उत्प्रेरक( Catalyst ) - वे पदार्थ जो रासायनिक अभिक्रिया के वेग को परिवर्तित कर देते है परन्तु स्वयं अपरिवर्तित रहते हैं , उत्प्रेरक कहलाते है तथा इस घटना को उत्प्रेरण कहते है ।
MnO2 | ||
2KClO3 | → | 2KCl+3O2 |
Δ |
Ni | ||
वनस्पति तेल + H2 | → | वनस्पति घी |
पोटैशियम क्लोरेट का तापीय अपघटन मैगनीज डाई ऑक्साइड ( MnO2 ) को मिलाने पर कम ताप पर ही होने लगता है । उपरोक्त अभिक्रियाओं में MnO2 व चूर्णित Ni धातु उत्प्रेरक का कार्य करता है ।
उत्प्रेरकों की क्रिया , अवस्था आदि के आधार पर इसे अनेक प्रकारों में बांटा गया है -
अवस्था के आधार पर उत्प्रेरक के प्रकार
भौतिक अवस्था के आधार पर उत्प्रेरक दो प्रकार के होते हैं -
( i ) समांगी उत्प्रेरक - जब रासायनिक अभिक्रिया में उत्प्रेरक , अभिकारक एवं उत्पाद तीनों समान भौतिक अवस्था में होते है तो उत्प्रेरक समांगी उत्प्रेरक कहलाता है तथा क्रिया समांगी उत्प्रेरण कहलाती हैं । उदाहरण -
HCl(aq) | |||
CH3COOCH3(l) + H2O(l) | → | CH3COOH(aq) + | CH3OH(aq) |
मेथिल एसीटेट | एसीटिक अम्ल | मेथिल एल्कोहल |
NO(g) | ||
2SO2(g)+ O2(g) | → | 2SO3(g) |
सल्फर डाईऑक्साइड | सल्फरट्राई ऑक्साइड |
( ii ) विषमांगी उत्प्रेरक - जब रासायनिक अभिक्रियाओं में अभिकारक एवं उत्प्रेरक की भौतिक अवस्था भिन्न - भिन्न होती है तो उत्प्रेरक को विषमांगी उत्प्रेरक कहते हैं तथा क्रिया विषमांगी उत्प्रेरण कहलाती है । उदाहरण -
Fe(s) | ||
N2(g) + 3H2(g) | → | 2NH3(g) |
Ni(s) | ||
वनस्पति तेल (l) + H2(g) | → | वनस्पति घी (s) |
सूक्ष्म विभाजित निकल धातु ( Ni ) उत्प्रेरक की उपस्थिति में वनस्पति तेलों का हाइड्रोजनीकरण करके वनस्पति घी बनाया जाता है यहाँ तेल द्रव अवस्था में , H2 , गैसीय अवस्था में , Ni तथा घी ठोस अवस्था में है ।
क्रिया के आधार पर उत्प्रेरकों के प्रकार
( i ) धनात्मक उत्प्रेरक - रासायनिक अभिक्रिया के वेग को बढ़ाने वाले उत्प्रेरक धनात्मक उत्प्रेरक कहलाते हैं । उदाहरण -
MnO2 | ||
2KClO3 | → | 2KCl + 3O2 |
Δ |
NO | ||
2SO2 + O2 | → | 2SO3 |
( ii ) ऋणात्मक उत्प्रेरक - रासायनिक अभिक्रिया के वेग को कम करने वाले उत्प्रेरक ऋणात्मक उत्प्रेरक कहलाते है । उदाहरण -
ग्लिसरॉल | ||
2H2O2 | → | 2H2O + O2 |
हाइड्रोजन परॉक्साइड |
C2H5OH | ||||
2CHCl3 | + O2 | → | 2COCl2 | + 2HCL |
क्लोरोफॉर्म | फ़ॉस्जीन |
क्लोरोफॉर्म वायु की ऑक्सीजन से स्वतः ही ऑक्सीकृत होकर विषैली गैस फ़ॉस्जीन बनाती है । इस अभिक्रिया की गति को मंद करने के लिए इसमें थोड़ी मात्रा में एथेनॉल ( C2H5OH ) मिला दिया जाता है ।
( iii ) स्वतः उत्प्रेरक - जब किसी रासायनिक अभिक्रिया । में बना उत्पाद स्वयं ही उत्प्रेरक का कार्य करता है अर्थात् अभिक्रिया के वेग को बढ़ा देता है तो वह उत्पाद स्वतः उत्प्रेरक कहता है । उदाहरण -
CH3COOC2H5 | + H2O | → | CH3COOH | C2H5OH |
एथिल एलीटेट | एसीटिक अम्ल | एथेनॉल |
यहाँ प्रारम्भ में अगिक्रिया मंद गते से होती है परन्तु उत्पाद एसीटिक अम्ल के कुछ मात्रा में बनने के बाद अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है । अभिक्रिया में एसीटिक अम्ल स्वतः उत्प्रेरक का कार्य करता है ।
( iv ) जैव उत्प्रेरक - जैव रासायनिक अभिक्रिया की गति को बढ़ाने में जो पदार्थ काम में लिए जाते है उन्हें जैव उत्प्रेरक कहते हैं । इन्हें साधारणतया एन्जाइम भी कहा जाता है । एन्जाइम जटिल नाइट्रोजनी कार्बनिक यौगिक होते हैं जो कि भिन्न - भिन्न जैव रासायनिक क्रियाओं के लिए विशिष्ट होते हैं । उदाहरण -
यूरिएज | |||
NH2CONH2 | +H2O | → | 2NH3 + CO2 |
यूरिया |
माल्टेज | ||
माल्टोज | → | ग्लूकोज |
रासायनिक अभिक्रियाओं में उत्प्रेरक की क्रियाशीलता को प्रभावित करने वाले कुछ पदार्थों का प्रयोग भी किया जाता है |
उत्प्रेरक वर्धक - वे पदार्थ जिन्हें अभिक्रिया मिश्रण में उत्प्रेरक के साथ मिलाने पर उत्प्रेरक की क्रियाशीलता में वृद्धि हो जाती है उत्प्रेरक वर्धक कहलाते है । ये केवल उत्प्रेरक की क्रियाशीलता को बढ़ाते है स्वयं उत्प्रेरक नहीं होते है । उदाहरण -
Fe/Mo | ||
N2 + 3H2 | → | 2NH3 |
यहाँ Mo( मोलिब्डेनम चूर्ण ) उत्प्रेरक Fe ( आयरन ) की क्रियाशीलता को बढ़ाकर अभिक्रिया की गति को और अधिक बढ़ा देता है ।
Ni/Cu | ||
वनस्पति तेल + H2 | → | वनस्पति घी |
यहाँ Ni उत्प्रेरक तथा कॉपर ( Cu ) उत्प्रेरक वर्धक है ।
उत्प्रेरक विष - वे पदार्थ जिन्हें अभिक्रिया मिश्रण में मिलाने पर उत्प्रेरक की क्रियाशीलता कम हो जाती है , उत्प्रेरक विष कहलाते है । उदाहरण -
Fe | ||
N2 + 3H2 | → | 2NH3 |
इस अभिक्रिया में कार्बनमोनोऑक्साइड ( CO) गैस मिला दी जाए तो आयरन ( Fe ) उत्प्रेरक की क्रिया में कमी आ जाती है |
उत्प्रेरक के गुण
1 . उत्प्रेरक केवल रासायनिक अभिक्रिया के वेग में परिवर्तन के लिए उत्तरदायी होते है उनके स्वयं के रासायनिक संघटन एवं मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता है ।
2 . अभिक्रिया मिश्रण में उत्प्रेरक की सूक्ष्म मात्रा में उपस्थित ही पर्याप्त होती है ।
3 . प्रत्येक अभिक्रिया के लिए एक विशिष्ट उत्प्रेरक होता है अर्थात् एक ही उत्प्रेरक सभी अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित नहीं कर सकता है ।
4 . उत्प्रेरक अभिक्रिया को प्रारम्भ नहीं करता है केवल उसके वेग को बढ़ाता है ।
5 . उत्क्रमणीय अभिक्रियाओं में उत्प्रेरक अग्र व प्रतीप दोनों अभिक्रियाओं के वेग को समान रूप से प्रभावित करता |
6 . उत्प्रेरक एक निश्चित ताप पर ही अत्याधिक क्रियाशील होते है ताप बदलने पर इनकी क्रियाशीलता प्रभावित होती है ।
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