भाषा : भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचार दूसरों के सामने प्रकट करता है या समझता है । भाषा शब्द संस्कृत की ' भाष् ' धातु से लिया गया है जिसका अर्थ है- ' बोलना '
जब हम अपने विचारों को लिखकर या बोलकर प्रकट करते हैं या दूसरों के विचारों को सुनकर या पढ़कर ग्रहण करते है , उसे भाषा कहते हैं ।
भाषा में सार्थक ध्वनि का ही समावेश होता है । मनुष्यों या पशु पक्षियों की बोली भाषा नहीं है ।
भाषा की विशेषताएं
1. भाषा विचार विनिमय का साधन हैं ।
2. भाषा परिवर्तनशील है । ( कठिन से सरल )
3. भाषा अर्जित संपत्ति है ।
1. लिखित भाषा
जब व्यक्ति अपने विचारों को लिखकर व्यक्त करता है तो उसे लिखित भाषा कहते हैं ।
यह भाषा का स्थायी रूप होता है ।
जैसे : ग्रंथ , पुस्तकें , पत्र - पत्रिकाएँ आदि ।
2. मौखिक भाषा
जब हम अपने विचारों को बोलकर या सुनकर व्यक्त करते है , तो उसे मौखिक भाषा कहते हैं । मौखिक भाषा का प्रयोग तभी होता है जब श्रोता सामने हो ।
मौखिक भाषा | लिखित भाषा |
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मौखिक भाषा उच्चारण का विषय है । | लिखित भाषा लेखन का विषय है । |
मौखिक भाषा अस्थायी होती है । | लिखित भाषा स्थायी होती है । |
मौखिक भाषा का क्षेत्र सीमित होता है । | लिखित भाषा का क्षेत्र व्यापक होता है । |
भाषा के अन्य भेद
1. मातृभाषा :
जिस भाषा को बालक बचपन में अपनी माँ या परिवार से सीखता है उसे मातृ भाषा कहते है ।
2. राजभाषा :
जिस भाषा को देश के सरकारी कार्य के रूप में प्रयोग किया जाता है । हमारी राजभाषा हिन्दी है ( हिन्दी दिवस 14 सितम्बर ) अंग्रेजी हमारी सह राजभाषा है ।
हिन्दी पूरे भारत में बोली जाने वाली भाषा है , इसलिए इस राष्ट्र भाषा कहते हैं अपितु इस पर मतभेद भी है ।
3. मानक भाषा :
जिसे मान्य किया गया हो । मानक हिन्दी , हिन्दी का ही मानक रूप है । इसे शिक्षा और कार्यालय में प्रयोग में लिया जाता है ।
बोली
बोली भाषा का ही एक प्रारम्भिक रूप है ।
सीमित क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा बोली कहलाती है ।
जब एक ही भाषा अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग तरह से बोला जाती है तो उसे ही बोली कहते हैं ।
बोली भाषा का स्थानीय / क्षेत्रीय रूप है ।
बोली के लिए कहावत है :
कोस कोस पर बदले पानी
चार कोस पर बदले बानी
हिन्दी की कुछ बोलियां : ब्रज , अवधी , मगही , बुन्देलखण्डी , पहाड़ी , हरियाणवी व राजस्थानी आदि ।
विभाषा
विभाषा का क्षेत्र बोली की अपेक्षा विस्तृत होता है । यह एक प्रान्त में प्रचलित होती है । विभाषा में साहित्यिक रचनाएं मिलती हैं ।
भाषा और बोली में अंतर
भाषा | बोली |
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भाषा विस्तृत होती है । | बोली स्थानीय होती है । |
भाषा व्याकरण के नियमों से बंधी होती है । | बोली स्वतंत्र होती है । |
भाषा का व्याकरण होता है । | बोली का व्याकरण नहीं होता है |
भाषा की अपनी लिपि होती है । | बोली की लिपि नहीं होती है । |
कोई भी बोली विकसित होकर भाषा का रूप ले लेती है ।
लिपि
लिपि का अर्थ होता है किसी भाषा की लिखावट या लिखने का ढंग । ( लिखित ध्वनि संकेत )
परिभाषा : ध्वनियों को लिखने के लिए जिन चिहनों का उपयोग भाषा में किया जाता है , उसे लिपि कहते हैं ।
लिपि भाषा का लिखित रूप है ।
प्रत्येक भाषा के अपने निश्चित वर्ण व चिह्न होते हैं । जिन्हें उस भाषा को लिखने व समझने में प्रयोग किया जाता है ।
देवनागरी लिपि
इसकी उत्पत्ति ब्राहमी लिपि से हुई है ।
इसे बायें से दायें लिखा जाता है ।
वर्णों पर शिरोरेखा का प्रयोग होता है ।
हर वर्ण का आकार समान होता है ।
उच्चारण के अनुरूप लिखी जाती है ।
व्याकरण
व्याकरण :भाषा के शुद्ध और स्थायीरूप को निश्चित करने की नियमबद्ध योजना को व्याकरण कहते हैं ।
व्याकरण वह शास्त्र है जिसके द्वारा किसी भी भाषा के शब्दों और वाक्यों के शुद्ध रूपों एवं प्रयोगों का ज्ञान करवाया जाता है ।
भाषा में शब्दों का उच्चारण कैसे हो , शब्द प्रयोग वाक्य गठन , अर्थ प्रयोग आदि का ज्ञान व्याकरण के अंतर्गत आता है ।
व्याकरण के चार अंग है
- वर्ण विचार
- शब्द विचार
- पद विचार
- वाक्य विचार