राजस्थान में ऊर्जा संसाधन एवं स्त्रोत Important Notes PDF

राजस्थान में ऊर्जा संसाधन एवं स्त्रोत

राजस्थान में ऊर्जा संसाधन एवं स्त्रोत

आधुनिक शक्ति के संसाधनों मे कोयला, पैट्रोल, जल-विद्दुत मुख्य है। राजस्थान इन तीनों ही शक्ति संसाधनों में अभाव वाला राज्य माना जाता है। राजस्थान में प्रति व्यक्ति विद्दुत की खपत भारत के अन्य प्रांतों की अपेक्षा कम है और उसका स्थान 8वां है। परंतु जैसे-जैसे अधिक उद्योग स्थापित किये जा रहे है, खेती के साधन बढ़ रहें है वैसे-वैसे उनमें विद्दुत की खपत भी बढ़ रही है। अतः ऊर्जा की विकट समस्या को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों की खोज जरूरी हो गई। इसी के परिणाम स्वरूप बायोगैस, सौर ऊर्जा, वायु, भूगर्भीय ताप, कूड़ा-करकट, सरसों के झडने के बाद बचे डण्डे, ऑक के पेड़ आदि से भी ऊर्जा प्रदान करने के प्रयत्न किये जा रहे है। अगर इनका पूर्ण उपयोग किया जाए तो उससे न केवल राज्य बल्कि समस्त देश को लाभ हो सकता है।

  • देश का पहला जल विद्दुत गृह 1897 दार्जिलिंग में स्थापित किया गया।
  • 1951-52 राज्य में विद्दुत उत्पादन क्षमता 13.27 mw थी।
  • सितम्बर 2010 में 840 से अधिक विद्दुत उत्पादन क्षमता हो गई।
  • भारत में वर्ष 2012-13 में प्रति व्यक्ति विद्दुत उपलब्धता 914.41 Kwh थी।
  • राज्य की कुल विद्दुत ऊर्जा का सर्वाधिक भाग तापीय ऊर्जा से प्राप्त होता है। जैसे -
  • तापीय ऊर्जा से विद्दुत - 60 प्रतिशत
  • जलविद्दुत - 23 प्रतिशत
  • खनिज तेल गैस - 9.46 प्रतिशत
  • पवन ऊर्जा - 7.87 प्रतिशत
  • आणविक - 7.53 प्रतिशत

ऊर्जा के स्त्रोत

ऊर्जा प्राप्ति के स्त्रोतों को दो भागों में बांटा गया है।

1. परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत -

  • जल विद्दुत ।
  • तापीय विद्दुत - कोयला, गैस तथा तेल ।
  • आण्विक ऊर्जा ।

    2. गैर परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत -

  • सौर ऊर्जा ।
  • पवन ऊर्जा ।
  • बायो गैस (गोबर गैस ) ।
  • ज्वारीय तरंग ऊर्जा ।
  • भू-तापीय ऊर्जा
  • राजस्थान मे उपर्युक्त दोनों प्रकार के ऊर्जा स्त्रोत उपलब्ध है। राज्य में विगत दशकों में ऊर्जा संसाधनों के विकास में प्रगति की है व वर्तमान सरकार भी ऊर्जा उत्पादन वृद्धि पर अत्यधिक ध्यान दे रही है। राजस्थान के परम्परागत और गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधनों का संक्षिप्त विवरण द्वारा राज्य के ऊर्जा संसाधनों के वर्तमान स्वरूप एवं विकास की दिशा को स्पष्ट किया जा सकता है।

    कोयला / लिग्नाइट (परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत )

    राज्य कोयले के सुरक्षित भण्डारों की दृष्टि से गरीब है। राज्य के बीकानेर, नागौर व बाड़मेर जिलों मे अनुमानित 10 करोड़ मीट्रिक टन लिग्नाइट के नए भण्डारों का पता चला है फलस्वरूप लिग्नाइट भण्डारों के क्षेत्र में राजस्थान देश में अब दूसरे स्थान पर आ गया जबकि पूर्व में द्वितीय स्थान पर गुजरात था ।

    पिछले कई वर्षो मे केवल जल विद्दुत शक्ति पर निर्भर रहने से गंभीर सदेह उत्पन्न हो गए है। इस प्रसंग में लिग्नाइट पर आधारित बिजली घरों की स्थापना निम्नलिखित अवस्थितियों पर संभव है

    A. एक ताप बिजली घर पलाना पर तथा दूसरा बरसिंहसर (बीकानेर) पर स्थापित करने का कार्य जून 1990 में नेवेली लिग्नाइट को सौंपा चुका है।

    B. बाडमेर के कपूरडी में 6 करोड़ टन लिग्नाइट भण्डार पर आधारित 1000 मेगावाट क्षमता का एक विद्दुत ग्रह स्थापित।

  • राज्य में लिग्नाइट खनन कार्य RSMML को सौंपा जा चुका है।
  • तापीय विद्दुत परियोजनाएं

    तापीय विद्दुत गृह की इकाइयों से 1000 या इससे अधिक मेगावाट विद्दुत उत्पादित की जाती है तो उसे सुपर थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता है। जबकि एक विद्दुत उप इकाई से 500 से अधिक मेगावाट विद्दुत उत्पादित होने पर वह विद्दुत गृह सुपर क्रिटीकल थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता है।

    राज्य का पहला थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट कोटा है जबकि राज्य का पहला सुपर थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट व सुपर क्रिटिकल थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट सूरतगढ़ है।

    सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर परियोजना

  • ठुकराना गांव, सूरतगढ (श्री गंगानगर)
  • विद्दुत उत्पादन क्षमता 1500 मेगावाट ।
  • यह परियोजना कोयले पर आधारित है।
  • इसकी स्थापना राज्य विद्दुत मण्डल द्वारा की गई।
  • सूरतगढ़ राज्य का प्रथम सुपर ताप बिजली घर (100mv से अधिक सुपरताप)
  • यहाँ की कुल छः ईकाईयों में विद्दुत उत्पादन हो रहा है।
  • 660-660 की सातवीं तथा आठवीं इकाई प्रस्तावित
  • 9 वीं तथा 10 वीं इकाईयों की स्वीकृति 24 जून 2010 को प्रदान की गयी। इसके बाद विद्दुत उत्पादन क्षमता 4140 मेगावॉट हो जायेगी।
  • सूरतगढ़ थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट को 'आधुनिक तीर्थ स्थल' की संज्ञा दी गई है जबकि कोटा थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के कारण ही कोटा औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित हुआ।
  • कोटा सुपर विद्दुत तापीय परियोजना -

  • चम्बल नदी (कोटा शहर में )
  • प्रदेश का दूसरा सुपर थर्मल पावर स्टेशन है।
  • कुल उत्पादन क्षमता 1240 mw सात इकाइयों में विद्दुत उत्पादन का कार्य किया जा रहा है।
  • गिरल लिग्नाइट थर्मल पावर परियोजना -

  • गिरल (बाड़मेर)
  • थुम्बली गांव, बाड़मेर
  • वर्तमान उत्पादन क्षमता 250 mw (125 x2 )
  • गिरल थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट राज्य का पहला गैसीयकरण तकनीक आधारित विद्दुत गृह है जो कि जर्मनी की K. L. F. कम्पनी के सहयोग से संचालित है।
  • भादरेश सुपर थर्मल पॉवर प्लांट-

  • भादरेश (बाड़मेर)
  • शिलान्यास - 28 फरवरी 2007 (वसुन्धरा राजे द्वारा )
  • यह निजी क्षेत्र की "राजवेस्ट लि. कम्पनी" तथा राजस्थान मिनरल्स एण्ड माइनिंग का संयुक्त उपक्रम |
  • छबरा सुपर क्रिटिल थर्मल पावर परियोजना-

  • चौकी मोतीपुरा, छबड़ा (बारा)
  • यहाँ पर कोयले की आपूर्ति छत्तीसगढ़ से की जा रही है।
  • पानी की आपूर्ति बैथली बांध तथा हिंगलोथ बांध से।
  • कालीसिंध तापीय विद्दुत परियोजना -

  • उण्डेल (झालावाड़)
  • राज्य का चौथा सुपर थर्मल पावर स्टेशन
  • 600 600 mv की दो इकाइयां स्थापित की जाएगी कोयले की पूर्ति छत्तीसगढ़ से
  • जल की पूर्ति कालीसिंध से
  • बांसवाड़ा सुपर क्रिटिकल थर्मल पॉवर परियोजना -

  • स्वीकृति 24 जून 2010 को प्रदान की गयी।
  • इसमें 660-660 मेगावॉट की दो इकाईयां लगाई जायेगी।
  • कपूरडी व जालीपा -

  • बाडमेर
  • बरसिंगसर थर्मल पॉवर परियोजना -

  • बीकानेर
  • नेवेली लिग्नाइट कोर्पोरेशन द्वारा द्वारा संचालन।
  • 125 मेगावॉट की दो इकाईयों से विद्दुत उत्पादन
  • कोयले की आपूर्ति बरसिंगरसर तथा पलाना की खानों से की जा रही है।
  • हाडला -

  • बीकानेर
  • लिग्नाईट आधारित विद्दुत परियोजना
  • कवई - बारां

  • प्रस्तावित अडानी समूह द्वारा ।
  • उत्पादन क्षमता- 1320 मेगावॉट |
  • गुढा थर्मल पॉवर

  • स्थान- गुढ़ा (बीकानेर), क्षमता 125 मेगावाट
  • गुढ़ा थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट की स्थापना आन्ध्रप्रदेश की मरूधरा कम्पनी कर रही है जो कि राज्य का निजी क्षेत्र का पहला लिग्नाइट आधारित विद्दुत गृह होगा।
  • गैस आधारित विद्युत परियोजना ( परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत )

    खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस

    खनिज तेल की प्राप्ति अवसादी शैलों में ही संभव होती है। खनिज तेल हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण होता है, राजस्थान के बीकानेर एवं जैसलमेर जिले में तथा पश्चिमी जोधपुर में अवसादी चट्टान पायी जाती है। इसलिए खनिज तेल की संभावनाओं से इनकार नही किया जा सकता।

    सन् 1966 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग ने जैसलमेर मे खोज कार्य किये जिनके परिणामस्वरूप जैसलमेर शहर के उत्तर पश्चिम में मनिहारी टिब्बा के पास स्थित कमली ताल में गैस निकली है। पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (नई दिल्ली) के अनुसार राजस्थान में चार पैट्रोलियम संभावित चिन्हित किये -

    1. जैसलमेर बेसिन - जैसलमेर जिले के मारी आर्क, किशनगढ़.शाहगढ़, मेजलार आदि ।

    2. बाडमेर - सांचौर बेसिन - बाड़मेर और जालौर जिले ।

    3. बीकानेर, नागौर बेसिन - बीकानेर, नागौर, हनुमानगढ़, गंगानगर जिले ।

    4. विध्य बेसिन - धौलपुर, करौली, कोटा, झालावाड़. बांरा, बूंदी, सवाई माधोपुर जिले में।

    तेल के साथ-साथ राज्य के जैसलमेर जिले में विशाल गैस के भण्डारो की प्राप्ति भी हो चुकी है। गैस भण्डार की खोज करने वाली यूरोपियन कंपनी फिनिक्स, ओवरसीज लिमिटेड ने जैसलमेर जिले के शाहगढ़ क्षेत्र मे 6 ट्रिलियन 60 खरब क्यूबिक फिट ऊँची गुणवत्ता वाली गैस होने का दावा किया है। यहाँ हाइड्रोकार्बन की उपलब्धता की दृष्टि से इस (88%) तक पाई जाने वाली मात्रा को उत्तम माना जाता है।

    उल्लेखनीय है कि राजस्थान मे विशाल तेल भण्डारो के विद्यमान होने का दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश में ऑयल रिफाइनरी की स्थापना सुनिश्चित हो गई है।

    रामगढ़ गैस परियोजना -

  • रामगढ़ (जैसलमेर)
  • राजस्थान की प्रथम गैस आधारित विद्दुत परियोजना |
  • कुल उत्पादन क्षमता 113.5 मेगावॉट ।
  • गैस की आपूर्ति तनोट से तथा भारतीय गैस प्राधिकरण द्वार की जा रही है।
  • धौलपुर गैस कम्बाइंड साइकिल पॉवर प्लांट

  • यह परियोजना "गैस" तथा “नेपथा" पर आधारित।
  • उत्पादन क्षमता - 330 ऍम
  • गैस की आपूर्ति हजीरा (गुजरात) से ।
  • वर्तमान उत्पादन 220 मेगावाट I
  • अन्ता गैस विद्दुत परियोजना

  • बारा
  • राष्ट्रीय ताप विद्दुत निगम द्वारा संचालित ।
  • गैस की आपूर्ति HBJ पाईप लाईन से की जा रही है-
    H - हजीरा (गुजरात)
    B - बीजापुर (मध्य प्रदेश)
    J - जगदीशपुर (उत्तरप्रदेश)
  • झामर कोटड़ा गैस विद्दुत परियोजना

  • उदयपुर
  • राज्य खान एवं खनिज निगम द्वारा 2001 में प्रारम्भ ।
  • केशोरायपाटन - बूँदी

  • निजी क्षेत्र का पहला गैस आधारित 100 मेगावॉट का पावर प्लांट लगाया जाएगा।
  • सांग डंगरी

  • बागीदौरा उपखण्ड (बांसवाड़ा)
  • गैस आधारित बिजलीघर प्रस्तावित ।
  • कोटा गैस पॉवर प्रोजेक्ट

  • स्थान - कोटा, 330 मेगावाट
  • छबड़ा गैस पॉवर प्रोजेक्ट

  • स्थान - छबड़ा (बारां)
  • क्षमता - 330 मेगावाट
  • जल विद्दुत (परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत )

    जल विद्दुत राजस्थान का प्रमुख ऊर्जा का स्त्रोत है यद्यपि राजस्थान की प्राकृतिक परिस्थितियां जल विद्दुत उत्पादन के लिए उपयुक्त नहीं है फिर भी राज्य में विद्दुत आपूर्ति का लगभग 40% जल विद्दुत से ही प्राप्त होता है। राजस्थान में जहां राज्य की नदियों प बांध बनाकर विद्दुत उत्पादित की जाती है। वहीं अन्य राज्यों से भी बिजली प्राप्त की जाती है। राज्य की प्रमुख जल विद्दुत परियोजनाएं निम्न है-

    माही लघुपन बिजली परियोजना

  • बोरखेड़ा (बांसवाडा),
  • राजस्थान गुजरात की संयुक्त परियोजना ( माही नदी)
  • विद्दुत उत्पादन में राजस्थान की 100 प्रतिशत भागीदारी।
  • कुल उत्पादन क्षमता 140 मेगावॉट
  • चम्बल जल विद्दुत परियोजना

  • चम्बल नदी, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश की संयुक्त परियोजना
  • राजस्थान की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत।
  • गांधी प्रताप सागर बांध 115 mw विद्दुत उत्पादन,
  • राणा प्रताप सागर बांध 172 mw विद्दुत उत्पादन,
  • जवाहर सागर बांध 99 mw विद्दुत उत्पादन, कुल 386 mw विद्दुत उत्पादन,
  • अनास विद्दुत परियोजना

  • बांसवाड़ा में अनास नदी तथा हरण नदी के संगम पर 43 mw विद्दुत उत्पादन,
  • जाखम बांध लघुपन बिजली परियोजना

  • जाखम नदी, 5.50 mw विद्दुत उत्पादन, प्रतापगढ़
  • भाखड़ा नांगल परियोजना

  • यह पंजाब में भाखड़ा नागल पर स्थापित परियोजना, इससे राजस्थान के श्री गंगानगर, हनुमानगढ़ चूरू तथा बीकानेर जिलो को विद्दुत प्रदान की जाती है इसी योजना से राजस्थान को 168.5 मेगावाट विद्दुत प्राप्त होती है।
  • व्यास परियोजना

  • राजस्थान, पंजाब, हरियाणा के संयुक्त परियोजना जिसकी चार इकाईयाँ है. प्रत्येक की क्षमता 165 मेगावाट है राजस्थान को इस परियोजना से 408 मेगावाट विद्दुत प्राप्त होती है।
  • इंदिरा गांधी लघुपन बिजली परियोजना

  • राजस्थान, पंजाब, हरियाणा के संयुक्त परियोजना
  • राहुघाट जल विद्दुत परियोजना

  • करौली, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश की संयुक्त परियोजना |
  • अणुशक्ति (परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत)

    कृषि और औद्योगिक विकास की भारी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए कोटा के पास राजस्थान आण्विक विद्युत परियोजना प्रारम्भ की गई तथा वहां 220-220 मेगावाट की दो इकाइयाँ स्थापित की गई ताकि राजस्थान का अपना कोई आधारभूत स्टेशन बन जाए जिस पर यह राज्य निर्भर रह सके, इससे संबंधी मुख्य इकाईयाँ - कोटा तापीय विद्दुत स्टेशन है।

  • परमाणु के विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा को परमाणु ऊर्जा कहते हैं। इस ऊर्जा के लिए यूरेनियम तथा थोरियम जैसे परमाणु खनिजों का उपयोग किया जा रहा है।
  • राज्य के उदयपुर तथा भीलवाड़ा में यूरेनियम तथा थोरियम के भण्डार।
  • राजस्थान परमाणु शक्ति गृह रावतभाटा

  • चित्तौड़
  • 1972 में उत्पादन शुरू ( 1995 में स्थापित )
  • कनाड़ा के सहयोग से।
  • राजस्थान का प्रथम परमाणु ऊर्जा स्टेशन |
  • देश का दूसरा (प्रथम तारापुरा महाराष्ट्र ) ।
  • भारी पानी प्रौद्योगिकी पर आधारित देश का प्रथम ।
  • वर्तमान में यह "नाभिकीय ऊर्जा निगम द्वारा संचालित ।
  • फ्रांस की एरेवा कंपनी से प्राप्त यूरेनियम रावतभाटा संयंत्र में उपयोग में लिया जाता है।
  • नायला बांसवाडा

  • माही नदी के किनारे।
  • राज्य का दूसरा परमाणु बिजली घर स्थापित किया जाएगा।
  • 700 मेगावॉट उत्पादन क्षमता।
  • पवन ऊर्जा (गैर परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत )

    पवन ऊर्जा अर्थात हवाओं द्वारा ऊर्जा प्राप्त करना सौर ऊर्जा के समान प्रकृति प्रदत्त है तथा विश्व के अनेक भागों में और अब भारत में भी इसका सफलतापूर्वक प्रयोग अनेक स्थानों पर किया जा रहा है। इनमे राजस्थान भी एक राज्य है जहाँ पवन ऊर्जा का विकास संभव है तथा इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी उठाये जा रहे है।

    पवन ऊर्जा प्राप्त करने हेतु 'पवन चक्की' (Wind Mill) लगा कर इसे वायु से परिचालित किया जाता है और उससे उत्पन्न शक्ति को एकत्रकर जनरेटर चलाने, पम्पसेट चलाने, विद्युत व्यवस्था आदि में उपयोग किया जाता है। राजस्थान में विशेषकर पश्चिमी राजस्थानी में इसका विकास सर्वाधिक किया जा जाता है क्योकि यहाँ वायु की गति 20 से 40 किमी. होती है। केन्द्रीय सरकार ने इन्दिरा गाँधी नहर क्षेत्र में चारों और चरागाह विकास हेतु पवन चक्कियों से ऊर्जा प्राप्त करने का कार्यक्रम बनाया है। इसी प्रकार टाटा एनर्जी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, दिल्ली ने राजस्थान में पवन ऊर्जा विकास हेतु दीर्घकालीन योजना तैयार की है। राज्य मे मार्च, 2000 में पवन ऊर्जा विद्युत उत्पादन की नीति घोषित की गई। इस नीति के तहत सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में पवन ऊर्जा की क्रमशः 6 और 8 परियोजनाओं में विद्युत उत्पादन प्रारम्भ हो गया है। राज्य मे पवन ऊर्जा विकास की निम्न योजनायें उल्लेखनीय है-

    सार्वजनिक क्षेत्र में

    जैसलमेर मे 2 मेगावाट की पहली पवन ऊर्जा परियोजना अगस्त, 1999 में राजस्थान स्टेट पावर कॉरपोरेशन ने प्रारम्भ।

  • चित्तौड़गढ़ जिले मे देवगढ़ ग्राम में जून 2000 मे 2.25 मेगावाट पवन ऊर्जा परियोजना प्रारम्भ की गई।
  • जोधपुर जिले के फलौदी मे 2.10 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजना का प्रारम्भ मार्च, 2001 में किया गया।
  • जैसलमेर के बड़ाबाग मे 49 मेगावाट का पवन ऊर्जा संयन्त्र लगाया गया।
  • जोधपुर के मथानिया ग्राम में 140 मेगावाट क्षमता की एकीकृत और चक्रीय परियोजना स्थापित की गई।
  • निजी क्षेत्र में

    राजस्थान मे निजी क्षेत्र में पवन ऊर्जा के लिये गेल कालानी इंडस्ट्रीज लि., इन्दौर ने तथा विशाल ग्रुप अहमदाबाद द्वारा पवन ऊर्जा संयंत्र लगाकर विद्युत उत्पादन किया जा रहा है निजी क्षेत्र मे अन्य परियोजनाओं को स्थापित करने की योजना है।

  • राज्य का पवन ऊर्जा के क्षेत्र में क्रमश: तमिलनाडु, कर्नाटक महाराष्ट्र के बाद चौथा स्थान ।
  • विश्व में सर्वाधिक जर्मनी, यू. एस. ए. स्पेन, भारत में पवन ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है।
  • पवन द्वारा ऊर्जा प्राप्त करने के लिए उस क्षेत्र में 15 किलोमीटर प्रति घण्टा का न्यूनतम वेग पवन का होना अनिवार्य है।
  • राज्य में अक्षय ऊर्जा निगम द्वारा स्थापित संयंत्र

    अमर सागर - जैसलमेर

  • राज्य की प्रथम पवन ऊर्जा परियोजना
  • 2 मेगावॉट क्षमता युक्त ।
  • यह संयुक्त राजस्थान राज्य विद्युत निगम लि. के द्वारा गैर परम्परागत ऊर्जा संसाधन भारत सरकार के सहयोग से 1999 में स्थापित।
  • देवगढ़ - प्रताप

  • राज्य की दूसरी पवन ऊर्जा परियोजना |
  • यह राजस्थान राज्य विद्युत निगम लि. द्वारा 2000 में प्रारम्भ ।
  • 2.25 मेगावॉट क्षमता युक्त।
  • वर्तमान में इसका संचालन एशियन टरबाइन्स प्रा. लि. चैन्नई द्वारा।
  • बीठड़ी (फलौदी, जोधपुर )

  • राज्य की तीसरी पवन ऊर्जा परियोजना |
  • सोढ़ा सांडन - जैसलमेर
  • पोहरा- जैसलमेर
  • राज्य में RSMML द्वारा स्थापित संयंत्र

  • बड़ा बाग- जैसलमेर
  • हन्सूआ - जैसलमेर
  • हर्षपर्वत - सीकर में एयरकॉन कम्पनी द्वारा प्रारम्भ।
  • बड़ा बाग - जैसलमेर
  • निजी क्षेत्र की प्रथम पवन ऊर्जा परियोजना 2001 में प्रारम्भ।
  • मैसर्स कालानी इण्डस्ट्रीज इंदौर द्वारा संचालित है।
  • राज्य में पवन ऊर्जा के विकास हेतु इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटेल्ज ने निम्न स्थानों को चिन्हित किया है-
  • हर्षनाथ - सीकर
  • जसवन्तगढ़ - उदयपुर
  • खाडोल - बाड़मेर
  • मोहनगढ़ - जैसलमेर
  • फलौदी - जोधपुर
  • सौर ऊर्जा (गैर परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत )

    मथानिया - जोधपुर

  • क्षमता - 140 मेगावॉट
  • यह देश की प्रथम सौर ऊर्जा परियोजना |
  • विद्युत का उत्पादन गैस टरबाइन से निकलने वाली भाप से ।
  • इस परियोजना का संचालन " अक्षय ऊर्जा निगम " द्वारा ।
  • जर्मनी, विश्व बैंक तथा भारत सरकार के सहयोग से ।
  • सौर वैधशाला की स्थापना की जा रही है।
  • गौरीर झुंझुनू

  • राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम 100 किलोवाट का सोलर फोटो वोल्टेइक आधारित ग्रिड इन्टर एक्टिव सौर ऊर्जा संयंत्र ।
  • उत्पादन 2004 से
  • फागी- जयपुर

  • अक्षय ऊर्जा निगम द्वारा 1 मेगावॉट की सौरऊर्जा परियोजना स्थापित की जा रही है।
  • बालेसर-जोधपुर

  • भारत तथा राजस्थान में “ प्रथम सौर ऊर्जा “ फ्रीज जोधपुर के बालेसर उच्च प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में।
  • रावतभाटा चित्तौड़

  • दूरदर्शन का प्रसारण सौर ऊर्जा से ।

    बायोमास (गैर परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत )

    विभिन्न प्रकार के कचरा जैसे सरसों की भूसी चावल की भूसी, गन्ने के कचरे पर आधारित विद्युत उत्पादन परियोजना स्थापित करने के लिए एक नीति 2004 में घोषित |

  • राज्य में बायोमास ऊर्जा के महत्वपूर्ण स्त्रोत सरसों की भूसी व विलायती बबूल I
  • राज्य में बायोमास की संभावना -

  • पदमपुर - श्रीगंगानगर
  • कथौली - उणियारा (टोंक)
  • रंगपुर - कोटा
  • कोटपुतली - जयपुर
  • चंदेरिया - चित्तौड़
  • पचार - बांरा
  • संगरिया - हनुमानगढ़
  • रामपुर - सिरोही
  • चांदली देवली - टोंक
  • साचौर - जालौर
  • मेड़ता - नागौर
  • बायोगैस आधारित

  • स्त्रोत - पशुओं का गोबर, खेतीहर अपशिष्ट पदार्थ
  • इसमें मुख्यतः मिथेन ( 65 प्रतिशत) तथा कार्बन डाई ऑक्साइड (30 प्रतिशत) होती है।
  • राज्य में अब तक 50000 से अधिक संयंत्र लग चुके है।
  • सर्वाधिक संयंत्र उदयपुर में
  • दीनबन्धु मॉडल का संबंध बायोगैस से।
  • राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम

  • राज्य में गैर परम्परागत ऊर्जा स्त्रोतों के विकास हेतु यह निगम कार्यरत है।
  • 9 अगस्त, 2002 को REDA तथा RSPCL को मिलाकर।
  • सौर ऊर्जा उद्यमी क्षेत्र (SEEZ - Solar Energy Enterprising Zone)
  • सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट क्लीयरेस के लिये राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम (RREC) काम करेगा। यह रेजिस्ट्रेशन स्वीकृति सुविधा देने व क्रियान्वयन में मदद देगा।
  • राज्य मे सोलर पार्कों का विकास किया जायेगा। यह कार्य निजी क्षेत्र के विकासकर्ताओं के द्वारा प्रोत्साहित किया जायेगा।
  • राजस्थान अक्षय ऊर्जा कोष का निर्माण होगा जिसमे सौर ऊर्जा उत्पादक भी अपना अंशदान देगे।
  • कुटीर ज्योति योजना

  • 1988-89 से प्रारम्भ
  • गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले एस.सी./एस.टी एवं पिछड़े परिवारों को एक प्रकाश बिन्दु का घरेलू कनेक्शन उपलब्ध कराना।
  • राजस्थान सौर ऊर्जा नीति 2014

    यह 2011 में जारी की गई। 2014 के अंत तक राज्य में कुल 725 mw के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किये जा चुके है।

    उद्देश्य

  • राज्य में 25000 mw की सौर ऊर्जा क्षमता विकसित करना।
  • राज्य मे दीर्घकालीन ऊर्जा सुरक्षा में योगदान मिल सके।
  • कार्बन उत्सर्जन में कमी।
  • कोयला, तेल और गैस जैसे साधनों पर निर्भरता काफी मात्रा में कम।
  • सभी क्रियाओं में प्रत्यक्ष व परोक्ष रोजगार मे वृद्धि हो सके, जो सौर ऊर्जा के सृजन से उत्पन्न होगी।
  • सौर केन्द्र के विकास को प्रोत्साहन मिले।
  • अन्य स्त्रोत

    उपर्युक्त वर्णित वैकल्पिक स्त्रोतों के अतिरिक्त नगरीय एवं कृषि अपशिष्ट से ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। नगरों में प्रतिदिन निकलने वाले कूड़ा-करकट से विद्युत उत्पादन हेतु पाली और बालोतरा में 25 मेगावाट क्षमता की परियोजना लगाई गई है। कोटा के निकट कृषि अपशिष्ट से विद्युत उत्पादन योजना के अतिरिक्त अनेक अन्य प्रस्तावों पर कार्य चल रहा है।

    महत्वपूर्ण तथ्य

    राज्य में सौर ऊर्जा की अधिकतम संभावना वाले क्षेत्र को सौर ऊर्जा उद्यमी क्षेत्र की संज्ञा दी गई।

    इसके अंतर्गत जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर शामिल।

    जयपुर, जोधपुर, अजमेर को सोलर सिटी घोषित किया गया।

    20 अगस्त राजीव गांधी अक्षय ऊर्जा दिवस।

    14 दिसम्बर- ऊर्जा संरक्षण दिवस I

    राज्य में बायोडीजल के निर्माण करने के लिए रतनज्योत की कृषि की जा रही है। राज्य में बायोडीजन की कृषि बांसवाड़ा, राजसमंद, चित्तौड, भीलवाड़ा, डूंगरपुर तथा कोटा, बारां, बूँदी, झालावाड़ में।

    राजस्थान में सर्वाधिक बिजली श्री गंगानगर जिले में बनती है।

    राजस्थान में सबसे ज्यादा सौर ऊर्जा संयंत्र जैसलमेर में ।

    सितम्बर 1997 में उदयपुर में मेवाड़ अनुसंधान एवं विकास संस्थान के सोलर केन्द्र द्वारा पिछोला झील में विश्व की पहली सौर ऊर्जा से चलने वाली नाव चलाई जा रही है।

    राज्य में सबसे बड़ा सोलर वाटर हीटर जिसकी क्षमता 55000 लीटर इसकी स्थापना " बिड़ला इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी एण्ड साइन्स" जयपुर में।

    राज्य का पहला सौर ऊर्जा आधारित रेफ्रिजरेटर जैसलमेर के जवाहर चिकित्सालय में I

    सर्वाधिक जल विद्युत बांसवाड़ा में तथा सर्वाधिक आणविक विद्युत उत्पादन चित्तौड़ में।

    राज्य में सर्वाधिक विद्युतीकृत कुएं जयपुर में तथा न्यूनतम करौली में।

    राजस्थान के नागौर जिले के मेड़ता कस्बे में देश का प्रथम भूमिगत गैस आधारित बिजलीघर I

    नयागांव (जयपुर) - राज्य का प्रथम सौर ऊर्जा विद्युतीकृत गांव।

    खींवसर (नागौर)- राज्य का प्रथम सौर बिजलीघर |

    13 अप्रैल, 2011 को राजस्थान द्वारा घोषित ऊर्जा नीति देश की पहली सौर ऊर्जा नीति थी इस नीति के जरिए विदेशी निवेशकों को आमन्त्रित किया गया।

    बालेसर (जोधपुर) में राज्य का पहला सौर ऊर्जा चलित फ्रीज स्थापित किया गया।

    मनोहपुरा (जयपुर) में राज्य का पहला सौर ऊर्जा संचालित A.T.M स्थापित है।

    पाँच हजार मेगावॉट सौर ऊर्जा के लिए समझौता: प्रदेश में आगामी चार सालों में 5 हजार मेगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए राज्य सरकार ने एस्सेल इन्फ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड से 6 फरवरी, 2015 को समझौता किया है। समझौते के अनुसार राज्य सरकार एवं एस्सेल इन्फ्रा मिलकर एक संयुक्त कम्पनी बनाएँगे। यह कम्पनी 5 हजार मेगावॉट क्षमता के सोलर पार्क विकसित करेगी। सोलर पार्क बनाने के लिए जैसलमेर व बीकानेर को प्राथमिकता मिलेगी।

    सोलर पार्क के लिए समझौते: सरकार ने अडानी समूह से 10000 मेगावॉट के सोलर पार्क के लिए 9 फरवरी, 2015 को एमओयू किया। इसके अतिरिक्त रिलायंस पॉवर से भी 6 हजार मेगावॉट का सोलर पार्क विकसित करने का समझौता 12 फरवरी, 2015 को हुआ।

    नई पवन ऊर्जा नीति, 2012:18 जुलाई, 2012 को राज्य सरकार ने नई पवन ऊर्जा नीति -' Policy for Promoting Generation of Electricity From Wind - 2012 जारी की। 17 जून, 2014 को इसमें संशोधन किया गया है। इससे राज्य में पवन ऊर्जा के क्षेत्र में प्रतिवर्ष लगभग 400 मेगावाट के संयंत्र स्थापित होंगे व 2500 करोड़ रूपये का निवेश हो सकेगा। इससे पूर्व अप्रैल, 2003 व 4 फरवारी, 2000 को पवन ऊर्जा प्रोत्साहन नीतियाँ जारी की गई थी।

    24 घंटे बिजली के लिए करार करने वाला राजस्थान दूसरा राज्य बनाः घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली देने की योजना 24x7 पॉवर फॉर ऑल' पर हस्ताक्षर करने वाला राजस्थान देश का दूसरा राज्य बना।

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