प्रकाश संश्लेषण एक महत्वपूर्ण जैविक क्रिया है जिसमें हरे पौधे सूर्य के प्रकाश व पर्णहरित की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल का उपयोग कर जटिल कार्बोहाइडेट का निर्माण करते हैं ।
प्रकाश संश्लेषण क्रिया में क्लोरोफिल मख्य वर्णक की भाँति जबकि कैरोटिनॉइड्स , फाइकोबिलिन्स सहायक वर्णक की तरह कार्य करते हैं ।
हरित लवक के ग्रेना भाग में प्रकाशिक अभिक्रिया ( Light Reaction ) तथा स्ट्रोमा भाग में अप्रकाशिक अभिक्रिया ( Dark reaction ) सम्पन्न होती है ।
क्लोरोफिल - a नीले हरे रंग का वर्णक तथा क्लोरोफिल - b पीले हरे रंग का वर्णक है । Chl - a का सूत्र C55H72O5N4Mg होता है जबकि Chl - b का सूत्र C55H70O6N4Mg होता है ।
क्लोरोफिल अणु का शीर्ष भाग चार पाइरोल अणुओं से बनी चक्रिक पोरफाइरिन वलय का बना होता है तथा इसका पुच्छ भाग कार्बन की लम्बी फाइटोल श्रृंखला होती है ।
क्लोरोफिल का निर्माण इसके पूर्वगामी प्रोटोक्लोरोफिल ( Protochlorophyll ) से होता है जो पीले रंग का पदार्थ है ।
क्लोरोफिल - a प्रकाशिक अभिक्रिया में अभिक्रिया केन्द्र की तरह कार्य करता है । सहायक वर्णकों द्वारा अवशोषित प्रकाश ऊर्जा को अन्त में क्लोरोफिल वर्णक को ट्रांसफर कर किया जाता है ।
सभी वर्णक परस्पर मिलकर हरित लवक में दो प्रकार के प्रकाश तंत्रों ( PS - I तथा PS - II ) का निर्माण करते हैं । PS - I में 680mμ से अधिक तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश का अवशोषण होता है , जबकि PS - II में 680mμ से कम तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश का अवशोषण होता है ।
PS - 1 का अभिक्रिया केन्द्र P700 होता है जबकि PS - II का अभिक्रिया केन्द्र P680 होता है । PS - 1 में चक्रीय फॉस्फोरिलीकरण जबकि PS - II में अचक्रीय फॉस्फोरिलीकरण की क्रिया होती है ।
क्वान्टासोम प्रकाश संश्लेषण की स्वतन्त्र इकाई है । ये हरित लवक में थाइलेकॉइड की इकाई झिल्ली पर सूक्ष्म दानेदार रचनाएँ हैं जो प्रकाश ऊर्जा को फोटोन के रूप में ग्रहण करते हैं । प्रत्येक क्वान्टासोम का आण्विक भार 20 लाख होता है ।
यदि पौधों को 680mμ से अधिक तरंगदैर्ध्य वाला प्रकाश दिया जाता है , प्रकाश संश्लेषण की दर बहुत कम हो जाती है , इसे लाल पतन या रेड ड्रॉप ( Red Drop ) कहते हैं ।
यदि पौधों को 680mμ से अधिक तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश के साथ 680mu से कम तरंगदैर्ध्य वाला प्रकाश भी दिया जाए तो लाल पतन का प्रभाव नष्ट हो जाता है और प्रकाश संश्लेषण की दर बढ़ जाती है , इसे इमरसन ( Emerson Effect ) कहते हैं ।
हरे पौधों में उत्तेजित क्लोरोफिल से निकलने वाली कुछ ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा ( ATP ) के रूप में संचित की जाती है , तब इसे फास्फोरिसेन्स ( Phosphorescence ) कहते हैं ।
प्रकाश संश्लेषण की प्रकाशीक अभिक्रिया में सूर्य की प्रकाश ऊर्जा को ATP तथा NADP.H2 अणुओं में रासायनिक ऊर्जा के रूप में संचित किया जाता है जो अप्रकाशीक अभिक्रिया में काम आती है ।
अप्रकाशीक अभिक्रिया में CO2 का स्थिरीकरण कार्बोहाइड्रेट में किया जाता है , इसके लिए आवश्यक ऊर्जा ATP व NADP.H2 से प्राप्त होती है |
C3 पौधों में CO2 को कैल्विन चक्र के द्वारा स्थिरीकृत किया जाता है , जबकि C4 पौधों में CO2 को हैच - स्लैक चक्र के द्वारा स्थिरीकृत किया जाता है ।
C3 पौधों में प्रथम स्थायी उत्पादन तीन कार्बन वाला फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल ( PGA ) बनता है । जबकि C4 पौधों में प्रथम स्थायी यौगिक चार कार्बन परमाणु वाला ओक्सेलो एसिटिक अम्ल ( OAA ) बनता है ।
हरे पौधों में प्रकाश संश्लेषण क्रिया के दौरान हाइड्रोजनग्राही रसायन NADP ( Nicotinamide Adenine Di Nucleotide Phosphate ) होता है । NADP को पहले TPN ( Tri Phospho - pyridine Nucleotide ) भी कहा जाता था ।
अप्रकाशिक अभिक्रिया ( केल्विन चक्र ) के अन्त में CO2 के 6 अणुओं से कुल 12 PGAL ( Phosphogyceraldehyde ) बनते हैं । इनमें से 2PGAL के अणु पुनर्विन्यासित होकर ग्लूकोज का एक अणु बनाते हैं तथा शेष 10PGAL के अणु विभिन्न पदों से होते हुए अन्त में 6RuDP के अणुओं में बदल जाते हैं जो पनः अप्रकाशिक अभिक्रिया की शुरूआत करते हैं ।
हैच - स्लैक चक्र को C4 चक्र भी कहते हैं क्योकि इसमें प्रथम स्थायी यौगिक 4 कार्बन वाला ओक्सेलो एसिटिक अम्ल ( OAA ) बनता है । यह चक्र C4 पौधों में पाया जाता है ।
C4 पौधों की पत्तियों में विशेष प्रकार की क्रेन्ज एनाटोमी पायी जाती है । इन पौधों की पत्तियों में संवहन पूल के चारों ओर पूल आच्छद पायी जाती है एवं कोशिकाओं में दो प्रकार का हरित लवक मिलता है
क्रेसूलेसीयन अम्ल उपापचय ( Crassulacean Acid Metabolism - CAM ) की क्रिया केसूलेसी कुल के पौधों में पायी जाती है । अत : इन पौधों को CAM पादप भी कहते हैं ।
C3 पौधों में CO2 ग्राही पाँच कार्बन युक्त शर्करा RuDP होती है , जबकि C4 पौधों में CO2 ग्राही तीन कार्बन यौगिक PEP होता है ।
पौधों में कार्बोक्सीलीकरण की क्रिया RUBISCO ( Ribulose Bi Phosphate Carboxilase Oxigenase ) के द्वारा उत्प्रेरित होती है । जबकि पौधों में कार्बोक्सिलीकरण की क्रिया PEPCO ( Phosophoenol Pyruvate carboxilase Enzyme ) द्वारा उत्प्रेरित होती है ।
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया लाल प्रकाश में सबसे अधिक तथा हरे प्रकाश में सबसे कम होती है ।
ब्लैकमैन के अनुसार यदि कोई प्रक्रिया एक से अधिक कारकों द्वारा प्रभावित होती है , तो उस प्रक्रिया की दर सबसे कम मात्रा में उपस्थित कारक पर निर्भर करती है । इसे ब्लैकमैन का सीमाकारी कारकों का नियम कहते हैं ।
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रकाश स्पेक्ट्रम के दृश्य भाग ( 400 nm से 700nm ) में ही सम्पन्न होती है , जिसे प्रकाश संश्लेषी सक्रिय विकिरण ( Photo - synthetically Active Radiation = PAR ) कहते हैं ।
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में CO2 के एक अणु के अपचयन के लिए लगभग 8 - 10 फोटोन की आवश्यकता होती है , इसे प्रकाश संश्लेषण की क्वाण्टम आवश्यकता या क्वाण्टम लब्धि कहते हैं ।
प्रकाशीय अभिक्रिया ( Light Reaction ) में बने ATP को स्वांगीकरण शक्ति तथा NADP.H2 ) को अपचायक शक्ति कहा जाता है ।
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में बनने वाले कार्बोहाइड्रेटस को प्रकाश संश्लेषज कहते हैं । पौधे के संग्राहक भागों में यह स्टार्च के रूप में संचित रहते हैं ।
पादप कार्यिकी का जनक स्टीफन हेल्स को कहा जाता है ।
थाइलेकॉइड की आन्तरिक सतह पर पायी जाने वाली सूक्ष्म गोलाकार कणिकाओं का नाम क्वाण्टासोम है ।
पर्णहरित b ( Chl.b ) की विलायकता कार्बनिक विलायकों में सबसे अधिक होती है ।
क्लोरोफिल a का अणुसूत्र लिखिए । उत्तर - C55H72 O5N4Mg
बेकेनरोडर ( 1831 ) से गाजर में केरोटिनॉइड की खोज सबसे पहले की थी ।
सभी हरे पादपों में कैरोटिन - β व ल्यूटिन जेन्थोफिल पाया जाता है ।
मुख्यत : नील हरित शैवालों में फाइकोसायनिन नामक फाइकोबिलिन्स वर्णक पाया जाता है ।
केरोटिन - गाजर का लाल रंग केरोटिन वर्णक के कारण होता है , इनका मूलानुपाती सूत्र C40H56 होता है ।
जैन्थोफिल - यह एक पीला वर्णक है , इसका सूत्र C40H56O2 है ।
क्लोरोफिल अणु की संरचना सबसे पहले विल स्टाटर स्टॉल व फिशर ( 1912 ) ने की ।
सभी प्रकार के क्लोरोफिल वर्णकों के नाम - Chl.a , Chl.b . Chl.c , Chl.d , Chl.e , Bacterio Chlorophill तथा Bactereoviridin chlorophill
क्लोरोफिल a व b वर्णक सर्वाधिक मात्रा में पाये जाते हैं ।
क्वान्टासोम - पार्क एक पान के अनुसार थाइलैकाइड को आन्तरिक सतह पर सूक्ष्म कणिकायें पायी जाती है , जिन्हें क्वान्टासोम कहते हैं ।
अवरक्त क्षेत्र - लाल रंग से अधिक तरंगदैर्ध्य वाले क्षेत्र को ।
प्रकाश में पाये जाने वाले उच्च ऊर्जा वाले कणों को फोटोन नाम से जाना जाता है ।
हरे प्रकाश में प्रकाश संश्लेषण की दर शून्य होती है ।
पादपों में प्रकाश संश्लेषण की दर सबसे अधिक नीले एवं लाल प्रकाश में रहती है ।
प्रकाशिक अभिक्रिया का ताप गुणांक का मान Q10 = 1 व अप्रकाशिक अभिक्रिया का ताप गुणांक का मान - Q10 = 2 या 3
प्रकाश संश्लेषण की प्रकाशिक अभिक्रिया या हिल अभिक्रिया हरित लवक के ग्रेना भाग में सम्पन्न होती है ।
लाल पतन - 680nm से उच्च तरंगदैर्ध्य ( लाल प्रकाश ) पर प्रकाश संश्लेषण की दर में हुई अचानक कमी को लाल पतन कहते हैं ।
प्रकाश तन्त्र - I में अभिक्रिया का केन्द्र Chl a700( P700 ) अणु होता है ।
हरितलवक के ग्रेना पटलिकाओं में PS - II पाया जाता है ।
ऑर्नन व उसके सहयोगियों ( 1954 ) ने प्रकाश फास्फोरिलीकरण की खोज की
ATP को स्वांगीकारी शक्ति व NADPH + H+ को अपचायक शक्ति कहा जाता है ।
प्रकाश संश्लेषण की अप्रकाशिक अभिक्रिया हरित लवक के स्ट्रोमा में सम्पन्न होती है ।
C3 चक्र में CO2स्वांगीकरण के फलस्वरूप बनने वाले प्रथम स्थायी उत्पाद का नाम - PGA ( 3 - फास्फोग्लिसरिक अम्ल ) 3C यौगिक ।
अप्रकाशिक अभिक्रिया में CO2 ग्रहण करने वाले यौगिक का नाम - RuBP ( राइबुलोज 1 - 5 बाई फॉस्फेट ) 5C यौगिक
C4 चक्र में के स्वांगीकरण के फलस्वरूप बनने वाले प्रथम स्थायी उत्पाद का नाम - ऑक्सेलेएसिटिक अम्ल ( OAA ) 4C यौगिक ।
C4 चक्र में CO2 का ग्राही PEP ( फास्फो इनोल पाइरुविक अम्ल )होता है
क्रेंज शारीरिकी C4 पादपों में जैसे मक्का , गन्ना , ज्वार , बाजरा आदि पादपों में पायी जाती है ।
प्रकाश श्वसन से सम्बन्धित कोशिकांगों के नाम - माइटोकॉण्ड्रिया , हरितलवक व परॉक्सीसोम ।
प्रधान बिन्दु संकल्पना का प्रतिपादन सेक्स ( Sach's 1860 ) ने किया था ।
प्रकाश संश्लेषणीय सक्रिय विकिरण ( Photosynthetically Active Radiation ) का मान 400 nm - 700 nm है ।
आतपन ( Solarization ) - उच्च प्रकाश तीव्रता पर प्रकाश संश्लेषण की दर कम हो जाती है क्योंकि या तो अन्य कारक सीमाकारी हो जाने या हरित लवक व अन्य कोशिकीय अवयव प्रकाश ऑक्सीकरण द्वारा नष्ट हो जाते हैं , इस प्रभाव को आतपन ( Solarization ) कहते हैं ।
प्रकाश श्वसन शब्द का प्रयोग सबसे पहले क्रोटकोव ( 1963 ) ने किया ।
CAM चक्र मांसलोद्भिद् व शुष्कोद्भिद् पादपों जैसे अगेव , नागफनी आदि पादपों में पाया जाता है ।
NADP का पूर्ण नाम - Nicotinamide Adenine Dinucleotide Phosphate
प्रकाशिक अभिक्रिया हरित लवक के ग्रेना भाग में जबकि अप्रकाशिक अभिक्रिया हरित लवक के स्ट्रोमा भाग में सम्पन्न होती है ।
सीमाकारी कारक का नियम - ब्लैकमैन के अनुसार यदि कोई प्रक्रिया एक से अधिक कारकों द्वारा प्रभावित होती है , तो उस प्रक्रिया की दर सबसे कम मात्रा में उपस्थित कारक पर निर्भर करती है । इसे ब्लैकमैन का सीमाकारी कारकों का नियम कहते हैं ।
जैवमण्डल में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन RuBisco है ।
प्रकाश संश्लेषण में सहयोगी वर्णक कैरोटिनॉइड व फाइकोबिलिन्स है ।
प्रकाश संश्लेषण की इकाई क्वाण्टासोम है ।
प्रकाश संश्लेषण में मुक्त होने वाली ऑक्सीजन का स्रोत जल ( H2O ) है ।
पर्ण हरित अणु के केन्द्र में Mg तत्व पाया जाता है ।
प्रकाशीय फास्फेटीकरण या फास्फोरिलीकरण की खोज डेनियल ऑर्गन ( 1954 ) ने की थी ।
फास्फेटीकरण के रसायन परासरणी ( Chemiosmatic ) सिद्धान्त का प्रतिपादन पी . मिशेल ( 1978 ) ने किया था ।
क्वाण्टम उत्पादन - पुनः अवशोषित या व्यय होने वाले प्रत्येक क्वाण्टम या फोटोन से मुक्त होने वाले O2 अणुओं की संख्या को क्वाण्टम उत्पादन कहते है ।
एन्टीना अणु - उस सहायक वर्णकों को जो कि प्रकाशिक ऊर्जा को अवशोषित करके अभिक्रिया केन्द्र को देते हैं को एन्टीना अणु कहते हैं ।
प्रकाश तन्त्र - I में अभिक्रिया केन्द्र के रूप में Chla700अणु कार्य करता है ।
अप्रकाशिक अभिक्रिया की खोज ब्लेकमेन ( 1905 ) ने की ।
अप्रकाशिक अभिक्रिया की सभी जैव रासायनिक अभिक्रियाओं का अध्ययन केल्विन व साथियों ने किया ।
C2 चक्र या ग्लाइकोलेट चक्र का अध्ययन डेकर एवं टिओ ने की ।