कंप्यूटर की पीढ़ियां ( Generations Of Computer) Notes For All Competitive Exams
प्रथम पीढ़ी ( 1945 - 1955 )
इस जनरेशन में वैक्यूम ट्यूब टेक्नॉलॉजी का प्रयोग किया गया था ।
मशीन भाषा का प्रयोग हुआ था ।
मेमोरी के तौर पर चुम्बकीय टेप एवं पंचकार्ड का प्रयोग किया गया था ।
इस पीढ़ी के कम्प्यूटर बहुत बड़े आकार के होते थे , जिससे ज्यादा पॉवर की खपत होती थी ।
प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर - ई . एन . आई . ए . सी ( ENIAC ) 1946 , EDSAC ( 1949 ) , EDVAC ( 1950 ) , UNIVAC - 1 ( 1951 )
द्वितीय पीढ़ी ( 1955 - 1964 )
इस पीढ़ी में ट्रांसिस्टर का प्रयोग किया गया था ।
इसका विकास विलियम शॉक्ले ने 1947 में किया था ।
इसमें असेम्बली भाषा का प्रयोग किया गया था ।
इसमें मेमोरी के तौर पर चुम्बकीय टेप का प्रयोग किया जाने लगा था ।
द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर - हनीवेल 400 , आई . बी . एस . 7094 . CDC 1604 आदि ।
तीसरी पीढ़ी ( 1964 - 1975 )
इस जनरेशन में आई सी का प्रयोग किया गया था ।
IC का विकास 1958 में जैक किल्बी ने किया था ।
इसमें स्माल स्केल इन्टीग्रेशन ( Small Scale Integration ) का प्रयोग हुआ था ।
इसमें हाई लेवल प्रोग्रामिंग भाषा का प्रयोग हुआ था ।
इसमें मेमोरी के रूप में चुम्बकीय डिस्क का प्रयोग होने लगा था ।
तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर - आई . वी . एम . 360 / 370 ,CDC 6600 , हनीवेल - 6000 सीरीज इत्यादि ।
चौथी पीढ़ी ( 1975 - 1989 )
इस जनरेशन में आई . सी . की आधुनिक तकनीक वेरी लार्ज स्केल इन्टीग्रेसन ( Very large scale Integration ) का प्रयोग होता है ।
इसमें हाई लेवल भाषा का प्रयोग प्रोग्रामिंग के लिए किया जाता था ।
इस पीढ़ी में कोर मैग्नेटिक मेमोरी को सेमीकॅन्डक्टर मेमोरी के द्वारा विस्थापित कर दिया गया ।
इस पीढ़ी के कम्प्यूटर आई . बी . एम . पीसी ( IBM PC ) , एप्पल II , VAX 9000
पांचवीं पीढ़ी ( 1989 - अब तक )
इस जनरेशन में आई . सी . की अल्ट्रा लार्ज स्केल इन्टीग्रेशन ( Ultra Large scale Integration ) का प्रयोग होता है ।
इसमें हाई लेवल भाषा का प्रयोग प्रोग्रामिंग के लिए किया जाता है जो अधिक सरल है ।
इन भाषाओं में GUI इन्टरफेस का प्रयोग किया जाता है ।
अगली पीढ़ी के कम्प्यूटर
नैनो कम्प्यूटर - नैनो स्तर ( 10-9m ) पर निर्मित नैनो ट्यूब्स के प्रयोग से अत्यन्त छोटे व विशाल क्षमता वाले कम्प्यूटर के विकास का प्रयास किया जा रहा है ।
क्वांटम कम्प्यूटर -यह प्रकाश के क्वांटम पर आधारित है , जिसमें आंकड़ों का संग्रहण और संसाधन क्वांटम कण करते हैं । ये कण युग्म में रहते हैं और इन्हें ' क्यू बिट्स ' कहते हैं ।