टंगस्टन का संकेत W होता है । इसका गलनांक लगभग 3500°C होता है ।
भारत में टंगस्टन का उत्पादन राजस्थान स्थित देगाना ( Degana ) खान से होता है ।
टंगस्टन तंतु के उपचयन को रोकने के लिए बिजली के बल्ब से हवा निकाल दी जाती है ।
जिरकोनियम धातु ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन दोनों में जलते हैं ।
बेडीलेआइट जिरकोनियम का अयस्क है ।
न्यूट्रॉनों को अवशोषित करने के गुणों के कारण जिरकोनियम कैडमियम एवं बोरॉन का उपयोग नाभिकीय रिएक्टर में किया जाता है ।
बेराइल ( Baryl ) बेरीलियम धातु का मुख्य अयस्क है ।
फ्रांसियम एक रेडियोसक्रिय द्रव धातु है ।
स्टेनस सल्फाइड ( SnS2 ) को मोसाइक गोल्ड ( Mosaicgold ) कहते हैं , इसका प्रयोग पेंट के रूप में किया जाता है । टिन अपरूपता प्रदर्शित करता है ।
सबसे भारी धातु ओसमियम ( OS ) है , और प्लेटिनम सबसे कठोर धातु है ।
बेरियम हाइड्रॉक्साइड को बैराइटा वाटर कहते हैं ।
बेरियम सल्फेट ( Barium sulphate ) का उपयोग बेरियम मील के रूप में उदर के X - Ray में होता है ।
आतिशबाजी के दौरान हरा रंग बेरियम की उपस्थिति के कारण होता है ।
आतिशबाजी के दौरान लाल चटक रंग ( Crimson Red Colour ) स्ट्रॉन्शियम ( Sr ) की उपस्थिति के कारण उत्पन्न होता है ।
लिथियम सबसे हल्का धात्विक तत्व है | यह सबसे प्रबल अपचायक होता है ।
चांदी ( Ag ) , सोना ( Au ) , तांबा ( Cu ) , प्लेटिनम ( Pt ) तथा बिस्मथ ( Bi ) अपने कम अभिक्रियाशीलता के कारण स्वतंत्र अवस्था में पाये जाते हैं ।
गोल्ड प्लेटिनम , सिल्वर तथा मरकरी उत्कृष्ट धातुएँ हैं ।
धातओं में सबसे अधिक आघातवर्ध्य सोना ( Au ) व चांदी ( Ag ) होते हैं ।
पारा व लोहा विद्युत् धारा के प्रवाह में अपेक्षाकृत अधिक प्रतिरोध उत्पन्न करते हैं ।
चांदी एवं तांबा विद्युत् धारा का सर्वोत्तम चालक है ।
ऐलुमिनियम का सर्वप्रथम पृथक्करण 1827 ई० में हुआ था ।
कार्नोटाइट का रासायनिक नाम पोटैशियम यूरेनिल वेन्डेट होता है ।
कैंसर रोग के इलाज में कोबाल्ट के समस्थानिक का उपयोग होता है ।
स्मेल्टाइट ( Smeltite ) निकेल धातु का अयस्क है ।
सोडियम परऑक्साइड का उपयोग पनडुब्बी जहाजों तथा अस्पताल आदि की बंद हवा का शुद्ध करने में होता है ।
ग्रीनोकाइट कैडमियम का अयस्क है ।
कैडमियम का प्रयोग नाभिकीय रिएक्टरों में न्यूट्रॉन मंदक के रूप में संग्राहक बैटरियों में तथा निम्न गलनांक की मिश्रधातु बनाने में होता है ।
एक्टिनाइड ( Actinides ) रेडियोसक्रिय तत्त्वों का समूह होता है ।
विश्व प्रसिद्ध एफिल टावर का आधार स्टील व सीमेण्ट का बना है ।
थुलियम का संकेत Tm होता है ।
रेडियम का निष्कर्षण पिचब्लैड से किया जाता है ।
मैडम क्यूरी ने पिचब्लैंड से ही रेडियम का निष्कर्षण किया था ।
वायुयान के निर्माण में पेलेडियम धातु प्रयुक्त होती है ।
गैलियम धातु कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में पाया जाता है ।
सेलीनियम धातु का उपयोग फोटो इलेक्ट्रीक सेल में होता है ।
साइट्रोक्रोम ( Cytochrome ) में लोहा उपस्थित होता है ।
जिओलाइट ( Zeolite ) का प्रयोग जल को मृदु बनाने में किया जाता है ।
टिन अपरूपता प्रदर्शित करता है ।
अधिकांश संक्रमण धातु ( Transition elements ) और उनके यौगिक रंगीन होते हैं ।
पोटैशियम कार्बोनेट ( K2CO3 ) को पर्ल एश ( Pearl Ash ) कहते हैं ।
नाइक्रोम ( Nichrome ) निकिल , क्रोमियम और आयरन का मिश्रधातु है ।
विद्युत हीटर की कुंडली नाइक्रोम की ही बनी होती है ।
क्रोमिक अम्ल का रासायनिक नाम क्रोमियम ट्राइऑक्साइड है ।
ब्रिटेनिया धातु ( Britannia Metal ) एण्टिमनी ( Sb ) , तांबा व टिन ( Sn ) की मिश्रधातु है ।
बारूद 75 % पोटैशियम नाइट्रेट , 10 % गंधक व 15 % चारकोल एवं अन्य पदार्थों का मिश्रण होता है ।
बैबिट धातु ( Babbitt Metal ) में 89 % टिन , 9 % एण्टिमनी , व 2 % तांबा होता है ।
समूह - I के तत्व क्षार धातुएँ ( Alkali Metals ) कहलाते हैं एवं इसके हाइड्रॉक्साइड क्षारीय होते हैं । जबकि समूह - II के तत्त्व क्षारीय मृदा धातुएँ ( Alkaline Earth Metals ) कहलाते हैं ।
टाइटेनियम को रणनीतिक धातु ( Strategic Metal ) कहते हैं , क्योंकि इसका उपयोग रक्षा उत्पादन में होता है । यह इस्पात के बराबर मजबूत लेकिन भार में उसका आधा गुण वाला धातु है ।
वायुयान का फ्रेम तथा इंजन बनाने में , नाभिकीय रिऐक्टरों में इसका उपयोग होता है ।
फ्लैश बल्बों में नाइट्रोजन गैस के वायुमंडल में मैग्नेशियम का तार रखा रहता है ।
एल्युमीनियम हाइड्रॉक्साइड कपड़ों को अदाहय बनाने तथा जलरोधी कपड़े तैयार करने में उपयोग किया जाता है ।
कैल्शियम कार्बाइड पर जल की प्रतिक्रिया से ऐसीटिलीन गैस उत्पन्न होती है ।
पिटवां लोहा ( Wrought iron ) में कार्बन की मात्रा सबसे कम ( 0.12 - 0.25 % ) रहता है । अतः यह अपेक्षाकृत शुद्ध होता है ।
आयरन ( III ) ऑक्साइड ( Fe2O3 ) के साथ ऐलमिनियम की अभिक्रिया का उपयोग रेल की पटरी एवं मशीनी पुर्जों की दरारों को जोडने के लिए किया जाता है । इस अभिक्रिया को थर्मिट अभिक्रिया कहते हैं ।
शरीर में लोहे की कमी से एनीमिया तथा अधिकता से लौहमयता रोग होता है । अफ्रीका के बाँटू आदिवासियों में लौहमयता ( Siderosis ) रोग पाया जाता है । ऐसा उनमे लोहे के बर्तन में बीयर सेबन के कारण होता है ।
मानव शरीर में ख़ास कर यकृत में जो यकृत सिरोसस का एक कारण है ।ताम्बा की मात्रा में वृद्धि होने पर विल्सन रोग हो जाता है ।
जिंक फॉस्फाइड का उपयोग चूहा विष के रूप में होता है ।
लकड़ी की वस्तुओं को कीड़ों से बचाने के लिए उस पर जिंक क्लोराइड का लेपन किया जाता है ।
जिंक ऑक्साइड को जस्ते का फूल कहते हैं । इसका ह्वाइट अथवा चाइनीज ह्वाइट के नाम से सफेद पेन्टों में प्रयोग किया जाता है । इसका उपयोग मरहम तथा चेहरे के क्रीम बनाने में किया जाता है ।
सिल्वर क्लोराइड को हॉर्न सिल्वर कहा जाता है । इसका उपयोग फोटोक्रोमेटिक काँच बनाने में होता है । सिल्वर आयोडाइड का उपयोग कृत्रिम वर्षा कराने में होता है । सिल्वर नाइट्रेट का प्रयोग निशान लगाने वाली स्याही बनाने में किया जाता है । मतदान के समय मतदाताओं की अगॅलियों पर इसी का निशान लगाया जाता है । सूर्य की प्रकाश में अपघटित हो जाने कारण इसे रंगीन बोतलों में रखा जाता है । सिल्वर ब्रोमाइड का उपयोग फोटोग्राफी में होता है ।
चाँदी के चम्मच से अंडा खाना वर्जित रहता है , क्योंकि चाँदी अंडे में उपस्थित गंधक से प्रतिक्रिया कर काले रंग का सिल्वर सल्फाइड बनाती है , जिससे चम्मच नष्ट हो जाती है ।
सोना को कठोर बनाने के लिए उसमें ताँबा या चाँदी मिलाया जाता है । शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है । आभूषण बनाने के लिए 22 कैरेट सोने का उपयोग होता है ।
आयरन पायराइट्स ( FeS2 ) को झूठा सोना या बेवकूफों का सोना कहते हैं ।
स्वर्ण लेपन में पोटेशियम ओरिसायनाइड का प्रयोग विद्युत् अपघट के रूप में होता है ।
ऑरिक क्लोराइड का उपयोग सर्प विषरोधी सूई बनाने में होता है ।
प्लेटिनम को ' सफेद सोना ' कहा जाता है ।
पारा को क्विक सिल्वर के नाम से भी जाना जाता है । इसका निष्कर्षण मुख्यतः सिनेवार से होता है । पारा को लौह पात्र में रखा जाता है , क्योंकि यह लोहे के साथ अमलगम नहीं बनाता है । ट्यूब लाइट में सामान्यतः पारा का वाष्प और आर्गन गैस भरी रहती है ।
सीसा सबसे अधिक स्थायी तत्व है । इसका उपयोग कागज पर लिखने में होता है ।
लेड आर्सेनिक नामक मिश्रधातु का उपयोग गोली बनाने में होता है ।
कार्बन सीसा का उपयोग कृत्रिम अंगों के निर्माण में होता है ।
लेड ऑक्साइड को लीथार्ज कहा जाता है , जो एक उभयधर्मी ऑक्साइड है । इसका उपयोग रबर उद्योग में , स्टोरेज बैटरी के निर्माण में तथा फ्लिण्ट काँच बनाने में होता है ।
बेसिक लेड कार्बोनेट को ह्वाइट लेड कहा जाता है । इसे सफेदा के नाम से भी जाना जाता है ।
लेड टेट्राइथाइल का उपयोग अपस्फोटन रोकने में किया जाता है ।
लेड पाइप पीने के जल को ले जाने के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं , क्योंकि ये वायु मिश्रित जल के साथ घुल कर विषैले लेड हाइड्रॉक्साइड उत्पन्न करते है ।
विद्यत उपकरणों में प्रयुक्त होने वाला फ्यूज तार लेड और टिन से बना मिश्रधातु होता है ।
यरेनियम को आशा धातु कहा जाता है । भारत में यूरेनियम का सर्वाधिक उत्पादन झारखंड में होता है । यूरेनियम का समस्थानिक 92U238 रेडियो सक्रियता प्रदर्शित नहीं करता है ।
यूरेनियम कार्बाइड का उपयोग हैबर विधि में अमोनिया के उत्पादन में उत्प्रेरक के रूप में किया जाता है ।
यूरेनियम का उपयोग परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में होता है ।
यूरेनियम के नाइट्रेट एवं एसीटेट का उपयोग फोटोग्राफी में होता है ।
यूरेनियम धातु का निष्कर्षण मुख्यतः उसके अयस्क पिंचब्लैंड से किया जाता है ।
प्लूटोनियम एक भारी रेडियोसक्रिय धातु है । यह एक्टीनाइड श्रेणी का सदस्य है । इसका उपयोग परमाणु बम बनाने में होता है । हिरोशिमा एवं नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम इसी से बने हुए थे ।