भारतेन्दुयुगीन रचना | रचनाकार |
प्रेम मालिका , प्रेम सरोवर , गीत गोविन्दानन्द , वर्षा - विनोद , विनय - प्रेम - पचासा , प्रेम फुलवारी , वेणु - गीत ; दशरथ विलाप , फूलों का गुच्छा ( खड़ी बोली में ) | भारतेन्दु हरिश्चन्द्र |
जीर्ण जनपद , आनन्द अरुणोदय , हार्दिक हर्षादर्श , मयंक महिमा , अलौकिक लीला , | बद्री नारायण चौधरी ' प्रेमघन |
वर्षा - बिन्दु , लालित्य लहरी , बृजचन्द पंचक प्रेमपुष्पावली , मन की लहर , लोकोक्ति शतक , तृप्यन्ताम् , शृंगार विलास , दंगल खंड , ब्रेडला स्वागत | प्रताप नारायण मिश्र |
प्रेमसंपत्ति लता , श्यामालता श्यामा - सरोजिनी , देवयानी ऋतु संहार ( अ० ) , मेघदूत ( अ० ) | जगमोहन सिंह |
पावस पचासा , सुकवि सतसई , हो हो होरी | अम्बिका दत्त व्यास |
कंस वध ( अपूर्ण ) , भारत , बारहमासा , देश दशा | राधा कृष्ण दास |
द्विवेदीयुगीन रचना | रचनाकार |
अनुराग रत्न , शंकर सरोज , गर्भरण्डा रहस्य , शंकर सर्वस्व | नाथूराम शर्मा ' शंकर ' |
वनाष्टक , काश्मीर सुषमा , देहरादून , भारत गीत , जार्ज वंदना ( कविता ) , बाल , विधवा ( कविता ) | श्रीधर पाठक |
काव्य मंजूषा , सुमन , कान्यकुब्ज , अबला - विलाप | महावीर प्रसाद द्विवेदी |
प्रियवास , पद्यप्रसून , चुभते चौपदे , चोखे , चौपदे , बोलचाल , रसकलस , वैदेही वनवास | ' हरिऔध ' |
स्वदेशी कुण्डल , मृत्युजंय , राम - रावण विरोध , वसन्त - वियोग | राय देवी प्रसाद ‘पूर्ण’ |
राष्ट्र भारती , देवदूत , देवसभा , विचित्र विवाह , रामचरित - चिन्तामणि ( प्रबंध ) | रामचरित उपाध्याय |
कृषक - क्रन्दन , प्रेम प्रचीसी , राष्ट्रीय वीणा , त्रिशूल तरंग , करुणा कादंबिनी | गयाप्रसाद शुक्ल सनेही |
रंग में भंग ' जयद्रथ वध , भारत भारती , पंचवटी , झंकार , साकेत , यशोधरा , द्वापर , जय भारत , विष्णु प्रिया | मैथिली शरण गुप्त |
मिलन , पथिक , स्वप्न , मानसी | रामनरेश त्रिपाठी |
स्फुट कविता | बाल मुकुन्द गुप्त |
वीर क्षत्राणि , वीर बालक , वीर पंचरत्न , नवीन बीन | लाला भगवानदीन ‘दीन’ |
प्रवासी , मेवाड़ गाथा , महानदी , पद्य पुष्पांजलि | लोचन प्रसाद पाण्डेय |
पूजा फूल , कानन कुसुम | मुकुटधर पाण्डेय |
उर्वशी , वनमिलन , प्रेमराज्य , अयोध्या का उद्धार , शेाकोच्छवास , बभ्रूवाहन , कानन कुसुम , प्रेम , पथिक , करुणालय , महाराणा का महत्त्व; झरना , आँसू , लहर , कामायनी ( केवल झरना से लेकर कामायनी तक छायावादी कविता है ) | जयशंकर प्रसाद |
अनामिका , परिमल , गीतिका , तुलसीदास , सरोज स्मृति ( कविता ) , राम की शक्ति पूजा ( कविता ) | सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ |
उच्छ्वास , ग्रन्थि , वीणा , पल्लव , गुंजन ( छायावादयुगीन ) ,युगान्त , युगवाणी , ग्राम्या , स्वर्ण किरण , स्वर्ण धूलि , रजतशिखर , उत्तरा , वाणी , पतझर , स्वार्ण काव्य , लोकायतन | सुमित्रानन्दन पन्त |
नीहार , रश्मि , नीरजा व सांध्यगीत ( सभी का संकलन ' यामा ' नाम से ) | महादेवी वर्मा |
रूपराशि , निशीथ , चित्ररेखा , आकाशगंगा , राका , मानसी , विसर्जन , युगदीप , अमृत और विष | उदय शंकर भट्ट |
निर्माल्य , एकतारा , कल्पना | ‘वियोगी’ |
छायावादोत्तर युगीन रचना | रचनाकार |
हुंकार रेणुका , द्वंद्वगीत , कुरुक्षेत्र , इतिहास के आँसू , रश्मिरथी , धूप और धुआँ , दिल्ली , रसवंती , उर्वशी | रामधारी सिंह दिनकर |
कुंकुम , उर्मिला , अपलक , रश्मिरेखा , क्वासि , हम विषपायी जनम के | बालकृष्ण शर्मा ' नवीन ' |
मधुशाला , मधुबाला , मधुकलश , सूत की माला , निशा - निमंत्रण . एकांतसंगीत , सतरंगिन , मिलन - यामिनी , आरती और अंगारे , आकुल अंतर | हरिवंशराय बच्चन |
साये में धूप . सूर्य का स्वागत , एक कंठ विषपायी , आवाज के घण्टे | दुष्यन्त कुमार |
जहाँ शब्द है तेल की पकौड़ियाँ , स्वप्नभंग , अनुक्षण , मेपल | प्रभाकर माचवे |
सीढियों पर धूप में , आत्महत्या , लोग भूल गए हैं , मेरा प्रतिनिधि हँसो - हँसो जल्दी हँसो | रघुवीर सहाय |
मन्वंतर , खंडित सेतु | शंभूनाथ सिंह |
हिल्लोल , जीवन के गान , प्रलय - सृजन , विश्वास बढ़ता ही गया | शिवमंगल सिंह ' सुमन ' |
अभी और कुछ इनका , चाँदनी और चूनर , दोपहरी , सुनसान गाड़ी | शकुंतला माथुर |
खूंटियों पर टंगे लोग , कुआनो नदी , बाँस के पुल , काठ की घंटियाँ एक सूनी नाव , गर्म हवाएँ . जंगल का दर्द | सर्वेश्वर दयाल सक्सेना |
मछलीघर , संवाद तुम से साखी | विजयदेव नारायण साही |
नाव के पाँव , शब्दशः , हिमबिद्ध युग्म मृग और तृष्णा , एक नशीला चाँद , उठे बादल झुके बादल , त्रिकोण पर सूर्योदय | जगदीश गुप्त हरिनारायण व्यास |
मायादर्पण , मगध , शब्दों की शताब्दी , दीनारंभ | श्रीकांत वर्मा |
कंकावती , मुक्तिप्रसंग | राजकमल चौधरी |
एक पतंग अनंत में , शहर अब भी संभावना है | अशोक वाजपेयी |
जो नितांत मेरी है | बालस्वरूप राही |
संसद से सड़क तक , कल सुनना मुझे , सुदामा पाण्डे का प्रजातंत्र | ' धूमिल ' |
अंकित होने दो , अकेले कंठ की पुकार | अजित कुमार |
पक गई है धूप , बैरंग बेनाम चिट्ठियाँ | रामदरश मिश्र |
एक पुरुष और , कई अंतराल , दूसरा राग | डॉ० विनय |
इतिहास हंता | जगदीश चतुर्वेदी |
अपनी तरह का आदमी | प्रमोद कौंसवाल |
कुछ शब्द जैसे मेज | संजीव मिश्र |
कुकुरमुत्ता , गर्म पकौड़ी , प्रेम - संगीत , रानी और कानी, खजोहरा मास्को डायलाग्स , स्फटिक शिला , नये पत्ते , गीत , गुंज , सांध्य काकली ( प्रकाशन मरणोपरांत - 1969 ई० ) | ' निराला ' |
सुनो कारीगर , क से कबूतर | उदयप्रकाश |
प्रभातफेरी , प्रवासी के गीत , पलाशवन , मिट्टी और फूल , कदलीवन | नरेन्द्र शर्मा |
मधूलिका , अपराजिता , किरणबेला , लाल चूनर | रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’ |
कलापी , पांचजन्य | आरसी प्रसाद सिंह |
नींद के बादल , फूल नहीं रंग बोलते हैं , अपूर्व युग की गंगा | केदारनाथ सिंह |
प्यासी पथराई आँखें , युगधारा , भस्मांकुर , सतरंगे पंखों वाली ; ऐसे भी हम क्या ऐसे भी तुम क्या; खिचड़ी विप्लव देखा हमने , हजार - हजार बाँहों वाली पुरानी जूतियों का कोरस , रत्नगर्भ , हरिजन गाथा ( क० ) | नागार्जुन |
राह का दीपक , अजेय खंडहर , पिघलते पत्थर , मेधावी पांचाली | रांगेय राघव |
मंजीर , कल्पान्तर , शिलापंख चमकीले , नाश और निर्माण , मशीन का पुर्जा , धूप के धान , मैं वक्त के हूँ सामने , छाया मत छूना , मन | गिरिजाकुमार माथुर |
भूरी - भूरी खाक धूल , चाँद का मुँह टेढ़ा है | गजानन माधव ' मुक्तिबोध ' |
सतपुड़ा के जंगल , गीतफ़रोश , खुशबू के शिलालेख , बुनी हुई रस्सी , कालजयी , गांधी पंचशती , कमल के फूल , इदं न मम , चकित है दुःख , वाणी की दीनता | भवानीप्रसाद मिश्र |
भग्नदूत , चिंता , इत्यलम , हरी घास पर क्षण भर , बावरा अहेरी , इंद्रधनुष रौंदे हुए ये , अरी जो करुणा प्रभामय , आँगन के पार द्वार , कितनी नावों में कितनी बार , क्योंकि मैं उसे जानता हूँ , सागर - मुद्रा , पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ , महावृक्ष के नीचे , नदी की बांक पर छाया , प्रिजन डेज एंड अदर पोएम्स ( अंग्रेजी में ) , असाध्य वीणा , रूपाम्बरा | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय ’ |
अंधायुग , कनुप्रिया , ठंडा लोहा , सात गीत वर्ष | धर्मवीर भारती |
अमन का राग , चुका भी नहीं हूँ मैं , इतने पास अपने | शमशेर बहादुर सिंह |
परिवेश , हम तुम , चक्रव्यूह , आत्मजयी , आमने - सामने | कुँवर नारायण |
संशय की एक रात , वनपाखी सुनो , मेरा समर्पित एकांत , बोलने दो चीड़ को | नरेश मेहता |
मिट्टी की बारात , धरती , गुलाब और बुलबल , दिगंत , ताप के ताये हुए दिन , सात शब्द , उस जनपद का कवि हूँ | त्रिलोचन |
कागज के फूल , जागते रहो , मुक्तिमार्ग , ओ अप्रस्तुत मन , उतना वह सूरज हैं | भारत भूषण अग्रवाल |
सुंदर जानकारी देश और समाज को नई दिशा देने का काम करेंगे।
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