गतियों के प्रकार (Types Of Motion)
निर्देश तंत्र के आधार पर ( Based On Frame Of Reference )
( 1 ) एकविमीय गति ( One Dimensional Motion ) - यदि किसी वस्तु या पिण्ड पर एक समान बल निश्चित दिशा में निश्चित समय तक लगाया जाये तो वस्तु बल की दिशा में गति करेगी । इस बल के प्रभाव में वस्तु की गति का पथ रेखीय होता है और इस गति में वस्तु की स्थिति को निरूपित करने वाले तीन निर्देशांकों में से किसी एक में समय के साथ परिवर्तन होता है । इस प्रकार की गति को एकविमीय गति कहते हैं । एकविमीय गति रेखीय गति होती है । जैसे - रेल पथ पर रेल की गति , गुरुत्व के अधीन पृथ्वी की ओर स्वतंत्रता पूर्वक गिरती हुई वस्तु की गति इत्यादि एकविमीय गति के उदाहरण हैं ।
( 2 ) द्विविमीय गति ( Two Dimensional Motion ) - यदि किसी वस्तु पर उसके आरम्भिक वेग से कुछ कोण लग रहा हो तो वह दो विमीय गति करती है एवं इस गति में वस्तु की स्थिति को निरूपित करने वाले तीन निर्देशांकों में से किन्हीं दो निर्देशांकों में समय के साथ परिवर्तन होता है । द्विविमीय गति एक निश्चित तल में होती है । जैसे चीटीं की गति , वृत्तीय पथ पर गतिमान वस्तु की गति इत्यादि ।
( 3 ) त्रिविमीय गति ( Three Dimensional Motion ) - यदि वस्तु या पिण्ड आकाश में इस प्रकार गति कर रहा हो कि उसकी स्थति को निरूपित करने वाले तीनों निर्देशांकों में समय के साथ परिवर्तन हो तो इस प्रकार की गति को त्रिविमीय गति कहते हैं । त्रिविमीय गति सदैव आकाश में होती है । जैसे - उड़ते हुए पक्षी की गति ,रोकेट की गति ,गैस के अणुओं की यादृच्छिक गति , पतंग की गति , एक उड़ती हुई मक्खी की गति इत्यादि ।
कण की गति की प्रकृति के आधार पर ( Motion of Particle Based on Nature )
इस आधार पर कण की गति को निम्नानुसार विभाजित किया गया है -( 1 ) स्थानान्तरीय गति ( Translational Motion ) गतिशील अवस्था में जब कोई वस्तु ( पिण्ड ) एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित होता है तब वस्तु ( पिण्ड ) की गति , स्थानान्तरीय गति कहलाती है । यदि अभीष्ट वस्तु या पिण्ड एक बिन्दु कण ( Point Particle ) की भाँति एक सरल रेखा के अनुदिश गति करता है तो उसे कण की ऋजुरेखीय गति ( Rectilinar Motion ) कहते हैं । उदाहरणार्थ - सीधी सड़क पर चलती हुई कार की गति , निश्चित ऊँचाई से ऊर्ध्वतः नीचे की ओर गिरती हुई वस्तु की गति , उड़ते हुए हैलीकॉप्टर से नीचे गिराई गई कोई वस्तु ।
( 2 ) घर्णन गति ( Rotational Motion ) - जब कोई वस्तु ( पिण्ड ) किसी अक्ष के परितः घूमकर अपनी स्थिति निर्देश तंत्र के सापेक्ष एवं समय के साथ परिवर्तित करती है तो उसकी गति घूर्णन गति कहलाती है । उदाहरणार्थ - पंखे की गति , सूर्य के चारों ओर पंखे की गति ।
( 3 ) दोलनीय गति ( Vibrational Motion ) - जब कोई वस्तु ( पिण्ड ) अपनी मध्यमान स्थिति के इधर - उधर गति करती है और निश्चित समय के बाद अपनी गति को दोहराती है तो ऐसी गति को दोलनीय गति कहते हैं । जैसे - झूला झूलते हुए किसी बालक की गति , दीवार घड़ी के लोलक की गति ।
दूरी एवं विस्थापन (Distance and Displacement)
दूरी ( Distance )
( 1 ) किसी गतिशील वस्तु ( पिण्ड ) द्वारा निश्चित समय अन्तराल में उसकी गति के अन्तिम तथा प्रारम्भिक स्थितियों के मध्य तय किये गये पथ की लम्बाई को दूरी ( Distance ) कहते हैं । यह एक अदिश राशि है ।
( 2 ) गतिशील वस्तु के लिए समय बढ़ने पर दूरी का मान सदैव बढ़ता है दूरी को हम ओडीमीटर द्वारा मापते हैं ।
( 3 ) दूरी का M.K.S. पद्धति में मात्रक मीटर ( m ) होता है ।
दूरी के अभिलक्षण ( Characteristics of Distance )
( i ) दूरी दो बिन्दुओं के बीच के पथ पर निर्भर करती है ।
( ii ) इसका मान सदैव धनात्मक होता है ।
( iii ) दूरी का मात्रक मीटर होता है ।
( iv ) दूरी के लिए दिशा की कोई भी आवश्यकता नहीं होती है । इसलिए इसे अदिश राशि कहते हैं ।
विस्थापन ( Displacement )
किसी वस्तु द्वारा निर्धारित पथ के अनुदिश चलकर प्रारंभिक स्थिति से अन्तिम स्थिति में पहुँचने तक प्रारंभिक व अन्तिम स्थिति के बीच की न्यूनतम ( सरल रेखीय ) दूरी विस्थापन कहलाती है ।
विस्थापन वस्तु की प्रारंभिक व अन्तिम स्थिति पर निर्भर करता है । चले गए पथ की लम्बाई पर निर्भर नहीं करता है । विस्थापन का M.K.S. पद्धति में मात्रक मीटर होता है तथा विस्थापन एक सदिश राशि है ।
विस्थापन के अभिलक्षण ( Characteristics of Displacement )
( i ) दो बिन्दुओं के बीच की न्यूनतम दूरी विस्थापन होती है ।
( ii ) विस्थापन सदैव दिशा के साथ होता है इसलिए इसे सदिश कहते हैं ।
( iii ) विस्थापन का मात्रक वही होता है जो दूरी का मात्रक होता है |
( iv ) किसी वस्तु का विस्थापन दिये गये समय अन्तराल में धनात्मक , ऋणात्मक अथवा शून्य हो सकता है ।
( v ) विस्थापन दो बिन्दुओं के बीच पथ पर निर्भर नहीं करता है ।
चाल एवं वेग ( Speed and Velocity)
चाल ( Speed )
एक समय में वस्तु द्वारा तय की गई दरी को वस्तु की चाल कहते हैं । चाल एक अदिश राशि है । इसका मात्रक M.K.S. पद्धति में मी . / से . और CGS पद्धति में सेमी . / से . होता है । इसका विमीय सूत्र [M0L1T-1] है ।
चाल के प्रकार ( Types of Speed )
( 1 ) औसत चाल ( Average Speed ) - वस्तु द्वारा तय की हैं कुल दूरी तथा दूरी तय करने में लगे समय अन्तराल के अनुपात को औसत चाल कहते हैं । यदि Δt समय में वस्तु द्वारा तय की गई कुल दूरी Δs हो तो औसत चाल
( 2 ) तात्क्षणिक चाल ( Instantaneous speed ) - किसी विशिष्ट क्षण पर वस्तु की चाल को तात्क्षणिक चाल कहते हैं । अर्थात् किसी विशेष क्षण पर समय के साथ दूरी के परिवर्तन की दर को तात्क्षणिक चाल कहते हैं । यदि Δt समय में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी Δs हो तो तात्क्षणिक चाल
अर्थात् Δt → 0 में औसत चाल का मान तात्क्षणिक चाल के तुल्य हो जाता है । दूरी तथा समय के बीच खींचे वक्र में किसी दिये समय t पर खींची स्पर्श रेखा का समय अक्ष पर ढाल ( m = tanθ ) का मान तात्क्षणिक चाल व्यक्त करता है । किसी भी वाहन का चाल मापक यंत्र ( Speedometer ) वाहन की तात्क्षणिक चाल को प्रदर्शित करता है ।
( 3 ) एकसमान चाल ( Uniform Speed ) - जब कोई वस्तु समान समय अन्तराल में समान दूरी तय करती है तब वस्तु की चाल एकसमान चाल कहलाती है । एकसमान चाल से गतिशील वस्तु के लिए दूरी - समय आरेख चित्र सरल रेखीय होता है ।
( 4 ) परिवर्ती चाल ( Non - uniform Speed ) - यदि वस्तु द्वारा समान समय अन्तराल में तय की गई दूरी असमान अर्थात् भिन्न भिन्न हो तो वस्तु की चाल परिवर्ती चाल कहलाती है । उदाहरण के लिए एक कार पहले मिनट ( 60 सेकण्ड ) में 600 मीटर दूरी तय करे , दूसरे मिनट में 900 मीटर तथा तीसरे मिनट में 300 मीटर आदि दूरी तय करे तो कार की चाल परिवर्ती चाल कहलाती है । परिवर्ती चाल वाले कण के लिए दूरी - समय वक्र किसी भी आकृति का हो सकता है ।
Also Read - भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन
वेग ( Velocity )
किसी गतिशील वस्तु द्वारा निश्चित दिशा में एकांक समय में तय की गई दूरी को वस्तु का वेग कहते हैं । यह एक सदिश राशि है अर्थात् वेग का मान धनात्मक , ऋणात्मक , शून्य कुछ भी हो सकता है । इसका M.K.S. पद्धति में मात्रक मीटर / सेकण्ड और C.G.S. पद्धति में सेमी . / सेकण्ड होता है । इसका विमीय सूत्र [ M0L1T-1 ] है ।
वेग के प्रकार ( Types of Velocity )
( 1 ) औसत वेग ( Average Velocity ) - किसी वस्तु के दिये गये समयान्तराल में कुल विस्थापन तथा उस विस्थापन में लगे कुल समय के अनुपात को औसत वेग कहते हैं । यदि t तथा t + Δt समय पर वस्तु की स्थिति क्रमशः सदिश {\large \overrightarrow{x}} तथा {\large \overrightarrow{x}} + Δ{\large \overrightarrow{x}} हो तो
औसत वेग एक सदिश राशि है जिसकी दिशा वस्तु की गति की दिशा का बोध कराती है ।
( 2 ) तात्क्षणिक वेग ( Instantaneous Velocity ) - किसी विशिष्ट क्षण पर वस्तु का वेग तात्क्षणिक वेग कहलाता है । दिये गये समय पर , समय के साथ विस्थापन में परिवर्तन की दर को ताक्षणिक वेग कहते हैं । सामान्य भाषा में वेग का तात्पर्य तात्क्षणिक वेग से ही होता है । माना t तथा t + Δt समय पर वस्तु की स्थितियाँ क्रमशः {\large \overrightarrow{x}} तथा {\large \overrightarrow{x}} + Δ{\large \overrightarrow{x}} हों तो सीमा Δt → 0 में विशिष्ट क्षण पर
को वस्तु ( पिण्ड ) का तात्क्षणिक वेग कहते हैं ।
( 3 ) एकसमान वेग ( Uniform Velocity ) - जब कोई पिण्ड इस प्रकार गतिशील हो जिससे पिण्ड का वेग का परिमाण तथा दिशा दोनों ही समान रहें तब पिण्ड का वेग एकसमान वेग कहलाता है । यह केवल तभी सम्भव है जब पिण्ड एक सरल रेखा में एक ही दिशा में नियत वेग से गतिशील हो , तब पिण्ड का त्वरण शून्य होगा ।
( 4 ) असमान वेग ( Non - uniform Velocity ) - यदि गति करती वस्तु वेग की दिशा या परिमाण अथवा दोनों , समय के साथ परिवर्तित हों , तो वस्तु की गति , असमान गति कहलाती है । इस प्रकार की गति के लिए विस्थापन , समय आरेख सरल रेखा के अतिरिक्त किसी भी आकृति का हो सकता है ।
औसत चाल तथा औसत वेग की तुलना
( i )∵ किसी दिये गये समयान्तराल के लिए दूरी ≥| विस्थापन | इसलिए औसत चाल ≥| औसत वेग |
विस्थापन की भाँति औसत वेग भी एक सदिश राशि है । चूंकि इसमें परिमाण व दिशा दोनों होते हैं ।
( ii ) गतिशील कण के लिए औसत चाल कभी भी ऋणात्मक अथवा शून्य नहीं हो सकती है ( जब तक कि t → ∞ ) ना हो जाये जबकि औसत वेग का मान ऋणात्मक अथवा शून्य हो सकता है ।
( iii ) किसी दिये गये समय अन्तराल के लिए औसत वेग का केवल एक ही मान होता है जबकि औसत चाल के अनेक मान हो सकते हैं , जो तय किये गये पथ पर निर्भर करते हैं ।
( iv ) यदि गतिशील कण अपनी प्रारम्भिक स्थिति में पुनः आ जाता है तब \overrightarrow{v}av = 0 ( ∵ Δ{\large \overrightarrow{x}} = 0 ) परन्तु vav > 0 तथा नियत ( ∵ Δs > 0 )( v ) जब विस्थापन का परिमाण कुल तय की गई दूरी के बराबर होता है , तब वस्तु के औसत वेग का परिमाण उसकी औसत चाल के बराबर होता है ।?
तात्क्षणिक चाल तथा तात्क्षणिक वेग में तुलना
( i ) तात्क्षणिक वेग का परिमाण , तात्क्षणिक चाल के बराबर होता है |
( ii ) तात्क्षणिक वेग सदैव कण द्वारा तय किये गये पथ की स्पर्श रेखीय दिशा में होता है ।
( iii ) जब कोई कण नियत वेग से गतिशील होता है तब कण का औसत वेग तथा तात्क्षणिक वेग सदैव समान होता है ।
( iv ) ऐसा सम्भव है कि किसी कण की तात्क्षणिक चाल नियत हो परन्तु तात्क्षणिक वेग परिवर्ती हो उदाहरण — किसी कण की एकसमान वृत्तीय गति ।
त्वरण ( Acceleration )
किसी गतिमान वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं ।
यह एक सदिश राशि है । इसे हम ( a ) से प्रदर्शित करते हैं । M.K.S. पद्धति और C.G.S. पद्धति में इसका मात्रक मी . / से .2 और सेमी . / से .2 होता है । इसका
त्वरण के प्रकार ( Types of Acceleration )
( 1 ) एकसमान त्वरण ( Uniform Acceleration ) - यदि समान समय अन्तरालों में गतिमान वस्तु का वेग परिवर्तन समान हो तो वस्तु का त्वरण समान होता है तथा वस्तु की गति एकसमान त्वरित गति कहलाती है ।
( 2 ) असमान ( परिवर्ती ) त्वरण ( Variable Acceleration )यदि समान समय अन्तरालों में गतिमान वस्तु का वेग परिवर्तन असमान हो तो त्वरण परिवर्ती त्वरण या असमान त्वरण कहलाता है ।
( 3 ) औसत त्वरण ( Average Acceleration ) - किसी वस्तु के एकांक समय में कुल वेग में परिवर्तन को औसत त्वरण कहते हैं ।
( 4 ) तात्क्षणिक त्वरण ( Instantaneous Acceleration ) - किसी निश्चित समय या क्षण पर वस्तु के त्वरण को तात्क्षणिक त्वरण कहते हैं । इसकी गणना के लिए समय अन्तराल बहुत छोटा लेते हैं ।
त्वरण से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण बिन्दु
( 1 ) गतिशील कण के तात्क्षणिक वेग की दिशा तथा त्वरण की दिशा में कोई सम्बन्ध नहीं होता है ।
( 2 ) त्वरण का मान धनात्मक , शून्य अथवा ऋणात्मक हो सकता । है । धनात्मक त्वरण से आशय है कि वेग , समय के साथ बढ़ रहा है । शून्य त्वरण से आशय है कि वेग नियत है जबकि ऋणात्मक त्वरण का आशय है कि वेग , समय के साथ कम हो रहा है । ऋणात्मक त्वरण को मंदन कहते हैं ।