कोलम्बस द्वारा अमेरिका की खोज करने के पश्चात् इंग्लैण्ड के अनेक निवासी अमेरिका चले गये । इनमें कुछ तो रोजगार प्राप्ति की इच्छा से और कुछ अपराधियों की दशा में तथा अन्य अनेक कारणों से अमेरिका पहुँचे । अमेरिका इंग्लैण्ड का एक प्रमुख उपनिवेश था । सप्तवर्षीय युद्ध में इंग्लैण्ड को आर्थिक हानि हुई थी । इस हानि को पूर्ण करने के लिये इंग्लैण्ड ने अमेरिका पर अधिक कर लगाये और यहीं से अमेरिका के निवासियों ने इंग्लैण्ड के प्रति विद्रोह किया जिसमें अमेरिका को विजयश्री प्राप्त हुई । अमेरिका का स्वतन्त्रता - संग्राम विश्व इतिहास में एक विचित्र घटना मानी जाती है । यह एक प्रकार की क्रान्ति थी , जिसके बारे में वेबस्टर नामक विद्वान ने कहा है “ अमेरिका की क्रान्ति यूरोप के राष्ट्रों की आँखें खोलने वाली थी और इसने फ्रांस की राज्य क्रान्ति को नेता प्रदान किये । ” यह क्रान्ति चिर संचित कारण का एक तत्क्षण परिणाम थी । इसके लिए महत्त्वपूर्ण कारण उत्तरदायी बने । इसका अध्ययन हम निम्नांकित शीर्षकों के आधार पर करेंगे
अमेरिकन स्वतन्त्रता के कारण
अमेरिका की स्वतन्त्रता के कारणों को दो भागों में बाँटा जा सकता है —
( क ) मौलिक कारण , तथा ( ख ) तात्कालिक कारण ।
( क ) मौलिक कारण
( 1 ) इंग्लैण्ड के प्रति कम लगाव
यद्यपि अधिकांश अमेरिकन इंग्लैण्ड के निवासी थे परन्तु उन्हें इंग्लैण्ड में सुविधाएँ न मिलने के कारण अमेरिका आना पड़ा था । अपराधी भी जो निष्कासित अवस्था में अमेरिका आये थे , इंग्लैण्ड से कोई सद्भावना नहीं रखते थे । इसके अतिरिक्त डच इत्यादि अन्य यूरोपियन जातियों को इंग्लैण्ड से कोई दिलचस्पी न थी ।
( 2 ) विचारों में अन्तर
अमेरिकी समाज प्रगतिशील तथा प्रगतिवादी और जनतान्त्रिक व्यवस्था में विश्वास रखता था जबकि इंग्लैण्ड के अंग्रेजों की भावना साम्राज्यवाद तथा राजतन्त्र में विश्वास किये हुए थी । ट्रेवेलियन ने लिखा है- “ अंग्रेज समाज पुराना , विस्तृत तथा बनावटी था जबकि अमेरिकी समाज नया , सरल और कच्चा था । ”
( 3 ) व्यापारिक प्रणाली के दोष
अमेरिका को हानि पहुँचाकर स्वयं को लाभान्वित करने की इंग्लैण्ड की नीति थी । लोहे की खानें होने पर भी लोहे की वस्तुएँ नहीं बनाई जा सकती थीं । अधिक पाई जाने वाली ऊन को भी अपनी आवश्यकताओं हेतु प्रयुक्त नहीं कर सकते थे । व्यापार केवल इंग्लैण्ड के जहाजों से ही हो सकता था । सीधा व्यापारिक सम्बन्ध भी नहीं रखा जा सकता था । कपास तथा तम्बाकू का व्यापार केवल इंग्लैण्ड से ही किया जा सकता था । यद्यपि वेस्टइण्डीज़ में सस्ता शीरा मिलता था परन्तु 1733 के कानून द्वारा यह केवल इंग्लैण्ड से ही मंगाया जा सकता था ।
( 4 ) शासन व्यवस्था के दोष
व्यवस्थापिका में यद्यपि उपनिवेश के सदस्य प्रभावशाली थे परन्तु कार्यकारिणी परिषद् में इंग्लैण्ड के अधिकारियों का प्रभाव था । इन दोनों की आपस में न पटने के कारण शासन असन्तोषपूर्ण रहा था ।
( 5 ) फ्रांसीसियों का कनाडा से निष्कासन
अमेरिकाबासी फ्रांस के डर से इंग्लैण्ड के रूप को स्वीकार किये हुए थे परन्तु सप्तवर्षीय युद्ध में फ्रांस को कनाडा से अंग्रेजों ने निकाल दिया । अब अमेरिकावासियों को किसी प्रकार का भय न रहा । फ्रांसीसी लेखक ने इस प्रकार भविष्यवाणी की थी— “ इंग्लैण्ड को शीघ्र ही इसके लिये पछताना होगा कि उसके उपनिवेशों को उसके विरुद्ध होने से रोकने वाली जो एकमात्र स्थिति थी उसका उसके द्वारा अन्त कर दिया गया । ”
( 6 ) फ्रांसीसी सहायता का प्रोत्साहन
सप्तवर्षीय युद्ध में पराजित होने के कारण फ्रांस ने अमेरिका को इंग्लैण्ड के विरुद्ध उकसाया तथा सहायता देने का भी वचन दिया ।
( 7 ) मूल निवासी अंग्रेजों के विरुद्ध
रेड इण्डियन जानवरों की खालें फ्रांस को बेचकर अनेक दूसरी वस्तुएँ प्राप्त करते थे । फ्रांस के वहाँ से हट जाने के कारण उनका व्यवसाय समाप्त हो गया । इससे वे अंग्रेजों के विरुद्ध हो गये ।
( 8 ) मूल निवासी उपद्रव
इनके उपद्रव करने से इन्हें दबाने पर जो खर्चा हुआ वह अमेरिका से प्राप्त करने का प्रयत्न हुआ इससे भी विद्रोह की भावना पनपी ।
( 9 ) स्थापित सेना
प्रधानमन्त्री ग्रेनविल ने अमेरिका की रक्षा हेतु एक सेना रखी जिसका ⅓ खर्च अमेरिका को देना था ।
( ख ) तात्कालिक कारण
( 1 ) स्टैम्प एक्ट
रेड इण्डियनों के उपद्रवों को दबाने हेतु खर्चे के लिये ग्रेनविल के मन्त्रित्वकाल में अमेरिका पर स्टैम्प एक्ट लगाया गया । इसके अन्तर्गत प्रत्येक दस्तावेज पर निर्धारित राशि का टिकट लगाना आवश्यक था । परन्तु इसका भयंकर विरोध हुआ । एक इतिहासकार ने लिखा है - “ इंग्लैण्ड की संसद भवन में बैठकर स्टैम्प एक्ट को पारित करना तो सरल था परन्तु अमेरिका में उसको वसूल करना कठिन था । ” अमेरिका वालों का नारा था- “ बिना प्रतिनिधित्व के कोई कर नहीं । ” उपद्रव से परेशान होकर अंग्रेज सरकार ने स्टैम्प टैक्स की तो समाप्ति कर दी परन्तु यह दिखाने हेतु कि उन्हें उपनिवेशों पर टैक्स लगाने का अधिकार है , ड्यूटी एक्ट पारित किया । परन्तु इसका भी विरोध हुआ । इस पर कागज और शीशे पर से कर हटा दिया गया परन्तु चाय पर फिर भी कर रहा । एक इतिहासकार ने लिखा है— “ लार्ड नार्थ की यह भयंकर भूल थी क्योंकि अमेरिका वालों ने इंग्लैण्ड के टैक्स लगाने के अधिकार का विरोध किया था न कि धनराशि का , फलस्वरूप संघर्ष प्रारम्भ रहा । ”
सभी जनता ने एक मत होकर विद्रोह शुरू कर दिया । उन्होंने एक स्वर में No Taxation without Representation की घोषणा करना प्रारम्भ कर दिया । जहाँ तहाँ विरोधी कार्य होने लगे । इस सम्बन्ध में फिशर ने लिखा है कि इस प्रकार का विरोध उस नियम के विपरीत था जो कि छोटा होने पर भी उनके लिये बहुत घातक था । जहाँ - तहाँ दंगों की शुरूआत हुई । लगभग 9 उपनिवेशों के प्रतिनिधि न्यूयार्क में इस सम्बन्ध में बातचीत करने के लिये मिले । अब क्रान्ति की स्पष्ट सम्भावना होने लगी । इन विरोधों को देखकर 1766 ई . में सरकार ने इस नियम को समाप्त कर दिया ।
( 2 ) बोस्टन चाय पार्टी
चाय पर कर का विरोध भी अमेरिकन लोगों ने किया । ईस्ट इण्डिया कम्पनी का एक जहाज बोस्टन बन्दरगाह पर रुका । अमेरिकनों ने रैड इण्डियनों का वेश बनाकर जहाज पर हमला किया और 340 के लगभग पेटियों को समुद्र में फेंक दिया । इससे अंग्रेजों और अमेरिकनों के सम्बन्ध बिगड़े । इसे बोस्टन चाय पार्टी कहा जाता है ।
( 3 ) खूनी हत्या कांड
बोस्टन में कुछ नागरिकों पर अंग्रेजी सेना ने गोली चलाई । कुछ लोगों का खून होने से अमेरिकन महाद्वीप में विद्रोह की भावना फैल गई ।
( 4 ) शाही जहाज को नष्ट करना
अमेरिकावासियों ने इंग्लैण्ड के एक शाही जहाज को नष्ट कर दिया । इससे अंग्रेज अत्यन्त क्रुद्ध हुए ।
( 5 ) बोस्टन बन्दरगाह का बन्द होना
अनेक प्रकार की बाधाओं के कारण अंग्रेजों ने बोस्टन का बन्दरगाह व्यापार के लिये बन्द कर दिया । इन अनेक मौलिक और तात्कालिक कारणों से अमेरिका में स्वतन्त्रता आन्दोलन प्रारम्भ हो गया ।
युद्ध की घटनाएँ
जार्जिया को छोड़कर शेष 12 उपनिवेश इंग्लैण्ड के विरुद्ध तैयार हुए । 1775 में लेंकिंग्सटन के युद्ध में अमरीका की विजय हुई । जार्जिया भी इंग्लैण्ड के विरुद्ध हुआ । सभी उपनिवेशों ने जार्ज वाशिंगटन को सेनापति नियुक्त किया । यद्यपि कुछ स्थानों पर इंग्लैण्ड की विजय हुई परन्तु स्ट्रटोगा में हुई 1777 की लड़ाई में इंग्लैण्ड पराजित हुआ । 1778 में फ्रांस द्वारा तथा 1779 में स्पेन के द्वारा भी इंग्लैण्ड के विरुद्ध युद्ध घोषित हुआ । इसी बीच में प्रशा ने इंग्लैण्ड के विरुद्ध संघ की स्थापना की । 1782 में इंग्लैण्ड के सेनापति ने यार्क टाउन में पराजित होकर हथियार डाल दिये और 1783 की वर्साय की सन्धि द्वारा युद्ध को समाप्त घोषित किया गया । इसके अनुसार
( अ ) अमेरिका के 13 उपनिवेशों को स्वतन्त्र घोषित किया गया ।
( ब ) कनाडा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य मिसीसिपी नदी की सीमा स्वीकार की गई ।
( स ) अमेरिका में फ्राँस को सेंट लूसिया , टेविणो तथा अफ्रीका में सेनीवाल प्राप्त हुआ ।
( द ) भारत में भी फ्रांस के कुछ विजित प्रदेश अंग्रेजों ने लौटाये ।
अमेरिका के इस गृह युद्ध ने विश्व युद्ध का रूप धारण किया और उपनिवेशों को इंग्लैण्ड के विरुद्ध फ्राँस और स्पेन की सहायता भी प्राप्त हुई । रूस , प्रशा , डेनमार्क , स्वीडन , और हालैण्ड ये सभी उपनिवेशों के कृत्यों का समर्थन करने के लिये उद्यत हो गये । इस विषय में प्रसिद्ध इतिहासकार ट्रेवेलियन कहता है- “ सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि इसने ( उपनिवेशों के विद्रोह ने ) सभी को उत्साहित किया । उसने फ्रांस को उस दौड़ते हुए घोड़े को पीछे करने के लिये उत्साहित किया जिसमें कि उसका उद्देश्य अमरीकी स्वतन्त्रता की सहायता करना न था अपितु सप्तवर्षीय युद्ध का बदला लेने के लिये ब्रिटिश सरकार को चोट पहुंचाना था । स्पेन ने फ्रांस का पीछा किया जबकि रूस , प्रशा , डेनमार्क , स्वीडन और हालैण्ड आदि देशों ने उपनिवेशों को युद्ध की सामग्री प्रदान करने पर जोर दिया । ”
अमेरिका की क्रान्ति के परिणाम
( 1 ) अंग्रेज जाति का विभाजन
अंग्रेज जाति अमेरिका तथा इंग्लैण्ड दो भागों में विभाजित हुई ।
( 2 ) इंग्लैण्ड की प्रतिष्ठा को चोट
फिशर ने इंग्लैण्ड की प्रतिष्ठा को हुई हानि क वर्णन इस प्रकार किया है- “ प्रशा के फ्रेड्रिक , रूस की कैथराइन और आस्ट्रिया के जोजेफ जैसे शक्तिशाली तथा बुद्धिमान शासकों के विचार में इंग्लैण्ड का सूर्य डूब चुका था । 1763 में स्थापित हुई इंग्लैण्ड की प्रतिष्ठा अठारह वर्ष बाद यार्क टाउन के आत्मसमर्पण से बहुत ही गिर गई । ”
( 3 ) नई शक्ति का अभ्युदय
अमेरिका के स्वतन्त्र होने पर नई शक्ति का उदय हुआ । कालान्तर में यह शक्ति विश्व की प्रमुख शक्ति बनी ।
( 4 ) राष्ट्रमण्डल का जन्म
ब्रिटेन द्वारा अब उपनिवेशों के साथ उदार नीति अपनाई जाने लगी । इस नीति के फलस्वरूप राष्ट्रमण्डल का जन्म हुआ ।
( 5 ) जार्ज तृतीय के व्यक्तिगत शासन की समाप्ति
इस युद्ध में हार के कारण संसद द्वारा राजा के शासन सम्बन्धी अधिकारों को कम कर दिया गया । फिशर ने लिखा है “ राजा की अमरीकी नीति की विफलता का अर्थ था इंग्लैण्ड में व्यक्तिगत शासन स्थापित करने के अन्तिम प्रयत्न की समाप्ति । ”
( 6 ) आयरलैण्ड की पार्लियामेंट को अधिकार
आयरलैण्ड में इस बात पर जोर डाला गया कि उनकी पार्लियामेन्ट को कानून बनाने का अधिकार प्राप्त हो । इंग्लैण्ड को यह बात स्वीकार करना पड़ी ।
( 7 ) फ्रांसीसी राज्य क्रान्ति को प्रोत्साहन
फ्रांसीसी सैनिक अमेरिका की ओर से लड़े थे । वहाँ से वे स्वतन्त्रता की भावना लेकर लौटे । इसके अतिरिक्त इस युद्ध से फ्रांस की आर्थिक व्यवस्था अस्त - व्यस्त हुई । जनता पर कर लगाकर जब धन प्राप्ति का प्रयत्न किया तो फ्रांस में क्रान्ति प्रारम्भ हो गई । हेज के अनुसार- “ स्वतन्त्रता की यह मशाल , जो अमेरिका में जली जिसके फलस्वरूप गणतन्त्र की स्थापना हुई , का फ्रांस के विचारों पर तीव्र प्रभाव पड़ा तथा इसने फ्रांस को क्रान्ति के मार्ग की ओर प्रेरित किया । वे भी अब अमेरिकनों के समान स्वतन्त्र होना चाहते थे ।”
अंग्रेजों की पराजय के कारण
अंग्रेजों की पराजय के लिये पर्याप्त कारण उत्तरदायी थे । उनके सैनिक अमेरिका में स्थित होकर अनेक स्थानों पर युद्ध कर रहे थे । वहाँ से इंग्लैण्ड , जो कि सेना का केन्द्र था , काफी दूर पड़ता था । इस प्रकार से सेना से सम्बन्धित कोई सूचना भेजने या युद्ध सामग्री आदि के भेजे जाने में काफी कठिनाई होती थी । इन उपनिवेशों के अन्दर अधिकतर अंग्रेज जनता ही निवास करती थी । उन्होंने सच्चे दिल से स्वतन्त्रता प्राप्त करने का प्रयास किया और उनको अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त हुई ।
उपनिवेशों के निवासी स्वतन्त्रता प्राप्त करने के लिये अपना सर्वस्व दे देने के लिये उद्यत थे । इस तत्परता ने उनको एक प्रकार का नैतिक बल ( Moral power ) प्रदान किया ।
अंग्रेजों को अपनी शक्ति पर गर्व था । वे उपनिवेशों की छोटी सी ताकत की उपेक्षा करते थे । उनकी शक्ति अन्त में उनके अत्यधिक विश्वास के लिये असफल सिद्ध हुई । इंग्लैण्ड में जार्ज तृतीय और नार्थ ने कुछ अयोग्यता का प्रदर्शन किया था । वहाँ पर संसद तथा केबिनेट के अन्दर संघर्ष चला करता था । इन कारणों से भी अंग्रेजी सैनिक हतोत्साहित होते गये । उनकी शक्ति भी शिथिल होती गयी । पार्लियामेन्ट के एक सदस्य एडमंड बर्क ने इस प्रकार कहा था- “ मैं अमेरिका के विरोध से सन्तुष्ट हूँ । अन्याय तथा अत्याचार के कारण अमेरिका वाले पागल हो गये और अंग्रेज उन्हें इस पागलपन का दंड दे रहे हैं । वे शायद यह भूल गये हैं कि उन्होंने स्वयं इस पागलपन का बीजारोपण किया है । ”
बर्क के उपर्युक्त वक्तव्य से हमें यह स्पष्ट हो जाता है कि अंग्रेज इस युद्ध को अनुचित समझते थे और उसी कारण से उनके अन्तर्गत उत्साह की कमी थी ।
अंग्रेजों की शक्ति इस समय भारत , आयरलैंड और यूरोप के अन्दर विभक्त थी । इस शक्ति के विभाजन के कारण वे पूरी शक्ति से फ्रांसीसियों का विरोध न कर सके । उधर सप्तवर्षीय युद्ध में अंग्रेज ही विजयी हुए जिससे कि उनकी शक्ति में काफी वृद्धि हुई । अंग्रेजों की शक्ति के बढ़ने के कारण अन्य राज्य उनके प्रति ईर्ष्या का भाव रखने लगे । इंग्लैण्ड के विरुद्ध फ्रांस और स्पेन ने अमेरिका की सहायता की । इस तरह से अंग्रेज इस राज्य क्रान्ति की समस्या को आसानी से सुलझा नहीं सकते थे ।
उधर अमेरिकावासियों के अन्दर असीम देशप्रेम और उत्साह भरा हुआ था और उन्हें जार्ज वाशिंगटन का कुशल नेतृत्व प्राप्त हुआ । इससे अमेरिका की सफलता अनिवार्य हो गई | Ramsay Muis ने भी इस सम्बन्ध में कहा है— “ विश्वास की दृढ़ता जिसको कि वाशिंगटन के नेतृत्व ने उपनिवेशों में जगाया था , इसने उनको इस महान् परन्तु कठिन युद्ध में विजय दिलाई । ”
इस प्रकार अमेरिका के उपनिवेशों ने संघर्ष करके अपनी राष्ट्रीय स्वतन्त्रता को कायम किया तथा एक जनतन्त्रात्मक गणराज्य ‘ संयुक्त राज्य अमेरिका ’ की स्थापना हुई ।