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शरीर पर काले तिल क्यों होते हैं ?

त्वचा पर काले तिल दरअसल मेलानोसाइट्स नाम के सेल या कोशिका का एक समूह है । यह भी त्वचा है लेकिन इसका रंग अलग है । प्रायः ये तिल आजीवन रहते हैं । अलग - अलग देशों या भौगोलिक इलाकों में इनका रंग अलग अलग हो सकता है । अफ्रीकी मूल के निवासियों के शरीर में इनका रंग गुलाबी हो सकता है । यूरोप में इनका रंग भूरा , भारत में काला तो कहीं - कहीं नीला हो सकता है ।

सेलोटेप का आविष्कार किसने और कैसे किया था ?

सेलोटेप के आविष्कारक का नाम है परिचर्ड जी ड्रयू । वह अमरीका के निवासी थे और केमिकल इंजीनियर थे । ड्रयू मिनेसोटा माइनिंग एंड मेन्युफैक्चरिंग कंपनी में काम करते थे । इस कंपनी को आज हम 3एम के नाम से जानते हैं । यह कंपनी वर्ष 1926 से रेगमाल या सैंडपेपर बनाती रही है । इसमें सिलिका और एल्यूमीनियम ऑक्साइड का इस्तेमाल होता था । इस पेपर के आविष्कार में भी ड्रयू का योगदान था । इस सिलसिले में उन्हें गोंद और रबड़ की तरह चिपकने वाले रसायनों को समझने का मौका मिला । उन दिनों अमरीका में दो रंगों वाली कारों का फैशन चला । दो रंगों का पेंट करने के लिए कार कंपनियां एक रंग का पेंट करने के बाद दूसरे हिस्से पर पेंट करते हुए उस पहले के हिस्से पर टेप लगाकर मास्किंग कर देती थीं , जिन पर वह रंग नहीं करना होता था । ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि उस हिस्से पर पेंट न पड़े । बाद में टेप हटा लिया जाता था । इससे कार पर दोनों रंग नजर आने लगते थे । हालांकिटेप हटाए जाने के बाद रंग की गुणवत्ता पर जरूर फर्क पड़ता था । ड्रयू ने बाद में बादामी रंग के कागज का नया मास्किंग टेप बनाया , जिसे हटाने पर चिपकने वाला पदार्थ सतह पर निशान नहीं छोड़ता था । वर्ष 1928 में उन्होंने ट्रांसपेरेंट सेलोफेन टेप बनाया । यह पारदर्शी और महीन होने के अलावा गर्मी और नमी को सहन करने वाला भी था । सामान्य कागज के टेप की तुलना में यह ज्यादा मजबूत भी था । यह सेल्युलोज से बनाया गया था इसलिए इसे सेलोफेन कहा गया । इससे पहले गोंद वाला ब्राउन टेप काम में आता था , जो बरसात में नम होकर यं ही चिपकने लगता था । इसे चिपकाने के लिए इसको पहले गीला भी करना पड़ता था । ड्रयू ने वर्ष 1928 में अपने नए टेप का पेटेंट करवाया और फिर वर्ष 1930 में इनकी कंपनी ने इसे सेलोटेप के नाम से बाजार में उतार दिया था ।

एफएम , वायरलेस , मोबाइल और अन्य तरंगों का इंसानों एवं पशु - पक्षियों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

एफएम , वायरलेस , मोबाइल और अन्य तरंगों के अलावा कॉर्डलेस हैडफोन , वाई - फाई , माइक्रोवेब ओवन और ऑप्टिक फाइबर आदि से भी स्वास्थ्य को होने वाले खतरों पर चिंता व्यक्त की जाती है । मोबाइल टॉवरों से रेडिएशन हो सकता है , लेकिन इनके लिए सीमा निर्धारित है । वस्तुतः ज्यादा धूप , गर्मी , सर्दी , पानी से भी स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है , लेकिन यदि ये सीमा के भीतर रहें तो ऐसा नहीं होता ।

दूध की बजाय दही खाने को स्वास्थ्यवर्धक क्यों कहते हैं ?

दही में दूध के मुकाबले कई गुना कैल्शियम होता है । दूध में लैक्टो बैसीलियस होते हैं , जो दही जमाते हैं । ये कई गुना ज्यादा होते हैं । इससे दही में पाचन की शक्ति बढ़ जाती है । दही में दूध की तुलना में अधिक फास्फोरस , प्रोटीन , आयरन और लैक्टोस पाया जाता है । दही बनने पर दूध की शर्करा एसिड का रूप ले लेती है , इससे भोजन पचाने में मदद मिलती है ।

फिटकरी क्या है ? क्या यह भी नमक की तरह समुद्र से मिलती है ?

फिटकरी एक प्रकार का खनिज है , जो । " प्राकृतिक रूप में पत्थर की शक्ल में मिलता है । इस पत्थर को एल्युनाइट कहते हैं । इससे परिष्कृत फिटकरी तैयार की जाती है । यह सेंधा नमक की तरह चट्टानों से मिलती है । इसका रासायनिक नाम पोटेशियम एल्यूमीनियम सल्फेट है ।

उल्लू रात में कैसे देख पाता है ?

उल्लू एक ऐसा प्राणी है , जो बहुत कम रोशनी में भी देख लेता है । उल्लुओं की अधिकतर प्रजातियां ऐसी हैं , जो कि रात में देख पाने की क्षमता रखती हैं । उनकी आंखों में कई प्रकार की अनुकूलन क्षमता पाई जाती है । खासतौर पर इनकी आंखों का आकार बाकी पक्षियों की आंखों की तुलना में काफी बड़ा होता है । उनके रेटिना में प्रकाश संवेदनशील कोशिकाएं मौजूद होती हैं । इनका कॉनिया भी काफी बड़ा होता है । लेकिन ये जीव दूरदर्शी होते हैं । पास की चीजों को ये सही तरीके से देख पाने में सक्षम नहीं हैं ।

प्रकाश की गति क्या है ?

वैक्यूम या शून्य में प्रकाश की गति 2 लाख 99 हजार 792 . 458 किलोमीटर प्रति सेकेंड होती है ।

महिलाओं को मताधिकार देने वाला पहला देश कौनसा था ?

वर्ष 1893 में महिलाओं का मताधिकार देने वाला पहला देश न्यूजीलैंड बना ।

ब्लू व्हेल का दिल क्या बहुत बड़ा होता है ? यदि हां तो कितना ?

ब्लू व्हेल लगभग 30 मीटर लंबी होती है । इसका वजन 170 टन या इससे ज्यादा होता है । इसका दिल लगभग 600 किलो का होता है ।

नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर कब से लगाई गई और क्यों ?

नोटों पर राष्ट्रीय नेताओं के चित्र लगाने की परंपरा दुनियाभर में है । महात्मा गांधी हमारे देश के सबसे सम्मानित महापुरुषों में से एक हैं , इसलिए उनका चित्र लगाया जाता है । नोटों की वर्तमान सीरीज को महात्मा गांधी सीरीज या एमजी सीरीज कहा जाता है । इन नोटों को जाली नोटों से बचाने के लिए इनकी छपाई खास तरीके से की गई । यह वर्ष 1996 से चल रही है । शुरू में इस सीरीज में 10 और 500 के नोट आए थे । अब 5 से 1000 तक के नोट इस सीरीज में आ रहे हैं । कुछ समय के लिए इन्हें रोका गया था , लेकिन वर्ष 2009 में इन्हें फिर से शुरू कर दिया गया ।

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