अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष
संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार लोकसभा स्वयं ही अपने सदस्यों में से एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का निर्वाचन करेगी ।
अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष को उनके पद से हटाया भी जा सकता है यदि लोकसभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से इस आशय का प्रस्ताव पास हो जाये , परन्तु इस प्रकार का कोई प्रस्ताव लोकसभा में तभी पेश हो सकेगा जबकि इस प्रकार के प्रस्ताव को पेश करने के लिए कम से कम 14 दिन की पूर्व सूचना दी गयी हो ।
संविधान के अनुसार अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को संसद द्वारा निर्धारित वेतन तथा भत्ते प्राप्त होंगे ।
अध्यक्ष के कार्य और शक्तियाँ
भारतीय लोकसभा के अध्यक्ष को लगभग वे ही अधिकार प्राप्त हैं जो ब्रिटिश लोकसदन ( House of Commons ) के अध्यक्ष को हैं ।
1 . अध्यक्ष के द्वारा लोकसभा की सभी बैठकों की अध्यक्षता की जाती है और अध्यक्ष होने के नाते उसके द्वारा सदन में शान्ति - व्यवस्था और अनुशासन बनाये रखने का कार्य किया जाता है ।
2 . लोकसभा का समस्त कार्यक्रम और कार्यवाही अध्यक्ष के द्वारा ही निश्चित की जाती है । वह सदन के नेता के परामर्श से विभिन्न विषयों के सम्बन्ध में वाद - विवाद का समय निश्चित करता है ।
3 . वह सदन की कुछ समितियों का पदेन सभापति होता है । प्रवर समितियों ( Select Committees ) के सभापतियों को वही नियुक्त करता है और इन समितियों के द्वारा उसके निर्देशन में ही कार्य किया जाता है ।
4 . अध्यक्ष ही यह निर्णय करता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है अथवा नहीं ।
5 . संसद और राष्ट्रपति के बीच सारा पत्र - व्यवहार उसके ही द्वारा होता है ।
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