राजस्थान में ऊर्जा संसाधन एवं स्त्रोत
आधुनिक शक्ति के संसाधनों मे कोयला, पैट्रोल, जल-विद्दुत मुख्य है। राजस्थान इन तीनों ही शक्ति संसाधनों में अभाव वाला राज्य माना जाता है। राजस्थान में प्रति व्यक्ति विद्दुत की खपत भारत के अन्य प्रांतों की अपेक्षा कम है और उसका स्थान 8वां है। परंतु जैसे-जैसे अधिक उद्योग स्थापित किये जा रहे है, खेती के साधन बढ़ रहें है वैसे-वैसे उनमें विद्दुत की खपत भी बढ़ रही है। अतः ऊर्जा की विकट समस्या को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों की खोज जरूरी हो गई। इसी के परिणाम स्वरूप बायोगैस, सौर ऊर्जा, वायु, भूगर्भीय ताप, कूड़ा-करकट, सरसों के झडने के बाद बचे डण्डे, ऑक के पेड़ आदि से भी ऊर्जा प्रदान करने के प्रयत्न किये जा रहे है। अगर इनका पूर्ण उपयोग किया जाए तो उससे न केवल राज्य बल्कि समस्त देश को लाभ हो सकता है।
- देश का पहला जल विद्दुत गृह 1897 दार्जिलिंग में स्थापित किया गया।
- 1951-52 राज्य में विद्दुत उत्पादन क्षमता 13.27 mw थी।
- सितम्बर 2010 में 840 से अधिक विद्दुत उत्पादन क्षमता हो गई।
- भारत में वर्ष 2012-13 में प्रति व्यक्ति विद्दुत उपलब्धता 914.41 Kwh थी।
- राज्य की कुल विद्दुत ऊर्जा का सर्वाधिक भाग तापीय ऊर्जा से प्राप्त होता है। जैसे -
- तापीय ऊर्जा से विद्दुत - 60 प्रतिशत
- जलविद्दुत - 23 प्रतिशत
- खनिज तेल गैस - 9.46 प्रतिशत
- पवन ऊर्जा - 7.87 प्रतिशत
- आणविक - 7.53 प्रतिशत
ऊर्जा के स्त्रोत
ऊर्जा प्राप्ति के स्त्रोतों को दो भागों में बांटा गया है।
1. परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत -
2. गैर परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत -
राजस्थान मे उपर्युक्त दोनों प्रकार के ऊर्जा स्त्रोत उपलब्ध है। राज्य में विगत दशकों में ऊर्जा संसाधनों के विकास में प्रगति की है व वर्तमान सरकार भी ऊर्जा उत्पादन वृद्धि पर अत्यधिक ध्यान दे रही है। राजस्थान के परम्परागत और गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधनों का संक्षिप्त विवरण द्वारा राज्य के ऊर्जा संसाधनों के वर्तमान स्वरूप एवं विकास की दिशा को स्पष्ट किया जा सकता है।
कोयला / लिग्नाइट (परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत )
राज्य कोयले के सुरक्षित भण्डारों की दृष्टि से गरीब है। राज्य के बीकानेर, नागौर व बाड़मेर जिलों मे अनुमानित 10 करोड़ मीट्रिक टन लिग्नाइट के नए भण्डारों का पता चला है फलस्वरूप लिग्नाइट भण्डारों के क्षेत्र में राजस्थान देश में अब दूसरे स्थान पर आ गया जबकि पूर्व में द्वितीय स्थान पर गुजरात था ।
पिछले कई वर्षो मे केवल जल विद्दुत शक्ति पर निर्भर रहने से गंभीर सदेह उत्पन्न हो गए है। इस प्रसंग में लिग्नाइट पर आधारित बिजली घरों की स्थापना निम्नलिखित अवस्थितियों पर संभव है
A. एक ताप बिजली घर पलाना पर तथा दूसरा बरसिंहसर (बीकानेर) पर स्थापित करने का कार्य जून 1990 में नेवेली लिग्नाइट को सौंपा चुका है।
B. बाडमेर के कपूरडी में 6 करोड़ टन लिग्नाइट भण्डार पर आधारित 1000 मेगावाट क्षमता का एक विद्दुत ग्रह स्थापित।
तापीय विद्दुत परियोजनाएं
तापीय विद्दुत गृह की इकाइयों से 1000 या इससे अधिक मेगावाट विद्दुत उत्पादित की जाती है तो उसे सुपर थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता है। जबकि एक विद्दुत उप इकाई से 500 से अधिक मेगावाट विद्दुत उत्पादित होने पर वह विद्दुत गृह सुपर क्रिटीकल थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता है।
राज्य का पहला थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट कोटा है जबकि राज्य का पहला सुपर थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट व सुपर क्रिटिकल थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट सूरतगढ़ है।
सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर परियोजना
कोटा सुपर विद्दुत तापीय परियोजना -
गिरल लिग्नाइट थर्मल पावर परियोजना -
भादरेश सुपर थर्मल पॉवर प्लांट-
छबरा सुपर क्रिटिल थर्मल पावर परियोजना-
कालीसिंध तापीय विद्दुत परियोजना -
बांसवाड़ा सुपर क्रिटिकल थर्मल पॉवर परियोजना -
कपूरडी व जालीपा -
बरसिंगसर थर्मल पॉवर परियोजना -
हाडला -
कवई - बारां
गुढा थर्मल पॉवर
गैस आधारित विद्युत परियोजना ( परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत )
खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस
खनिज तेल की प्राप्ति अवसादी शैलों में ही संभव होती है। खनिज तेल हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण होता है, राजस्थान के बीकानेर एवं जैसलमेर जिले में तथा पश्चिमी जोधपुर में अवसादी चट्टान पायी जाती है। इसलिए खनिज तेल की संभावनाओं से इनकार नही किया जा सकता।
सन् 1966 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग ने जैसलमेर मे खोज कार्य किये जिनके परिणामस्वरूप जैसलमेर शहर के उत्तर पश्चिम में मनिहारी टिब्बा के पास स्थित कमली ताल में गैस निकली है। पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (नई दिल्ली) के अनुसार राजस्थान में चार पैट्रोलियम संभावित चिन्हित किये -
1. जैसलमेर बेसिन - जैसलमेर जिले के मारी आर्क, किशनगढ़.शाहगढ़, मेजलार आदि ।
2. बाडमेर - सांचौर बेसिन - बाड़मेर और जालौर जिले ।
3. बीकानेर, नागौर बेसिन - बीकानेर, नागौर, हनुमानगढ़, गंगानगर जिले ।
4. विध्य बेसिन - धौलपुर, करौली, कोटा, झालावाड़. बांरा, बूंदी, सवाई माधोपुर जिले में।
तेल के साथ-साथ राज्य के जैसलमेर जिले में विशाल गैस के भण्डारो की प्राप्ति भी हो चुकी है। गैस भण्डार की खोज करने वाली यूरोपियन कंपनी फिनिक्स, ओवरसीज लिमिटेड ने जैसलमेर जिले के शाहगढ़ क्षेत्र मे 6 ट्रिलियन 60 खरब क्यूबिक फिट ऊँची गुणवत्ता वाली गैस होने का दावा किया है। यहाँ हाइड्रोकार्बन की उपलब्धता की दृष्टि से इस (88%) तक पाई जाने वाली मात्रा को उत्तम माना जाता है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान मे विशाल तेल भण्डारो के विद्यमान होने का दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश में ऑयल रिफाइनरी की स्थापना सुनिश्चित हो गई है।
रामगढ़ गैस परियोजना -
धौलपुर गैस कम्बाइंड साइकिल पॉवर प्लांट
अन्ता गैस विद्दुत परियोजना
H - हजीरा (गुजरात)
B - बीजापुर (मध्य प्रदेश)
J - जगदीशपुर (उत्तरप्रदेश)
झामर कोटड़ा गैस विद्दुत परियोजना
केशोरायपाटन - बूँदी
सांग डंगरी
कोटा गैस पॉवर प्रोजेक्ट
छबड़ा गैस पॉवर प्रोजेक्ट
जल विद्दुत (परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत )
जल विद्दुत राजस्थान का प्रमुख ऊर्जा का स्त्रोत है यद्यपि राजस्थान की प्राकृतिक परिस्थितियां जल विद्दुत उत्पादन के लिए उपयुक्त नहीं है फिर भी राज्य में विद्दुत आपूर्ति का लगभग 40% जल विद्दुत से ही प्राप्त होता है। राजस्थान में जहां राज्य की नदियों प बांध बनाकर विद्दुत उत्पादित की जाती है। वहीं अन्य राज्यों से भी बिजली प्राप्त की जाती है। राज्य की प्रमुख जल विद्दुत परियोजनाएं निम्न है-
माही लघुपन बिजली परियोजना
चम्बल जल विद्दुत परियोजना
अनास विद्दुत परियोजना
जाखम बांध लघुपन बिजली परियोजना
भाखड़ा नांगल परियोजना
व्यास परियोजना
इंदिरा गांधी लघुपन बिजली परियोजना
राहुघाट जल विद्दुत परियोजना
अणुशक्ति (परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत)
कृषि और औद्योगिक विकास की भारी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए कोटा के पास राजस्थान आण्विक विद्युत परियोजना प्रारम्भ की गई तथा वहां 220-220 मेगावाट की दो इकाइयाँ स्थापित की गई ताकि राजस्थान का अपना कोई आधारभूत स्टेशन बन जाए जिस पर यह राज्य निर्भर रह सके, इससे संबंधी मुख्य इकाईयाँ - कोटा तापीय विद्दुत स्टेशन है।
राजस्थान परमाणु शक्ति गृह रावतभाटा
नायला बांसवाडा
पवन ऊर्जा (गैर परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत )
पवन ऊर्जा अर्थात हवाओं द्वारा ऊर्जा प्राप्त करना सौर ऊर्जा के समान प्रकृति प्रदत्त है तथा विश्व के अनेक भागों में और अब भारत में भी इसका सफलतापूर्वक प्रयोग अनेक स्थानों पर किया जा रहा है। इनमे राजस्थान भी एक राज्य है जहाँ पवन ऊर्जा का विकास संभव है तथा इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी उठाये जा रहे है।
पवन ऊर्जा प्राप्त करने हेतु 'पवन चक्की' (Wind Mill) लगा कर इसे वायु से परिचालित किया जाता है और उससे उत्पन्न शक्ति को एकत्रकर जनरेटर चलाने, पम्पसेट चलाने, विद्युत व्यवस्था आदि में उपयोग किया जाता है। राजस्थान में विशेषकर पश्चिमी राजस्थानी में इसका विकास सर्वाधिक किया जा जाता है क्योकि यहाँ वायु की गति 20 से 40 किमी. होती है। केन्द्रीय सरकार ने इन्दिरा गाँधी नहर क्षेत्र में चारों और चरागाह विकास हेतु पवन चक्कियों से ऊर्जा प्राप्त करने का कार्यक्रम बनाया है। इसी प्रकार टाटा एनर्जी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, दिल्ली ने राजस्थान में पवन ऊर्जा विकास हेतु दीर्घकालीन योजना तैयार की है। राज्य मे मार्च, 2000 में पवन ऊर्जा विद्युत उत्पादन की नीति घोषित की गई। इस नीति के तहत सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में पवन ऊर्जा की क्रमशः 6 और 8 परियोजनाओं में विद्युत उत्पादन प्रारम्भ हो गया है। राज्य मे पवन ऊर्जा विकास की निम्न योजनायें उल्लेखनीय है-
सार्वजनिक क्षेत्र में
जैसलमेर मे 2 मेगावाट की पहली पवन ऊर्जा परियोजना अगस्त, 1999 में राजस्थान स्टेट पावर कॉरपोरेशन ने प्रारम्भ।
निजी क्षेत्र में
राजस्थान मे निजी क्षेत्र में पवन ऊर्जा के लिये गेल कालानी इंडस्ट्रीज लि., इन्दौर ने तथा विशाल ग्रुप अहमदाबाद द्वारा पवन ऊर्जा संयंत्र लगाकर विद्युत उत्पादन किया जा रहा है निजी क्षेत्र मे अन्य परियोजनाओं को स्थापित करने की योजना है।
राज्य में अक्षय ऊर्जा निगम द्वारा स्थापित संयंत्र
अमर सागर - जैसलमेर
देवगढ़ - प्रताप
बीठड़ी (फलौदी, जोधपुर )
राज्य में RSMML द्वारा स्थापित संयंत्र
मथानिया - जोधपुर
गौरीर झुंझुनू
फागी- जयपुर
बालेसर-जोधपुर
रावतभाटा चित्तौड़
बायोमास (गैर परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत )
विभिन्न प्रकार के कचरा जैसे सरसों की भूसी चावल की भूसी, गन्ने के कचरे पर आधारित विद्युत उत्पादन परियोजना स्थापित करने के लिए एक नीति 2004 में घोषित |
राज्य में बायोमास की संभावना -
बायोगैस आधारित
राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम
कुटीर ज्योति योजना
राजस्थान सौर ऊर्जा नीति 2014
यह 2011 में जारी की गई। 2014 के अंत तक राज्य में कुल 725 mw के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किये जा चुके है।
उद्देश्य
अन्य स्त्रोत
उपर्युक्त वर्णित वैकल्पिक स्त्रोतों के अतिरिक्त नगरीय एवं कृषि अपशिष्ट से ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। नगरों में प्रतिदिन निकलने वाले कूड़ा-करकट से विद्युत उत्पादन हेतु पाली और बालोतरा में 25 मेगावाट क्षमता की परियोजना लगाई गई है। कोटा के निकट कृषि अपशिष्ट से विद्युत उत्पादन योजना के अतिरिक्त अनेक अन्य प्रस्तावों पर कार्य चल रहा है।
महत्वपूर्ण तथ्य
राज्य में सौर ऊर्जा की अधिकतम संभावना वाले क्षेत्र को सौर ऊर्जा उद्यमी क्षेत्र की संज्ञा दी गई।
इसके अंतर्गत जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर शामिल।
जयपुर, जोधपुर, अजमेर को सोलर सिटी घोषित किया गया।
20 अगस्त राजीव गांधी अक्षय ऊर्जा दिवस।
14 दिसम्बर- ऊर्जा संरक्षण दिवस I
राज्य में बायोडीजल के निर्माण करने के लिए रतनज्योत की कृषि की जा रही है। राज्य में बायोडीजन की कृषि बांसवाड़ा, राजसमंद, चित्तौड, भीलवाड़ा, डूंगरपुर तथा कोटा, बारां, बूँदी, झालावाड़ में।
राजस्थान में सर्वाधिक बिजली श्री गंगानगर जिले में बनती है।
राजस्थान में सबसे ज्यादा सौर ऊर्जा संयंत्र जैसलमेर में ।
सितम्बर 1997 में उदयपुर में मेवाड़ अनुसंधान एवं विकास संस्थान के सोलर केन्द्र द्वारा पिछोला झील में विश्व की पहली सौर ऊर्जा से चलने वाली नाव चलाई जा रही है।
राज्य में सबसे बड़ा सोलर वाटर हीटर जिसकी क्षमता 55000 लीटर इसकी स्थापना " बिड़ला इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी एण्ड साइन्स" जयपुर में।
राज्य का पहला सौर ऊर्जा आधारित रेफ्रिजरेटर जैसलमेर के जवाहर चिकित्सालय में I
सर्वाधिक जल विद्युत बांसवाड़ा में तथा सर्वाधिक आणविक विद्युत उत्पादन चित्तौड़ में।
राज्य में सर्वाधिक विद्युतीकृत कुएं जयपुर में तथा न्यूनतम करौली में।
राजस्थान के नागौर जिले के मेड़ता कस्बे में देश का प्रथम भूमिगत गैस आधारित बिजलीघर I
नयागांव (जयपुर) - राज्य का प्रथम सौर ऊर्जा विद्युतीकृत गांव।
खींवसर (नागौर)- राज्य का प्रथम सौर बिजलीघर |
13 अप्रैल, 2011 को राजस्थान द्वारा घोषित ऊर्जा नीति देश की पहली सौर ऊर्जा नीति थी इस नीति के जरिए विदेशी निवेशकों को आमन्त्रित किया गया।
बालेसर (जोधपुर) में राज्य का पहला सौर ऊर्जा चलित फ्रीज स्थापित किया गया।
मनोहपुरा (जयपुर) में राज्य का पहला सौर ऊर्जा संचालित A.T.M स्थापित है।
पाँच हजार मेगावॉट सौर ऊर्जा के लिए समझौता: प्रदेश में आगामी चार सालों में 5 हजार मेगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए राज्य सरकार ने एस्सेल इन्फ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड से 6 फरवरी, 2015 को समझौता किया है। समझौते के अनुसार राज्य सरकार एवं एस्सेल इन्फ्रा मिलकर एक संयुक्त कम्पनी बनाएँगे। यह कम्पनी 5 हजार मेगावॉट क्षमता के सोलर पार्क विकसित करेगी। सोलर पार्क बनाने के लिए जैसलमेर व बीकानेर को प्राथमिकता मिलेगी।
सोलर पार्क के लिए समझौते: सरकार ने अडानी समूह से 10000 मेगावॉट के सोलर पार्क के लिए 9 फरवरी, 2015 को एमओयू किया। इसके अतिरिक्त रिलायंस पॉवर से भी 6 हजार मेगावॉट का सोलर पार्क विकसित करने का समझौता 12 फरवरी, 2015 को हुआ।
नई पवन ऊर्जा नीति, 2012:18 जुलाई, 2012 को राज्य सरकार ने नई पवन ऊर्जा नीति -' Policy for Promoting Generation of Electricity From Wind - 2012 जारी की। 17 जून, 2014 को इसमें संशोधन किया गया है। इससे राज्य में पवन ऊर्जा के क्षेत्र में प्रतिवर्ष लगभग 400 मेगावाट के संयंत्र स्थापित होंगे व 2500 करोड़ रूपये का निवेश हो सकेगा। इससे पूर्व अप्रैल, 2003 व 4 फरवारी, 2000 को पवन ऊर्जा प्रोत्साहन नीतियाँ जारी की गई थी।
24 घंटे बिजली के लिए करार करने वाला राजस्थान दूसरा राज्य बनाः घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली देने की योजना 24x7 पॉवर फॉर ऑल' पर हस्ताक्षर करने वाला राजस्थान देश का दूसरा राज्य बना।
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