराया . इण्डियन ओपिनियन में ब्लैक - एक्ट का विरोध करने शपथ ली . |
मई . 1907 | ब्लैक - एक्ट को ब्रिटिश सम्राट् की स्वीकृति प्राप्त हुई . |
जुलाई , 1907 | ब्लैक - एक्ट का विरोध करते हुए जनसभा को सम्बोधित किया . |
अगस्त , 1907 | पंजीकरण अधिनियम की आलोचना करते हुए स्मट्स को पत्र लिखा जिसमें कुष्ठ संशोधनों का सुझाव दिया . |
दिसम्बर , 1907 | स्मट्स ने गांधीजी पर मुकदमा चलाने का निश्चय किया . |
8 जनवरी , 1908 | सरकार से पंजीकरण अधिनियम को निलम्बित करने के लिए कहा . स्वैच्छिक पंजीकरण के लिए प्रस्ताव किया . |
10 जनवरी , 1908 | निष्क्रिय प्रतिरोध के स्थान पर ' सत्याग्रह ' शब्द अपनाया.ट्रांसवाल छोड़ने में असफल होने के कारण दो माह के कारावास का दण्ड मिला . |
30 जनवरी , 1908 | प्रिटोरिया में जनरल स्मट्स से मिलने के लिए बुलाया गया और समझौता होने पर कारावास से छोड़ दिया गया . |
10 फरवरी , 1908 | समझौते के अन्तर्गत भारतीयों द्वारा स्वैच्छिक रूप से अपने अंगुलिछाप दिए जाने को अपने हितों के प्रति विश्वासघात मानते हुए पठानों द्वारा गांधीजी पर लगभग घातक आक्रमण . अपने आक्रमणकारियों पर मुकदमा चलाने से इनकार |
मार्च - जून , 1908 | अधिनियम को रद्द करने के वचन को पूरा कराने के लिए स्मट्स से बातचीत . स्मट्स द्वारा वचन निभाने से इनकार |
जुलाई , 1908 | स्मट्स के साथ किया गया पत्र - व्यवहार प्रकाशित . भारतीयों ने एक विशाल जनसभा में अंगुलिछाप देने से इनकार करने का निश्चय किया और पंजीकरण प्रमाण पत्र को जला दिया . |
अगस्त , 1908 | भारत में ब्रिटिश राज्य को उखाड़ फेंकने के लिए हिंसा के प्रयोग को व्यर्थ एवं हानिकारक बताया .स्मट्स से ब्लैक - एक्ट को रद्द करने की अपील की . पंजीकरण प्रमाण - पत्र को जलाया गया . पुनः निष्क्रिय प्रतिरोध का आरम्म . |
1 सितम्बर , 1908 | संशोधित पंजीकरण अधिनियम को सम्राट् की स्वीकृति प्राप्त . स्मट्स ने समझौते के लिए भारतीय शर्तों को अस्वीकार किया . |
15 अक्टूबर , 1908 | गांधीजी बन्दी बनाए गए एवं दो माह के कठोर कारावास की सजा दी गई . |
12 दिसम्बर , 1908 | फोक्सरूस्ट जेल से रिहा . दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेजों के भारतीयों के साथ कठोर अपमानजनक और निष्ठुर व्यवहार को ब्रिटिश साम्राज्य के लिए हानिकारक बताते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा दक्षिण अफ्रीका पर संकल्प पारित किया गया . |
16 जनवरी , 1909 | पंजीकरण प्रमाण - पत्र न दिखा पाने के लिए फोक्सरूस्ट में गिरफ्तार हुए . देश निकाला दिया गया , वापिस आ गए और फिर से गिरफ्तार कर लिए गए , परन्तु जमानत पर छोड़ दिए गए . |
20 जनवरी , 1909 | समाचार - पत्रों में लेख लिखकर भारतीयों से अन्तिम संघर्ष के लिए तैयार होने का आह्वान किया . |
25 फरवरी , 1909 | फोक्सरूस्ट में गिरफ्तार , तीन महीने की सजा दी गई . |
2 मई , 1909 | प्रिटोरिया केन्द्रीय जेल में स्थानान्तरण . |
24 मई , 1909 | जेल से रिहा किए गए . |
21 जून , 1909 | भारतीयों का मामला प्रस्तुत करने के लिए हाजी हबीब के साथ प्रतिनिधि के रूप में इंग्लैंड रवाना हुए . |
10 जुलाई , 1909 | लन्दन पहुँचे . लॉर्ड एम्पर्थिन की सहायता से प्रभावशाली ब्रिटिश नेताओं और जनसमुदाय को भारत के मामले की सही जानकारी देने तथा साम्राज्यिक अधिकारियों के सामने अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए निरन्तर कार्य करते रहे . |
1 अक्टूबर , 1909 | निष्क्रिय प्रतिरोध आन्दोलन के सम्बन्ध में टॉल्सटॉय को पत्र लिखा . |
9 नवम्बर , 1909 | ‘ द टाईम्स ’ द्वारा ट्रांसवाल कानूनों पर गांधीजी और सरकार के बीच समझौता वार्ता असफल हो जाने का समाचार प्रकाशित . |
10 नवम्बर , 1909 | टॉल्सटाय के पत्र का उत्तर दिया . अपनी जीवनी डोर्क के हाथों भेजी . |
13 नवम्बर , 1909 | इंग्लैण्ड से दक्षिण अफ्रीका के लिए प्रस्थान . एस . एस . किण्डोनन कासल पर ‘ हिन्दस्वराज ’ लिखा . |
30 नवम्बर , 1909 | दक्षिण अफ्रीका पहुँचे . |
दिसम्बर , 1909 | दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के संघर्ष की प्रशंसा करते हुए और अनुबंध की प्रथा पर रोक लगाने की माँग करते हुए लाहौर कांग्रेस द्वारा संकल्प पारित . |
4 अप्रैल , 1910 | लियो टॉल्सटाय को इण्डियन होमरूल की प्रति भेजी तथा उनसे उस पर सम्मति देने का अनुरोध किया . |
30 मई , 1910 | टॉल्सटाय फार्म की नींव रखी . |
4 दिसम्बर , 1910 | टॉल्स्टाय को श्रद्धांजलि अर्पित की |
जनवरी , 1911 | अप्रवासी प्रतिवन्ध विधेयक में संशोधनों के सम्बन्ध में स्मट्स से लिखा - पढ़ी की . स्मट्स ने आश्वासन दिया कि कानूनों में रंग भेद सम्बन्धी कोई दोष नहीं रहेगा . |
27 मार्च , 1911 | केपटाऊन में स्मट्स से साक्षात्कार किया . |
22 अप्रैल , 1911 | निष्क्रिय प्रतिरोध आन्दोलन को निलम्बित करने पर स्मट्स भारतीयों द्वारा माँगे गए आश्वासन देने के लिए सहमत हो गए . |
3 मई , 1911 | स्मट्स से भेंट की . स्मट्स द्वारा एशियाई पंजीकरण तथा अप्रवासी प्रतिबन्ध अधिनियम को रद्द करने का वचन देने पर एक अस्थायी समझौता हुआ . |
24 जून , 1911 | राज्याभिषेक के अवसर पर सम्राट के प्रति निष्ठा व्यक्त की . |
8 दिसम्बर , 1911 | गोखले को दक्षिण अफ्रीका आने के लिए आमन्त्रित किया . |
16 मार्च , 1912 | गोखले द्वारा अनुबन्ध प्रथा का उन्मूलन करने के प्रयत्नों की प्रशंसा की . |
12 सितम्बर , 1912 | फीनिक्स ट्रस्ट की स्थापना की . |
22 अक्टूबर , 1912 | गोखले के साथ दक्षिण अफ्रीका , लौरेन्को , मारकीस मोजम्बिक एवं जंजीबार का दौरा किया . यूरोपीय परिधान एवं दूध का त्याग कर दिया . |
18 जनवरी , 1913 | ‘ इण्डियन ओपिनियन ’ में वर्ष के अन्त तक भारत वापस जाने की संभावना का जिक्र किया . |
14 मार्च , 1913 | सिअरले के सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि दक्षिण अफ्रीका में हुए भारतीय विवाह अमान्य है . |
30 मार्च , 1913 | सिअरले के निर्णय का भारतीयों की विशाल जनसभा द्वारा विरोध . |
7 जून , 1913 | भेदभाव मूलक कानूनों का कठोरता से प्रयोग किए जाने तया सत्याग्रह फिर से प्रारम्भ होने की सम्भावना को ध्यान में रखते हुए भारत लौट जाने का विचार स्थगित कर दिया |
15 सितम्बर , 1913 | निष्क्रिय प्रतिरोध का पुनः प्रारम्भ . |
16 सितम्बर , 1913 | कस्तूरबा को बन्दी बनाया गया . |
17 अक्टूबर , 1913 | न्यू कासन गए , अनुवन्धित भारतीयों से आग्रह किया कि जब तक 3 पाउंड का कर रद्द न कर दिया जाए तब तक काम बन्द कर दें . 300 खनिकों ने हड़ताल कर दी , |
24 अक्टूबर , 1913 | ट्रांसवाल की ओर मार्च करने का प्रस्ताव किया गया |
28 अक्टूबर , 1913 | न्यू कासल से मार्च प्रारम्भ हुआ . |
30 अक्टूबर , 1913 | चार्ल्स टाऊन पहुँचे . |
3 नवम्बर , 1913 | गिरफ्तारी देने के लिए ट्रांसवाल की ओर मार्च की घोषणा की . |
6 नवम्बर , 1913 | ग्रेट मार्च का नेतृत्व किया . पामफोई में गिरफ्तार किए गए . |
7 नवम्बर , 1913 | फोक्सरुस्ट में जमानत पर रिहा कर दिए गए , मार्च करने वालों में फिर सम्मिलित हो गए . |
8 नवम्बर , 1913 | स्टैडरटन में गिरफ्तार किए गए , मुचलके पर रिहाई , मार्च जारी . |
9 नवम्बर , 1913 | टीकवर्थ में गिरफ्तार किए गए , वेलफोट में ले जाए गए . |
11 नवम्बर , 1913 | डंडी में नौ माह के कटोर कारावास का दण्ड दिया गया . |
13 नवम्बर , 1913 | फोक्सरुस्ट जेल ले जाए गए . |
14 नवम्बर , 1913 | फोक्सरुस्ट में नया अभियोग चलाए जाने पर तीन माह का दण्ड दिया गया . |
18 दिसम्बर 1913 | बिना शर्त रिहा कर दिए गए . अनुबन्धित मजदूरों की पोशाक पहनने लगे . एक बार भोजन करने का निश्चय किया गया . |
13-16 जनवरी , 1914 | स्मट्स से साक्षात्कार किया , प्रस्ताव प्रस्तुत किए . |
22 जनवरी , 1914 | स्मट्स से समझौता हो जाने पर सत्याग्रह स्थगित कर दिया गया . फार्म के निवासियों के नैतिक चूक के लिए पश्चात्ताप के रूप में 14 दिन का उपवास किया . |
जून , 1914 | भारतीय राहत अधिनियम पारित किया गया . |
18 जुलाई , 1914 | भारत के लिए इंग्लैण्ड के रास्ते जलपोत से रवाना हुए . |
4 अगस्त , 1914 | लन्दन पहुंचे . |
अक्टूबर , 1914 | भारतीय स्वयंसेवक कोर की स्थापना की . स्वयंसेवक कोर की तैनाती . कोर के कार्य में प्रशासनिक हस्तक्षेप होने पर सत्याग्रह किया . |
19 दिसम्बर , 1914 | भारत के लिए जलपोत से रवाना हुए . |
9 जनवरी , 1915 | भारत पहुँचे . एम्बुलेन्स सेवाओं के लिए कैसर - ए - हिन्द स्वर्णपदक से सम्मानित किया गया . |
20 मई , 1915 | अहमदाबाद में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की ( इसी आश्रम को बाद में साबरमती आश्रम कहा गया ) . |
1915-16 | भारत और बर्मा का दौरा किया . रेल में तृतीय श्रेणी की यात्रा की . |
1917 | अनुबन्धित भारतीयों के उत्प्रवास के विरुद्ध सफलतापूर्वक आन्दोलन चलाया . बड़े पैमाने पर हस्तनिर्मित कपड़ा बनाने के लिए चरखे के उपयोग का मन में विचार आया . |
अप्रैल , 1917 | नील की खेती में मजदूरों के हालात की जाँच करने के लिए चम्पारन ( बिहार ) गए . बन्दी बनाए गए और बाद में छोड़ दिए गए . रैयत की शिकायतों की जाँच करने के लिए बिहार सरकार द्वारा गठित समिति के सदस्य नियुक्त हुए . |
जनवरी - मार्च , 1918 | अहमदाबाद में कपड़ा मजदूरों का मामला हाथ में लिया और विवाद को शांतिपूर्वक हल करने के लिए उपवास किया . फसल न होने पर लगान मुल्तवी कराने के लिए जिला खेड़ा ( बम्बई ) में सत्याग्रह प्रारम्भ किया . |
27 अप्रैल | दिल्ली में वायसराय के युद्ध सम्मेलन में भाग लिया और उसे हिन्दुस्तानी में संबोधित किया . तत्पश्चात् सेना में लोगों की भर्ती के लिए खेड़ा जिले का दौरा किया . |
28 फरवरी , 1919 | रौलट बिल को वापस लिया जाए , इसके लिए सत्याग्रह करने की शपथ पर हस्ताक्षर किए . |
6 अप्रैल | अखिल भारतीय सत्याग्रह आंदोलन का उद्घाटन किया , देशव्यापी हड़ताल हुई . |
8-11 अप्रैल , 1919 | पंजाब में प्रवेश न करने के आदेश को मानने से इनकार करने के लिए दिल्ली जाते हुए वंदी बनाए गए , बम्बई वापस लाया गया . अनेक शहरों में हिंसा भड़क उटी . |
13 अप्रैल | अमृतसर में जलियांवाला बाग की दुःखद घटना घटी . सेना ने निहत्ये लोगों पर गोलियां चलाई जिससे 1000 से अधिक लोगों की जानें गई . साबरमती आश्रम के पास सार्वजनिक सभा को सम्बोधित किया और पश्चाताप के रूप में तीन दिन के उपवास की घोषणा की . |
14 अप्रैल | नाडियाड में सत्याग्रह के बारे में अपनी ‘ भयंकर भूल ’ को स्वीकार किया . पंजाब में मार्शल लॉ की घोषणा हुई |
18 अप्रैल | सत्याग्रह स्थगित कर दिया . |
सितम्बर | गुजराती मासिक पत्रिका ' नवजीवन का सम्पादन सँभाला : बाद में , यह हिन्दी में भी साप्ताहिक पत्रिका के रूप में प्रकाशित हुआ . |
अक्टूबर | अंग्रेजी साप्ताहिक ' यंग इंडिया ' का संपादन संभाला ; पंजाब में सरकारी ज्यादतियों की जांच के लिए गठित गैर - सरकारी समिति में सम्मिलित हुए . |
24 नवम्बर | दिल्ली में अखिल भारतीय खिलाफत सम्मेलन की अध्यक्षता की . |
दिसम्बर | अमृतसर में , कांग्रेस द्वारा मांटेग्यू - चेम्सफोर्ड सुधारों को स्वीकार किए जाने की सलाह दी . |
जनवरी 1920 | तुर्की के सुल्तान को ( जो मुसलमानों का खलीफा भी था ) इस्लाम के पवित्र स्थलों पर अपने अधिराजत्व से वंचित न करने के लिए ब्रिटिश सरकार पर दबाव डालने के उद्देश्य से वायसराय के पास जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया . |
1 अगस्त | कैसर - ए - हिंद पदक , जुलू युद्ध पदक तथा बोअर युद्ध पदक को वापस करते हुए वायसराय को पत्र लिखा . |
सितम्बर | कलकत्ता में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विशेष अधिवेशन द्वारा पंजाब और खिलाफत सम्बन्धी अन्यायों की समाप्ति के लिए गांधीजी के असहयोग कार्यक्रम की स्वीकृति . |
नवम्बर | अहमदाबाद में गुजरात विद्यापीठ की स्थापना की . |
दिसम्बर | नागपुर कांग्रेस में उनके इस संकल्प को स्वीकार किया गया कि कांग्रेस का उद्देश्य भारतीयों के लिए सभी वैध और शांतिपूर्ण साधनों द्वारा स्वराज की प्राप्ति है . |
अप्रैल , 1921 | राष्ट्रीय रचनात्मक आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए भारत में कांग्रेस के एक करोड़ सदस्य बनाने , तिलक स्वराज फंड के लिए एक करोड़ रुपया जमा करने और 20 लाख चरखों की स्थापना का कार्यक्रम प्रारम्भ किया . |
अगस्त | विदेशी वस्त्रों के पूर्ण बहिष्कार के अभियान का नेतृत्व किया और बम्बई में विदेशी कपड़ों की विशाल होली जलाई . |
दिसम्बर | अहमदाबाद अधिवेशन में कांग्रेस द्वारा उन्हें अपना सर्वेसर्वा ( डिक्टेटर ) मानकर सम्पूर्ण शक्तियाँ प्रदान की गई . |
1 फरवरी , 1922 | बारदोली ( गुजरात ) में सत्याग्रह आंदोलन चलाने के इरादे का वायसराय को नोटिस दिया . |
5 फरवरी | चौरीचीरा ( उत्तर प्रदेश ) की दुखांत घटना पर , जिसमें भीड़ द्वारा 21 पुलिस कांस्टेबलों और एक उपनिरीक्षक को जिंदा जला दिया गया था , पांच दिन का उपवास किया और सत्याग्रह आंदोलन की योजना को त्याग दिया . |
10 मार्च | साबरमती में राजद्रोह के लिए गिरफ्तार किया गया और ( 18 मार्च को ) छह वर्ष के कारावास का दंड दिया गया . |
जनवरी - फरवरी , 1924 | सैसून अस्पताल , पूना में ( 12 जनवरी को ) ऐपेंडिसाइटिस का आपरेशन किया गया और 5 फरवरी को उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया . |
अप्रैल | ‘ यंग इंडिया ’ और ' नवजीवन ' पत्रिकाओं के सम्पादक का कार्य फिर से हाथ में लिया . |
18 सितम्बर | हिन्दू - मुस्लिम एकता के लिए 21 दिन का उपवास प्रारम्भ किया . |
दिसम्बर | वेलगांव में कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की . |
सितम्बर 1925 | चरखा कातने वालों के अखिल भारतीय संघ की स्थापना की . |
नवम्बर | आश्रमवासियों द्वारा किए दुष्कर्मों के लिए उनकी ओर से सात दिन का उपवास किया . अपनी आत्मकथा ' द स्टोरी ऑफ माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ ' लिखना प्रारम्भ किया . |
नवम्बर 1927 | लंका की यात्रा पर गए . |
दिसम्बर 1928 | कलकत्ता कांग्रेस में यह संकल्प प्रस्तुत किया कि यदि 1929 के अन्त तक भारत को स्वतंत्र उपनिवेश का दर्जा नहीं दिया जाता तो फिर उसका लक्ष्य स्वतंत्रता ही होगा . |
दिसम्बर 1929 | लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में उनके आग्रह पर यह घोषित किया गया कि कांग्रेस के मतानुसार स्वराज का अर्थ है पूर्ण स्वराज ( अर्थात् पूर्ण स्वतंत्रता ) . |
फरवरी 1930 | अखिल भारतीय कांग्रेस समिति द्वारा साविनय अवज्ञा आंदोलन चलाने के लिए कांग्रेस के सर्वेसर्वा ( डिक्टेटर ) नियुक्त किए गए . |
2 मार्च | वायसराय को पत्र लिखा कि यदि कांग्रेस की मांगों को नहीं माना गया तो वे नमक कानून भंग करेंगे . |
12 मार्च | डांडी समुद्र - तट के लिए यात्रा आरम्भ की , जहाँ उन्होंने औपचारिक रूप से नमक हाथ में लिया ( अप्रैल 6 ) . |
5 मई | गिरफ्तार किए गए और बिना मुकदमा चलाए जेल भेज दिए गए ; संपूर्ण भारत में हड़ताल हुई : वर्ष की समाप्ति तक 1,00,000 से भी ज्यादा लोगों को जेल भेजा गया . |
26 जनवरी , 1931 | जेल से बिना शर्त रिहा कर दिया गया . |
फरवरी - मार्च | वायसराय के साथ कई बार वार्ता हुई जिसके परिणामस्वरूप इरविन - गांधी समझौता हुआ . |
29 अगस्त | द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में भाग लेने के लिए समुद्र के रास्ते इंग्लैंड के लिए रवाना हुए . |
सितम्बर - दिसम्बर | सम्मेलन के सत्रों में भाग लिया . |
5 दिसम्बर | इंग्लैण्ड से भारत के लिए प्रस्थान . |
28 दिसम्बर | बम्बई उतरे . |
4 जनवरी , 1932 | गिरफ्तार किए गए और बिना मुकदमा चलाए जेल में डाल दिए गए . |
20 सितम्बर | साम्प्रदायिक अधिनिर्णय में हरिजनों के लिए अलग निर्वाचन मंडलों की व्यवस्था का उन्मूलन कराने के लिए जेल में ' आमरण अनशन ' प्रारम्भ किया . |
26 सितम्बर | भारत सरकार द्वारा हरिजनों के सम्बन्ध में उनकी मांगें मान लिए जाने पर उपवास तोड़ दिया . |
11 फरवरी 1933 | अंग्रेजी और हिंदी में प्रकाश्य साप्ताहिक पत्र ' हरिजन ' की स्थापना की . |
8 मई | आत्मशुद्धि के लिए दोपहर से 21 दिन का उपवास प्रारम्भ किया , रात 9 बजे बिना शर्त रिहा कर दिए गए . |
9 मई | सविनय अवज्ञा आंदोलन छह सप्ताह के लिए स्थगित करने की घोषणा की और सरकार से अपने अध्यादेशों को वापस लेने की मांग की . |
29 मई | उपवास तोड़ दिया . |
26 जुलाई | सत्याग्रह आश्रम को विघटित कर दिया . |
30 जुलाई | सविनय अवज्ञा आंदोलन को फिर से प्रारम्भ करने के लिए अहमदाबाद से रास तक 33 अनुगामियों सहित मार्च करने के अपने निर्णय की सूचना बम्बई सरकार को दी . |
31 जुलाई | गिरफ्तार कर लिए गए और मुकदमा चलाए बिना जेल भेज दिए गए . |
4 अगस्त | छोड़ दिए गए और एक प्रतिबंध आदेश को भंग करने के लिए फिर से बंदी बना लिए गए . |
16 अगस्त | छूआछूत - विरोधी प्रचार को जारी रखने के लिए सुविधाओं से वंचित किए जाने पर उपवास किया . |
23 अगस्त | बिना शर्त रिहा कर दिया गया . |
7 नवम्बर | हरिजन - उद्धार के लिए दौरा प्रारम्भ किया . |
17 सितम्बर , 1934 | ग्रामीण उद्योगों के विकास , हरिजन - सेवा और बुनियादी हस्तशिल्पों के जरिए शिक्षा देने के कार्य में लग जाने के लिए 1 अक्टूबर से राजनीति से संन्यास लेने के निर्णय की घोषणा की . |
26 अक्टूबर | अखिल भारतीय ग्रामोद्योग संघ का उद्घाटन किया . |
30 अप्रैल , 1936 | मध्यप्रांत में वर्धा के निकट एक गांव , सेवाग्राम को अपना मुख्यालय बनाकर वहीं रहने लगे . |
22 अक्टूबर , 1937 | वर्धा में शिक्षा सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए बुनियादी हस्तशिल्पों के जरिए शिक्षा देने की अपनी योजना की रूपरेखा प्रस्तुत की . |
3 मार्च , 1939 | प्रशासन में सुधार लाने के शासन के वायदे को पूरा कराने के लिए राजकोट में आमरण अनशन ' प्रारम्भ किया और वायसराय के हस्तक्षेप पर 7 मार्च को यह अनशन समाप्त कर दिया . |
जुलाई तथा सितम्बर 1940 | युद्ध की स्थिति के सम्बन्ध में चर्चा करने के लिए वायसराय द्वारा निमंत्रित किए जाने पर उनसे भेंट की . |
अक्टूबर | वैयक्तिक सविनय अवज्ञा के लिए स्वीकृति दी , सत्याग्रह विषय पर ' हरिजन ' में प्रकाश्य रिपोर्टों तथा लेखों के पूर्व - सेंसर की सरकारी मांग पर ' हरिजन ' और संबद्ध साप्ताहिक - पत्रों का प्रकाशन स्थगित कर दिया गया . |
30 दिसम्बर , 1941 | अपने ही अनुरोध पर कांग्रेस कार्यकारिणी समिति द्वारा कांग्रेस के नेतृत्व से भारमुक्त हुए . |
18 जनवरी , 1942 | हरिजन ' और सम्बद्ध साप्ताहिक पत्रिकाएं फिर से प्रारम्भ की गई . |
27 मार्च | नयी दिल्ली में सर स्टैफोर्ड क्रिप्स से भेंट की ; तत्पश्चात् क्रिप्स के प्रस्तावों को एक ' उत्तरदिनांकित ' ( पोस्ट डेटेड ) चैक बताया . |
मई | ब्रिटिश सरकार से ' भारत छोड़ने के लिए अपील किया गया . |
8 अगस्त | भारत छोड़ो ' संकल्प के निहितार्थों पर प्रकाश डालने के लिए वम्बई में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक को सम्बोधित किया . |
9 अगस्त | गिरफ्तार किए गए और पूना में आगा खाँ महल में नजरबन्द कर दिए गए . |
15 अगस्त | आगा खाँ महल में गांधीजी के निजी सचिव महादेव देसाई का हृदयगति रुक जाने से देहांत . अगस्त - दिसम्बर दंगों के सम्बन्ध में वायसराय तथा भारत सरकार से पत्राचार , |
10 फरवरी , 1943 | 21 दिन का उपवास प्रारम्भ किया , जो 3 मार्च को तोड़ा . |
22 फरवरी , 1944 | आगा खौं महल में कस्तूरबा गांधी का निधन . |
6 मई | बिना शर्त रिहा किया गया . |
9-27 सितम्बर | एम . ए . जिन्ना से पाकिस्तान के सम्बन्ध में बातचीत जारी रखी . |
2 अक्टूबर | 75 वें जन्म - दिवस के अवसर पर कस्तूरबा स्मारक के लिए 110 लाख रुपए ( 8.25,000 पौंड ) की राशि भेंट की गई . |
17 अप्रैल , 1945 | आगामी सेनफ्रांसिस्को सम्मेलन के सम्बन्ध में एक वक्तव्य में घोषणा करते हुए कहा कि , " समानता और भारत की स्वतंत्रता के बिना शांति असम्भव है . " जर्मनी और जापान के लिए भी न्यायोचित शांति की मांग की . |
19 दिसम्बर | शांति निकेतन में सी . एफ . एंइज स्मारक अस्पताल की नींव रखी . |
दिसम्बर - जनवरी 1945-46 | बंगाल और असम का दौरा किया . |
जनवरी तथा फरवरी , 1946 | छूआछूत के विरोध तथा हिंदुस्तानी के प्रचार के लिए दक्षिण भारत का दौरा किया . |
10 फरवरी | हरिजन और सम्बद्ध साप्ताहिक पत्रिकाओं का प्रकाशन फिर से आरम्भ किया . |
अप्रैल | दिल्ली में केविनेट मिशन के साथ राजनीतिक वार्ता में भाग लिया . |
5-12 मई | शिमला गए : शिमला सम्मेलन आयोजित : विचार - विमर्श निष्फल सिद्ध हुआ . |
16 मई | केबिनेट मिशन ने अपनी योजना की घोषणा की . |
18-19 मई | केबिनेट मिशन के साथ उनकी योजना पर चर्चा की . |
26 मई | तत्कालीन परिस्थितियों में , ब्रिटिश सरकार द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज को सर्वश्रेष्ठ माना . |
6 जून | मसूरी गए . |
7 जून | दिल्ली वापस आए . |
10 जून | मित्र देशों की विजय पर यह कहते हुए हर्ष प्रकट करने से इन्कार किया कि यह " असत्य पर सत्य की विजय नहीं है . " |
11 जून | वायसराय ने गांधीजी से साक्षात्कार किया ; केन्द्र में साझा सरकार का प्रस्ताव रखा . |
16 जून | केबिनेट मिशन की बातचीत स्थगित हो गई : वायसराय ने अन्तरिम सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा . |
18 जून | कांग्रेस कार्यकारिणी समिति ने अंतरिम सरकार की योजना को स्वीकार करने का निर्णय लिया . |
20-21 जून | कार्यकारिणी समिति की बैठक में भाग लिया , क्रिप्स ने गांधीजी से भेंट की . |
23 जून | कांग्रेस को अंतरिम सरकार में शामिल न होकर केवल संविधान सभा में सम्मिलित होने की सलाह दी . |
24 जून | केबिनेट मिशन से भेंट की . |
28 जून | दिल्ली से पूना के लिए रवाना हुए . रास्ते में गाड़ी को पटरी से उतारने के प्रयत्न किए गए . |
7 जुलाई | बम्बई में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति को सम्बोधित किया ; कांग्रेस ने कैबिनेट मिशन की 16 मई की योजना को स्वीकार कर लिया . |
31 जुलाई | जिन्ना ने ' सीधी कार्रवाई करने की धमकी दी . |
12 अगस्त | वायसराय ने कांग्रेस को अस्थायी सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने की घोषणा की . |
16-18 अगस्त | कलकत्ता में भीषण नर - संहार . |
24 अगस्त | वायसराय वैवल ने योजना का रेडियो पर प्रसारण किया . |
27 अगस्त | गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार से बंगाल त्रासदी को दोहराने के विरुद्ध चेतावनी देते हुए तार दिया ; वेवेल को भी पत्र लिखा . |
4 सितम्बर | अंतरिम सरकार बनाई गई . |
26 सितम्बर | वेवेल से साक्षात्कार किया . |
9 अक्टूबर | जिन्ना की 9 - सूत्री मांगों के विषय में कांग्रेस को सूचित किया गया . |
10 अक्टूबर | नौआखली में नरसंहार . |
15 अक्टूबर | मुस्लिम लीग अंतरिम सरकार में सम्मिलित होने के लिए सहमत हो गई . |
28 अक्टूबर | कलकत्ता के लिए प्रस्थान . बिहार में दंगे - फसाद प्रारम्भ . |
6 नवम्बर | नौआखली के लिए प्रस्थान , आंशिक उपवास ' के बारे में वक्तव्य जारी किया , नौआखली का दौरा आरम्भ . |
20 नवम्बर | बिना किसी को साथ लिए अकेले ही नौआखली के दौरे पर निकल पड़े . |
20 दिसम्बर | श्रीरामपुर में एक माह का प्रवास पूरा किया |
25 दिसम्बर | नोआखाली में उन्होंने कहा , " ईश्वर मेरी जमकर परीक्षा ले रहा है " . |
30 दिसम्बर | जवाहरलाल नेहरू गांधी से आकर मिले जिनसे उन्होंने कहा , “ मेरा विवेक मेरे हृदय के भावों का पूरी तरह समर्थन कर रहा है " . |
2 जनवरी , 1947 | उन्होंने कहा , " मेरे चारों तरफ अंधेरा - ही - अंधेरा है " . श्रीरामपुर से पैदल दौरे पर चल पड़े , |
3-29 जनवरी | बिहार में दंगों से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया . |
30 जनवरी | पटना से दिल्ली के लिए रवाना हुए . नए वायसराय माउंटबेटन दिल्ली पहुँचे . |
1-2 अप्रैल | गांधीजी ने दिल्ली में एशियाई सम्बन्ध सम्मेलन को सम्बोधित किया . |
15 अप्रैल | जिन्ना के साथ मिलकर साम्प्रदायिक सद्भाव कायम करने के लिए संयुक्त रूप से अपील जारी की गई . |
29 अप्रैल | बिहार गए |
1 मई | कांग्रेस कार्यकारिणी ने सैद्धांतिक रूप से देश का विभाजन स्वीकार कर लिया . |
5 मई | एक साक्षात्कार में गांधीजी ने इस बात से इनकार किया कि भारत का साम्प्रदायिक आधार पर विभाजन अपरिहार्य है . |
24 मई | बिहार से दिल्ली के लिए प्रस्थान किया . |
31 मई | गांधीजी ने घोषणा की कि विभाजन से पहले शांति स्थापित होनी चाहिए . यह भी कि वे भारत के जीवच्छेदन ( विभाजन ) के निर्णय में भागीदार नहीं हैं . |
2 जून | वायसराय ने देश - विभाजन की योजना प्रस्तुत की ; कांग्रेस कार्यकारिणी समिति ने इसे अपनी स्वीकृति दी . |
3 जून | भारतीय नेताओं द्वारा माउंटबेटन की योजना पर रेडियो भाषण . |
6 जून | गांधीजी ने पाकिस्तान को स्वीकार करते हुए माउंटबेटन को लिखा कि वे जिन्ना को कांग्रेस के साथ पिछले सभी विवादग्रस्त विषयों को मित्रतापूर्ण ढंग से निपटाने के लिए राजी करें |
12 जून | कांग्रेस कार्यकारिणी समिति को सम्बोधित किया . |
जुलाई | भारत स्वतंत्रता बिल पास हुआ . |
27 जुलाई | भारत की रियासतों के राजाओं से जनता के वर्चस्व को एक विशेषाधिकार मानने की अपील की . |
14 अगस्त | अंग्रेजों की दासता से मुक्ति पाने पर अगले दिन का हर्षोल्लास दिवस के रूप में स्वागत , परन्तु देश विभाजन की निंदा , पाकिस्तान का जन्म . |
15 अगस्त | कलकत्ता में हिंदू - मुसलमानों में भाई - चारा |
16 अगस्त | कलकत्ता में हुए इस चमत्कार का स्वागत |
1 सितम्बर | कलकत्ता की शांति को नौ दिन का आश्चर्य बताया , उपवास का निश्चय . |
2 सितम्बर | कलकत्ता के घर में भारी भीड़ ने उन्हें घेरा , नोआखाली जाने का विचार त्याग दिया , शांति के लिए किए जाने वाले प्रयत्नों को तेज किया . |
4 सितम्बर | उपवास तोड़ दिया . |
7 सितम्बर | कलकत्ता से दिल्ली के लिए प्रस्थान ; दंगों से पीड़ित क्षेत्रों का प्रतिदिन दौरा करना प्रारम्भ किया |
24 सितम्बर | पाकिस्तानी हमलावरों द्वारा कश्मीर पर हमला . |
25 सितम्बर | कश्मीर भारतीय संघ में सम्मिलित हुआ . |
26 सितम्बर | चर्चिल के ' भारत में सर्वनाश ' वक्तव्य की आलोचना . |
1 नवम्बर | भारतीय सेना का जूनागढ़ में प्रवेश . |
3 नवम्बर | जूनागढ़ भारत में सम्मिलित हो गया . अखिल भारतीय कांग्रेस समिति को सम्बोधित किया . |
11 नवम्बर | जूनागढ़ के भारत में सम्मिलित होने का समर्थन . |
25 दिसम्बर | भारत और पाकिस्तान के बीच मित्रतापूर्ण समझौते का आग्रह . |
30 दिसम्बर | भारत द्वारा कश्मीर - विवाद संयुक्त राष्ट्र के समक्ष प्रस्तुत . |
12 जनवरी , 1948 | दिल्ली में साम्प्रदायिक शांति के लिए उपवास करने का निर्णय , माउंटबेटन गांधीजी को उपवास न रखने के लिए राजी करने में असफल . |
15 जनवरी | स्वास्थ्य की स्थिति ' नाजुक ' . भारतीय मंत्रिमंडल द्वारा पाकिस्तान को देय 55 करोड़ की राशि अदा किए जाने के निर्णय का स्वागत किया . साम्प्रदायिक शांति की स्थापना के लिए उपवास जारी रखा . |
17 जनवरी | चिकित्सकों ने चेतावनी दी कि उपवास समाप्त कराना अब नितांत आवश्यक है . केन्द्रीय शांति समिति का गठन जिसने ' शांति के लिए शपथ लेने का निर्णय लिया . |
18 जनवरी | शांति समिति ने ' शपथ ' पर हस्ताक्षर किए , ' शांति - शपथ गांधीजी को प्रस्तुत की गई , गांधीजी ने उपवास तोड़ा . |
20 जनवरी | प्रार्थना सभा में बम फटा . |
27 जनवरी | महरौली में मुसलमानों के मेले में गए . |
29 जनवरी | क्रुद्ध शरणार्थियों द्वारा गांधीजी से संन्यास लेकर हिमालय चले जाने की माँग . |
30 जनवरी | कांग्रेस को लोक सेवक संघ में रूपांतरित करने के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया : प्रार्थना सभा में जाते समय उनकी हत्या कर दी गई . |
❊Information
File Name - महात्मा गाँधी - विचारधारा, जीवन घटनाक्रम
Language - Hindi
Size - 266 KB
Number of Pages -17
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Published By - Knowledge Hub
ISBN -
Copyright Date:
29-04-2021
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Source - Upkar Publication
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महात्मा गांधी
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