अन्य पादपों की भांति बीजधारी पादप भी अपनी जाति की निरन्तरता बनाये रखने के लिए सामान्य रूप से कायिक व लैंगिक जनन बीज निर्माण विधि से जनन करते हैं ।
बीज धारी पादपों में इन सामान्य विधियों के अतिरिक्त भी जनन की कुछ विशिष्ट विधियों पाई जाती है जिनमें अर्धसूत्री विभाजन व सामान्य युग्मक संलयन ( निषेचन ) की अवस्थाये नहीं होती हैं ।
आवृत बीजी पादपों में जनन की विशिष्ट विधियाँ निम्नलिखित हैं -
1 . असंगजनन ( Apomixis )
2 . अनिषेक बीजता ( parthenogenesis )
3 . सूक्ष्म प्रवर्धन ( Micropropagation )
4 . कायिक प्रवर्धन ( vegetative propagation )
अनावर्ती असंगजनन ( Non - recurrentapomixis ) में भ्रूण का निमाण सामान्य अण्डकोशिका से बिना निषेचन की क्रिया के होता है । इस प्रकार से निर्मित भ्रूण अगुणित होता है । इसे अगुणित अनिषेकजनन कहते हैं ।
पुनरावर्ती असंगजनन ( Re - current apomixis ) में अर्धसूत्री विभाजन के पूर्ण होने के कारण मादा युग्मकोद्भिद भ्रूणकोश की गुणसूत्र संख्या मातृ पादप के समान द्विगुणित ही होती है । जब भ्रूणकोश का निर्माण प्रप्रसूतक ( Archesporium ) की द्विगुणित कोशिकाओं से होता है , तथा भ्रूणकोश की द्विगुणित कोशिकाओं से भ्रूण निर्माण होता है तो यह जनन असंगजनन ( Generative apospvry ) कहलाता है । परन्तु यदि भ्रूण कोश का निर्माण बीजाण्डकाय अथवा अध्यावरण की द्विगुणित कोशिकाओं से होता है तथा भ्रूण का निर्माण ऐसे द्विगुणित भ्रूणकोश की कोशिकाओं से होता है तो इसे कायिक असंगजनन ( vegetative apospory ) कहते हैं ।
अपस्थानिक भ्रूणता में भ्रूण का निर्माण भ्रूणकोश के अतिरिक्त किसी अन्य कोशिका या बीजाण्ड या अध्यावरण कोशिका से होता है
कायिक असंगजनन में पुष्पों के स्थान पर पत्र प्रकलिकायें ( Bulbils ) अथवा कायिक प्रवर्ध ( propagules ) का निर्माण होता है जो मातृ पादप पर ही अंकुरित होने लगते हैं ।
अनिषेक बीजता ( Agamospermy ) - इस क्रिया में बीज का निर्माण बीजाण्ड की किसी भी द्विगुणित कोशिका से अथवा असामान्य द्विगुणित भ्रूणकोश की किसी भी कोशिका से बिना निषेचन के होता हैं । ऐसा बीज द्विगुणित होता है तथा इसमें समस्त बीज मातृक पादप के ही होते
सूक्ष्म प्रवर्धन ( Micro Propagation ) - यह विधि महत्त्वपूर्ण पादपों के वृहत स्तर परिवर्धन हेतु अत्यन्त उपयोगी विधि हैं । इस में नियत्रित अवस्थाओं में पादप कोशिका व अंगों का संवर्धन संवर्धन माध्यम में किया जाता है तथा कैलस व प्ररोहों का निर्माण कर नवोद्भिद पादप को ( Plantlets ) का विकास किया जाता है ।
सूक्ष्म प्रवर्धन की प्रक्रिया उत्तक संवर्धन तकनीक का एक व्यवसायिक ( Commercial ) अनुप्रयोग हैं ।
आवृत बीजी पादपों में बहुभ्रूणता केवल कुछ वंशों में ही पाई जाती है । जैसे नीम्बू , जामुन , प्याज , तम्बाकू आदि / नग्न बीज पत्रियों में यह अधिक व्यापक हैं ।
अनिषेकबीजता - बिना निषेचन के बीजाण्ड की किसी भी 2n कोशिका से या असामान्य द्विगुणित भ्रूणकोष की किसी कोशिका से बीज के निर्माण को अनिषेकबीजता कहते हैं ।
असंगजनन ( Apemixis ) - सामान्य लैंगिक जनन का ऐसी किसी भी विधि द्वारा प्रतिस्थापन जिसमें अर्धसूत्रण व निषेचन न हो , असंगजनन कहलाता है - हेन्स विंकलर ( 1908 )
सूक्ष्म प्रवर्धन ( Micropropagation ) - ऊतक संवर्धन विधि द्वारा व्यावसायिक स्तर पर पादपों के संवर्धन को सूक्ष्म प्रवर्धन कहते हैं या ऊतक संवर्धन विधि द्वारा कम समय व सीमित स्थान में असंख्य पादपों को विकसित करने को सूक्ष्म प्रवर्धन कहते हैं ।
बहुभ्रणता ( Polyembrymony ) - एक ही बीजाण्ड या बीज या निषेचित अण्ड में एक से अधिक भ्रूण विकसित होने की प्रक्रिया को बहुभ्रूणता कहते हैं ।
बीजाणुद्भिद असंगजनन ( sporophytic apomixis ) या अपस्थानिक भ्रूणता ( adventive embrgony ) - जब बिना अर्धसूत्रण व बिना निषेचन के बीजाण्डकाय या अध्यावरण आदि की किसी भी द्विगुणित कोशिका से भ्रूण का निर्माण होता है तो इसे बीजाणुद्भिद् असंगजनन या अपस्थानिक भ्रूणता कहते हैं । उदा . नींबू , आम आदि ।
पुष्पीय पादपों में असंगजनन या अपसंयोजन को प्रो . पंचानन माहेश्वरी ने दो प्रमुख प्रकारों में विभेदित किया -
( i ) अनावर्ती असंगजनन ( non recurrent apomixis )
( ii ) पुनरावर्ती असंगजनन ( recurrent cepomixis )
अनिषेकजनन ( Parthenogenesis ) - अनिषेचित अण्ड कोशिका से भ्रूण निर्माण की क्रिया को अनिषेकजनन कहते हैं ।
अपयुग्मन ( Apogamy ) - भ्रूणकोष की अण्डकोशिका के अलावा किसी भी अन्य अगणित कोशिका ( जैसे सहायक या प्रतिध्रुवी कोशिका ) से भ्रूण निर्माण की प्रक्रिया को अपयुग्मन कहते हैं ।
बहुभ्रूणता वाले आवृत्तबीजी पादपों के उदाहरण - नींबू , प्याज , तम्बाकू , क्रोटोलेरिया आदि ।
यूलोफिया आर्किड पादप में तीन प्रकार की विदलन बहुभ्रूणता पायी जाती है ।
सन्तरे के बीजों में सबसे पहले एन्टॉनी वॉन ल्यूवेनहॉक ( 1719 ) ने बहुभ्रूणता का पता लगाया था ।
अगुणित अनिषेकजन का सबसे पहले अध्ययन जोरजेन्सन ( Jorgensen 1928 ) ने किया था ।
एक बीजाण्ड में एक से अधिक भ्रूणकोषों के विकास के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाली बहुभ्रूणता का उदाहरण - केजुएराइना मोन्टाना ।
अण्ड कोशिका के अतिरिक्त भ्रूणकोष की अन्य कोशिकाओं से भ्रूण निर्माण के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाली बहुभ्रूणता के उदाहरण -
1 . एरिस्टोलोकिया ब्रैक्टिएटा
2 . आर्जिमोन मैक्सिकाना ।
कायिक असंगजनन ( Vegetative apomixix ) - जब पादपों में पुष्पों के स्थान पर पत्र प्रकलिकाएँ ( Bulbils ) व कायिक प्रवर्ध ( propagules ) का निर्माण हो तथा पादप पर रहते हुए ही उनका अंकुरण हो जाये तो इस प्रकार के असंगजनन का कायिक असंगजनन कहते हैं । उदा . अगेव , प्याज आदि ।
अनावृत्तबीजी समूह के पादपों का बहुभ्रूणता एक सामान्य लक्षण है ।
वेण्डा ( Vanda ) आवृत्तबीजी अधिपादप में बीज के अंकुरण के समय एक से अधिक परिपक्व भ्रूण पाये जाते हैं ।
विदलन बहुभ्रूणता - जब युग्मनज या प्राक्भ्रूण में विदलन होने से एक बीज में एक से अधिक भ्रूणों का निर्माण हो जाता है तो इसे विदलन बहुभ्रूणता ( cleavage polyembryony ) कहते हैं ।
पादपों में जनन की विशिष्ट विधियों के नाम -
1 . असंगजनन
2 . अनिषेकबीजता
3 . सूक्ष्म प्रवर्धन
4 . कायिक प्रवर्धन ।
पुनरावर्ती असंगजनन के प्रकार -
1 . जनन अपबीजाणुता
2 . कायिक अपबीजाणुता ।
सूक्ष्म प्रवर्धन द्वार रोग मुक्त एवं आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण ऑर्किड , ग्लेडियोलस , गुलदाउदी ( Chrysanthemum ) आदि पादपों का वृहत् स्तर पर सफलतापूर्वक उत्पादन किया जा रहा है ।
अगुणित अनिषेकजनन ( Haploid parthemogenesis )- अगुणित अण्ड कोशिका से बिना निषेचन के अगुणित भ्रूण बनने को अगुणित अनिषेकजनन कहते हैं ।
अगुणित अपयुग्मन ( Haploid apogamy ) - भ्रूणकोष की अण्ड कोशिका के अतिरिक्त अन्य किसी कोशिका से बिना निषेचन के भ्रूण का निर्माण होता है तो इसे अगुणित अपयुग्मन कहते हैं । उदा . मक्का एवं धतूरा ।
अगुणित भ्रूणों को कॉल्चिसीन से उपचारित करके समयुग्मकी वंशावली को विकसित किया जा सकता है ।
नींबू की किस्मों के विषाणु रहित क्लोन बीजाण्डकाय संवर्धन द्वारा प्राप्त किये जा सकते है ।