Important Terminology Used in International Marketing System
साख - पत्र ( Letter of Credit - LOC )
वैश्विक व्यापार को व्यापक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले ' साख पत्र ' ( एलओसी ) से अभिप्राय ऐसे परिपत्र से है , जो किसी बैंक / बैंकिंग संस्था द्वारा इस आशय से लिखा जाता है कि इसमें उल्लिखित या अंकित व्यक्ति को एक निश्चित सीमा तक साख की सुविधा प्रदान करे . साख - पत्र वाणिज्यिक अथवा व्यक्तिगत स्वभाव का हो सकता है . यदि साख - पत्र में लाभार्थी को तुरन्त भुगतान प्राप्त हो जाने की व्यवस्था का उल्लेख होता है , तो इसे दर्शनीय साख - पत्र ( Sight Credit ) कहा जाता है , इसके विपरीत यदि साख - पत्र में लेखक द्वारा विनिमय बिल की परिपक्व तिथि पर भुगतान करने का उल्लेख होता है , तो ऐसे साख पत्र को सावधि साख- पत्र ( Term Credit ) कहा जाता है .
अधिकांशतः , ' साख - पत्र आयातकर्ता के बैंक द्वारा निर्यातकर्ता के बैंक अथवा उसके देश में संचालित अपनी ही शाखा को लिखा जाता है , जिसमें वह आयातकर्ता को बेचे गए माल के मूल्य के भुगतान का वचन देता है .
इण्डेन्ट ( Indent )
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की दशा में जब आयातकर्ता द्वारा माल / सेवा का क्रयादेश सीधा उत्पादक / आपूर्तिकर्ता के पास नहीं भेजा जाता है , बल्कि किसी निर्यात एजेन्ट के पास प्रेषित किया जाता है , तो ऐसे आदेश को ' इण्डेन्ट ' कहा जाता है .
कार्ट टिकिट ( Cart Ticket )
यह टिकिट निर्यातक द्वारा तैयार करके ' निर्यात कारगो ' के चालक को दी जाती है और इसमें जहाज का नाम , बन्दरगाह का नाम , पैकेजों की संख्या , जहाजी बिल संख्या , अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों का उल्लेख किया जाता है . इस टिकिट को गेट पास भी कहा जाता है .
मूल स्थान का प्रमाण - पत्र ( Certificate of Origin )
निर्यातित राष्ट्र की ओर से प्रदान किया जाने वाला यह प्रमाण पत्र उस माल के विनिर्माण या उत्पादित करने का प्रमाण प्रस्तुत करता है . ऐसे प्रमाण पत्र की आवश्यकता उस समय होती है जब किसी राष्ट्र विशेष के माल को प्रतिबन्धित किया गया हो अथवा जब एक राष्ट्र द्वारा किसी देश विशेष से आयात किए जाने वाले माल पर बहुत ही कम दर से तटकर वसूल किया जाता है .यह प्रमाण - पत्र , निर्यातक राष्ट्र की सरकार द्वारा अधिकृत व्यापार संघ या निर्यात संवर्द्धन परिषद् या चेम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा जारी किया जाता है .
डॉक चालान ( Dock Challan )
समुद्री प्लेटफॉर्म ( Dock ) पर निर्यात किए जाने वाले माल को रखने की व्यवस्था करने हेतु जिस रसीद की आवश्यकता होती है , उसे ही डॉक चालान कहा जाता है . इसके प्रस्तुत करने पर ही डॉक प्रभारी द्वारा निर्धारित शुल्क वसूल किया जाता है तथा माल को जहाज में लादने की व्यवस्था की जाती है .
कटौती ( Discount House )
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में अल्पकालीन वित्त आपूर्ति करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले ' कटौती गृह ' से अभिप्राय ऐसे व्यावसायिक प्रतिष्ठान से है , जो अल्प अवधि वाले व्यापारिक विनिमय बिलों को उनकी परिपक्व तिथि से पूर्व खरीद लेते हैं . और तत्पश्चात् देय तिथि पर आहार्य ( Drawee ) के समक्ष प्रस्तुत करके भुगतान प्राप्त कर लेते हैं . लंदन मुद्रा बाजार में उल्लेखनीय भूमिका अदा करने वाले कटौती गृहों का संघ वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है , किन्तु अन्य राष्ट्रों में कटौती गृहों का कार्य वहाँ के वाणिज्यिक बैंकों द्वारा ही किया जाता है .
जहाज पर मूल्य ( Free on Board Price - FOB Price )
जब आयातक द्वारा निर्यातक से माल के मूल्य एवं अन्य सम्बन्धित खर्चों की जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है , तो निर्यातक उसे ' मूल्य उद्धरण ' ( Price Quotation ) प्रेषित करता है . निर्यातक इस मूल्य उद्धरण में स्पष्ट कर देता है कि माल की कुल कीमत में किन किन व्ययों को सम्मिलित किया गया है तथा किन - किन मूल्यों को सम्मिलित नहीं किया गया है ?
यदि मूल्य उद्धरण भेजते समय उसमें स्थानीय मूल्य के अलावा माल का भाड़ा , पैकिंग खर्चा , निर्यात कर , जहाज लदाई का व्यय , डाक व्यय आदि सम्मिलित होते हैं , तो ऐसे उद्धरण को ' जहाज पर मूल्य ' या एफओबी कहा जाता है . ऐसी स्थिति में भावी प्रकार के व्यय आयातक / क्रेता द्वारा वहन किए जाते हैं .
सी . एण्ड एफ . प्राइस ( Cost and Freight Price - C & F Price )
जब निर्यातक या विदेशी विक्रेता द्वारा अपने बन्दरगाह से आयातक के देश के बन्दरगाह तक माल प्रेषित करने के उद्देश्य से स्थानीय मूल्य के साथ - साथ उसमें सभी प्रकार के भाड़ों को भी जोड़कर मूल्य उद्धरण भेजा जाता है , तो इसे सी . एण्ड एफ . मूल्य उद्धरण कहा जाता है .
उल्लेखनीय है कि सी . एण्ड एफ . में बीमा का व्यय सम्मिलित नहीं होता है .
एक्स - शिप प्राइस ( Ex - Ship Price )
इस मूल्य में आयातक के बन्दरगाह तक माल भेजने के सभी प्रकार के व्ययों का समावेश होता है और वहाँ से आगे के सभी व्यय आयातक स्वयं वहन करता है .
इन बॉण्ड प्राइस ( In Bond Price )
यदि निर्यातक द्वारा मूल्य उद्धरण में एक्स - शिप प्राइस के साथ आयातक के बन्दरगाह पर प्रमाणित गोदाम में माल जमा कराने तक के सभी व्ययों को भी जोड़कर दिखाता है , तो ऐसे मूल्य उद्धरण को ' इन बॉण्ड प्राइस ' कहा जाता है .
फ्रेंको ( Franco )
वह मूल्य उद्धरण जिसमें निर्यातक अपने देश के सम्भावित व्ययों के साथ - साथ आयातक के देश में उसे गोदाम तक माल पहुँचाने से सम्बन्धित सभी व्ययों को जोड़कर कुल मूल्य प्रदर्शित करता है , फ्रेंको या फ्री प्राइस कॉटेशन कहलाता है .
प्रति व्यापार ( Counter Trade )
निर्यात संवर्द्धन को बढ़ावा देने के लिए आजकल अधिकांश विकासोन्मुखी राष्ट्रों द्वारा विदेशी बाजारों में प्रवेश करने हेतु प्रति व्यापार व्यूह रचना को ही अपनाया जा रहा है . यह अन्तर्राष्ट्रीय विपणन का ऐसा स्वरूप है जिसमें दो देशों के द्वारा कुछ निश्चित उत्पादों का प्रत्यक्ष आयात व निर्यात किया जाता है तथा आयातित माल के मूल्य का भुगतान निर्यातित माल के मूल्य के द्वारा किया जाता है .
वर्तमान में भारत जैसे अनेक विकासोन्मुखी राष्ट्रों द्वारा अपने कृषि उत्पादों के निर्यात से विकसित राष्ट्रों से नवीन तकनीकों , मशीनों आदि का आयात करने हेतु प्रति व्यापार समझौता किया जाता है . कुछ देशों द्वारा पेट्रोलियम उत्पादों का आयात करके खाद्य उत्पादों का निर्यात किया जाता है .
सामरिक / रणनीतिक गठबन्धन ( Strategic Alliance )
अन्तर्राष्ट्रीय विपणन जगत् में यह गठबन्धन निरन्तर लोकप्रिय बनता जा रहा है . वस्तुतः , इस गठजोड़ या समझौते के आधार पर कोई भी कम्पनी विदेशी प्रतिस्पर्धी कम्पनियों के साथ दीर्घकालीन लाभ प्राप्ति के उद्देश्य से व्यूह रचनात्मक व्यापार करती है . ऐसे गठजोड़ के सहारे जहाँ एक ओर वह कम्पनी विदेशी बाजारों में सरलता से प्रवेश करने में सफल हो जाती है , वहीं दूसरी ओर उसे विदेशी बाजारों में नवीन आधारिक संरचना का सृजन नहीं करना पड़ता है . वह कम्पनी विदेशी बाजारों की स्थानीय संस्कृति , बाजार परम्पराओं , सामा जिक मूल्यों आदि से परिचित भी हो जाती है .
वर्तमान समय में तीन प्रकार के सामरिक गठजोड़ों का प्रचलन तेजी से बढ़ता जा रहा है :
( i ) संयुक्त साहस ( Joint Venture )
( ii ) समता व्यूह रचनात्मक गठबन्धन ( Equity Strategic Alliance )
( iii ) गैर समता व्यूह रचनात्मक गठ बन्धन ( Non - Equity Strategic Alliance )
एसटीपी रणनीति ( Segmentation , Targeting and Positioning Strategy STP )
वैश्विक बाजार विभक्तिकरण प्रक्रिया में एसटीपी रणनीति अत्यन्त ही सहायक सिद्ध होती है . इस व्यूह रचना में सर्वप्रथम सजातीय समूह के आधार पर अन्तर्राष्ट्रीय बाजार को विभाजित किया जाता है , तदुपरान्त विभिन्न खण्डों में से लक्षित बाजार ( Target Market ) का चयन किया जाता है और अन्त में इस लक्षित बाजार में उत्पाद ( माल या सेवा ) को विशिष्टताओं के साथ प्रस्तुत किया जाता है , ताकि वहाँ के सम्भावित ग्राहक उसी उत्पाद को प्राथमिकता के साथ खरीदने का निर्णय लें .
टर्नकी संविदा ( Turnkey Contract )
अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश करने के लिए टर्नकी संविदा ' या अनुबन्ध का उपयोग उस समय किया जाता है जब एक परियोजना निर्यातक कम्पनी द्वारा आयातक को उसके गंतव्य स्थल पर परियोजना को प्रारम्भ से लेकर संचालित करने तक सभी सुविधाओं के साथ सुपुर्द किया जाता है .
उल्लेखनीय है कि विशाल तेल शोधन परियोजनाओं , स्टील प्लान्ट परियोजनाओं तथा उर्वरक परियोजनाओं आदि का आयात निर्यात टर्नकी अनुबन्धों पर ही आधारित होते हैं .
पुनर्निर्यात व्यापार ( Entrepot Trade )
वह व्यापार जिसमें निर्यात करने के उद्देश्य से आयात किया जाता है , पुनर्निर्यात व्यापार कहलाता है . अर्थात् एक राष्ट्र से आयातित माल को हुबहु दूसरे राष्ट्र को निर्यात करने को ही पुनः निर्यात कहा जाता है .
विनिमय दर ( Exchange Rate )
वह दर जिस पर एक राष्ट्र की प्रचलित मुद्रा को दूसरे राष्ट्र की प्रचलित मुद्रा में परिवर्तित किया जाता है , विनिमय दर कहलाती है . यह विनिमय दर स्थायी और परिवर्तनशील हो सकती है .
वेहिकल करेन्सी ( Vehicle Currency )
किसी प्रतिष्ठित देश की प्रचलित मुद्रा , जो विदेशी विनिमय बाजार में केन्द्रीय भूमिका अदा करती है , वेहिकल करेन्सी कहलाती है . उदाहरणार्थ- यूएस डॉलर .
प्रीडेटरी प्राइसिंग ( Predatory Pricing )
वह मूल्य व्यूह रचना जिसमें बाजार के कमजोर प्रतिस्पर्धियों को हटाने / परास्त करने के उद्देश्य से उत्पादों की कीमतों को कम किया जाता है
ईपीआरजी फ्रेमवर्क ( EPRG Framework )
ईपीआरजी एक प्रकार से अन्तर्राष्ट्रीय अभिमुखन ( International Orientation ) को प्रभावित एवं निर्धारित करने वाला महत्वपूर्ण घटक है यह मॉडल या फ्रेमवर्क बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की विपणन दिशा को प्रदर्शित करता है तथा उनकी व्यावसायिक प्रवृत्तियों एवं गतिविधियों से परिचित कराता है .
मूलतः ईपीआरजी फ्रेमवर्क या मॉडल निम्नांकित चार प्रकार के अन्तर्राष्ट्रीय अभिमुखन या स्वरूपों पर प्रकाश डालता है-
एथनोसेन्ट्रिज्म ( Ethnocentrism ) यह स्वरूप विदेशी बाजार को केवल घरेलू बाजार के विस्तार के रूप में मानने पर बल देता है अर्थात् जो विपणन व्यूह रचनाएं देशी बाजार में संचालित की जा रही हैं उनको ही विदेशी बाजारों में संचालित किया जाता है . विदेशी विपणन का सम्पूर्ण प्रबन्धन भी घरेलू कार्यालय से ही किया जाता है . यह स्थिति उन छोटी फर्मों के लिए उपयुक्त मानी जाती है , जो अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों की जोखिम वहन करने में सक्षम नहीं है और अन्तर्राष्ट्रीय व्यवसाय को एक साथ व्यापक बनाने के लिए तैयार नहीं है
पोलीसेन्ट्रिज्म ( Polycentrism ) - यह अभिमुखन प्रत्येक राष्ट्र को एक पृथक् बाजार मानकर बाजार आधारित विपणन व्यूह रचना बनाने पर जोर देता है . प्रत्येक राष्ट्र की बाजार आवश्यकताओं दृष्टिगत रखते हुए विपणन उद्देश्य एवं योजनाएं क्रियान्वित की जाती हैं , राष्ट्र अनुसार बाजार खण्ड पर आधारित यह अभिमुखन राष्ट्र विशेष की परम्पराओं , रीति रिवाज , संस्कृति , वैधानिक व्यवस्था आदि को महत्व देता है तथा इसके अनुसार प्रत्येक राष्ट्र में स्वतंत्र सहायक कम्पनी स्थापित की जाती है .
रीजियोसेन्ट्रिज्म ( Regiocentrism ) - अभिमुखन का यह स्वरूप अनेक देशों के समूह को एक क्षेत्र मानते हुए क्षेत्रीय विपणन नीति अपनाने पर बल देता है . अर्थात् समान विपणन विशेषताओं वाले देशों को एक क्षेत्र मानकर विपणन व्यूह रचना क्रियान्वित की जाती है . क्षेत्र विशेष में क्षेत्रीय कार्यालय एवं क्षेत्रीय सहायक कम्पनियों की स्थापना करते हुए कार्य योजनाओं को मूर्त रूप दिया जाता है .
जियोसेन्ट्रिज्म ( Geocentrism ) - यह अभिमुखन वैश्विक विशिष्टताओं से अभिप्रेत होता है तथा विश्व को एक बाजार मानता है सम्पूर्ण विश्व को एक बाजार मानते हुए विपणन योजनाएं बनाई जाती हैं तथा उत्पादों की एक छवि को सभी देशों में कायम रखने का प्रयास किया जाता है . वर्तमान समय में सभी बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा इसी प्रक्रिया का अनुसरण किया जा रहा है .
तृतीय राष्ट्र स्थितिकरण ( Third Country Location )
जब दो राष्ट्रों के मध्य राजनीतिक कारणों की वजह से प्रत्यक्ष व्यापारिक व्यवहार अत्यन्त ही जटिल हो जाता है , तो इनमें से एक राष्ट्र की कम्पनी उस राष्ट्र में व्यापारिक गतिविधियों को सम्पन्न करने के लिए किसी तीसरे राष्ट्र का सहारा लेती है , विदेशी बाजार में प्रवेश करने की इसी व्यूह रचना को तृतीय राष्ट्र स्थितिकरण कहा जाता हैट्रिकल - डाउन फैशन स्टाइल ( Trickle Down Fashion Style )
फैशन की इस शैली को प्रस्तुत करते समय कम्पनी द्वारा केवल समाज के उच्च आय वर्ग या उच्च सामाजिक वर्ग के लोगों के लिए अपने उत्पाद को बाजार में प्रवेश दिलाया जाता है जब उच्च आय वर्ग के लोगों द्वारा उस उत्पाद को स्वीकार कर लिया जाता है , तो मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों द्वारा स्वतः ही उस उत्पाद को स्वीकार कर लिया जाता है .
ट्रिकल - अप फैशन स्टाइल ( Trickle up Fashion Style )
इस शैली या सिद्धान्त की यह मान्यता है कि जिन उत्पादों को समाज के निम्न वर्ग द्वारा अपनाया जा रहा है , धीरे - धीरे उच्च आय वर्ग के लोग भी उसका प्रयोग प्रारम्भ कर देते हैं . ट्रिकल - एक्रोस फैशन स्टाइल ( Trickle Across Fashion Style ) अन्तर्राष्ट्रीय विपणन की इस शैली का अनुपालन करते समय समाज के प्रत्येक आय वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए गुणवत्ता एवं कीमत विभिन्नता के साथ सभी प्रकार के उत्पादों को एक साथ बाजारों में प्रवेश दिलाया जाता है , फलतः सभी वर्गों में वह उत्पाद फैशन का रूप ले लेता है .
पोलीसेन्ट्रिक स्टॉफिंग ( Policentric Staffing )
अन्तर्राष्ट्रीय निगमों द्वारा कार्मिकों की भर्ती करने की इस नीति में सहायक कम्पनियों के संचालन हेतु सम्बन्धित देश के लोगों को नियुक्त किया जाता है तथा अपने मुख्यालय के प्रमुख पदों पर अपने देश के अधिकारियों को नियुक्त किया जाता है .
मुक्त व्यापार ( Free Trade )
किसी समझौते के आधार पर दो या दो से अधिक राष्ट्रों के मध्य व्यापार की ऐसी व्यवस्था करना , जिसके अनुसार उनके मध्य होने वाली विदेशी व्यापार की गतिविधियाँ बिना किसी बाधा / अवरोध के सम्पन्न की जाती हो , ' मुक्त व्यापार व्यवस्था ' कहलाती है .
जीरो सम गेम ( Zero Sum Game )
जब किसी एक राष्ट्र का सम्भावित आर्थिक लाभ दूसरे राष्ट्र द्वारा आर्थिक नुकसान में बदल दिया जाता है , तो अन्त र्राष्ट्रीय विपणन जगत् में ऐसी स्थिति या घटना को Zero Sum Game कहा जाता है .
वैश्विक विपणन सम्मिश्रण ( Global Marketing Mix )
अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों को बेचने के लिए ग्लोबल निगमों द्वारा ' वैश्विक स्तर पर विपणन मिश्रण को प्रयुक्त किया जाता है . अन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि अन्तर्राष्ट्रीय माँग को दृष्टिगत रखते हुए विपणन मिश्रण के चारों संघटकों , यथा - उत्पाद कीमत , भौतिक वितरण और संवर्द्धन में प्रभावी समन्वय स्थापित किया जाता है ताकि न केवल वर्तमान ग्राहकों को अधिकतम संतुष्टि प्रदान की जा सके , बल्कि भावी ग्राहकों को भी फर्म और उसके उत्पाद से जोड़ा जा सके विपणन सम्मिश्रण को 4Ps के नाम से भी पुकारा जाता है , क्योंकि विपणन सम्मिश्रण के सभी घटक अंग्रेजी भाषा के ' P ' अक्षर से प्रारम्भ होते हैं जैसे Product , Price Physical Distribution , Promotion .
विश्व व्यापार संगठन ( World Trade Organisation - WTO )
वैश्विक विपणन जगत् की वैधानिक व्यवस्थाओं को प्रभावशाली बनाने तथा इस क्षेत्र में नीतियों एवं निर्णयों के शीघ्र क्रियान्वयन हेतु विश्व व्यापार संगठन की स्थापना 1 जनवरी , 1995 को की गई . मूलतः 30 अक्टूबर 1947 को स्थापित महत्वपूर्ण वैश्विक संगठन General Agreement on Tariff and Trade - GATT के स्थान पर ही विश्व व्यापार संगठन को प्रतिस्थापित किया गया है . ' गैट ' की तुलना में व्यापक अधिकार प्राप्त यह संगठन विश्व स्तर पर न केवल पूँजी , प्रौद्योगिकी तथा श्रम के निर्बाध अन्तरण पर बल देता है , बल्कि अपने सदस्य राष्ट्रों को बहुपक्षीय व्यापार समझौतों के लिए अनुकूल परिवेश भी उपलब्ध कराता है
वर्तमान में 164 सदस्य राष्ट्रों की व्यापारिक नीतियों की मानीटरिंग करने वाला विश्व व्यापार संगठन सदस्यों के मध्य होने वाले विवादों के निपटारे हेतु प्रभावी तंत्र भी प्रदान करता है . विश्व व्यापार संगठन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन ' ( Ministerial Conference ) की बैठक दो वर्ष में कम से कम एक बार अवश्य आयोजित करनी होती है जिसमें सभी सदस्य राष्ट्रों के वाणिज्य मंत्री सम्मिलित होते हैं .
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले व्यापारिक समझौतों के क्रियान्वयन हेतु विश्व व्यापार संगठन द्वारा चार बहु - पक्षीय समझौता परिषदों Agreement ( Multilateral Councils ) का गठन किया गया है , जैसे-
विश्व व्यापार संगठन का 12 वाँ मंत्रि स्तरीय सम्मेलन अर्थात् ' MC12 ' दिनांक 30 नवम्बर , 2021 से 3 दिसम्बर , 2021 तक जेनेवा में होने वाला था , किन्तु वैश्विक महामारी ' कोविड -19 के कारण इसे स्थगित कर दिया गया और भावी तिथि अभी सुनिश्चित नहीं की गई है .
स्टारबक्स इंटरनेशनल स्ट्रेटजी ( Starbucks International Strategy )
सन् 1971 में स्थापित विश्वस्तरीय कम्पनी ' Starbucks ' द्वारा 1996 में टोकियो , सिंगापुर और फिलीपींस में कॉफी शॉप्स खोलकर ' अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक व्यूह रचना ' का शुभारम्भ किया गया था . बाद में एशिया , अमरीका और आस्ट्रेलिया के बाजारों में अपने व्यवसाय का विस्तार किया गया आज यह कम्पनी इसी व्यूह रचना के सहारे 50 से अधिक राष्ट्रों में करीब 35000 शॉप्स का संचालन कर रही है , प्रायः इस कम्पनी द्वारा अपनी रणनीति में Joint Venture , Licensed Stores और कॉफी विनिर्माताओं व खुदरा व्यापारियों के साथ साझेदारी का प्रयोग किया जाता है . वैश्विक विपणन व्यूह रचनाओं में स्टारबक्स द्वारा प्रयुक्त रणनीति को महत्वपूर्ण प्रभावी एवं सफल रणनीति माना जाता है .
लाइसेंसिंग एवं फ्रेन्चाइजिंग ( Licensing and Frenchising )
वर्तमान समय में न्यूनतम जोखिम के साथ विदेशी बाजारों में प्रवेश करने की सर्वाधिक लोकप्रिय विधियाँ हैं - निर्यातक द्वारा अन्य राष्ट्रों की फर्मों को लाइसेंस प्रदान करके अथवा उन्हें फ्रेंचाइजिंग देकर अपने व्यवसाय का विकास एवं विस्तार करना
वस्तुतः इन दोनों ही विधियों में एक राष्ट्र की फर्म दूसरे राष्ट्र में स्थित फर्म को अपने पेटेण्ट , व्यापारिक चिह्न , स्वत्वाधिकार या एकस्व विपणन चातुर्थ , तकनीकी दक्षता या कौशल का निश्चित अधिकार शुल्क के बदले में उपयोग करने का अधिकार प्रदान करती है आजकल अनेक ग्लोबल कम्पनियों द्वारा बिना किसी पूँजी विनियोग के इन दोनों विधियों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है .
हालांकि उपर्युक्त दोनों विधियाँ समान प्रतीत हो रही हैं , किन्तु फ्रेंचाइजिंग विधि में लाइसेंसिंग विधि की तुलना में कठोर व्यापारिक मार्गदर्शन जारी किए जाते हैं . विश्व प्रसिद्ध होटल मालिकों , सेवा प्रदाताओं , रेंटल सर्विस आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए फ्रेंन्चाइजिंग विधि को अपनाया जाता है , जबकि विनिर्माण करने वाली कम्पनियों द्वारा अपना अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार बढ़ाने के लिए लाइसेंसिंग विधि का सहारा लिया जाता है .
राशिपातन ( Dumping )
जब एक निर्यातक द्वारा अपने उत्पाद को विदेशी बाजार में लागत से भी कम कीमत पर अथवा घरेलू बाजार से कम कीमत पर बेचा जाता है , तो ऐसे निर्यात / विक्रय को राशिपातन कहा जाता है . इसे ' अन्तर्राष्ट्रीय कीमत- विभेद व्यूहरचना ' के नाम से भी पुकारा जाता है . राशिपातन करने का मूल उद्देश्य विदेशी प्रतिस्पर्धियों को परास्त करना तथा अधिकाधिक बाजार हिस्से पर अधिकार जमाना या एकाधिकार प्राप्त करना होता है . हालांकि विश्व व्यापार संगठन ( WTO ) द्वारा ऐसी व्यूहरचना को प्रतिबंधित किया गया है , फिर भी कुछ राष्ट्रों एवं उनके निर्यातकों द्वारा राशि पातन नीति का खुलेआम उपयोग किया जाता है .
उल्लेखनीय है कि जिस राष्ट्र को राशिपातन नीति का शिकार बनाया जाता है , वहाँ की सरकार अपने देश में विश्व व्यापार संगठन की सहमति से राशिपातन रोधी कर लगाकर राशिपातन के दुष्प्रभावों को कम कर सकती है . वर्तमान समय में अनेक विकासोन्मुखी देशों द्वारा विकसित राष्ट्रों की कूट रचित राशिपातन व्यूह रचना का जमकर विरोध किया जाता है तथा डब्ल्यूटीओ के निर्देशन में एंटी डम्पिंग ड्यूटी की घोषणा भी की जाती है .
एंटी - डम्पिंग ड्यूटी ( Anti - Dumping Duty )
जब किसी निर्यातक द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय कीमत - विभेद नीति का सहारा लेकर विदेशों में घरेलू बाजार से कम कीमत पर अपना माल बेचा जाता है , तो इस नीति से उत्पीड़ित देशों की सरकार द्वारा अपने स्थानीय एवं घरेलू उद्योगों को संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से राशिपातन रोधी शुल्क ' लगा दिया जाता है ताकि विदेशों से आने वाला सस्ता माल प्रतिबंधित हो सके . ऐसा शुल्क लगाने का मूल उद्देश्य स्थानीय विनिर्माताओं को सस्ते आयातित उत्पादों से बचाना होता है . ऐसे शुल्क को राशिपातन रोधी उपायों में सर्वाधिक प्रभावी उपाय माना जाता है .
हाल ही में दिसम्बर 2021 में भारत सरकार द्वारा चीन द्वारा निर्यातित सस्ते उत्पादों पर पाँच वर्ष के लिए डम्पिंग रोधी शुल्क लगाया गया है . इन उत्पादों में सीलिकॉन सीलैंट , हाइड्रोफ्लोरोकार्बन ब्लैड्स , सोडियम हाइड्रोसल्फाइट , एल्यु मीनियम उत्पाद एवं हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के घटक आर -32 सम्मिलित हैं . इसी प्रकार भारत सरकार ने सऊदी अरब , ओमान , ईरान तथा संयुक्त राष्ट्र अरब अमीरात ( यूएई ) से आयात होने वाले कैलक्लाइण्ड जिप्सम पाउडर पर भी 5 वर्ष के लिए डम्पिंग रोधी शुल्क की घोषणा कर रखी है . उल्लेखनीय है कि हमारे देश के वाणिज्यिक मंत्रालय की जाँच शाखा ' डीजीटीआर ' की अनुशंसा पर सरकार द्वारा एंटी डम्पिंग ड्यूटी की घोषणा की जाती है .
प्रतिकारी शुल्क ( Countervailing Duty )
किसी आयातक राष्ट्र की सरकार द्वारा प्रतिकारी शुल्क की घोषणा तब की जाती है जब किसी निर्यातक कम्पनी को उसके देश द्वारा निर्यातित माल पर सब्सिडी दी जाती है और उसके सहारे वह कम्पनी कम कीमत पर विदेशों में अपना माल बेचने में सफल हो जाती है . इसे प्रति संतुलन शुल्क ' भी कहा जाता है .
मूलतः प्रतिकारी शुल्क अर्थात् सीवीडी का मूल उद्देश्य घरेलू विनिर्माताओं को संरक्षण प्रदान करना होता है . यह निर्यातकों को प्राप्त होने वाली सब्सिडी के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में सहायक सिद्ध होती है . कुल मिलाकर यह शुल्क आयातित माल की कीमत को बढ़ाता है .
उदाहरणार्थ- भारतीय विनिर्मित एक मोबाइल की बाजार कीमत ₹ 20,000 है और चीनी कम्पनी द्वारा समान फीचर्स वाले मोबाइल को भारतीय बाजारों में ₹ 14,000 में बेचा जा रहा है , ऐसी स्थिति में चीनी मोबाइल का विक्रय ज्यादा होगा और भारतीय कम्पनी पिट जाएगी . चीनी कम्पनी को वहाँ की सरकार द्वारा निर्यात संवर्धन योजनान्तर्गत सब्सिडी दी जाती है , इसलिए वह भारत में कम कीमत पर मोबाइल बेचने में सफल हो रही है , किन्तु भारत सरकार प्रतिकारी शुल्क की घोषणा करके दोनों मोबाइल ब्रॉण्ड्स की कीमत को समान कर सकती है और घरेलू कम्पनी को संरक्षण प्रदान कर सकती है .
एयर - वे बिल ( Air - Way - Bill - AWB )
अन्तर्राष्ट्रीय एयरलाइन्स या कूरियर द्वारा माल प्राप्ति और उसे प्रेषित करने के लिए दी गई रसीद या प्रलेख को एडब्ल्यूबी कहा जाता है . यह एक प्रकार से शिपर और वाहक ( Carrier ) के मध्य वैधानिक अनुबन्ध होता है जिसे राजनियमों द्वारा प्रवर्तित करवाया जा सकता है . प्रत्येक एयर - वे बिल पर प्रेषक प्रापक माल का सम्पूर्ण विवरण , गंतव्य स्थल ; AWB नम्बर ( 11 डिजिट में ) आदि का उल्लेख अवश्य होना चाहिए . वर्तमान समय e - AWB का प्रचलन बढ़ता जा रहा है .
बिल ऑफ लेडिंग ( Bill of Lading )
अन्तर्राष्ट्रीय विपणन जगत् में बिल ऑफ लेडिंग ' से अभिप्राय उस प्रलेख से है जिसमें माल प्राप्ति के साथ - साथ माल के स्वत्व ( Title of Goods ) का उल्लेख भी होता है और इसका उपयोग समुद्री मार्ग से परिवहन होने वाले माल के लिए किया जाता है . इसमें विनिमय साध्यता ( Negotiability ) होती है , जबकि एयर वे बिल का प्रयोग वायु मार्ग से परिवहन होने वाले माल के लिए किया जाता है और यह गैर - विनिमय साध्य विलेख होता है .
मेट्स रसीद ( Mates Receipt )
समुद्री जहाज पर माल लादने के पश्चात् जहाज के कप्तान द्वारा निर्यातक को दी जाने वाली रसीद को मेट्स रसीद कहा जाता है .
प्रवेश बिल ( Entry Bill )
आयातक द्वारा माल प्राप्ति पर पूर्व निर्धारित प्रारूप में भरे जाने वाले फार्म को प्रवेश बिल कहा जाता है . सीमा शुल्क कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले इस प्रवेश बिल में निर्यातक , आयातक , माल , बन्दरगाह , पैकेट्स आदि का सम्पूर्ण विवरण होता है .
निर्यात संवर्द्धन क्षेत्र ( Export Promotion Zone - EPZ )
समुद्री बन्दरगाहों या एयरपोर्ट्स के नजदीक सरकार द्वारा स्थापित किए जाने वाले EPZs का प्रमुख उद्देश्य निर्यात किए जाने वाले उत्पादों को अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मक शुल्क रहित परिवेश उपलब्ध कराना होता है . वर्तमान में सेज ( Special Economic Zone SEZ ) के नाम से पुकारे जाने वाले निर्यात संवर्द्धन क्षेत्रों में तैयार होने वाले उत्पादों को गुणवत्ता एवं कीमत दोनों की दृष्टि से अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के अनुरूप बनाया जाता है . हमारे देश में निजी क्षेत्र को भी सेज स्थापित करने की अनुमति दी जा चुकी है .